त्रिपुरा पर्यटन – त्रिपुरा का इतिहास – त्रिपुरा की भाषा – त्रिपुरा का भोजन – त्रिपुरा सुंदरी Naeem Ahmad, December 26, 2017April 7, 2024 प्रिय पाठको हमने अपनी पिछली पोस्ट में उत्तराखंड के खुबसूरत पर्यटन स्थल औली के बारे में विस्तार से जाना था और औली के पर्यटन स्थलो की सैर की थी। अपनी इस पोस्ट में हम भारत के ही एक खुबसूरत राज्य त्रिपुरा चलेगें। ओर त्रिपुरा पर्यटन के खुबसूरत स्थलो की से करेगें और उनके बारे में विस्तार से जानेगे कि- त्रिपुरा के पर्यटन स्थल कौन कौन से है? त्रिपुरा में किस किस धर्म के लोग रहते है? त्रिपुरा की जनसंख्या कितनी है। त्रिपुरा की वेश भूषा त्रिपुरा का पहनावा त्रिपुरा के दर्शनीय स्थल त्रिपुरा की राजधानी क्या है त्रिपुरा का इतिहास त्रिपुरा का भोजन त्रिपुरा के उद्योग त्रिपुरा के त्योहार त्रिपुरा के नृत्य त्रिपुरा की भाषा त्रिपुरा राज्य की स्थापना कब हुई? त्रिपुरा का मौसमत्रिपुरा पर्यटन की यात्रा पर जाने से पहले सबसे पहले हम त्रिपुरा के बारे में कुछ जान लेते है कि त्रिपुरा कहा स्थित है।त्रिपुरा के बारे मेंदक्षिण एशिया के पूर्वोत्तर भाग में स्थित त्रिपुरा भारत का एक राज्य है। जिसके उत्तर पश्चिम व दक्षिण में बंगलादेश की सीमाएं लगती है। तथा जिसके पूर्व में मिजोरम की सीमाए है और जिसके पूर्वोत्तर में असम राज्य की सीमाए लगती है। त्रिपुरा के क्षेत्रफल की बात करे तो गोवा और सिक्किम के बाद त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। त्रिपुरा का क्षेत्रफल 10491 वर्ग किलोमीटर में फैला हूआ है। त्रिपुरा राज्य के गठन की बात करे तो राज्यो का पुनर्गठन होने पर 1 सितंबर 1956 को त्रिपुरा संघ शासित प्रदेश बना। तथा बाद में 21 जनवरी 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया। त्रिपुरा राज्य में आठ जिले है – उत्तरी त्रिपुरा, पश्चिमी त्रिपुरा, दक्षिणी त्रिपुरा, गोमती, सेपहिजाला, उनाकोटी, धर्मनगर और धलाई। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है। त्रिपुरा की जनसंख्या की बात की जाए तो 2001 की जनगणना के अनुसार त्रिपुरा की जनसंख्या 3191168 थी। तथा 2011 की जनगणना के अनुसार त्रिपुरा की जनसंख्या 3673947 थी। इन दोनो आंकडो से त्रिपुरा की जनसंख्या वृद्धि दर का पता चलता है। त्रिपुरा की भाषा की ओर ध्यान दे तो त्रिपुरा की राजभाषा बांगला, ककवार्क है इसके अलावा यहा त्रिपुरी, बंगाली, मणिपुरी और अंग्रेजी भी बोली जाती है। त्रिपुरा के उद्योग धन्धे की बात की जाए तो यहा चाय, लकडी, बांस पर आधारित उद्योग धंधे और कुटीर उद्योग पर आश्रित लोग है। त्रिपुरा कभी शाही राज्य हुआ करता था। यहा के लोग बहुत। मिलनसार होते है। त्रिपुरा की प्राकृतिक दृश्यावली अन्य हिल स्टेशनो की तरह बेहद लुभावनी व खुबसूरत है। हरे भरे पहाड, कलकल करते झरने, पक्षियो का कलरव यहा के सौंदर्य में चार चांद लगा देते है। यहा आकर आपको निश्चित रूप से अनोखे सुकून की अनूभूति होगी। आइए आगे त्रिपुरा पर्यटन के कुछ प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलो के बारे में जान लेते है।त्रिपुरा पर्यटन के सुंदर दृश्यत्रिपुरा पर्यटन क अंतर्गत दर्शनीय स्थलउज्वंत पैलेस त्रिपुरा पर्यटनउज्वंत पैलेस त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में स्थित है। यह शहर के मध्य में है तथा एक किलोमीटर केए दायरे में फैला हुआ है। इसकी नीव।महाराजा राधा किशोर मणिक बहादुर ने सन् 1899-1901 के मध्य रखी थी। वर्तमान में यहा राज्य विधानसभा है।कुंजभवनकुंजभवन का निर्माण सन् 1917 में महाराजा बीरेंद्र किशोर मनिक बहादुर ने करवाया था। सन् 1926 में रवींद्ररनाथ टैगोर जब अगरतला गए थे तब कुंजभवन में ही ठहरे थे। वर्तमान में इसका उपयोग राज्यपाल के सरकारी निवास स्थान के रूप में किया जाता है।जगन्नाथ मंदिर त्रिपुरा पर्यटनयह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड नमूना है। इसे देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से आगरतला में आते है।राज्य संग्रहालयइस संग्रहालय में आप अगररतला के प्राचिन इतिहास व संस्कृति से संबंधित दुर्लभ वस्तुओ को बेहद करीब से देख सकते है। त्रिपुरा पर्यटन की यात्रा पर आने वाले अधिकतर पर्यटक यहा जरूर आते है।ब्रह्मकुंडब्रह्मकुंड अगरतला से 45 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में स्थित है। यहा हर वर्ष मार्च अप्रैल और नवंबर के महीनो में मेलो का आयोजन किया जाता है।कमला सागर झील त्रिपुरा पर्यटन कमला सागर एक बहुत ही खुबसूरत विशाल झील है। यहाँ एक पहाडी पर काली मां का मंदिर है। जहा हर वर्ष अक्टूबरर माह में मेले का आयोजन किया जाता है।त्रिपुर सुंदरी मंदिर त्रिपुरा पर्यटन त्रिपुरा पर्यटन में यह मंदिर त्रिपुरा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। हिन्दू धर्म में त्रिपुर सुंदरी का बहुत बडा महत्व माना जाता है। इसका महत्व इसलिए भी ज्यादा है कि यह 51 शक्तिपीठो में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यहा देवी सती की देह का दायां पैर गिरा था। प्रतिवर्ष यहा लाखो श्रृद्धालु दर्शन के लिए आते है। त्रिपुर सुंदरी मंदिर आगरतला से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।त्रिपुरा पर्यटन के सुंदर दृश्यत्रिपुरा का मौसमत्रिपुरा का मौसम मैदानी इलाको से आने वाले पर्यटको के हिसाब से बिलकुल उनके अनुकुल है। यह पहाडी क्षेत्र होने के बाद भी यहा हिमालय पर्वत श्रेणी और उसके आस पास की पर्वत मालाओ जितना ठंडा नही है। यहा अत्यधिक ठंड नही होती है। सर्दीयो में त्रिपुरा का तापमान न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और अधिकतम तापमान 27℃ तक रहता है। और गर्मीयो में त्रिपुरा का तापमान अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है तथा न्यूनतम तापमान 24℃ रहता है। मानसून में यहा औसत वर्षा होती है। इस सुहावने मौसम के कारण यहा वर्ष भर कभी भी जाया जा सकता है।त्रिपुरा का खानातीन ओर से बंगलादेश की सीमा से घिरा होने के कारण त्रिपुरा के खाने में बंगलादेशी मिश्रण भलिंभाति देखा जा सकता है। यहा के लोग अधिकांश मछली, चावल और सब्जियो पर निर्भर रहते है। मटन, चिकन और सूअर के मीट के साथ मास यहा के भोजनका एक हिस्सा है। मुई बोरोक, बागुली चावल, मछली स्टोज, बांस की मारिया, किण्वित मछली, मांस के रोस्टज त्रिपुरा की प्रमुख डिशो मे से है। मुई बोरोक त्रिपुरा की स्थानिय और बेहद लाजवाब डिश है। जो आपको सिर्फ त्रिपुरा में ही खाने को मिल सकती है। त्रिपुरा के भोजन में चावल की महत्तवता ज्यादा रहती है। सब्जी कोई भी हो यहा के लोग अधिकतर सब्जियो के साथ चावल का प्रयोग करते है। अगर आप रोटी खाने के शौकीन है तो त्रिपुरा की यात्रा के दौरान आपको रोटी कम ही मिलेगी। यहा के स्थानीय होटलो में भी ज्यादात्र चावल का ही प्रयोग किया जाता है।त्रिपुरा का नृत्य व संगीतत्रिपुरा पर्यटन पर जाए और वहा के नृत्य और संगीत का आनंद न ले तो यात्रा का मजा अधूरा रहता है। त्रिपुरा के संगीत और नृत्य की बात की जाए तो यहा के लोगो के लिए नृत्य और संगीत आनंद और मनोरंजन का अभिन्न अंग है। त्रिपुरा के स्थानीय संगीत के वाद्ययंत्र जैसे :- सुमुई, जो एक प्रकार की बांसुरी है। दूसरा ‘खंम’ जो एक प्रका का ड्रम है। इसके अलावा यहा के वाद्ययंत्रो में तारा आधारित ‘सांरिडा’ और चोंगपाएंग है। यहा विभिन्न समुदायो के अपने स्वंय के गाने, लोकगीत और नृत्य है। जो विभिन्न अवसरो जैसे:- शादिया, धार्मिक संस्कार, और त्यौहारो पर प्रदर्शित किए जाते है। त्रिपुरा के लोगो का गरिया नृत्य जो एक धार्मिक प्रदर्शन है। रियांग समुदाय के लोग अपने होजगिरि नृत्य के लिए जाने जाते है। जो युवा लडकियो के मातृत्व पिचर पर संतुलित होता है। इसके अलावा भी राज्य में कई अन्य नृत्य जैसे :- त्रिपुरी समुदाय का लीबांग नृत्य, चाक समुदाय के लोगो का बिझू नृत्य, गारो समुदाय के लोगो का वागला नृत्य, हलाक कुकी समुदाय का हाई हक नृत्य और भोंग समुदाय का ओवा नृत्य शामिल हैत्रिपुरा के त्यौहारत्रिपुरा पर्यटन की यात्रा पर जाने से पहले अगर वहा के त्यौहारो के बारे में जान लिया जाए तो हम अपनी यात्रा को त्यौहार के समय पर करके यात्रा का रोमांच ओर बढा सकते है। त्रिपुरा में काफी हद तक हिन्दूओ का प्रभुत्व है। इसलिए यहा पर भी वही त्यौहार ज्यादा मनाएं जाते जो शेष भारत में मनाए जाते है। त्रिपुरा के मुख्य त्यौहार दुर्गा पूजा जो दशहरा के समय मनाया जाता है। इसके अलावा खर्ची पूजा, दिवाली, डोल जात्रा (होली) पोस संक्रांति, अशोकष्टमी और बुद्ध जयंती, ईद, क्रिसमस और नए साल के जश्न मनाए जाते है। इसके अलावा गरिया, केर गंगा, और गजन उत्सव महत्वपूर्ण आदिवासी उत्सव है। अशोकष्टमी के दौरान उन्नोकोटी में विशेष आयोजन होता है पुराने अगरतला में चौदह देवी मंदिर अपनी खर्ची पूजा के लिए आगंतुको को आकर्षित करती है। इसी तरह पोस संक्रांति के अवश्र पर तीर्थमुल भी त्रिपुरा पर्यटन की यात्रा पर आने वाले सैलानियो को खूब भाता है। व्यावाहरिक रूप से राज्य में प्रत्येक जनजाति के अपने नृत्य और त्यौहार है। जो महान भक्ति और उत्साह के साथ मनाए जाते है।अंडमान निकोबार द्वीप समूहमुंबई के पर्यटन स्थलत्रिपुरा का पहनावाआप सोच रहे होगे कि त्रिपुरा के लोग भी त्रिपुरा में भारत के अन्य उत्तर पूर्वी राज्यो जैसे परंपराओ के समान कपडे पहनते होगें हालांकि वास्तविकता इससे बिलकुल अलग है।त्रिपुरा में पुरुषों के लिए पारंपरिक पोशाक एक तौलिया है, जिसे रिकुतु गाचा के रूप में जाना जाता है कुबै एक प्रकार की शर्ट है पुरुष कुकू के साथ रिक्तु गाचा पहनते हैं। गर्मी के दौरान अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए त्रिपुरा पुरुष अपने सिर पर पगड़ी या पगड़ी पहनते हैं। यहां भी पश्चिमी संस्कृति को प्रभावित करने वाले लोग, विशेष रूप से युवा पीढ़ी जींस, पायजामा, शर्ट्स और टी-शर्ट और आधुनिक जीवन शैली की वेशभूषा के विभिन्न प्रकार पहनने के लिए दिलचस्प हैं।त्रिपुरा में महिलाओ के पहनावे की बात की जाए तो त्रिपुरी महिलाए यहा की महिलाओ का परिधान एक बडे कपडे के समान होता है जिसको महिलाए अपने कमर से पैरो या घुटनो तक लपेट लेती है। यह कपडा सुंदर हस्त कला की कढाई से सजा होता है। जिसे खाक्लू कहते है। इसके साथ महिलाए ब्लाज पहनती है।.गले को सुंदर दिखाने के लिए महिलाए सिक्का और मोतियो से बने हार गले में पहनती है। उत्सवो आदि पर सुंदर गहने भी पहने जाते है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”12754″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल त्रिपुरा पर्यटन