तवांग पर्यटन – तवांग घाटी अरूणाचल प्रदेश का खुबसूरत पर्यटन स्थल Naeem Ahmad, October 19, 2017April 8, 2024 भारत के अन्य हिल स्टेशनो की तरह पर्यटको के लिए अत्यधिक आकर्षण का केंद्र न होने के बावजूद भी तवांग पर्यटन यहा के नैसर्गिक सौंदर्य और गुफाओ के लिए विश्व भर के पर्यटको में जाना जाता है। अरूणाचल प्रदेश राज्य का तवांग भारत और भूटान सीमा के पास लगभग 11155 फुट की उचांई पर बसा है। तवांग अरूणाचल प्रदेश का एक जिला भी है। सन् 1962 में यहा भारत और चीन के बीच भीषण युद्ध लडा गया। तवांग छठे दलाई लामा की जन्म स्थली भी है। सन् 1959 में 14 वें दलाई लामा और उनके अनुयायियो ने चीनी उन्माद से बचने के लिए यही से तिब्बत छोडकर भिरत में प्रवेश किया। तवांग पर्यटन अपने खुबसूरत प्राकृति नजारो और ऐतिहासिक स्थलो के लिए जाना जाता है। जिसका आनंद उठाने के लिए यहा काफी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक यहा हर वर्ष आते है।तवांग पर्यटन की दृष्टितवांग के पर्यटन स्थल – तवांग के दर्शनीय स्थलतवांग के सुंदर दृश्यदिरांगबोमदिल से 40 किलोमीटर की दूरी पर पाइन के वृक्षो से घिरी दिवांग नदी के किनारे बसा दिरांग एक खुबसूरत शहर है। दिरांग में सेब के बगीचे और बौद्ध मॉनेस्ट्री देखने योग्य है। यहा एक गरम पानी का कुंड है। कहा जाता है कि इस कुंड के पानी से कई बिमारीयो का इलाज होता है।सेला दर्राबोमदिला से सेला दर्रा की दूरी 109 किलोमीटर के लगभग है। सेला दर्रा समुंद्र तल से लगभग 13828 फुट की उचांई पर स्थित है। यह उत्तर पूर्व का सबसे उंचा ऐसा स्थान है जहा से गाडिया गुजरती है। यदि आप अपने वाहन से यहा के लिए जा रहे है तो आपको सेला तक पहुचने में धुंध, भूस्खलन के निशान और खराब सडको का सामना करना पड सकता है। इसी रास्ते पर पैराडाइस लेक नाविको और पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहा लेक के जल में तैरती बर्फ के छोटे छोटे टुकडे भी आपको दिखाई देगें। सेला में बौद्ध गुफाएं और शिव मंदिर भी दर्शनीय है। इस दर्रे का सफर तवांग पर्यटन का एक रोमांचकारी सफर होता है।तवांग मठ17 वी शताब्दी में बौद्ध संप्रदायो के बीच शत्रुता का काल था। मीरा लामा ने भिक्षुओ की सुरक्षा के लिए एक किला बनवाया था। आज इस किले को तवांग मठ के नाम से जाना जाता है। 16 वी शताब्दी में निर्मित यह मठ एशिया का दूसरा प्राचीनतम तथा एशिया का दूसरा सबसे बडा मठ है। भारत का यह सबसे बडा मठ है। यह मठ तिब्बत से आई असंख्य मूर्तियो, फ्रेस्को और चित्रो से अलंकृत है। सोने से बनी 26 फुट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा यहा विशेष रूप से दर्शनीय है। कहा जाता है की मठ बनाने के लिए लामा घोडे पर बैठकर जगह की खोज कर रहे थे। चलते चलते लामा का घोडा तवांग में रूक गया जिस जगह यह घोडा रूका था वहा तवांग मठ का निर्माण किया गया है।उर्गेलिंगयह स्थल छठे दलाई लामा का जन्मस्थान है। यहा एक विशाल पेड है। कहा जाता है कि छठे दलाई लामा द्वारा जमीन में गाडे गए एक दंड से इसका विकास हुआ है।आन्नी मठमहिला संयासिन द्वारा संचालित 350 वर्ष प्राचीन इस गुफा में ध्यानमग्न बुद्ध की प्रतिमा है।तक्तसांग मठतक्तसांग मठ या टी मठ तवांग से केवल 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अरूणाचल प्रदेश के सबसे पवित्र बौद्ध धर्मस्थलो में से एक है। ऊंचे ऊंचे पहाडो के बीच स्थित इस जगह की पवित्रता का श्रेय प्राचीन धर्म प्रचारक पदमसंभव को दिया जाता है। जिन्होने बौद्ध धर्म को तिब्बत तक पहुंचाया।सांगेसर झीलसांगेसर झील तक्तसांग मठ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक बेहद ही खूबसूरत झील है। इस झील पर फिल्म कोयल के एक नृत्य की शूटिंग भी हुई थी। इसलिए आज यह माधुरी के नाम से जानी जाती है।नूरानांग फॉलनूरानांग वाटर फॉल को जंग फॉल के नाम से भी जाना जाता है। यहा पर आप पानी को 100 मीटर की ऊचांई से गिरते हुए देख सकते है जो बहुत ही रोमांचकारी प्रतित होता है। इस वाटर फॉल का नाम एक स्थानीय महिला के नाम पर रखा गया है। जिसने 1962 के भारत और चीन युद्ध में सेनिको की सहायता कि थी। यह तवांग पर्यटन का सबसे रमणीक स्थल है।तवांग के सुंदर दृश्यबमुला दर्राबमुला दर्रा तवांग से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान समुंद्र तल से लगभग 16500 फीट की ऊंचाई पर है। बर्फ से ढकी यहा की चोटिया पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती है।तवांग युद्ध स्मारकयह तवांग का ऐतिहासिक स्थल है यह स्मारक 40 फुट की ऊचाई पर स्थित है। यह शहीद स्मारक 1962 के युद्ध में शहीद हुए बहादुर सेनिको को समर्पित है जिसपर उन 2420 शहिद सेनिको के नाम भी अंकित है।बी आर हिल्स के दर्शनीय स्थलऊटी के पर्यटन स्थलतवांग पर्यटन या यात्रा पर कब जाएं? तवांग पर्यटन पर जाने का सबसे उत्तम समय सितंबर से मार्च के बीच है। इस बीच यहा मौसम सुहाना और सुविधा जनक होता है।तवांग कैसे जाएंहवाई मार्ग द्वारायहा से नजदीकी हवाई अडडा तेजपुर है। जो तवांग से लगभग 347 किलोमीटर की दूरी पर है। यहा से तवांग जाने के लिए आप किराए की टैक्सी हायर कर सकते है। जिसका किराया 3-4 हजार रूपये के लगभग है। या फिर आप शेयर्ड सूमो में बैठ सकते है जिसमे आपको मात्र 350-400 रूपये के किराये में तवांग घाटी पहुंच सकते है।रेल मार्ग द्वारातवांग से नजदीकी रेलवे स्टेशन रंगपारा है। यह तवांग से 340 किलो मीटर के लगभग है। यहा से भी आप तवांग जाने के लिए प्राइवेट टैक्सी या शेयर्ड सूमो का इस्तेमाल कर सकते है।सडक मार्ग द्वारातवांग की गोवाहटी से दूरी 537 किलोमीटर है। अगर आप अपने वाहन से तवांग जा रहे है तो आपको एक रात बोमदिला में रूकना पडेगा। राष्ट्रिय राजमार्ग 37 से नगांव होते हुए कुआरीताल पहुंचे। राष्ट्रीय राजमार्ग 37 ए पर तेजपुर तक 23 किलोमीटर जाएं। यहा से चारदुआर के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पकडे। जहा से अरूणाचल प्रदेश के लिए लंबी राजकीय सडक पर आप आ जाएंगें। फिर भालुकपोंग होकर बोमदिला में एक रात रूककर अगले दिन दिरांग, सप्पर, सलो दर्रा, जसवंतगढ, जांग, ल्हाउ और बोमडिर होते हुए 187 किलोमीटर की दूरी तय करके तवांग पहुंच सकते है। हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:–[post_grid id=’17915′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के हिल्स स्टेशन हनीमून डेस्टिनेशन