फॉकलैंड द्विप विवाद क्या है इसके लिए ब्रिटेन और अर्जेंटीना का युद्ध Naeem Ahmad, April 18, 2022 भोगौलिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से फॉकलैंड ब्रिटेन की अपेक्षा अर्जेण्टीना के काफी निकट है किन्तु ब्रिटेन उसे अपना उपनिवेश मानता है और वहां के तेल भण्डारों से करोड़ों पौंड का मुनाफा कमाता है। दूसरी ओर, अर्जेंटीना इन द्वीपसमूहों को अपना भू- भाग मानता है। सही पुराना विवाद 1982 में तब नये सिरे से उभरा, जब अर्जेंटीना ने अपने सैनिक भेजकर फॉकलैंड द्वीपसमूहों पर अपना अधिकार जताया और ब्रिटेन ने जवाबी कार्रवाई करके उसे सबक सिखाना चाहा। यही फॉकलैंड द्विप का विवाद रहा। फॉकलैंड द्विप विवाद के कारण फॉकलैंड द्विपसमूह अर्जेंटीना से 500 कि.मी. दूर दक्षिण अटलांटिक महासागर में स्थित है। इसमे लगभग 200 द्वीप हैं। पूर्वी और पश्चिमी फॉकलैंड इनमे सबसे बडे द्वीप है। पिछले लगभग 50 वर्षो से अर्जेंटीना और ब्रिटेन के बीच इस द्वीपसमूह के स्वामित्व को लेकर विवाद चला आ रहा है। अर्जेंटीना कई अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों तथा सम्मेलनो में अपने स्वामित्व के दावे को लगातार दोहराता रहा है किन्तु फॉकलैण्ड द्विपसमृह से 12,000 कि.मी. दूर स्थित ब्रिटेन इसे अपना उपनिवेश मानता है। अर्जेंटीना का दावा इसलिए तर्कसंगत लगता है क्योंकि यह द्वीपसमूह भौगोलिक, सास्कृतिक तथा ऐतिहासिक दृप्टि से अर्जेंटीना के निकट है। हालांकि 2,000 की जनसंख्या वाले इस द्वीपसमूह के 98 प्रतिशत लोगों को ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त है, वे अपने को ब्रिटिश न कहकर ‘केल्पर’ (kelpers) कहते है। ब्रिटेन फ़ॉकलैंड को इसलिए अपना उपनिवेश बनाये रखना चाहता है क्योंकि फॉकलैण्ड ऑयल कम्पनी तथा तेल और प्राकृतिक गैस के विपुल भण्डारों से उसे करोड़ों पौंड का मुनाफा मिलता है। जल परिवहन के धंधे में लगी इस कम्पनी से पिछले 30 वर्षो के दौरान ब्रिटेन को एक करोड 20 लाख पौंड मुनाफे के रूप में मिले। इसमे 48 लाख पौंड की बह कर राशि सम्मिलित नही हैं जो ब्रिटेन ने बतौर उपनिवेश फॉकलैंड से वसूली। बात सिर्फ इतनी ही नहीं। 1976 मे लॉर्ड शैकेल्टन की अध्यक्षता में गठित कमैटी की एक रिपोर्ट के अनुसार तेल और प्राकृतिक गैस के अलावा यहां पर खनिज मौजूद हो सकती है, जिनमे प्रोटीन का अंश बहुत अधिक होता है। ब्रिटेन की दृष्टि इस भण्डार पर भी टिकी है। इसके अलावा विवाद के राजनैतिक कारण भी हैं। 1805 में स्पेन ने फॉकलैंड स्थित किला और स्टेनली बंदरगाह (Port Stanley) को ब्रिटेन के हवाले करते हुए एक समझौता किया था। स्पेनी शासन से जब फ़ॉकलैंड मुक्त हुआ तो अर्जेण्टीना भी इस पर अपना दावा करते हुए विवाद मे शामिल हो गया और 1828 में उसने अंग्रेजों को वहां से खदेड कर अपना गवर्नर नियुक्त कर दिया। 1833 मे ब्रिटेन ने अमरीका की मदद से पुनः इसे छीन लिया और 1892 में अपना उपनिवेश घोषित कर दिया। तब से लेकर आज तक यह ब्रिटिश उपनिवेश है किन्तु अर्जेंटीना बराबर अपना दावा करता रहा। ब्रिटेन चाहता था कि अर्जेंटीना इस द्वीपसमूह को लम्बी अवधि के लिए उसे ‘लीज’ पर दे दे अर्जेंटीना ने ब्रिटेन की बात को नकार दिया। अन्तत आपसी खीचतान ने विवाद को युद्ध का रंग दे दिया। फॉकलैंड द्वीपसमूह फॉकलैंड युद्ध की शुरुआत 2 अप्रैल, 1982 को अर्जेण्टीना ने अपने 4000 नौ सैनिकों की सहायता से फॉकलैण्ड और सेट जार्जिया, आदि द्वीपो पर कब्जा कर लिया और ब्रिटिश गवर्नर रेक्स हण्ट को पोर्ट स्टेनली (Port Stanley) से बाहर कर दिया। ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के मंत्रीमंडल की आपातकालीन बैठक हुई और दूसरे ही दिन एच.एम.एस. इनविसिबल (H.M.S Invincible) नामक युद्धपोत के नेतृत्व में ब्रिटिश नौसेना पोर्टस्माउथ बदरगाह के लिए रवाना हो गयी। विशाल ब्रिटिश नौसेना तथा वायुसेना के बमवर्षक विमानो ने फॉकलैण्ड स्थित अर्जेण्टीना के सैनिक ठिकानो पर हमला किया। प्रतिरोध में अर्जेण्टीना ने आणविक शस्त्रों से युक्त ब्रिटिश विध्वंसक ‘शैफील्ड’ (Sheffield) को तारपीडो का निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया। अर्जेण्टीना का विशाल पोत ‘जनरल बेलग्रानों (General Belgrano) भी 368 नौ सैनिकों सहित डूब गया। अन्ततः मई के अन्त तक अर्जेंटीना के जनरल गैलतियेरी के सामने स्पष्ट हों गया कि अधिक देर तक जारी रखने से यह युद्ध आणविक युद्ध मे परिवर्तित हो सकता है, जिसका प्रतिरोध करने की क्षमता उनके पास नहीं है। दूसरी ओर, अमरीका ने जनरल गैलतियेरी के साथ हुए वायदों को ताक पर रखकर ब्रिटेन का साथ दिया। आखिर विश्व मानचित्र पर ब्रिटेन एक महाशक्ति था और अर्जेंटीना एक छोटा-सा देश। इसके साथ-साथ, अर्जेण्टीना की आर्थिक तथा आंतरिक परिस्थितियां भी प्रतिकूल होने लगी और 4 जुन को फॉकलैण्ड मे ब्रिटिश मेजर जनरल जे.जे. मूर के समक्ष अर्जेण्टीना के ब्रिगेडियर जनरल मारियों बेंजामिनों मेनेदेज (Mario Benjamino Menendez) ने ,845 सैनिकों सहित आत्म समर्पण कर दिया। इस तरह 72 दिवसीय युद्ध समाप्त हुआ। परिणाम दोनों ही देशो को युद्ध के भयंकर परिणाम भुगतने पडे। इस युद्ध से ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा। ब्रिटेन के विदेश मत्री लॉर्ड केरिंगटन को त्यागपत्र देना पडा और जनरल गैलतियेरी का भी यही हश्र हुआ। फॉकलैंड द्वीपसमूह पर ब्रिटेन का पुनः अधिकार हो गया किन्तु फॉकलैंड द्विपसमूह के स्वामित्व का प्रश्न अनसुलझा ही रहा। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”7736″] Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व 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