ब्रजराज बिहारी जी मन्दिर जयपुर राजस्थान Naeem Ahmad, September 18, 2022February 18, 2024 राजस्थान के जयपुर शहर में ब्रजराज बिहारी जी का मंदिर चंद्रमनोहर जी के मंदिर से थोडा आगे जाने पर आता है। यह एकमात्र इमारत है जो जयपुर के विलासी राजा सवाई जगत सिंह (1803-1818 ई) ने बनवाई थी। जयपुर के इस सर्वथा अयोग्य राजा के शासन-काल के पन्द्रह वर्ष बडे घटनापूर्ण थे। इस अवधि में रियासतों मे चलने वाले लडाई-झगडे तो अपनी पराकाष्ठा को पहुंचे ही, ईस्ट इण्डिया कंपनी ने भी रजवाडों के साथ कभी सम्बन्ध बनाये, कभी बिगाडे ओर अंतत उनसे संधिया कर वह अमन-चेन कायम किया जिसके लिये अंग्रेज इतिहासकारों ने बडा गर्व किया है। ब्रजराज बिहारी जी मंदिर जयपुर राजस्थानसत्तर- अस्सी वर्षों से राजाओं और सामनतो की आपसी ईर्ष्या और कलह से इस प्रकार राजस्थान के निवासियों को भी शांति की सास लेने का अवसर मिला था और सात समुंदर पार से आये फिरंगी को लोगो ने इसलिये त्राता मान लिया था कि आये दिन के उपद्रवों ओर टटे-बखेडो से तो उसने मुक्ति दिला दी।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं सवाई जगत सिंह जब गद्दी पर बैठा तो सत्रह साल का जवान था। यद्यपि माचेडी का राव स्वतंत्र अलवर रियासत बनाकर सवाई जयपुर से अलग हो चुका था और प्रताप सिंह के समय में तुगा की बडी लडाई तथा मरहठों को बार-बार दी जाने वाली चौथ के कारण “जय मंदिर का खजाना प्रायः रीत चुका था, फिर भी जयपुर, जयपुर था। अपने रसिक पिता प्रताप सिंह की परम्परा को निभाते हुए जगत सिंह ने बाइस रानियों और अनेक पासवानों से अपने रानिवास को आबाद किया और उदयपुर की सुन्दरी राजकुमारी कृष्णा कुमारी को पाने के लिये उसने अपने सारे साधन-स्रोतों को दांव पर लगाकर जोधपुर के मानसिंह से लोहा लिया।ब्रजराज बिहारी जी मंदिर जयपुरराजस्थान के दो बडे राजाओं के बीच हुई इस रस्साकशी में पिंडारी नेता अमीर खां की खूब बन आईं जिसने जयपुर और जोधपुर के साथ उदयपुर को भी लूटने मे कोई कसर न छोडी। कृष्णा कुमारी किसी के हाथ न लगी, उसे विषपान करना पडा और जयपुर के सामंतो ने जगत सिंह को गद्दी से ही उतार दिया होता यदि वह अपनी चहेती रखेल वेश्या रसकपूर पर दुष्चरित्र होने का आरोप लगाकर नाहरगढ के किले मे बदी न बना देता। रानियों ओर पासवानों में इस सर्वाधिक चहेती वारागंना का अन्त फिर कैसे हुआ, कोई नही जानता।गिरधारी जी का मंदिर जयपुर राजस्थानजगत सिंह ने गद॒दी पर बैठते ही ईस्ट इण्डिया कम्पनी से संधि कर सुख-चेन से रहने का प्रयत्न किया था, किंतु कंपनी की नीति तब तटस्थता की थी और वह रियासतों मे कोई बखेडा मोल लेना नही चाहती थी। 1818 ई में सवाई जगत सिंह की मृत्यु से कुछ पूर्व आखिरकार यह संधि हो गई। इस राजा के शासन-काल की यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थी।जगत सिंह ने विनाश ओर विप्लव के उस काल मे अपने पूर्वजों की परम्परा के अनुसार ब्रजराज बिहारी मंदिर अवश्य बनाया। इस राजा का स्मारक भी एक प्रकार से यह मंदिर ही है, क्योकि गेटोर मे उसकी छत्री भी उस विप्लव काल में नही बन पाईं। कई वर्षो से इसके बाहर ठण्डे जल की प्याऊ लगने के कारण जयपुर वाले इसे ”ठंडी प्याऊ’ का मंदिर भी कहते है। जयपुर आखिर जयपुर था, इसलिये जगत सिंह जैसे राजा को भी ऐसा मंदिर बनवाने का अवसर और साधन तब भी मिल गये। यह इस शहर के बडे और दर्शनीय मंदिरों मे से है। जगत सिंह के पिता के समय में इस शहर मे बहुत मंदिर बने थे। इसलिये स्वाभाविक था कि राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद जगत सिंह का यह मंदिर भी सुन्दर बनता।ब्रजराज बिहारी मंदिर के भीतर वाले बडे चौक मे तीन और हवामहल के समान जालियां ओर छोटी खिडकियां इसके स्थापत्य का सौप्ठब बढाती हैं। यह तीनो ही दीवारें सुचित्रित हैं। निज मंदिर की चौखट संगमरमर से इस प्रकार बनी है जैसे किसी तस्वीर का फ्रेम हो। मण्डप की तीन मेहराबों के ऊपर बाहर की ओर चूने के पलस्तर का जैसा अलंकरण ब्रजराज बिहारी मंदिर मे है, वह उस जमाने मे ही हो सकता था जब जयपुर का चूना पत्थर की तरह पुख्ता होता था।गर्भगृह के द्वार पर पांच मरमरी शिखर बने है और उनके बीच मे चार नाचते हुए मोर हैं। इसका जगमोहन या मण्डप भी वैसा ही है जैसा चंद्रमनोहर जी का है, किंतु है उससे बडा। बीच की मेहराब बडी और उसके दोनो ओर की छोटी है। इन मेहराबों के अलंकरण और चौक में तीनो ओर जालियों तथा चितराम के कारण ब्रजराज बिहारी जी का भीतरी चौक अपनी ही भव्यता और सुन्दरता रखता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=’12369′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल जयपुर के दर्शनीय स्थलजयपुर पर्यटनजयपुर पर्यटन स्थलराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन