नवाब शुजाउद्दौला लखनऊ के तीसरे नवाब Naeem Ahmad, June 16, 2022March 2, 2023 नवाब शुजाउद्दौला लखनऊ के तृतीय नवाब थे। उन्होंने सन् 1756 से सन् 1776 तक अवध पर नवाब के रूप में शासन किया। नवाब शुजाउद्दौला का जन्म 19 जनवरी सन् 1732 में मुग़ल बादशाह दारा शिकोह के महल दिल्ली में हुआ था। इनके वालिद नवाब अलमंसूर खां सफदरजंग थे। जो दिल्ली के मुग़ल बादशाह के यहां सुबेदार थे। इनकी वालिदा सदरूनिशां बेगम थी। नवाब शुजाउद्दौला का जीवन परिचय नवाब अलमंसूर खां सफदरजंग की मृत्यु के बाद सन् 1756 में नवाब शुजाउद्दौला अवध के तीसरे नवाब हुए। नवाब शुजाउद्दौला को बक्सर का युद्ध हारने के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी से सन्धि करनी पड़ी। शुजाउद्दौला किसी भी हालत में फिरंगियों से सन्धि नहीं करना चाहते थे, मगर विधाता विपरीत था। जब अंग्रेजों का अधिकार इलाहाबाद के किले पर हो गया तो नवाब शुजाउद्दौला का बचा-खुचा साहस भी टूट गया। उन्हें न चाहते हुए भी सन्धि करनी ही पड़ी। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने लड़ाई के हर्जाने के रूप में 50 लाख रुपया शुजाउद्दौला से वसूल किया। जिसमें 30 लाख रुपया बाद में देना था और 20 लाख रुपया तुरन्त जमा करना था। मेजर बर्ड ने अपनी किताब में युद्ध के बाद उत्पन्न हुए हालातों पर प्रकाश डाला है। नवाब साहब को सन्धि के मुताबिक चुंकि 30 लाख रुपया बाद में अदा करना था, सो उन्होंने कुछ समय के लिए चुनार गढ़ का किला अंग्रेजों के पास जमानत के तौर पर रख दिया। मगर सरकार ने 30 लाख रुपया हासिल कर लेने के बाद भी यह किला वापस नहीं किया। यही नहीं नवाब साहब को अपने सभी फ्रांसीसी कर्मचारी तक हटाने पड़े और कम्पनी की सेना को अपने पास रखना पड़ा। जिसका खर्च नवाब साहब को ही उठाना पड़ता था। इस बुरे वक्त में बहु बेगम ने अपने पति का पूरा साथ दिया। हर्जाने के कुल 50 लाख रुपयों में से 30 लाख रुपये इकट्ठे करने के लिए बहू बेगम ने अपने सारे जेवर यहां तक कि नाक की कील भी नवाब साहब के हाथ सौंप दी। जनाब-ए-आलिया बहू बेगम गुजरात के सूबेदार मौतमनुद्दौला मोहम्मद इसहाक की लड़की थीं। नवाब साहब थे बड़े ही आशिक मिजाज। तारीख-ए-अवध के अनुसार नवाब साहब की 2000 हजार से अधिक बीवियां थीं। ये बेगमें जिस महल में रहती थीं उसे हूर महल कहते थे। जबकि उनकी मुख्य पत्नी बहू बेगम थी। बहू बेगम की जब शादी हुई उनके अब्बा हुजूर खुदा को प्यारे हो चुके थे। शादी की सारी रस्म उनके बड़े भाई ‘नजमुद्दौला’ ने अदा की। नवाब शुजाउद्दौला शादी के बाद बहू बेगम फैजाबाद आ गयी। नवाब शुजाउद्दौला बहु-बेगम की बड़ी इज्जत करते थे। कहते हैं कि अगर कभी नवाब साहब एक रात भी खास महल के बाहर कहीं और आराम फरमाते तो सुबह चुपचाप 500 रुपये बतौर जुर्माने उनके सिरहाने पहुंचवा दिया करते। बहू बेगम से एक बेटा हुआ जो नवाब आसफुद्दौला के नाम से मशहूर हुआ। नवाब आसफुद्दौला के अलावा नवाब 25 बेटों और 22 बेटियों के अब्बा थे। शुजाउद्दौला की एक बेगम आलिया सुलतान भी बड़ी मशहूर हुई। इनका असली नाम गुन्ना बेगम था। किताब इमादतुल सादत के अनुसार– एक रोज़ दिल्ली के बादशाह मोहम्मद शाह ने नवाब सफदरजंग से बातों ही बातों में शुजाउद्दौला की शादी का जिक्र कर दिया। नवाब साहब ने कहा– अभी चंद रोज ही हुए हैं एक पैगाम नवाब अली कुली खाँ छ: उंगली वाले मीरर तोज़क के यहां से आया है। खानदान अच्छा है वह अब्बासी सैय्यद और शाह तहमारुब सफबी के वज़ीर हसन कुली खाँ के भतीजे हैं मगर मुसीबत यह कि लड़की गुन्ना बेगम एक तवायफ से पैदा हुई है। इसी ऐब के कारण शुजाउद्दौला की मां इस शादी पर राजी नहीं है। नवाब शुजाउद्दौला ने गुन्ना बेगम की खूबसूरती के चर्च सुन रखे थे। शादी की बात टूटनी उनके लिए असह्य हो गयी। माँ की इच्छा के खिलाफ उन्होंने एक खत शेर अंदाज खाँ के हाथ गुन्ना बेगम की माँ के पास भिजवा दिया कि वह शादी के लिए तैयार हैं। गुन्ना बेगम खत पाते ही दिल्ली से लखनऊ के लिए चल पड़ी। आगरे में वह रुक गयी। राजा भरतपुर का लड़का जवाहर सिंह गुन्ना बेगम की खूबसूरती देख अपने को रोक न सका। अपने आदमियों को हुक्म दिया जैसे भी हो यह हसीना उसके सामने पेश की जाए। गुन्ना बेगम के साथ शेर अंदाज खाँ भी था। जवाहर सिंह और शेर अंदाज खाँ के बीच कटरा वजीर खाँ में जोरदार भिड़न्त हो गयी। इधर मौका देख माँ-बेटी वहां से खिसक लीं। फर्रुखाबाद के राजा नवाब अहमद खाँ ने इनको अपने यहां शरण दी। नवाब अहमद खाँ के यहाँ इमादद्दौला गाजीउद्दीन खाँ भी ठहरे हुए थे। उनकी निगाह जब इसके हुस्न पर पड़ी तो नीयत डोल गयी। नवाब अहमद खाँ ने गाज़ीउद्दीन को रोक दिया। गुन्ना बेगम को सही सलामत शुजाउद्दौला के पास भिजवा दिया। मुन्ना बेगम से निकाह करने के बाद उसे आलिया सुलतान बेगम का खिताब दिया। गुन्ना बेगम से केवल एक बेटा पैदा हुआ—नसीरुद्दौला। नवाब शुजाउद्दौला का 26 जनवरी सन् 1775 में इन्तकाल हो गया। फैजाबाद में ही नवाब का मकबरा है जो ‘गुलाब बाड़ी’ के नाम से मशहूर है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—– [post_grid id=”6023″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... Uncategorized अवध के नवाबजीवनीलखनऊ के नवाब