बाबा जयगुरुदेव आश्रम मथुरा – जयगुरुदेव मंदिर, सत्संग, कथा Naeem Ahmad, January 27, 2019March 18, 2024 दिल्ली से लगभग 145 किलोमीटर आगरा – मथुरा रोड़ बाईपास पर जयगुरूदेव आश्रम है। आगरा – दिल्ली रोड़ पर मोहली मथुरा मे यह बाबा जयगुरुदेव की योग स्थली है। जो आध्यात्मिक शिक्षा के साथ भौतिक, समाजिक, आर्थिक सभी पहलुओं पर देश की जनता को जागरूक करके एक अच्छे समाज का निर्माण कार्य कर रही है। इस संस्था के संस्थापक परम पूज्य बाबा जयगुरुदेव, आध्यात्मिक दौलत से परिपूर्ण एक युग पुरूष है। उन्होंने 10 जुलाई 1952 को इस संस्था की स्थापना की, और अपनी आध्यात्मिक विधि को जनता में बाटने का कार्य आरम्भ किया। यह संस्था देश में नैतिक उत्थान तथा चरित्र निर्माण पर विशेष जोर देकर शराब और मांसाहार के सेवन को रोकने का प्रचार करती है। बाबा जयगुरुदेव का मत था, कि यदि लोग नशा व मांसाहार छोड़ दे, तो भारत देश दोबारा सोने की चिडिय़ा बन सकता है। बाबा जयगुरुदेव जी चाहते थे, कि मनुष्य नशे और मांस का सेवन तत्काल बंद कर दें। क्योंकि नशा और मांस के सेवन से मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। बाबा जयगुरुदेव जी का कहना था, कि भविष्य में चार तरह के उथल पुथल होने वाले है। सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक। देश में मंहगाई बेहताशा बढ़ेगी, लोगों को अनेक प्रकार के दुख उठाने पडेंगे। इन सभी दुखों, तकलीफों, मुसीबतों और परेशानियों से उभरने के लिए लोगों को भगवान का सिमरन करना चाहिए। बाबा लोगों को भगवान के सिमरन का मार्ग बताते थे, जो सूरत शब्द योग संत मार्ग या संत मत है। यही मत कबीरदास, मीरा, तथा श्री गुरू नानक जी का था। इसमें सभी देवताओं की पूजा का सार है। बाबा जयगुरुदेव जी को पंडित घूरेलाल जी ने ग्राम चिरौली तहसील इगलास जिला अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में उपदेश दिया था, और पूरी साधना के बाद बाबा जयगुरुदेव को ईश्वर से भी प्ररेणा प्राप्त हुई, कि आप इस रूहानी दौलत को जनता में बांटों और लोगों को मानवता, प्रेम और भाईचारे का उपदेश करो, और उनकी जीव आत्माओं का कल्याण करो। इस समय करोड़ों लोग इस संस्था के सदस्य हैं। जिसमें हर मजहब हर कौम तथा हर प्रदेश के नर और नारी जयगुरुदेव जी के बताएं हुए मार्ग पर सच्चाई के साथ चलते है। बाबा जयगुरुदेव आश्रम बाबा जयगुरुदेव आश्रम का इतिहास Baba Jai Gurudev Ashram history in hindi 24 मार्च 1980 को बाबा जयगुरुदेव ने एक अधिवेशन में दूरदर्शी संस्था की स्थापना की थी। इसकी प्रेरणा भी बाबा को ऊपर से ही अहमदाबाद मे हुई थी। इसका मुख्य कार्यालय अहमदाबाद में है। तथा समस्त भारत में प्रांतीय स्तर और जिला स्तर पर इसकी शाखाएं है। बाबा ने 1952 में मथुरा में कृष्णा नगर में आश्रम बनाया था, जो अब भी पुराने आश्रम के रूप में विद्यमान है। 1964 मे जब इस आश्रम में भंडारा हुआ तो उसमें लोगों की इतनी उपस्थिति हुई कि गुरू महाराज ने देखा कि आश्रम ककी जगह छोटी पड़ गई। तब गुरु जी ने मथुरा आगरा रोड़ बाईपास पर आश्रम के लिए यह जगह ली और यहां पर संस्था का मुख्य आश्रम बनाया, आश्रम के अतिरिक्त कुछ जगह स्कूल, अस्पताल, और मंदिर के लिए भी ली। जयगुरुदेव स्कूल (Jaigurudev school) यहां पर कक्षा एक से कक्षा 8 तक का स्कूल है। इस स्कूल मेंं छात्र और छात्राएं दोनों पढ़ते है। छात्रों को जयगुरुदेव आश्रम की तरफ से निःशुल्क शिक्षा, किताबें, कापियां, दोपहर का भोजन तथा अन्य सुविधाएं जयगुरुदेव संस्था की तरफ से दी जाती है। यह स्कूल उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त आदर्श विद्यालय घोषित किया गया है। इसके अलावा 9 सितंबर 1987 को बाबा जयगुरुदेव ने गांव देव लखा जिला बहराइच में भूमि जोतक खेतिहर काश्तकार संगठन की भी स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य भारत के तमाम काश्तकारों को उनके अपने झंडे के नीचे एकत्र होकर विशेष कार्यक्रम काश्तकारों के संगठन का चलाना था। जिसमें काश्तकारों की ओर विशेष ध्यान देकर उनका कल्याण करना था। जयगुरुदेव अस्पताल (Jai gurudev hospital) जयगुरुदेव आश्रम में स्थित यह अस्पताल जनरल चिकित्सा की सुविधा युक्त अस्पताल है। जहाँ तीन प्रकार की ओ.पी.डी एलौपैथिक, होम्योपैथिक, और आयुर्वेदिक निःशुल्क चलती है। नाम योग साधना मंदिर (Naam yog sadhana temple) यह एक भव्य मंदिर है। जिसमें 60 हजार व्यक्ति एक साथ बैठकर भजन प्रार्थना कर सकते है। संगठन (Organization) इस संस्था का केन्द्रीय कार्यालय मथुरा आगरा रोड बाईपास पर है। तथा हर जिले की संत्संग समितियां है। हर एक समिति का एक संचालक होता है। पूरे भारत में हर जिले मे सत्संग समितियां है। इन समितियों में साप्ताहिक सत्संग होता है। सत्संग में चरित्र निर्माण की प्ररेणा दी जाती है। और अध्यात्मवाद की नाम योग साधना का अभ्यास कराया जाता है। यह संस्था बिना दहेज की शादियां भी कराती है। अपनी ही जाति के लडके लड़कियाँ अपनी मन पसंद बिना दहेज के इस संस्था में आकर शादियां करते है। बाबा जय गुरुदेव का परिचय परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज जिन्हें बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के नाम से जाना जाता है, का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता एक प्रतिभाशाली व्यक्ति के साथ-साथ भूमि स्वामी भी थे। जब वह एक बच्चा था तो उसने अपने माता-पिता को खो दिया था। मृत्यु के समय उसकी माँ ने उसे खोज निकालने और भगवान को महसूस करने के लिए कहा। सात वर्ष की आयु में बाबा जयगुरुदेव ने अपना घर छोड़ दिया। अपनी माँ के शब्दों को याद करते हुए बाबा जी ने मंदिरों, मस्जिदों और चर्चों का दौरा किया और वही किया जो उनके प्रमुखों ने उन्हें बताया था। समय बीतता गया और युवावस्था में बाबा जी की मुलाकात अलीगढ़ जिले के चिरौली गाँव में एक सिद्ध आध्यात्मिक गुरु पंडित घूरेलाल जी से हुई। अपने गुरु (गुरु) द्वारा शुरू किए जाने के बाद, बाबा जी ने सही तरीके से ध्यान करना शुरू किया,। एक समय का भोजन लेते हुए उन्होंने प्रतिदिन बारह घंटे से अधिक ध्यान में बिताया। थोड़े समय के भीतर बाबा जी को पता चला कि ईश्वर को पूर्णता प्राप्त करने के बाद उन्होंने वर्ष 1952 में वाराणसी से प्रचार करना शुरू किया। समारोह/सत्संग (ceremony/Good accompaniment) वार्षिक भंडारा:— यह भंडारा बाबा जयगुरुदेव के गुरूजी की याद में अगहन शुदी दसवीं को नवंबर या दिसंबर में आयोजित किया जाता है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते है। होली सत्संग समारोह:– यह समारोह होली के अवसर पर मनाया जाता है, जो एक सप्ताह तक चलता है। गुरु पूर्णिमा समारोह:– यह समारोह आजकल बस्ती जिले में आषाढ़ की पूर्णिमा को मनाया जाता है। लगभग जुलाई या अगस्त में पडता है। साधना शिविर:– यह शिविर मथुरा रोड बाईपास आश्रम में ही मनाया जाता है। जो लगभग एक सप्ताह तक चलता है। इस शिविर में नाम योग की साधना होती है। नोट:- जयगुरुदेव आश्रम के सत्संग, समारोह आदि के बारें मे विस्तार से जानकारी के लिए आप जयगुरुदेव आश्रम की आधिकारिक वेबसाइट babajaigurudevashram.org पर प्राप्त कर सकते है।Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend 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