प्यूनिक युद्ध कब हुआ था – प्यूनिक युद्ध के कारण और परिणाम Naeem Ahmad, April 30, 2022February 28, 2023 813 ई.पू. में स्थापित उत्तरी अफ्रीका का कार्थेज राज्य धीरे-धीरे इतना शक्तिशाली हो गया कि ई.पू तीसरी-दूसरी शताब्दी में भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से श्रेष्ठता के लिए रोम से मुकाबला करने लगा। इस प्रकार, कार्थेज और रोम के बीच तीन युद्ध लड़े गये जिन्हें इतिहास में ‘प्यूनिक युद्ध” कहते हैं। ये प्यूनिक युद्ध भूमध्य सागर तथा यूरोप के प्रदेशों में लड़े गए थे, तीसरे युद्ध में लगभग सभी कार्थेज वासियों को गुलाम बना लिया गया और पूरा का पूरा राज्य नष्ट कर दिया गया। अपने इस लेख में हम इसी प्यूनिक युद्ध का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:— प्यूनिक युद्ध कब हुआ था? प्रथम प्यूनिक युद्ध कब हुआ था, प्यूनिक युद्ध क्यों हुआ था, प्यूनिक युद्ध का कारण एवं परिणाम? प्यूनिक युद्ध किस किस के बीच हुआ था? प्यूनिक युद्ध का कारण कार्थेज (Carthage) उत्तरी अफ्रीका में फिनीशियो (Phoenician) का उपनिवेश था। 813 ई.पू. मे फिनीशियो ने उत्तरी अफ्रीका मे आधुनिक ट्यूनिस (Tunis) के पास स्थित कार्थेज को स्व॒तन्त्र राज्य घोषित कर दिया। शीघ्र ही अपने व्यापार को बढ़ाकर कार्थेज इतना समृद्ध और शक्तिशाली प्रदेश बन गया कि उसने उत्तरी अफ्रीका, स्पेन के आधे दक्षिणी भाग तथा सिसली, आदि पर अधिकार कर लिया। व्यापारिक नगर होने के कारण इसका प्रशासन भी व्यापारियों के हाथ में था। कार्थेज के सस्थापक फिनीशियो को लैटिन भाषा मे प्यूनी (Poeni) कहते हैं और इसी कारण कार्थेज-रोम युद्धो को प्यूनिक युद्ध कहते हैं। उधर रोम का साम्राज्य भी समृद्ध और शक्तिशाली होता जा रहा था और अपना व्यापारिक प्रभुत्व स्थापित करना चाहता था। इसलिए दोनों शक्तियों के बीच यह तय करना जरूरी था कि सिसली और भूमध्यसागर मे व्यापारिक प्रभुत्व किसका होगा? फलत: 264 ई.पू. मे प्यूनिक युद्धों की एक लम्बी शृंखला शुरू हुई। प्रथम प्यूनिक युद्धप्रथम प्यूनिक युद्ध 264-241 ई.पू. तक लड़ा गया। कार्थेज द्वारा सिसली पर अधिकार कर लेना इसका मुख्य कारण बना। रोम और कार्थेज के मध्य पहली बडी लडाई 262 ई पू. मे हुई, जिसमें जनरल सेंथीपस (Xanthippus) तथा हेमिल्कर (Hamilcar) के नेतृत्व में कार्थेज की सेना को थल पर कुछ प्रारम्भिक सफलता मिली। हेमिल्कर ने सैकड़ो रोमवासियो को मौत के घाट उतार कर अपने देवता को भेट में चढ़ाया। पराजित रोमनों की सहायता के लिए जो जल सेना भेजी गयी, वह भी तूफान के कारण नष्ट हो गयी। इससे रोमन सीनेट (Roman Senate) को बड़ी निराशा हुई। फिर भी धैर्य रखकर 251 ई.पू. मे रोम की एक विशाल सेना ने कार्थेज सैनिकों को पराजित कर उनके शस्त्रास्त्रों तथा हाथियों, आदि को हथिया लिया। यह पराजय कार्थेज की निर्णायक पराजय की पूर्व पीठिका सिद्ध हुई और 241 ई.पू. में इगेडियन द्वीप (Aegadian island) की निर्णायक लड़ाई मे रोम की जल सेना ने कार्थेज को पराजित कर दिया। कार्थेज को सन्धि करनी पड़ी और क्षतिपूर्ति के लिए काफी धन देना पडा तथा उसने सिसली को खाली करना भी स्वीकार कर लिया। प्यूनिक युद्ध द्वितीय प्यूनिक युद्ध द्वितीय प्यूनिक युद्ध 218-201 ई पू. तक लड़ा गया। कार्थेज के सेना नायक हेमिल्कर की मृत्यु के बाद उसके पुत्र हनीबाल (Hannibal) ने अपने पिता के अधूरे रह गये कार्यों को पूरा करने की शपथ ली। प्रथम युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद रोम ने अपने साम्राज्य का विस्तार आल्प्स पर्वत श्रेणी तक कर लिया और कार्थेज वासियों पर अत्याचार करने शुरू कर दिये। प्रथम प्यूनिक युद्ध की पराजय के अपमान से कार्थेज वासी पहले ही परेशान थे। रोम साम्राज्य के अत्याचारों से उनके भीतर दबी बदले की आग भडकने लगी। बस हनीबाल और उसके सैनिकों को सही अवसर की तलाश थी। हनीबाल ने भी अपने साम्राज्य का विस्तार शुरू कर दिया। उसने स्पेन की ओर से आत्प्स जैसी दुर्गम पर्वत श्रेणी को पार करते हुए इटली पर आक्रमण कर अपने इरादो को स्पष्ट कर दिया। रोमन साम्राज्य के लिए उसका यह विजय-अभियान वास्तव में एक चिंतनीय विषय था। उसके लिए हनीबाल की निरंतर बढ़ती शक्ति को कुचलना जरूरी था किन्तु युद्ध को लेकर रोमन सीनेट में परस्पर विवाद चल रहा था। साधारण जनता युद्ध के पक्ष मे नही थी, जबकि सत्ता के सलाहकारों के अनुसार युद्ध अनिवार्य था। परिणामस्वरूप रोम को ऐसे भीषण युद्ध मे प्रविष्ट होना पड़ा जैसा कि उसने अब तक कभी लड़ा ही नहीं था। इधर, जैसे ही हनीबाल को पता लगा कि सिपियों अफ्रिकानूस (Scipio Africanus) के नेतृत्व में रोमन सेना कार्थेज पर आक्रमण करने की योजना बना रही है, उसे अपनी विजयों का सिलसिला रोक कर रोम का मुकाबला करने के लिए लौटना पड़ा। 202 ई.पू. में अफ्रीका में ज़ामा (Zama) नामक स्थान पर निर्णायक लड़ाई हुईं। सिपियो के नेतृत्व मे रोमन सेना ने हनीबाल की सेनाओं को बुरी तरह से पराजित कर दिया। इस युद्ध में कार्थेज के बीस हजार सैनिक मारे गये तथा इतने ही कैद कर लिये गये। कार्थेज की पूर्ण पराजय हुई और हनीबाल कार्थेज भाग गया। कार्थेज को विवशतः सन्धि करनी पड़ी जिसके अनुसार उसे स्पेन से अपनी सेनाएं हटानी पड़ी तथा जल सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। रोमन हनीबाल को पकड़ना चाहते थे किन्तु उसने विष खाकर आत्महत्या कर ली। तृतीय प्यूनिक युद्ध द्वितीय युद्ध की भयंकर पराजय के बावजूद कार्थेज ने अपने को पुनर्गठित किया और शीघ्र ही शक्तिशाली राज्य बन गया। रोम का कार्थेज के विकास से आशंकित होना स्वाभाविक था। किन्तु युद्ध की चिंगारी को रोमन सभासद ( Roman senator) कैटो (Cato) के इस वाक्य ने हवा दी कि कार्थेज को विनष्ट करना जरूरी है। कैटो अपने प्रत्येक भाषण की समाप्ति इस घोषणा के साथ करता था, “शेष, मेरा यह मत है कि कार्थेज का विनाश आवश्यक है। फलतः 149 ई.पू. में पुनः रोम और कार्थेज के बीच युद्ध शुरू हो गया जो 146 ई.पू. मे कार्थेज के संपूर्ण विनाश के साथ ही समाप्त हुआ। प्यूनिक युद्ध का परिणामप्यूनिक युद्धों की इस शृंखला मे कार्थेज की संपूर्ण पराजय का मुख्य कारण था, उसके किराये और वेतन पर खरीदे सैनिक। निश्चित वेतन पाने वाले इन सैनिको में लड़ने का जज़्बा जरूर था किन्तु उस राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम का अभाव था, जिसके कारण रोमन सेनाएं अन्ततः विजय-श्री हासिल कर लेती थीं। जिस तरह से कार्थेज ने विकास की गति को तेजकर अपना वर्चस्व कायम किया था, वह बिलकुल समाप्त हो गया तथा यूरोप मे रोम का प्रभाव और भी बढ़ गया। रोम के धर्म, आचार तथा शासन-प्रबंध, आदि में परिवर्तन हुआ। यूनान की सभ्यता और संस्कृति से प्रभावित होकर रोम में उनके कई देवताओं को माना जाने लगा और रोम एक अजेय शक्ति बनकर उभरा। कार्थेज को रोम की अफ्रीकी सीमा तय किया गया। कार्थेज-शासक हनीबाल की पराजय जरूर हुई किन्तु अपनी कुशल रणनीति और शौर्य से वह सिकंदर, नेपोलियन, आदि सेनानायकों की तरह इतिहास बन गया। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”8837″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध युद्ध वर्ड फेमस वार