नानक झिरा बीदर साहिब – गुरूद्वारा नानक झिरा साहिब का इतिहास Naeem Ahmad, July 16, 2019July 25, 2019 गुरूद्वारा नानक झिरा साहिब कर्नाटक राज्य के बीदर जिले में स्थित है। यह सिक्खों का पवित्र और ऐतिहासिक तीर्थ स्थान है। यह उस पठार के किनारे से थोडी दूरी पर है, जहां बीदर स्थित है। गुरूद्वारा की रोड़ से नीचे उतरने पर मैदान के व्यापक दृश्य दिखते है। प्रति वर्ष लगभग 4-5 लाख यात्री और पर्यटक गुरूद्वारा नानक झिरा साहिब के दर्शन करने आते है। यहां तीन प्रमुख आयोजनों और त्यौहारों के मेलों, के अलावा मार्च में होली, अक्टूबर में दशहरा और नवंबर में गुरू नानक जी की प्रकाश दिवस बडी धूमधाम से मनाया जाता है। इन अवसरों पर झिरा साहिब में यात्रियों की संख्या और अधिक बढ़ जाती है। नानक झिरा साहिब का इतिहास, हिस्ट्री ऑफ नानक झीरा साहिब बीदर कर्नाटकअपनी दक्षिण भारत की दूसरी धर्म प्रचार यात्रा के दौरान सिक्खों के प्रथम गुरू , गुरू नानक देव जी ने नागपुर और खंडवा के अपने पड़ाव के बाद नर्मदा नदी पर प्राचीन हिन्दू मंदिर ओंकारेश्वर के दर्शन किए और नादेड़ पहुंचे। नांदेड़ से वह हैदराबाद और गोलकोंडा की ओर बढ़ गए, जहां वे मुस्लिम संतो से मिले और फिर जलालुद्दीन तथा याकूब अली से मिलने बीदर आए।गुरू साहिब अपने साथ भाई मरदाना के साथ बीदर के बाहरी इलाके में रूके जहां अब नानक झिरा गुरूद्वारा स्थित है, पास ही में मुस्लिम फकीरों की झोपडियां थी जो गुरू देव से शिक्षा और उपदेश लेने के लिए अति उत्सुक थे। शीघ्र ही यह खबर पूरे बीदर तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में फैल गई और उत्तर के पवित्र संत तथा लोग भारी संख्या में गुरू देव के पास आने लगे।गुरूद्वारा नानक झिरा साहिब के सुंदर दृश्यबीदर के क्षेत्र में पीने के पानी की भारी कमी थी। लोगों ने पानी के लिए अनेक कुएँ खोदे लेकिन उनके सारे प्रयास विफल हो चुके थे। कुएँ से पानी निकलता भी था तो वह भी पीने लायक नहीं होता था।लोगों की इस दयनीय स्थिति ने गुरू नानक देव जी को द्रवित कर दिया। होठों पर दैवीय नाम और ह्रदय में दया से गुरू नानक देव जी ने अपने पैर से पहाड़ी को छुआ और उस स्थान से पत्थर को हटाया। पत्थर के हटाते ही सारे लोग आश्चर्य चकित हो गये। उस पत्थर के हटते ही उस स्थान से ठंडे और मिठे पानी की धारा निकलने लगी।शीघ्र ही उस स्थान को नानक झिरा कहा जाने लगा। उस धारा के किनारे एक सुंदर गुरूद्वारा बनवा दिया गया। अब उस धारा का पानी सफेद संगमरमर से बने एक छोटे अमृत कुंड में एकत्रित होता है। यहां एक रसोईघर जहाँ गुरू का लंगर तैयार होता है। जहां दिन रात चौबीस घंटे यात्रियों को मुफ्त भोजन दिया जाता है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-श्री गुरू तेग बहादुर साहिब धुबरी असमश्री मुक्तसर साहिब का इतिहासश्री चरण कंवल साहिब माछीवाड़ाश्री मंजी साहिब गुरूद्वारा कैथल हरियाणासिक्ख धर्म के पांच तख्त साहिबश्री हरमंदिर साहिब अमृतसरश्री दमदमा साहिब का इतिहासअकाल तख्त हिस्ट्री इन हिंदीश्री हजूर साहिब का इतिहासयहां गुरू तेग बहादुर की याद मे एक सिक्ख संग्रहालय बना है, जिसमें सिक्ख इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं को उजागर करते हुए चित्र और पेंटिंग है।गुरू नानक का जन्म दिवस और होला मोहल्ला उत्सव पर पूरे भारत से भारी संख्या में भक्त यहां आते है। वह स्थान जहां पर धारा निकलती है, वहां पर प्रबंधन ने भक्तों के योगदान से अमृत कुंड बनवा दिया है। धारा के जल से भरे पवित्र सरोवर मे भक्त डुबकी लगाते है। कहते है की झीरा साहिब सरोवर में स्नान करने से अधिकांश बिमारियों से मुक्ति मिलती है। श्री नानक झिरा साहिब का प्रबंधन अब यहा मुफ्त अस्पताल, इंजीनियरिंग कॉलेज, पालीटेक्निक और स्कूल भी संचालित करता है। Bidarभारत के प्रमुख गुरूद्वारों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढे:—[post_grid id=’6818′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल ऐतिहासिक गुरूद्वारेकर्नाटक पर्यटनगुरूद्वारे इन हिन्दीभारत के प्रमुख गुरूद्वारे