पांडुआ का इतिहास – पांडुआ के दर्शनीय स्थल Naeem Ahmad, March 2, 2023 पांडुआ यह स्थान गोलपाड़ा के निकट है। मध्य काल में यह बंगाल प्रांत का एक हिस्सा हुआ करता था। आजकल पांडुआ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के हुगली ज़िले में स्थित एक शहर है। इसके गौरवशाली इतिहास के कारण यहां कई ऐतिहासिक स्मारक और भवन जो पांडुआ के पर्यटन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। पांडुआ का इतिहास – पांडुआ हिस्ट्री इन हिन्दी मुहम्मद तुगलक के काल में अलाउद्दीन अली शाह (1339-45) ने अपने आपको लखनौती में स्वतंत्र घोषित कर तत्कालीन बंगाल प्रांत के पश्चिमी हिस्सों पर कब्जा कर लिया और अपनी राजधानी लखनौती से पांडुआ बदल ली। 1345 में उसके सौतेले भाई हाजी इलियास ने अपने आपको पूरे बंगाल प्रांत का स्वतंत्र शासक घोषित कर लिया और अपने राज्य की सीमा पश्चिम में बनारस तक बढ़ा ली। फिरोजशाह तुगलक ने उस पर चढ़ाई करके उससे एक संधि की और इलियास एक स्वतंत्र शासक की तरह बना रहा। उसने उड़ीसा पर आक्रमण करके चिल्का झील तक के इलाके को रौंद डाला। उसके बाद उसका पुत्र सिकंदर 1357 में यहां का शासक बना। फिरोज ने बंगाल को जीतने का प्रयास एक बार फिर किया, परंतु सफल न हो सका। 1398 में तैमूरलंग के आक्रमण के बाद दिल्ली सल्तनत की शक्ति और क्षीण हो गई और यहां के शासक आजम शाह (1389-1409) को अब दिल्ली का कोई डर न रहा आजम शाह ने चीन में एक राजदूत भेजा और एक राजदूत चीन से उसके दरबार में आया। उसके बाद 1410 में शैफुद्दीन हमजा शाह, 1411 में शाहबुद्दीन बयाजिद शाह और उसके बाद अलाउद्दीन फिरोज शाह शासक बने, परंतु ये सब भादूरिया और दीनाजपुर के राजा गणेश और उसके बाद जावू उर्फ जलालुद्दीन मुहम्मद शाह के हाथों में कठपुतली बने रहे। मुहम्मद शाह के बाद शमसुद्दीन अहमद (1431-42), नासिर खाँ, इलियास का पोता नसिरुद्दीन अब्दुल मुजफ्फर मुहम्मद शाह (1443-60), रुकनुद्दीन बरबक शाह (1462-74), शमसुद्दीन अब्दुल मुजफ्फर युसुफ शाह (1474-81), सिकंदर द्वितीय, जलालुद्दीन फाथ शाह (1481-86), बरबक शाह, इंदिल खाँ उर्फ सैफ्द्दीन फिरोज (1486-89) तथा नासिरुद्दीन महमूद शाह द्वितीय (1489-90) शासक बने।पांडुआ के दर्शनीय स्थल शाह द्वितीय को एक अबीसीनियाई सेनानायक सीदी बदर ने मार दिया और स्वयं शमसुद्दीन अबु नासर मुजफ्फर शाह (1490-93) नाम से शासक बन बैठा। मुजफ्फर शाह एक अत्याचारी शासक था, जिस कारण उसके सैनिकों में काफी असंतोष था। उन्होंने उसे 1493 में गौड़ में चार महीनों तक घेरे रखा, जिस दौरान उसकी मृत्यु हो गई। उसके बाद उसके अरब मंत्री अलाउद्दीन हुसैन ने गौड़ में हुसैन शाही वंश के शासन की स्थापना की। पांडुआ के दर्शनीय स्थल – पांडुआ पर्यटन स्थलपांडुआ मीनारपांडुआ का मुख्य आकर्षण पांडुआ मीनार और बैस दरवाजा मस्जिद या बड़ी मस्जिद है। यह एक विशाल मैदान जैसा परिसर है जिसके एक तरफ बड़ी मस्जिद के खंडहर हैं और दूसरी तरफ विशाल मीनार है। विशाल मीनार की ऊंचाई लगभग 125 फीट है। 19वीं सदी में आए भूकंप के दौरान इसकी ऊंचाई कुछ फीट कम हो गई थी। मीनार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। भूकंप के दौरान मीनार के धराशायी हिस्से की मरम्मत एएसआई ने कराई है। अंदर घुमावदार सीढ़ियां हैं लेकिन दरवाजे की चाबियां बंद रहती हैं। मीनार ईंटों से बनी पांच मंजिला है।लेकिन दरवाजे पर दोनों ओर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र पत्थरों पर उकेरा गया है। एकलाखी मकबराएकलाखी मकबरा पांडुआ के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। एक लाखी मकबरे का निर्माण 15वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुआ था। मकबरे के अंदर तीन कब्रें हैं। माना जाता है कि एक कब्र सुल्तान जलालुद्दीन मुहम्मद शाह का है, अन्य दो उसकी पत्नी और बेटे शम्सुद्दीन अहमद शाह की है। इन कब्रो का अभिविन्यास और पहचान विवादित है, कि कौनसी कब्र किसकी है। जलालुद्दीन राजा गणेश का पुत्र था और बाद में उसने इस्लाम धर्म अपना लिया था। वह बंगाल के पहले देशी मुस्लिम राजा और पांडुआ से शासन करने वाले बंगाल के अंतिम सुल्तान थे। परंपरा के अनुसार, मकबरे के निर्माण में एक लाख रुपये का खर्च आया था। इसलिए मकबरे का नाम “एकलाखी” पड़ा। मकबरा एएसआई सूचीबद्ध स्मारक है। अदीना मस्जिदअदीना मस्जिद भारतीय उपमहाद्वीप में इस तरह की सबसे बड़ी संरचना थी और सिकंदर शाह द्वारा शाही मस्जिद के रूप में बंगाल सल्तनत के दौरान बनाया गया था, जो मस्जिद के अंदर ही दफन है। मस्जिद पंडुआ में स्थित है, जो एक पूर्व शाही राजधानी थी। मस्जिद का निर्माण बंगाल सल्तनत के इलियास शाही राजवंश के दूसरे सुल्तान सिकंदर शाह के शासनकाल के दौरान किया गया था। मस्जिद को 14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के खिलाफ अपनी दो जीत के बाद साम्राज्य की शाही महत्वाकांक्षाओं को प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया था। पांडुआ के पर्यटन स्थलअदीना डीयर पार्कअदीना डियर पार्क यहां का प्रमुख आकर्षण है। पार्क राज्य में चीतल या चित्तीदार हिरण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन केंद्र है और कभी-कभी वे संख्या में अधिक हो जाते हैं। पार्क में नीलगाय की आबादी भी है। हालांकि, इसके नाम के बावजूद, हिरण पार्क क्षेत्र का एक छोटा सा हिस्सा है और एक बाग वृक्षारोपण के भीतर संरक्षित है। जंगली तितली और पक्षियों से समृद्ध हैं, विशेष रूप से एशियन ओपनबिल, पैराडाइज फ्लाईकैचर, प्रिनिया, ओरिओल, फिश ईगल, आदि। अदीना ईको पार्कअदीना मस्जिद के खंडहरों पास इस पार्क को बनाया गया हैं। क्यों कि अदीना मस्जिद बंगाल सल्तनत के सिकंदर शाह के शासनकाल में 14वीं शताब्दी के आसपास निर्मित, मालदा जिले में आकर्षण का एक प्रमुख स्थान है। दूर-दूर और आसपास के जिले से लोग साल भर यहां घूमने आते हैं। अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए प्रशासन की ओर से यहां इस खूबसूरत पार्क का निर्माण किया गया है। कुतुब शाही मस्जिदकुतुब शाही मस्जिद पंडुआ का एक अन्य आकर्षण हैं। इसे 1582 ई. में मखदूम शेख द्वारा सूफी संत नूर-कुतुब-आलम के सम्मान में बनवाया गया था, जो सूफी संत के वंशज और अनुयायी दोनों थे। मस्जिद को स्थानीय रूप से सोना मस्जिद (स्वर्ण मस्जिद) के रूप में भी जाना जाता है, शायद इस तथ्य का कारण है कि मस्जिद की दीवारों और बुर्ज पर सोने का काम किया गया था। लेकिन अब इसके कोई सबूत दिखाई नहीं देते है। मस्जिद लाल ईंटों और पत्थर की शिलाओं का उपयोग करके बनाई गई है। दीवारों और खंभों में पत्थर की शिलाओं पर जटिल नक्काशी अभी भी देखी जा सकती है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”6702″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल पंश्चिम बंगाल के दर्शनीय स्थलपश्चिम बंगाल टूरिस्ट 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