नई दुनिया की खोज किसने की थी – नई दुनिया की खोज क्यों हुई Naeem Ahmad, March 21, 2022March 27, 2024 500 वर्ष पहले कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी। उससे पहले नोर्स कबीले अमेरिका की धरती पर पैर रख चुके थे। लेकिन अब यह कहा जाने लगा है कि नई दुनिया के खोजकर्त्ता कोई और ही थे अर्थात् कोलम्बस से पहले भी अमेरिका को खोजा जा चुका था। क्या फोनेशियनो, चीनियो या वाइकिंगो ने कोलम्बस की प्रसिद्ध यात्रा से पहले ही नई दुनिया तक पहुचने मे सफलता प्राप्त कर ली थी? अमेरिका के पुराने खण्डहरों में आज भी चीनी, पोनेशियायी तथा नीग्रो मुखाकृतियों की प्रीतिमाएं मिलती हैं। क्या ये इस बात का सबूत नहीं हैं कि कोलम्बस के पहले भी नई दुनिया कोई अनजानी जगह नहीं थी। इस विषय मे शोधकार्य चल रहा है। अभी तक हुए शोधकार्य से जो परिणाम निकले हैं, वे निश्चय ही चौंका देने वाले हैं।नई दुनिया की खोज किसने की थीसन 1450 ओर सन् 1550 के बीच के सौ वर्षो की खोजों का युग कहा जाता है। क्योंकि इसी अवधि मे नई दुनिया की खोज हुई थी। कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज इतनी महत्वपूर्ण साबित हुई कि उसने अन्य खोजों के महत्व को बहुत कम कर दिया। यदि इस तथ्य को एक अंतिम सच्चाई मान लिया जाए कि 40000 वर्ष पहले एक जमीनी पुल से (Land Bridge) अमेरिकी आदिवासी रैड इण्डियन एशिया से अमेरिका पहुंचे थे तो इस सवाल का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि पूरे उत्तरी अमेरिका में इन आदिवासियों का जीवन और समाज आदिकालीन अवस्था में क्यों बना रहा जबकि दक्षिण अमेरिका में मैक्सिको युकाटन(Yucatan) व पेरु (Peru) में इस बीच उच्च कोटि के तकनीकी ज्ञान से युक्त जटिल समाजों की रचना हो चुकी थी। इंकास (Incas) आर अज्टक (Azetecs) सभ्यताओं के जन्म से पहले ही दक्षिण अमेरिका का यह विकास हो गया था।उत्तरी अमेरिका के अविकसित बने रहने का रहस्य खोजने में ही इस प्रश्न का उत्तर निहित है कि क्या कोलम्बस से पहले भी नई दुनिया अर्थात अमेरिका की खोज हो चुकी थी?चीन की दीवार कितनी चौड़ी है, चीन की दीवार का रहस्यप्रसिद्ध यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस ने लिखा है कि ईसा से 6 सौ वर्ष पहले मिस्र के फ्राओ नको (Necho) ने फोनशियन (Phonenicean) नाविकों को अफ्रीका के चक्कर लगाने का आदेश दिया क्योंकि वे ही उस जमाने के सबसे कुशल नाविक थे। बाइबिल मे इन फोनेशियनो को कननाइट (Cananites) कहां गया है। ये फोनेशियन अफ्रीका से सोना और चांदी साइप्रस से तांबा भारत से संगमरमर तथा स्पेन से टिन सीसे व लोहे का व्यापार करते थे। हमारे इस लेख में हम निम्न प्रश्नों के उत्तर जानेंगे:—– नई दुनिया की खोज किसने की थी? नई दुनिया की खोज क्यों हुई? अमेरिका या नई दुनिया की खोज क्यों हुई थी? अमेरिका या नई दुनिया की खोज कैसे हुई थी? अमेरिका की खोज किसने एवं कब की थी? अमेरिका देश की उत्पत्ति कैसे हुई? अमेरिका का पहले नाम क्या था? अमेरिकी का नाम किसके नाम पर पड़ा? अमेरिका की खोज कब हुई? सबसे पहले अमेरिका महाद्वीप पर कौन पहुंचे थे? कोलंबस ने किस देश की खोज की और कब? उत्तरी अमेरिका की खोज किसने की थी? नई दुनिया की खोज का रहस्य क्या है? फोनेशियनो ने लाल सागर में अपन जल-पोत उतार दिए और कई वर्ष बाद लौट कर फ्राओ को बताया कि अफ्रीका का चक्कर लगाते समय उन्होंने सूर्य को दक्षिण दिशा मे देखा। हेराडोटस ने इस दावे को स्वीकार नहीं किया है लेकिन बाद के विद्वानों ने इसकी सत्यता मानी है। अब यह पता चल गया है कि इन नाविकों ने केप्रिकान (Capricorn) के उष्णकटिबंधीय से आगे तक की यात्रा की थी क्योंकि यही सूर्य आकाश में उत्तर से पश्चिम की ओर यात्रा करता है।भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवायाकार्थेज (अफ्रीका का प्राचीन नगर) के फोनेशियनो ने अपने तीन डेको वाले जहाज़ों मैं बैठकर एक अनुमान के अनुसार एजोरस (Azores) तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की थी। यह भी दावा किया गया है कि मिस्र के फ्राओ द्वारा करवाया गया यह अभियान पुरानी दुनिया के नई दुनिया में प्रथम स्थलावतरण (Land fall) पर जा कर समाप्त हो गया।नई दुनिया की खोजसन् 1872 में ब्राजील के एक बागान में मिला एक शिलालेख इस तथ्य का सबूत माना जाता है। रिया डि जेनेरियो (Rio De Janerio) ब्राजील के संग्रहालय के निदेशक लादिस्लाउ नेटो (Ladislau netto) ने इस शिलालेख को फोनेशियन बताया और इस पर लिखी भाषा का अनुवाद भी कर डाला। इस शिलालेख में बताया गया है कि किस तरह देवी-दवताओं को प्रसन्न करने के लिए एक युवक की बलि देकर लाल सागर में 10 जहाज यात्रा करने निकले और दो साल तक अफ्रीका का चक्कर काटते रहे। तूफान ने जहाज़ों को एक दूसरे से अलग कर दिया। इसी कारण 12 पुरूष व स्त्रियों ने एक नए तट पर डेरा डाल दिया।रूस में अर्जुन का बनाया शिव मंदिर हो सकता है? आखिर क्या है मंदिर का रहस्यएक ‘नए तट’ को लोहे का द्वीप (An island of iron) भी समझा जाता है क्योंकि ब्राजील के मिनास गराइस (Minas Gerais) के इलाके में जहा यह शिलालेख मिला था लोह अयस्क (Iron ore) भारी मात्रा में मिलता है।इस शिलालेख की ऐतिहासिक प्रामाणिकता भी निर्विवाद नही है। अमेरिका की खोज का इतिहास लिखने वाले समुअल इलियट मारिसन (Samuel Eliot Morison) ने इस पूरी कहानी को कल्पना की उपज बताया है तथा एक अन्य विशेषज्ञ फ्रेंक एम क्रास (Frank M cross) ने इस भाषा के स्तर पर फोनशियायी मानने से इंकार कर दिया है।सन् 1658 मे केप कोड (Cap Code) मैसाचुसेट्स के यान (Bourne) नामक स्थान पर पाए गए एक शिलालेख से भी कुछ लोग यह मतलब निकालते है कि नई दुनिया की खोज पहली बार फोनेशियनो ने ही की होगी लेकिन येले (Yele) इतिहासकार राबर्ट लोपेज़ (Robert Lopez) ने इस पत्थर की प्रामाणिकताओं को भी मानने से इंकार कर दिया है।तूतनखामेन का रहस्य – तूतनखामेन की कब्र वह ममी का रहस्यफोनेशियना को अमेरिका का सच्चा अन्वेषक प्रमाणित करने वाला एक मानचित्र सन 1513 मे एक तुर्किश नौसेनाध्यक्ष ने तैयार कराया था। इस नक्शे में दक्षिण अमेरिका का पूर्वी तट ठीक-ठीक प्रदर्शित किया गया था। यह नक्शा अलेक्जेंड्रिया के विशाल पुस्तकालय के चार्टो पर आधारित था। यह पुस्तकालय ईसा से 47 वर्ष पूर्व आग में जल कर नष्ट हो गया था। अगर ऐसा था तो निश्चित रूप से यह जानकारी मिस्री नक्शानवीसा को फानेशियन नाविको से ही मिली होगी। यूनानी लेखक डियाडारस सिकुलुस ने भी ईसा से एक शताब्दी पूर्व अमेरिका की खोज का श्रेय फोनेशियना को दिया है।फोनिशयों के अलावा अमेरिका की खोज का श्रेय चीनियों को भी दिया जाता है। बताया गया है कि 459 इस्वी में हु्यी शेन (Hui Shen) चार अन्य बौद्ध भिक्षुओं व साथी नौकाओं में सवार होकर कर उत्तरी प्रशांत महासागर को पार करता हुआ लम्बे गोलाकार मार्ग से उत्तरी अमेरिका पहुंचा, जहा से मेक्सिको (दक्षिण अमेरिका) पहुंचना आसान था। चीनियों ने युद्ध से बचने वाली तथा किलों व दीवारों का प्रयोग न करने वाली तथा लिखने की कला में कुशल एक सभ्यता को देखा। उन्होंने फू-सांग (Fu sang) नामक वृक्ष को खाने योग्य बम्बू शूट जैसे आकार देखे। व नाशपाती जैसे लाल फल देने वाल पेड़ थे जिनकी छाल से कपड़ों के लिए डोरा तथा कागज बनता था व लकड़ी का मकान बनाने में उपयोग किया जाता था। हुई शेन ने अपने वर्णन में घोड़ा ऊंटों तथा हिरनों का भी जिक्र किया है,जो गाडियां खीचते थे लेकिन इतिहास बताता है कि स्पेनियो के हमले से पहले अमेरिकी इण्डियना ने पहिया देखा तक नही था। इससे चीनियों का वर्णन अतिशयाक्तिपूर्ण लगने लगता है।यूरेनस ग्रह इन हिंदी, यूरेनस ग्रह की जानकारी खोज व रहस्यअमेरिका के पराने खंडहरों में आज भी चीनी, फोनेशियायी तथा नीग्रा मुखाकृति की प्रतिमाएं मिलती है। माया सभ्यता के खण्डहरो में हाथी ओर पगड़ी धारी महावत से मिलती-जुलती आकृति का पत्थर मिल चुका है। जाहिर है कि ऐशियायी सभ्यता का स्पर्श मिले बिना यह शिल्प विकसित नही हो सकता था।चीनियों के बाद तीसरा नम्बर आता है। वाइकिंग यौद्धाओं का जो अपने जहाज़ों में बैठकर वार्षिक लूट-मार करने के लिए अमेरिका के तट की ओर आ निकले होगें। कोलम्बस से बहुत पहले 982 ईस्वी, 986 इस्वी व 1001 इस्वी में कई वाइकिंग यौद्धाओं के परिवारों ने सेंकड़ों हजारों मील की यात्रा करते हुए नए-नए भूखंडों की खोज के दौरान ना जाने कितने नगर बसाए होगें और नई दुनिया के कितने हिस्सों को प्रकाश में लाने की सफलता प्राप्त की होगी।अटलांटिस द्वीप का रहस्य – अटलांटिक महासागर का रहस्यइस बात के प्रमाण मिलते हैं कि अमेरिका की खोज के समय वाइकिंग ने जिन भूखण्डों पर कदम रखे उनके नाम उनकी प्राकृतिक विशेषताओं के आधार पर ही रख दिए। किसी जगह का उन्होंने चपटी चट्टानों का देश’ (Hellu land) कहा तो अंगूर पैदा करने में सक्षम इलाके को उन्होंने वाइनलैण्ड (Vineland) की उपमा दी। 1004 ईस्वी में थारवाल्ड (Thorvald) नामक वाइकिंग ने कीलनेस अतरीप (Cape Keelness) नामक समुद्री भाग की खोज की। वाइकिंगों की यात्राओं से जिस भूगोल का हमें परिचय मिलता हैं, वह बहुत अस्पष्ट किस्म का है लेकिन उसकी मौजूदगी से भी इंकार नही किया जा सकता। हां, उनकी अस्पष्टता उनकी सच्चाई पर संदेह का पर्दा जरूर डाल देती है।आधुनिक विद्वानों ने अब यह मान लिया है कि उस समय का ‘जंगलो का देश’ आज का बफिन (Baffin) द्वीप है, उस समय की ‘चपटी चट्॒टानों का देश’ आज का 30 मील लम्बा लेब्राडोर (Lebrador) का तट है तथा वाइन लैण्ड, सन् 1961 से 1968 तक की गई खुदाई में निकला लॉसे ऑक्स मीडोस (L’ ause aux meadows ) हैं। वाइकिगों को ही ग्रीनलैण्ड की खोज का श्रेय जाता है। पुर्तगालियों ने भी दावा किया है कि कोलम्बस से पहले उनके नाविकों ने अमेरिका को खोज निकाला था परंतु अभी तक पुर्तगाली अपने दावे को पूर्ण रूप से प्रमाणित नही कर पाए है। पुर्तगाली इतिहासकार डा एण्टोनिओ बाइआओ (Antonio Baiao) का तर्क है कि पूर्तगाल मे हमेशा नई दुनिया के होने का संदेह किया जाता था और इन्ही संदेहों की रोशनी में कोलम्बस ने सितम्बर-अक्तूबर सन् 1492 में नई दुनिया की खोज कर डाली।बुध ग्रह का रहस्य, जीवन, वायुमंडल, उपाय,खोज की जानकारी हिंदी मेंदिलचस्पी का विषय यह है कि अमेरिका का नाम उस व्यक्ति के नाम पर पडा, जिसने अमेरिका की कोलम्बस से पहले खोज कर डालने का झूठा दावा किया था। फ्लोरटाइन अमेरिगो वेसप्पूशे (Florentine Amerigo Vespucci ) के इस आत्मप्रशंसा से भरे दावे से प्रभावित होकर सन 1507 में नई दुनिया के नक्शे पर अमेरिका का नाम नक्शानवीस मार्टिन वाल्डसी मीलर (Martin waldsee Miller) ने लिख दिया।अमरिंगो का दावा आज झूठा साबित हो गया है। अमेरिका नाम आज भी जब-तब हमे उस झूठ की याद दिलाता रहता है परंतु क्या फोनेशियना, चीनियों वाइकिंगों व पुर्तगालियों के दावे भी असत्य है? क्या कोलम्बस से पहले वास्तव में नई दुनिया की खोज नही हो सकी थी? इस रहस्यमय प्रश्न का उत्तर कौन देगा?।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े[post_grid id=”8656″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... अद्भुत अनसुलझे रहस्य अनसुलझे रहस्य