बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश Naeem Ahmad, July 31, 2022February 25, 2024 आजमगढ़ नगर से लगभग 50 किमी. पश्चिम फैजाबाद मार्ग पर बाबा गोविंद साहब धाम है। जहां बाबा गोविंद साहब का मेला लगता है। यह मेला खिचडी (मकर संक्राति) के अवसर पर 15 दिनो का लगता है। इसे गन्ने वाला मेला भी कहा जाता है, क्योकि यहां गन्ना बहुत पैदा होता है और मेले मे लाखो रूपये का गन्ना बिक जाता है। यहाँ लाल रंग का गन्ना बिकने को आता है और पाच से दस रुपये तक एक गन्ना बिकता है। यहां गन्ना चढाने की परंपरा है। उसी का प्रसाद ग्रहण किया जाता है।बाबा गोविंद साहब के मेले का महत्वबाबा गोविन्द साहब हिन्दू थे, जिन्हें बाबा गोविंद शाह भी कहते है। इसे उन्हीं के नाम पर अब शक्तिपीठ की मान्यता प्राप्त हो चुकी है। यहां खिचडी भी चढाई जाती है। खिचडी बनाकर खायी भी जाती है। यहां दो लाख तक दर्शनार्थी पहुच जाते हैं और इतनी खिचडी चढ जाती है कि उसे बांटना पडता है। गरीब, भिखारी खिचड़ी खाकर अधा जाते है। ऐसी मान्यता है कि यहां आकर दर्शन करने से हर प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह स्थान फैजाबाद और आजमगढ़ की सीमा पर स्थित, है, अतः इस मेले से दोनों जनपदों को दुकानों से लाखों रुपये की आय हो जाती है।बाबा गोविंद साहब का मेलाबाबा गोविंद साहब के मेले में एक विशेष प्रकार की मिठाई बिकती है, जो बड़ी स्वादिष्ट होती है। यह मैदे से बनती है और एक से दो किलोग्राम तक होती है जिसे काटकर खाया जाता है। एक प्रकार से यह सोहन हलवा होता है।अ यहां की बनी इस मिठाई का राष्ट्रीय बाजार है। यहां आने-जाने के लिए सड़क यातायात की सुविधा है। बाबा गोविंद साहब मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें, खेल खिलौने, महिलाओं की साज सज्जा और घरेलू उपयोग के सामान की दुकानें लगी होती है। वहीं मनोरंजन के लिए ऊंचे ऊंचे झूले, मौत का कुआं, सर्कस आदि की होते हैं।बरहज का मेला कब लगता है और मेले का महत्वबाबा गोविन्द साहब का मेला के अलावा आजमगढ़ जनपद में नगर को मिलाकर विभिन्न पर्वो, त्यौहारों, व्रतों, उत्सवों पर मेले-ठेले लगते रहते हैं, जिनका उल्लेख हम अपने पिछले लेखों में कर चुके है। और इनसे जनता अपना मनोरंजन करती है। आजमगढ़ जनपद का संबंध तमाम ऋषियों-महर्षियों से जोड़ा जाता है। माता अनसुइया के कारण भी यह स्थान पवित्र हो गया है। दत्तात्रेयजी के भी पावन चरण यहां पड़े हैं। निजामाबाद के पास चार किमी0 पश्चिम शहर से भैरव नाथ मंदिर पर शिवरात्रि पर मेला लगता है। अनसुइया माता के तीन पुत्र थे जिनके नाम पर तीन संगम स्थल बने हैं। दुर्वासा स्थल पर ने स्वयं शिवलिंग स्थापित किया था, जिसके कारण उस स्थान का महत्व और भी बढ़ गया है। महापण्डित राहुल सांकृत्यायन आजमगढ़ के ही थे। उन्होंने दुर्वासाइस जनपद के बारे में बहुत कुछ लिखा है जो प्रमाण बन गया है। उनका मत है कि दुर्वासा जी जब जाने लगे तो ऋषियों ने आग्रह किया कि हे महर्षि ! आप यहां कुछ निशान छोड़ जाये, तो उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की जो आज भी लाखों भक्तों की श्रद्धा का स्थल बना हुआ है। शिवरात्रि के अवसर पर शिवभक्त कांवरिया यहां आकर दुर्वासा के नाम पर जल चढ़ाते हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के मेलेत्यौहारमेले