धनराज पिल्लै की जीवनी — धनराज पिल्लै बायोग्राफी इन हिन्दी Naeem Ahmad, March 31, 2020March 28, 2024 धनराज पिल्लै का जन्म 16 जुलाई 1968 में खड़की, पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। हॉकी में सेंटर फारवर्ड खेलने वाले धनराज खेल में गति और स्ट्राइकिंग के शौकीन है। धनराज पिल्लै का नाम भारतीय खेल जगत में बड़े सम्मान और गर्व के साथ लिया जाता है। यह उस हॉकी खिलाड़ी का नाम है, जिसने 1998 में बैंकॉक एशियाई खेलों में दस गोल किए थे। और फाइनल में भारत को जीत और 31 साल बाद एशियाई हॉकी खिताब दिलाया। 1989 में एशिया कप के अवसर धनराज ने अंर्तराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध दो गोल करते हुए शानदार खेल प्रदर्शन किया। फिर इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। धनराज पिल्लै की कहानी एक ऐसे साधारण से परिवार के लड़के की असाधारण कहानी है जिसने गरीब परिवार से निकलकर कड़ी मेहनत करके वह मुकाम हासिल किया जिस पर आज वहीं नहीं सारा भारत गर्व महसूस करता है। और अपने इस लेख में हम हॉकी के इसी महान खिलाड़ी धनराज पिल्लै की जीवनी, धनराज पिल्लै की बायोग्राफी, धनराज पिल्लै का जीवन परिचय आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे। धनराज पिल्लै का जीवन परिचयधनराज को पांच बहन भाइयों के बीच धन की कमी होते हुए भी पूरा नैतिक समर्थन मिला। उन्होंने पारिवारिक समस्या के कारण अधिक शिक्षा हासिल नहीं की। इन्होंने प्रारंभ में अपने बड़े भाई रमेश के साथ टूटी हुई हॉकी के साथ साधारण सी गेंद से हॉकी खेलना प्रारंभ किया। धनराज शरीर से दुबले पतले होते हुए भी भारतीय हॉकी टीम में तेज खिलाड़ी के रूप में उभरे। जिसे देखकर विपक्षी टीम की पंक्ति घबरा सी जाती थी। वे सदैव अपनी टीम के लिए प्रेरणा स्रोत रहे।संत दादू दयाल की जीवनी और परिचयधनराज पिल्लै के परिवार का संबंध मेजर ध्यानचंद के समकालीन मरूदवनम पिल्लै से रहा।अतः धनराज की हॉकी पर मरूदवनम का प्रभाव रहना स्वाभाविक था। उन्होंने मुम्बई और अपनी कम्पनी महिंद्रा एंड महिंद्रा का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। शुरु शुरू में भले ही उनके खेल में उतार चढ़ाव आया हो लेकिन बाद में उनके खेल में अच्छा विकास हुआ।धनराज के लिए 1992 के बर्सिलोना ओलंपिक और अटलांटा ओलंपिक निराशाजनक साबित हुए। लेकिन टीम का नेतृत्व करते हुए उन्होंने मुकेश कुमार के साथ खेल का अच्छा प्रदर्शन किया। उस स्थिति में जर्मनी के विरुद्ध टेस्ट श्रृंखला में बदलाव आया। 1998 की टेस्ट श्रृंखला में पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी पेशावर में भारतीय टीम यह मुकाबला हार गई। लेकिन लाहौर, कराची और दिल्ली में धनराज ने उच्च स्तर का प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम में शानदार वापसी कीधनराज पिल्लै1998 में वर्ल्डकप के अवसर पर उनके अंगूठे में चोट लग जाने की वजह से वे पूरी तरह फिट नहीं थे। न तो कुआलालम्पुर मलेशिया में हुए राष्ट्रमंडलीय खेलों में, लोगों ने यह उम्मीद की थी फाइनल में भारत की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत होगी। लेकिन मेजबान टीम ने मौके का फायदा उठाया और भारतीय टीम हार गई। पर सन् 2000 में उसने पर्थ में भारत को चार देशों की प्रतियोगिता में जीत दिलाई और वह युवा खिलाड़ियों समीर दाद और दीपक ठाकुर के साथ उसी तरह खेले जैसा कि उन्होंने एशियाई खेलों में मुकेश कुमार व बलजीत सिंह के साथ प्रदर्शन किया था।कबीर दास का जीवन परिचय – संत कबीरदास की जीवनीऐसे ही उच्च स्तर के प्रदर्शन से विशेषज्ञों और प्रशिक्षकों ने धनराज को विश्व स्तर का खिलाडी माना। उन्होंने मलेशिया, फ्रांस, जर्मनी की हॉकी टीम में भाग लेकर उच्च स्तर के खिलाड़ी होने का सबूत दिया है। धनराज में एक और विशेषता है कि उन्हें अन्याय पसंद नहीं। इनमे भावुकता के साथ तुनक मिजाजी भी है। इसीलिए तो एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता टीम के सात खिलाड़ियों के निकाले जाने पर धनराज ने अधिकारियों की आलोचना की और कहा कि वे अपने बच्चों को हॉकी मैदान पर नहीं देखना चाहेंगे। ऐसे ही चैम्पियन ट्राफी के दौरान 1996 मे मेजबान टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इसके फलस्वरूप दर्शकों की गलत प्रतिक्रिया से धनराज की तू तू मै मै और घूंसेबाजी भी हुई। इससे उन्हें तुनक मिजाज और गुस्सैल की पदवी मिली। असल मे उनकी सफलताएं और प्रतिभाएँ उनके विद्रोही स्वभाव पर खास असर नहीं डालती। इसके बावजूद हॉकी संघ ने उन्हें साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के सम्मान दिलाने की बात अंतरराष्ट्रीय हॉकी सं से की।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं खेल जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियां• 1989 मे धनराज पिल्लै आल्विन एशिया कप मे पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर शामिल हुए, जिस टीम ने रजत पदक जीता।• सितंबर 2000 में सिडनी ओलंपिक में टीम के सदस्य रहे इन्होंने एक गोल किया टीम सातवें स्थान पर रही।• जुलाई अगस्त 1996 मे अटलांटा ओलंपिक मे दो गोल किए।• 1990 मे बीजिंग में और 1994 में हिरोशिमा में हुए एशियाई खेलों मे उन्होंने सात पदक हासिल किए।• अक्टूबर 2002 में हुए बुसान एशियाई खेलों में भारतीय भारतीय टीम के अगुआ झंडा धारक बने। उन्होंने 3 गोल दाग कर टीम को रजत पदक दिलाया।• आल स्टार एशियन गेम्स टीम के सदस्य बनाए गए।• 1998 मे बैंकॉक मे भारतीय टीम ने उनके नेतृत्व मे स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने दस गोल दागे।• 1994 मे हिरोशिमा में व 1990 मे बीजिंग में टीम द्वितीय।• 1998 कुआलालम्पुर में टीम चौथे स्थान पर रही इन्होंने 5 गोल किए।• 2002 में कुआलालम्पुर में दो गोल, 1998 में उत्रेची में दो गोल, कैप्टन बने।• 1999 में कुआलालम्पुर में उन्होंने तीन गोल किए। टीम तीसरे स्थान पर रही।• 1993 मे हिरोशिमा में तथा 1989 में दिल्ली मे टीम के सदस्य रहे।• 2002 में कोलोन में दो गोल, प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित।• इस टूर्नामेंट मे वे पांच बार शामिल हुए, 1990,1992 तथा 1994 में उन्होंने टाइटिल जीता। 1995 मे टीमके सदस्य, 1999 मे 7 गोल दाग कर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने, 2001 में कुआलालम्पुर में प्रथम स्थान एक गोल किया।• 1998 में हुई इस सीरीज में धनराज पिल्लै कप्तान बने।• 1995 मे चेन्नई में टीम प्रथम।• 1991 में मलेशिया मे टीम ने यह कप जीता, जिसमें पिल्लै भी शामिल थे।• 2000 में सिडनी में टीम तीसरे स्थान पर, एक गोल किए।• 2000 में पर्थ में टीम पहले स्थान पर दो गोल किए।• 1990 में बी. एम. डब्ल्यू टूर्नामेंट में टीम में खिलाड़ी रहे, 1993 में इंटरकॉन्टिनेंटल टूर्नामेंट पोजनान, 1993 में वियना, 1995 में जर्मनी, 1997 में हम्बर्ग, 2000 में बेल्जियम, 2000 में बर्सिलोना, 2002 में एम्सटेलवीन।• उपयुक्त अंतरराष्ट्रीय खेलो के अतिरिक्त धनराज ने सीनियर नेशनल 1997, जूनियर नेशनल 1995, राष्ट्रीय खेल 2002, जवाहर लाल नेहरू हॉकी टूर्नामेंट 2002, लाल बहादुर शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट 2002, गुरूप्पा गोल्ड कप 2002, 1999, 1998, में टीम के खिलाड़ी रहे। गुरूप्पा गोल्ड कप में 2002 व 1999 में वे मैन ऑफ द फाइनल चुने गए।• 1995 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया।• 1998-99 के लिए उन्हें के.के. बिरला फाउंडेशन पुरस्कार दिया गया।• 1999 में धनराज को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।• सन् 2001 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:—[post_grid id=’21134′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के महान खिलाड़ी खेल जगतजीवनीबायोग्राफी