धमौनी का किला किसने बनवाया – धमौनी का युद्ध कब हुआ और उसका इतिहास Naeem Ahmad, July 18, 2021February 28, 2023 विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र की भूमि बहुत उपजाऊ है। किले के पूर्व में एक भयानक खाड़ी है। किले की दीवारें बहुत आकर्षक और अच्छी स्थिति में हैं। पूरे किले के घेरे के अंदर कुछ न कुछ अनोखा देखने को मिलता है। इस जगह की सुंदरता का आनंद लेने के लिए लंबी दूरी तक पैदल चलने के लिए सहनशक्ति का होना जरूरी है। किले का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है। किला गाँव से लगभग 1.5 KM दूर और पूर्व में स्थित है। एक कीचड़ भरी सड़क किले को गांव से जोड़ती है। ऐसा लगता है कि बरसात के मौसम में किले तक पहुंचना नामुमकिन सा हो जाता है। रास्ता कब्रिस्तान से होकर गुजरता है जहां हजारों की संख्या में कब्रें नजर आती हैं। कब्रें एक बड़े खूबसूरती से उकेरे गए पत्थर से ढकी हुई हैं। अगर ये लोग युद्ध के मैदान में मारे गए तो इस विशाल कब्रिस्तान और कब्रों को देखकर युद्ध की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन किले और कब्रिस्तानों के निर्माण में बहुत सहायक थे। पत्थरों पर की गई कारीगरी हर तरफ देखने को मिलती है। किले का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। धमौनी का किलाधमौनी का इतिहास इन हिन्दी धमौनी का किला सागर जिले के समीप है यह किला भी पहले हिन्दू नरेशों के हाथ में था। उसके पश्चात यह इलाका और दुर्ग तुर्कों और मुगलो के हाथ में चला गया। छत्रसाल के समय मे धमौनी दुर्ग मुगलो के हाथ में था। सन् 1672 में छत्रशाल ने इस किले को मुगल सरदार खालिक से जीत लिया और उससे 30 हजार रूपये दण्ड के रूप में वसूल किये। धमौनी का किला उसके पश्चात धमौनी का किला मुगलो के हाथ में पुनः चला गया। सन् 1678 में छत्रसाल ने इस दुर्ग पर पुनः आक्रमण किया। जब सदरूद्धीन धमौनी का फौजदार था। उस समय छत्रसाल ने धमौनी पर आक्रमण किया और उसे जीता लिया। यह घटना सन् 1679 की है। सन् 1680 में छत्रशाल का युद्ध धमौनी फौजदार सदरूद्धीन सूर से दौबारा हुआ। यह घटना 1680 की है। धमौनी में ही मुगल फौजवार युद्ध में घायल होकर मारा गया इसका नाम मयानों था। इसी समय औरंगजेब ने छत्रसाल को एक पत्र लिखा, कि वे छत्रसाल को अपने राज्य का मनसबदार बनाना चाहते है, उन्हे 5,000 पैदल सेना रखने की अनुमति प्रदान की गई थी और धमौनी का इलाका छत्रसाल को देने का प्रस्ताव किया गया था। छत्रसाल ने इसे स्वीकार नहीं किया। सन् 1682 में धमौनी का मुगल सरदार स्लाक खाँ था। उसका यद्ध छत्रसाल से हुआ, उससे धमौनी का किला छत्रसाल ने जीत लिया था। किन्तु इसी समय औरंगजेब ने समसेर खाँ को धमौनी का फौजदार बनाया। उसमें 1500 घुडसवार और 2000 पैदल सेना के साथ धमौनी के किले में प्रवेश किया। किन्तु वह धमौनी को छत्रसाल से नहीं छीन पाया। इस समय छत्रसाल का राज्य भोलसा और उज्जैन तक पहुँच गया था। कुछ समय बाद पुरदिल खाँ को अमौनी का फौजदार बनाया गया। इसके स्थान पर शेर अफगान युद्ध के लिये आया अन्त में सन् 1686 में छत्रसालल का धमौनी में युद्ध हुआ और धमौनी छत्रसाल के हाथ में आ गया। धमौनी में दुर्ग के दर्शनीय स्थल निम्नलिखित है — दुर्ग के अवशेष दुर्ग के धार्मिक स्थल दुर्ग के आवासीय स्थल युद्ध स्मारक दुर्ग के जलाशय दुर्ग के सैन्य स्थल हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-[post_grid id=”8179″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किलेमध्य प्रदेश पर्यटन