पुराना किला कहा स्थित है – पुराना किला दिल्ली Naeem Ahmad, February 10, 2023March 26, 2024 पुराना किला इन्द्रप्रस्थ नामक प्राचीन नगर के राज-महल के स्थान पर बना है। इन्द्रप्रस्थ प्रथम दिल्ली नगर था। यहाँ कौरवों और पांडवों की राजधानी थी। द्वापर युग में यह नगर सर्व प्रथम बसाया गया था। इससे सिद्ध है कि दिल्ली नगर की सर्व प्रथम नीव द्वापर में पड़ी थीं। महाभारत काल के दूसरे पाण्डव नगर बागपत, सोनीपत, तिलपत ओर पानीपत का पता तो है पर इन्द्रप्रस्थ का पता नहीं है। अतः सिद्ध है कि उसी के स्थान पर दिल्ली नगर बसा है। प्राचीन काल के इन्द्रप्रस्थ का कोई चिन्ह शेष नहीं रह गया है। यदि महाभारत काल का विचार किया जाये और उस समय की घटनाओं की ओर ध्यान दिया जाय तो आँखों के सामने महाभारत काल के राजदरबार ओर रण-स्थल का एक चित्र खिंच जाता है। कदाचित कुरुक्षेत्र के रण-स्थल में जाने वाले योद्धा वर्तमान वार-मेमोरियल आर्च के मैदान हो कर ही गये होंगे। पुराना किला का इतिहास वर्तमान दिल्ली का पुराना किला हुमायूं बादशाह का बनवाया हुआ है। दिल्ली का पुराना किला 1530 ईस्वी में बना था। हुमायूं मुग़ल वंश के हेतु एक नवीन राजधानी बनाना चाहता था। इसलिए बाबर की मृत्यु हो जाने के पश्चात वह दिल्ली आया ओर राजधानी के लिये स्थान का निरीक्षण किया। वर्तमान निजामउद्दीन स्टेशन के समीप होकर उस समय यमुना जी बहती थीं। हुमायूं ने एक नगर बसा दिया था। उसी नगर का एक द्वार खूनी-दरवाजा जेल के सामने अब भी शेष है। पुराना किला दिल्ली हुमायूं ने पुराना किला और नगर का निर्माण कार्य समाप्त नहीं कर पाया था कि शेरशाह सूरी ने उसे पराजय कर दिया। शेरशाह से हार कर हुमायूं फारस भाग गया। शेरशाह भारत-सम्राट बन गया ओर पाँच वर्ष तक शासन किया। शेरशाह ने ही दिल्ली का पुराना किला और नगर बनाने का कार्य समाप्त किया। इसी कारण पुराने किला के भीतर के भाग शेरशाह के नाम से प्रसिद्ध हैं। यदि हम मथुरा जाने वाली सड़क के द्वार से पुराने किले में प्रवेश करें तो किले के मध्य में हमें एक बहुत गहरा कुआं मिलेगा। इस कुएं को हुमायूं सम्राट ने बनवाया था जिससे किले को सदैव पानी मिलता रहे। यह कुआं बहुत अधिक गहरा है क्योंकि किला एक पहाड़ी पर बना हुआ है कुएं के आगे बाई ओर एक मस्जिद है। यह शेरशाह की मस्जिद है यह दिल्ली नगर की प्रसिद्ध मस्जिदों में से हैं ओर बडी सुन्दर बनी है। इसमें भांति-भांति के रंग-बिरंगे लाल स्वेत, भूरे ओर काले पत्थर लगे हुये हैं। दिल्ली में स्थित पुराना किला के भीतर दूसरा भवन शेर-मंडल है। यह भवन अष्टभुजाकार है। इसकी छत पर जाने के लिये बहुत ही सीधी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इसे भी शेरशाह ने बनवाया था। शेरशाह की मृत्यु के पश्चात हुमायूं फिर लौटा ओर 1555 ई० में उसने अपने साम्राज्य पर फिर अधिकार कर लिया। उसने दिल्ली को फिर अपनी राजधानी बनाया। हुमायूं ने शेरमंडल को अपना पुस्तकालय बनाया। वह इसी स्थान पर अपने विद्वानों से शास्त्र किया करता था। 1556 ई० में एक दिन के संध्या समय हुमायूं शेर-मंडल की छत पर बैठा हवा खा रहा था। नमाज़ की अज़ान सुन कर वह जल्दी से नीचे उतरने लगा। उसी समय एक सीढ़ी टूट गई और बादशाह गिर गया। बादशाह को बड़ी चोट लगी और उसी के कारण उसकी मृत्यु हो गई। पत्थर की टूटी हुई सीढ़ी अब भी वैसा ही बनी है। शेरशाह मंडल और शेरशाह मस्जिद के मध्य ईंट के बने हुये कुछ मकानात हैं यह शाही हम्माम ( स्नान-ग्रह ) के शेष भाग हैं। पुराना किला के द्वारों की चित्रकारी तथा शिल्पकला बड़ी सुन्दर बनी है और उसमें रंगबिरंगे पत्थरों का प्रयोग किया गया है। पुराना किला के बाहर एक मस्जिद तथा कालेज (मदरसा) है। इसे अकबर की मां महम अंगा ने बनवाया था। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”7649″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंदिल्ली पर्यटनहिस्ट्री