तिरुचिरापल्ली का इतिहास और दर्शनीय स्थल Naeem Ahmad, March 1, 2023 त्रिचिनापल्ली तमिलनाडु राज्य में तंजौर के 55 किमी पश्चिम में है। इसका आधुनिक नाम तिरुचिरापल्ली है। इसे त्रिची भी कहा जाता है। द्वारसमुद्र के होयसल वंश का अंतिम शासक बल्लाल तृतीय 1342 में मुस्लिमों से युद्ध करता हुआ तिरुचिरापल्ली में ही मारा गया था। 1732 में अर्काट के नवाब दोस्त अली खान ने अपने दामाद चंदा साहिब को त्रिचनापल्ली पर कब्जा करने के लिए भेजा था। चंदा साहिब ने यहां की विधवा रानी को प्रेम-पाश में फंसाकर तिरुचिरापल्ली पर कब्जा कर लिया। तिरुचिरापल्ली का इतिहास सन् 1740 में मराठों ने इसे उससे छीन लिया। पेशवा ने सात साल तक चंदा साहिब को बरार और सतारा में कैद करके रखा, परंतु 1748 में वह सतारा से बच निकला। अगस्त, 1749 में हैदराबाद के मुजफ्फरजंग और डुप्ले की सहायता से जब उसने अर्काट पर धावा बोला, तो अर्काट का नवाब अनवरुद्दीन मारा गया और उसके पुत्र मोहम्मद अली ने तिरुचिरापल्ली के किले में शरण ली। अब डुप्ले ने त्रिचिनापल्ली पर पुनः कब्जा करने का विचार किया। उसने एक बड़ी सेना त्रिचिनापल्ली भेजी, परंतु वह सेना तंजौर पर कब्जा करने के असफल प्रयास में लग गई। उधर त्रिचिनापल्ली के किले में शरण लिए मोहम्मद अली को अंग्रेजों ने यह संदेश भेज दिया कि वे उसकी मदद के लिए शीघ्र आ रहे हैं और जब तक अंग्रेजी सेना त्रिचनापल्ली न पहुँच जाए, वह डुप्ले को बातों में उलझाए रखे। मोहम्मद अली ने ऐसा ही किया। मई, 1751 में ब्रिटिश सेना तिरुचिरापल्ली के लिए रवाना हो गई। उधर डुप्ले ने मि० लॉ के नेतृत्व में त्रिचिनापल्ली सेना भेज दी, परंतु लॉ अपने कार्य में असफल रहा। वर्ष के अंत तक अंग्रेजों, मैसूर, तंजौर और मराठों की सेनाएं त्रिचनापल्ली पहुँच गईं। अंग्रेजों ने एक चाल और चली। ब्रिटिश सेना में भर्ती क्लाईव के सुझाव पर अंग्रेजों ने अर्काट पर कब्जा कर लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि चंदा साहिब ने अपने पुत्र के नेतृत्व में आधी सेना अर्काट पर पुनः कब्जा करने के लिए भेज दी और शेष के साथ वह स्वयं त्रिचिनापल्ली में जुटा रहा। जब क्लाईव की सेना अर्काट पर कब्जा कर लिया, तो तिरुचिरापल्ली में फ्रांसीसी सेना कमजोर पड़ गई। तिरुचिरापल्ली के दर्शनीय स्थल 31 दिसंबर, 1752 को डुप्ले ने तिरुचिरापल्ली का घेरा फिर डाल लिया। 1753 में चंदा साहिब ने आत्म-समर्पण कर दिया। अंग्रेजों ने उसे मारकर उसकी जगह मुहम्मद अली को अर्काट का नवाब बना दिया। 1753 के अंत तक दोनों सेनाओं में वारदातें होती रहीं, जिनमें कभी किसी का पलड़ा भारी रहता, कभी किसी का। फिर भी डुप्ले ने तिरुचिरापल्ली लेने का विचार नहीं बदला। परंतु फ्रांसीसी सरकार डुप्ले की योजनाओं को नहीं समझ सकी।अगस्त,1754 में उसने डुप्ले को वापस बुला कर गोदेहू को भारत भेज दिया। गोदेहू ने अंग्रेजों से संधि कर ली, जिसके अनुसार दोनों पक्षों ने एक-दूसरे द्वारा विजित प्रदेशों को मान्यता दे दी। इस प्रकार तिरुचिरापल्ली अंग्रेजों के हाथ में आ गया। और की आजादी तक रहा। तिरुचिरापल्ली के दर्शनीय स्थलतिरुचिरापल्ली का किला कावेरी नदी के किनारे 300 मी की ऊंचाई पर स्थित इस किले को आजकल रॉक फोर्ट भी कहा जाता है। इस किले में सौ स्तंभों का एक हाल और शिव को समर्पित श्री थायुमानस्वामी (मातृभूतेश्वरार) मंदिर है। इस मंदिर के गुंबद पर सोने का पत्तर चढ़ा हुआ है। तिरुचिरापल्ली शहर तथा किले का निर्माण मदुरै के नायकों ने कराया था। पहाड़ी के सबसे ऊपर गणेश को समर्पित उच्चीपिलैयार कोइल नाम का मंदिर है। मंदिर केवल पहाड़ी के ऊपर ही नहीं है बल्कि इसे काटकर भी गुफा मंदिर बनाए गए हैं। यहां के दोनों बड़े गुफा मंदिर (श्री थायुमानस्वामी और विनायक मंदिर) पल्लव शासकों द्वारा बनवाए गए थे। इन मंदिरों के सम्मुख भाग में सात स्तंभ तथा एक कोने में एक वर्गाकार मंदिर है। तिरुचिरापल्ली में क्लाईव का निवास स्थल, आधुनिक सेंट जोसेफ कॉलेज, डेनमार्क के ईसाई प्रचारक सी वी स्वादर्ज द्वारा बनवाया गया ईसाई गिरजाघर, संग्रहालय और टेप्पकुलम सरोवर भी दर्शनीय है तिरुचिरापलली के आस-पास भी अनेक दर्शनीय स्थल हैं। यहां से 7 किमी दूर तिरुवनैकावल में जम्बूकेश्वर मंदिर है। इसके अतिरिक्त व्यालूर (8 किमी) में भगवान मुरुगन का मंदिर, श्रीरंगम (10 किमी) में तेरहवीं शताब्दी में बना श्री रंगमाथस्वामी मंदिर, मुकोंबू (8 किमी) में कोल्लीडम नदी पर पिकनिक स्थल, समयपुरम् (20 किमी) में मरियम्मम देवी का मंदिर, ग्रांड अनीकूट (कलानै) (24 किमी) में कारिकल के चोलों द्वारा बनवाया गया बाँध, विरालीमलाई (30 किमी) में भगवान सुब्रमण्य का मंदिर, नारथामलाई मंदिर (37 किमी), कोडुंगलूर (मूवारकोइल) (42 किमी) में दसवीं शताब्दी के मंदिर, सिट्टनवासल (58 किमी) में प्राचीन जैन मठ, पुलियाँचोलाई पिकनिक स्थल (72 किमी) तथा गंगईकोंडाचोलापुरम (72 किमी) अच्छे दर्शनीय स्थल हैं। उपलब्ध सुविधाएंतिरुचिरापल्ली देश के अन्य भागों से वायु, रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। स्थानीय भ्रमण के लिए यहां सिटी बसें, टैक्सियां, आटो रिक्शे तथा रिक्शे मिलते हैं। यहां का तापमान गर्मियों में 37°से तथा 26°से के मध्य रहता है। यहां पर्यटक सूचना केंद्र हवाई अड्डे, रेलवे जंक्शन तथा कैंटोनमेंट में 4, विलियम्ज रोड पर हैं। ठहरने के लिए यहां छोटे-बड़े अनेक होटल हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”16623″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like 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Uncategorized तमिलनाडु पर्यटनहिस्ट्री