डायना का मंदिर कहां है क्या आप जानते हैं? डायना देवी कौन थी? Naeem Ahmad, May 24, 2022March 28, 2024 प्राचीन काल में एशिया माइनर में इफिसास नाम का एक नगर बसा हुआ था। उस जमाने मे इस नगर की सभ्यता, संस्कृति और कला कौशल की चर्चा सारे संसार में विख्यात हो रही थी। संसार के अत्यन्त प्रसिद्ध नगरों में इफिसास नगर की गणना की जाती थी। वहां मानवी कला के एक से एक उत्तम उदाहरण मौजूद थे। पृथ्वी के विभिन्न देशों के लोग उन कला-कृतियों को देखने के लिये आते-जाते और उनकी प्रशंसा करते रहते थे। स्मारना नगर से चालीस मील दक्षिण पूर्व में इफिसास का यह हरा-भरा नगर बसा हुआ था। इसी नगर में विश्व का प्रसिद्ध डायना का मंदिर बना हुआ था जिसे संसार के सात महान आश्चर्यो मे से एक माना जाता है परन्तु अब वह आश्चर्यजनक वस्तु वर्तमान में मौजूद नहीं हैं। उसके कुछ अवशेष अब भी बचे हुए हैं जिन्हें देखकर बड़े-बड़े विद्वान आश्चर्य मे पड़े़ बिना नहीं रह सकते।डायना का मंदिर का इतिहासजिस डायना के मन्दिर का उल्लेख हम यहां पर करने जा रहे हैं, उसे ग्रीस के निवासी देवी आर्टेमिस कहते हैं। रोम वाले उसी देवी को देवी डायना कहते हैं। डायना देवी को लोग चन्द्र भगवान की पत्नी तथा नभ, थल तथा स्वर्ग की स्वामिनी माना करते थे। लोगों की यह धारणा थी कि डायना देवी सभी शक्तियो से परिपूर्ण है और समस्त लोकों पर उनका समान अधिकार है जिस प्रकार हमारे देश मे देवी दुर्गा की महिमा सर्वोपरि बताई जाती है उसी प्रकार रोम और ग्रीस के निवासी देवी डायना (आर्टेमिस) को सर्व शक्तियो से पूर्ण देवी मानते थे। अब तो उन देशों में ईसाई धर्म के प्रचार के पश्चात मूर्ति पूजा का नामों निशान मिट सा गया है और लोग अपने देवी देवताओं को भूल से गये हैं परन्तु जिस जमाने की बात हम कर रहे है, उस समय रोम और ग्रीस के निवासियों में मूर्ति पूजा आदि का अत्यधिक प्रचलन था। डायना देवी को वहां के निवासी प्रसिद्ध देवी मानते थे। उनका स्वर्गिक नाम “चन्द्राधिष्ठात्री’ पृथ्वी का नाम ड़ायना या आर्टेमिस और पाताल का नाम सीकेट था। रोम और ग्रीस वाले इस देवी की सत्ता को हर जगह सामान्य रूप से मानते थे।भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवायाएक बार सिसरो नामक विद्वान ने कहा था कि रोम और ग्रीस मे डायना नाम की तीन देवियां है। प्रथम तो वह जो जियस और लाटेना से पैदा हुई थी, जिससे अपोलो देवता का जन्म भी हुआ था, दूसरी जियस के प्रोसीर पाइन नाम की पत्नी से जो कन्या पैदा हुई थी और तीसरी जो उपीस के ग्लेस नाम की पत्नी से जो कन्या जन्मी थी। तीनों को ही डायना देवी के नाम से पुकारा जाता है। परन्तु इन तीनों में जियस की लाटेना नामक स्त्री से जो कन्या पैदा हुई थी वही अधिक प्रसिद्ध समझी गई और उसी की अधिकतर पूजा हुआ करती थी। इसके सम्बन्ध में कहा जाता है कि यह डायना देवी कुमारी है और इनका सौंदर्य अवर्णनीय है। ये वन में ही विहार किया करती है। अनेक प्रकार के शस्त्र चलाने मे ये पूर्ण निपुण है, शिकार खेलने का इन्हे बडा हो शौक है। इसके साथ अनेक कुमारियां बराबर घूमा करती है। इसके सिर पर मुकुट शोभायमान है, हाथ मे तीन कमल और पीठ पर बाणों से भरा तरकस बंधा रहता है। कुत्ता इनका दास है।डायना का मंदिरपरन्तु जिस विश्व प्रसिद्ध डायना के मन्दिर का हम उल्लेख कर रहे है, उसकी मूर्ति में उपर्युक्त वर्णित डायना देवी के होने का आभास नही मिलता है। क्योंकि उस प्रकार की उनकी वेश-भूषा का वर्णन हमें उसमें नही मिलता है। इफिसास वाली डायना देवी की मूर्ति में अन्य विशेषताएं है। इस आकृति मे इनके वक्षःस्थल पर अनेकानेक स्तन है और उन स्तनों के चारो ओर राशिचक्र बने हुए है। इनमे बारह राशियां के चिन्ह वर्तमान हैं। इस चित्र से यह कल्पना होती है कि देवी डायना में मातृत्व प्रचुर मात्रा में था। वह अपने भक्तों को पुत्रवत् प्यार करती है तथा उनकी अभिलाषाओं की पूर्ति किया करती है।रूस में अर्जुन का बनाया शिव मंदिर हो सकता है? आखिर क्या है मंदिर का रहस्यएशिया माइनर के इफिसास नगर मे इसी देवी डायना का वह भव्य मंदिर था जिसे संसार के महान आश्चर्यों में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। ग्रीस देश की कारीगरी का यह मंदिर एक ज्वलंत उदाहरण था। वैसे तो ग्रीस देश के निवासी प्राचीन समय में कारीगरी आदि में काफी बढ़े-चढ़े थे और उनकी कारीगरी के कितने ही उदाहरण आज भी ब्रिटिश म्यूजियम में देखने को मिलते है, परन्तु डायना के मन्दिर का निर्माण कर उन्होंने अपनी कारीगरी को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा दिया था।डायना का मंदिर का स्थापत्य और विशेषताएंडायना का मन्दिर पर्वतीय तलहटी में एक विशाल झील के तट पर बनाया गया था। कहते हैं कि इस मन्दिर के निर्माण के लिये इस स्थान का चुनाव इसलिए किया गया कि उस स्थान पर भूकम्प से मन्दिर के क्षतिग्रस्त होने का उतना भय नहीं था। अकसर भूकम्प के प्रहार से बड़े-बडे मजबूत मकान भी ढ़ह जाते थे। इसीलिए पर्वत की तलहटी में सरोवर का वह तट डायना के मन्दिर के लिये सब प्रकार से पक्का एव उचित स्थान था। डायना के मंदिर के निर्माण मे कितना धन खर्च किया गया था, इसका कोई प्रमाण हमें नहीं मिलता पर इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसके ऊपर अपार धनराशि का व्यय किया गया होगा। विद्धानों का कहना है कि इस मंदिर की नीव बनवाने में जितना धन खर्च किया गया, ठीक उतना ही सारे मंदिर की शेष इमारत को बनवाने में खर्च किया गया था। इससे हम उस मंदिर की नींव की मजबूती की कल्पना कर सकते हैं।पहाड़ की जिस तलहटटी में इस मन्दिर को बनवाया गया था, उस पहाड़ से एक सोता निकला है। पहले इस सोते के पानी से तलहटी की सारी भूमि डूब जाया करती थीं। इसके परिणाम स्वरूप बड़ी कठिनाइयां उपस्थित हो जाती थी। कहते हैं कि सोते के पानी से वहां की भूमि को बचाने के लिये बडी-बडी कई नहरों जैसी नालियां बनवाई गई थीं। उन नालियों से होकर सोते का पानी काफी दूर चला जाता था और मन्दिर के आस-पास की भूमि डूबने से बच जाती थी। कहते है कि उन नालियों मे लगाने के लिये इतना पत्थर खोदना पडा था कि उस विशाल पर्वत के चारों तरफ का भाग ही लगभग खोद डाला गया था। इसके कारण वहां पर कितने ही गड्ढे हो गये थे।अपोलो की मूर्ति का रहस्य क्या आप जानते हैं? वे आश्चर्यप्लिनी नामक एक प्रसिद्ध विद्वान ने इस मंदिर की बनावट का जिक्र करते हुए लिखा है कि–“मंदिर की नींव को मजबूत करने का उद्देश्य कारीगरों के सामने प्रमुख था। इसके लिये पहले नींव की जमीन पर आग बिछाई गई थी, ताकि उस स्थान की नमी खत्म हो जाये। नमी भिट जाने से जमीन स्वतः काफी मजबूत हो गईं। इसके पश्चात् उस जमीन पर ऊन बिछाया गया था। मंदिर के बनाने में जो खर्च लगा था, उसके लिये काफी दूर-दूर से चंदा इकट्ठा किया गया था। लोगों ने खूब उत्साह के साथ चंदा दिया था। इस प्रकार पूरे 120 वर्षो मे मंदिर बनकर तैयार हुआ था। इस मंदिर की लम्बाई 285 हाथ के लगभग थी। मंदिर की सुन्दरता बढाने के लिये एव उसकी रक्षा के लिये उस में 127 खम्भें बनाये गये थे। प्रत्येक खंभे की बनावट में बहुत सा धन खर्च हुआ था। उनमें से प्रत्येक खंभे की ऊंचाई चालीस हाथ की थी। उनमें से कुछ खंभो पर बडी सुन्दर चित्रकारी भी की गई थी। उन चित्रकारियों को देखकर बनाने वाले की प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता था। मंदिर की विशालता और भव्यता का अन्दाजा हम इस उपर्युक्त कथन से लगा सकते है। विद्वानों का कहना है कि चान्दीक्रान नाम के किसी कारीगर ने इस मंदिर को बनाया था। पर जान पडता है इस महान कार्य को कोई एक कारीगर नहीं कर सकता था। इसलिये इस मंदिर को चॉन्दीक्रान की कृति मात्र समझ लेना भूल होगी। अवश्य ही इसके निर्माण में और भी बहुत से कुशल कारीगरों ने योगदान किया होगा।चीन की दीवार कितनी चौड़ी है, चीन की दीवार का रहस्यमंदिर के निर्माण में अधिकतर सफेद संगमरमर का उपयोग ही किया गया था। कीमती लकडी और सोने, का काम भी जहां-तहां किया गया था। इसमे अनेक सुन्दर मूर्तियां रखी गई थीं और मूल्यवान तस्वीरों से मंदिर को सजाया गया था। इसकी सजावट ऐसी थी कि देखने वाला देखते ही रह जाता था। कहते है कि इफिसास नगर की इस डायना के मंदिर और उसकी मूर्ति की ख्याति उन दिनों समस्त संसार में फैली हुई थी और संसार के प्राय हर हिस्से से लोग इफिसास के सौन्दर्य और डायना के भव्य मंदिर को देखने के लिये आते थे। कई वर्षो तक इस मंदिर की ख्याति संसार में फैलती रही थी। जो एक बार इसे देख लेता था वह उसकी अद्भुत कलाकारी की जी भर कर प्रशंसा करता था। सदियों तक मनुष्य की वह अद्भुत कृति मनुष्यों की बुद्धि को चक्कर में डालती रही है।डायना मंदिर का विनाश किसने किया था?इतिहासकार कहते हैं कि ‘नीरो’ नामक एक प्रसिद्ध लड़ाकू ने इफिसास पर आक्रमण किया। उसकी विजय हुई और इस प्रसिद्ध मन्दिर के रत्नों आदि को लूटकर वह चलता बना सौभाग्यवश मन्दिर की इमारत को उसने हानि नहीं पहुंचाई। पर उसकी भीतर की आभा को, उसकीशोभा को उसने आभाहीन कर दिया। उसमे जो बहुमूल्य मूर्तियों थी अथवा सोने और अन्य बहुमूल्य रत्नों से जो काम किया गया था उसे उस लुटेरे ने निकाल लिया। उसके कुछ वर्षो पश्चात् ही सम्राट गॉलिन्स के राज्यकाल मे गेथ नाम की असभ्य लुटेरी जातियों ने इफिसास को खूब लूटा-खसौटा और मन्दिर की इमारत का विनाश कर दिया। संसार का वह अपूर्व ऐश्वर्य लुटेरी असभ्य जातियों के प्रहारों को नहीं सह सका और अपनी याद छोडकर मिट्टी में मिल गया। लुटेरों ने मंदिर की इमारत को गिरा दिया और नीरो की लूट से बची हुई मूल्यवान मूर्तियों को और स्वर्ण आदि कीमती रत्नों को लूट कर ले गये। इतने पर भी मंदिर के समस्त वैभव को वे न मिटा सके। उसकेपश्चात् भी जिस अवस्था में वह मंदिर खडा था, वह संसार के लोगो के लिये आश्चर्य और कौतूहल से भरा हुआ था।Nazca Lines information in Hindi – नाजका लाइन्स कहा है और उनका रहस्यविद्वानों का मत है कि ईसा की छठी शताब्दी में जेस्टिसियन नाम का बादशाह इस मंदिर की शेष बची सारी मूर्तियां को करतुनतुनिया (कांसटेन्टिनोपल) में उठा कर ले गया। उसके पश्चात् मंदिर के बचे हुए स्तम्भों पर ईसाईयों के गिरजाघर का निर्माण कराया गया। इस गिरजाघर को ईसाई मतवालंबी संत सोफिया नाम के व्यक्ति ने बनवाया था। सन् 1736 ईस्वी में बिशप (बड़े पादरी) पोक्फ एशियामाइनर में आये थे और मंदिर के ध्वस्त खंडहरों को उन्होंने देखा था। उन्होंने एक पुस्तक लिखी ओर उसमें मंदिर के खंडहरों का आँखों देखा वर्णन किया–“मंदिर के दक्षिण और पश्चिम के कोने के भाग अब भी खाडे हुए हैं। उसके पश्चिम हिस्से में एक विशाल वृक्ष लगा हुआ है जो अब मुरझा गया है। जान पड़ता है कि किसी समय यह वृक्ष जब हरा-भरा रहा होगा इसकी छाया कास्टर नदी के तट तक फैली हुई रही होगी। मंदिर और उसका आंगन सशक्त चारदीवारी से घिरा हुआ है। अब भी इसको देखने में आदमी की बुद्धि का चमत्कार दिखलाई पड़ता है। सचमुच इसके बनाने वालों में अपूर्व कारीगरी होगी, क्योंकि ऐसा अद्भुत मंदिर बनाना मामूली मस्तिष्क का काम नही है। जिसको देखने मात्र से हमारे आश्चर्य और विस्मय का ठिकाना नहीं रहता, उसके निर्माण में कारीगरों को किन-किन कठिनाईयों से गुजरना पडा होगा, इसकी कल्पना हम सहज ही नहीं कर सकते। मन्दिर के आंगन में पत्थरों का ढेर लगा हुआ है मंदिर के कुछ हिस्से और स्तम्भ सफेद संगमरमर के बने हुए हैं। इसके निर्माण मे कितना धन व्यय किया गया होगा, इसकी कल्पना करना बहुत ही कठिन है।””मिस्र के पिरामिड का रहस्य – मिस्र के पिरामिड के बारे में जानकारीहमने पहले लिखा है कि जिस स्थान पर मंदिर की इमारत खड़ी थी वहा पर संत सोफिया नाम के ईसाई ने गिरजाघर बनवा दिया था। परन्तु आज भी वहां पर मंदिर के कुछ टूटे-फूटे भाग वर्तमान में मौजूद हैं, जो इफिसास की पौराणिक कारीगरी की गौरव कथा का गान कर रहे है। ब्रिटिश म्यूजियम में भी मंदिर के कुछ अवशेष रखे हुए है। आज जो कुछ भी है वह केवल चिन्ह मात्र है। जब इफिसास का हरा-भरा विश्व प्रसिद्ध नगर ही लोप हो गया तो फिर उस डायना के मंदिर की इमारत का क्या कहना। पहले जहां पर इफिसास नगर बसा हुआ था, वहां पर अब खेती होती है। कहीं कहीं नगर की पुरानी इमारतों के खंडहर आज भी दिखाई पडते है।कहते हैं कि इफिसास नगर में तीन प्रसिद्ध गिरजाघर बने हुए थे। उनमें से एक तो वही था जो इफिसास के डायना के मंदिर की नींव पर बनाया गया था। इसमें से दो गिरजाघर तो समयान्तर मे गिर पड़े। शेष एक पर बाद मे मुसलमानों ने एक मस्जिद बनवा दी। इफिसास नगर से पास ही तुर्क जाति के लोगों ने एक नया नगर बसाया। कहते हैं कि इस नगर के निर्माण में इफिसास के खण्डरों का अनेक प्रकार का सामान, चौखट, किवाड़ और ईट आदि लगाये गये। कुछ लोगो का यह भी कहना है कि इफिसास के खंडहरो के सामान से ही तुर्को का यह नया नगर बन कर आबाद हो गया था।सहारा रेगिस्तान कहा पर स्थित है – सहारा रेगिस्तान का रहस्यब्रिटिश म्यूजियम में अभी भी डायना की एक मूर्ति रखी हुई है। पर यह इफिसास नगर वाली डायना देवी की मूर्ति नही है। उस मूर्ति का क्या हुआ, इसका कोई अता-पता नहीं चला। संभव है उसे गेथ जाति के असभ्य लुटेरों ने तोड़-फोड डाला हो, अथवा बादशाह जेस्टिसियन उसे भी कस्तुनतुनिया उठाकर ले गया हो। जो भी हो उस मूर्ति के सम्बन्ध में कोई पता नहीं चलता है। ब्रिटिश म्यूजियम में जो डायना की मूर्ति रखी हुई है, उसके विषय में लोगों का कहना है कि रोम नगर से चार मील पश्चिम की ओर एक स्थान पर यह मूर्ति सन् 1772 ई में पाई गई थी। यह मूर्ति संगमरमर के पत्थर की बनी हुई है। इसकी कमर मे धोती की तरह का वस्त्र लिपटा हुआ है और कमर के ऊपर का हिस्सा कुर्ते की तरह के एक वस्त्र से ढका हुआ है इसके दाहिने हाथ में एक बल्लम है और देखने से ऐसा जान पडता है कि वह बल्लम चलाने की तैयारी में हैं। कई प्रसिद्ध शिल्पियों का कहना है कि इस मूर्ति के हाथ बाद में नये बनाकर लगाये गये है। क्योंकि डायना देवी के जिस हाथ में बल्लम है, वास्तव में उसका वही हाथ तरकस में रखे हुये तीर पर होना चाहिये और भी अन्य मूर्तियां जो डायना देवी की पाई गई हैं, उनमें ऐसी ही मुद्रा है, इसी आधार पर शिल्पी मूर्ति के बल्लम वाले हाथ को बाद का बनाया हुआ बतलाते है। इस मूर्ति के पीठ पर तरकस का चिन्ह अभी तक भी विद्यमान है, पर वहां तरकस नहीं है। कहते हैं कि तरकस पीतल का बना हुआ था, और उसे किसी ने निकाल लिया।ईस्टर द्वीप की दैत्याकार मूर्तियों का रहस्य – ईस्टर द्वीप का इतिहासयद्यपि इफिसास नगर मिट गया और वहां का विश्व प्रसिद्ध डायना का मंदिर का निशान भी बाद मे जिस तरह मिट गया, पर उन महान कारीगरों की याद आज भी बनी हुई है और सदियों तक बनी रहेगी जिनकी कृतियां हजारों वर्षो बाद भी संसार मे आश्चर्य और विस्मय की वस्तु बनी हुई है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-[post_grid id=”9142″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... दुनिया के प्रसिद्ध आश्चर्य विश्व प्रसिद्ध अजुबे