भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व -भीमशंकर मंदिर Naeem Ahmad, June 23, 2017February 18, 2023 भारत देश मे अनेक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन उनमे 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व ज्यादा है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करले उसका कल्याण होता है। इन्ही 12 कल्याणकारी ज्योतिर्लिंग मे से एक है ” भीमशंकर ज्योतिर्लिंग ” इस प्रमुख ज्योतिर्लिंग का स्थान विवादित है। इसका एक स्थान असम के लोगो के अनुसार असम मे गोहाटी के पास ब्रहाम्पुत्र मे पहाडी पर माना जाता है। दूसरा मुंबई से लगभग दो सौ मील दूर दक्षिण पूर्व में सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर पर माना जाता है इस शिखर को डाकिनी शिखर भी कहते है। भीमा नदी वही से निकलती है। कुछ लोगो का यह भी कहना है कि नैनीताल जिले के उज्जनक नामक स्थान में एक विशाल शिव मंदिर है। वही भीमशंकर का स्थान है। शिवपुराण की एक कथा के अनुसार भी भीमशंकर का ज्योतिर्लिंग असम प्रांत के कामरूप जिले में पूर्वोत्तर रेलवे पर गोहाटी के पास ब्रह्यापुर पहाडी पर अवस्थित बतलाया जाता है। परंतु इस पोस्ट मे हम महाराष्ट्र के पूणे के करीब शिराधन गांव मे स्थित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग की सैर करेगे और उसके बारे में विस्तार से जानेगें। इस भव्य शिव मंदिर को मोटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्वपुराणो के अनुसार भीमशंकर एक कल्याणकारी ज्योतिर्लिंग है। ऐसा माना जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही प्राणी सभी प्रकार के दुखो से छुटकारा पा जाता है। और उसका हर प्रकार से कल्याण होता है। भीमशंकर ज्योतिर्लिंगभीमशंकर की कहानीकहा जाता है कि कामरूप देश में कामेश्वर नामक एक महाप्रतापी शिवभक्त राजा हुए थे। वे हमेशा शिव भक्ति मे लीन रहते थे। उन्ही दिनो वहा राक्षस कुंभकर्ण का पुत्र ” भीम ” जो कि एक महाबलशाली राक्षस था। ये पुत्र कुंभकर्ण और कर्कटी नाम की एक महिला का था। जो कुंभकर्ण को पर्वत पर मिली थी। उसे देखकर कुंभकर्ण उसपर मोहित हो गया और कुंभकर्ण ने कर्कटी से विवाह कर लिया। विवाह के बाद कुंभकर्ण लंका वापस लौट आया लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रही कुछ समय बाद कर्कटी को एक पुत्र हुआ जिसका नाम भीम था। श्रीराम द्धारा कुंभकर्ण के वध के पश्चात कर्कटी ने भीम को देवताओ के छल से दूर रखा परंतु कुछ समय बाद भीम को देवताओ के द्धारा अपने पिता के वध का पता चला तो वह पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए देवताओ के भक्तो को तंग करता हुआं कामरूप जा पहुंचा। राजा कामेश्वर को भक्ति मे लीन देखकर वह दुष्ट राक्षस उनके पास जा पहुंचा। और उनसे शिव भक्ति छोडकर अपनी भक्ति करने के लिए कहने लगा। राजा के मना करने पर उसने राजा को बंदी बना कारागार मे डाल दिया। राजा शिव भक्त थे उनहोने कारागार मे भी शिव भक्ति नही छोडी और कारागार मे ही पार्थिव शिव लिंग बनाकर भक्ति करने लगे। यह देखकर भीम क्रोधित हो उठा और उसने अपनी तलवार से पार्थिव शिव लिंग पर वार किया और तत्क्षण भगवान शंकर ने लिंग मे से प्रकट होकर भीम के प्राण शांत कर दिये। भीम के वध के बाद चारों ओर आनंद छा गया। देवताओ और ऋषियो ने शिव जी से वही निवास करने के लिए प्रार्थना की इस प्रार्थना को भगवन ने स्वीकार कर लिया। तभी से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमशंकर पड गया।भीमशंकर मंदिर के सुंदर दृश्यभीमशंकर का स्थापत्यभीमशंकर शिव मंदिर बहुत प्राचीन माना जाता है। इसका निर्माण वर्ष किसी को ज्ञात नहीं है। इसकी प्राचीनता इसकी कलात्मक शैली जीर्णता से लगाया जा सकता है। परंतु महाराष्ट्र में पेशवाओ के काल के प्रसिद्ध राजनेता नाना फंडविस ने इस मंदिर मे सभा मंडप और शिखर बनाकर इसे आधुनिक स्वरूप प्रदान किया था। यानि स्थापत्य कला के मामले मे यह मंदिर आधुनिक और पुरातन शैली का मिश्रित रूप है।बद्रीनाथ धाम की यात्राभीमशंकर के दर्शनीय स्थलमंदिर ओर उसके आस पास नाजारा बेहद सुंदर और देखने लायक है। इसके अलावा आप यहां बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक, गुप्त भीमशंकर, हनुमान टैंक और नागफनी प्वाइंट के दर्शन भी कर सकते है। गुप्त भीमशंकर भीमा नदी का उग्दम स्थल है। यहां का जंगल एक वन संरक्षित क्षेत्र है। जहा आप वन्य जीवजन्तु तथा विभिन्न प्रकार की वनस्पति देख सकते है। प्रति वर्ष शिवरात्रि पर यहां मेले का आयोजन भी होता है। इस मोके पर यहा शिव भक्तो की काफी भीड रहती है। भीमशंकर के समीप कई धर्मशालाए है जहा ठहरने की व्यवस्था हो जाती है।कैसे पहुँचेश्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का स्थान वन मार्ग से होकर पर्वत पर जाता है। वहा तक पहुँचने का कोई भी सीधा सुविधापूर्ण रास्ता नही है। केवल शिवरात्रि पर पूना से भीमशंकर के पास तक बस जाती है। दुसरे समय जाना हो तो नासिक से बस द्धारा 88 मील तक जा सकते है आगे 36 मील का मार्ग बैलगाडी, पैदल या टेक्सी से तय करना पडता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”6655″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल तीर्थ स्थलद्वादश ज्योतिर्लिंगभारत के प्रमुख मंदिरभारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरमहाराष्ट्र के दर्शनीय स्थलमहाराष्ट्र के पर्यटन स्थलमहाराष्ट्र पर्यटन