त्रिपोलिया गेट का निर्माण किसने करवाया था Naeem Ahmad, September 18, 2022February 18, 2024 राजस्थान की राजधानी जयपुर एक ऐतिहासिक शहर है, यह पूरा नगर ऐतिहासिक महलों, हवेलियों, मंदिरों और भी कितनी ही ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में पर्यटक यहां देश विदेश से आकर्षित होते हैं। जयपुर शहर में एक ऐसी ही ऐतिहासिक इमारत है त्रिपोलिया गेट, यह जयपुर में चादनी चौक और पूरबिया की ड्योढ़ी के ठीक दक्षिण में स्थित है।यह तीन पोली या दरवाजो का ”त्रिपोलिया” नामक द्वार है जो नगर प्रासाद का दक्षिणी दरवाजा है। गुलाबी रंग से पुते त्रिपोलिया बाजार में यह पीले रंग का द्वार इसके ठीक सामने चौडे रास्ते या सवाई मान सिंह हाइवे के मोर-मुक्ट के समान है। इस पर जालियों से बंद जो कक्ष है, वह शहर मे निकलने वाले जुलूसों आदि को देखने के लिए रानियों के बैठने का स्थान था। दीपावली तथा अन्य हर्षोल्लास के अवसरों पर ईसरलाट के साथ त्रिपोलिया पर भी बिजली की रोशनी हो जाती है तो नगर-प्रासाद की यह बाहय प्राचीर जगमगा उठती है।त्रिपोलिया गेट का निर्माण किसने करवाया थात्रिपोलिया गेट, जैसा इसके नाम से प्रकट है, तीन पोलो या द्वारो से बना है। बाहरी दरवाजा तो त्रिपोलिया बाजार में खुलता है ओर स्थापत्य की दृष्टि से बडा नयनाभिराम और भव्य है। इसकी छत बंगाल के बांस की छतों की तरह कमानीदार है जिस पर कलश चढे़ है। यह सुन्दर त्रिपोलिया गेट सवाई जयसिंह ने ही अपने सात मंजिलों वाले “सतखंडे महल” ()(चंद्रमहल) के साथ ही बनवाया था।त्रिपोलिया गेट जयपुर राजस्थानत्रिपोलिया दरवाजे की भव्यता और सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए महाराजा मानसिंह (1922-70ई ) ने इसके बहिरंग में झरोखे ओर अश्वारोही प्रहरियों के “बाक्स” बनवाये थे ओर तभी से त्रिपोलिया आम जनता के लिए बंद है। पहले नगर-प्रासाद मे सभी के प्रवेश के लिए यह दरवाजा भी खुला था। अब तो राज-परिवार के सदस्य ओर खासा मेहमान ही इस द्वार से प्रवेश पाते हैं। त्रिपोलिया का बाहरी द्वार लम्बा, सुरंग की तरह है। उसके पीछे एक छोटा और फिर तीसरा दरवाजा या पोल है जो चांदनी चौक मे प्रतापेश्वर महादेव के मंदिर से सटा हुई है। गुलाबी शहर मे पीले रंग का यह राजसी द्वार अपने बहिरग में ‘छत के काम” की सजावट से जेसे अपनी विशिष्टता प्रकट करता है।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं यह उल्लेखनीय है कि नगर प्रासाद की दक्षिणी सरहद में पहले यह एक ही द्वार था। महाराजा रामसिंह ने इसके पश्चिम मे आतिश का वह दरवाजा निकलवाया था जिसकी चर्चा यथास्थान आ चुकी है। आतिश के बाजार बन जाने पर ओर आगे पश्चिम मे ही एक दरवाजा और खोला जा चुका है तथा पूर्व मे एक दरवाजा हवामहल ओर राजेन्द्र हजारी गार्ड्स मे जाने के लिए सर मिर्जा इस्माइल के जमाने में खोला गया था। इसी दरवाजे से अब रथ खाना होकर राजस्थान विधानसभा में भी जाने का सीधा रास्ता हो गया है। इस प्रकार कुल मिलाकर अब नगर-प्रासाद के दक्षिण मे चार दरवाजे-त्रिपोलिया गेट, आतिश, आतिश का नया दरवाजा और हवामहल का दरवाजा-तथा एक मोरी (श्रीजी की मोरी) है।जल महल जयपुर रोमांटिक महलत्रिपोलिया गेट से माणक चौक की ओर जाने पर कुछ ओर मंदिर है जो है तो नगर प्रासाद के प्रागंण मे ही किंतु उनके प्रवेशद्वार नगर मे पूर्व-पश्चिम जाने वाले मुख्य राजमार्ग-त्रिपोलिया बाजार मे है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=’12369′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंजयपुर पर्यटनराजस्थान ऐतिहासिक इमारतेंराजस्थान पर्यटन