ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता है Naeem Ahmad, July 29, 2022April 1, 2024 ए° सी० बिजली किफायत की दृष्टि से 2000 या अधिक वोल्ट की तैयार की जाती है। घर के साधारण कामों के लिए इतना वोल्टेज बहुत अधिक है, और इसलिए कोई ऐसी मशीन चाहिए जो बिजली की मात्रा को तो कम न करे पर वोल्टेज को कम कर दे । यह काम ट्रांसफार्मर यंत्र द्वारा निकाला जाता है।ट्रांसफार्मर का आविष्कार तथा ट्रांसफार्मर बनाने के सिद्धान्त का श्रेय भी माइकल फैराडे को है। उसने लोहे के गोल छड़ पर तारों की दो कुंडलियाँ लपेटी। एक कुंडली के दोनों सिरों को उसने बैटरी से संयुक्त कर दिया। दूसरी कुंडली के दोनों सिरों को उसने गैलवेनो मीटर ( धारा सूचक ) से जोड़ा। पहली कुंडली में जैसे ही बिजली की धारा भेजी गयी, गैलवेनो मीटर की सुई हिलने लगी जिससे स्पष्ट हो गया कि कहीं से दूसरी कुंडली में भी बिजली की धारा पैदा है। एक कुंडली की धारा ने दूसरी कुंडली में “आवेश धारा” (इंडयूस्ड करेंट) पैदा कर दी। इस प्रयोग ने ट्रांसफार्मर को जन्म दिया। ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया पहली कुंडली को जिसमें बिजली की धारा बैटरी से गई थी, हम प्राथमिक कुंडली (प्राइमरी कॉयल) कहेंगे, ओर दूसरी कुंडली की जिसमें धारा आवेश से उत्पन्न हुई, हम द्वतीयिक कुंडली( सेकेंडरी कॉयल ) कहेंगे। यह बात बड़ी विलक्षण देखी गयी कि दोनों कुंडलियों में तारो के लपेट की संख्या बराबर हो तो दोनों की धारायें भी एक ही बोल्ट की होंगी। पर यदि एक कुंडली में दूसरे की अपेक्षा 10 गुने अधिक लपेट हैं तो इसकी धारा का वोल्टेज भी दस गुना होगा।ट्रांसफार्मरमान लीजिए कि डायनेमो से 2000 बोल्ट वाली उत्पन्न बिजली प्राथमिक कुंडली में भेजी गयी। द्वितीयिक कुंडली इस प्रकार की ली गयी जिसमें तार के लपेटों को संख्या प्राथमिक के लपेटों की संख्या का 1/10 है। तो इस द्वैतीयिक कुंडली में उत्पन्न आवेश धारा का वोल्टन 200 ही होगा (प्राथमिक के वोल्टन का 1/10 )। यही ट्रांसफार्मर का सिद्धांत है और इसी सिद्धान्त पर ट्रांसफार्मर बनाए जाते हैं। उनकी प्राथमिक कुंडली में तार अधिक लपेटों के होते हैं, और द्वैतीयिक में कम।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं यह याद रखना चाहिए कि यदि किसी धारा का वबोल्टन बढ़ा दिया जाय तो एम्पीयर मात्रा उसकी कम हो जायगी। अगर किसी धारा की माप 100 वोल्ट पर 10 एम्पीयर है, तो यदि वोल्टेज 1000 कर दिया जाय तो उसकी एम्पीयर मात्रा 1 हो जायगी। हम बिजली की सामर्थ्य को बहुधा वाट ( Watt) में नापते हैं। वोल्टेज को एम्पीयर मात्रा से गुणा करने पर जो अंक आता है वह वाट-संख्या होती है। 10 एम्पीयर ×100 वोल्ट= 1000 वाट (या एक किलोवाट)। वोल्टेज घटाने बढ़ाने पर एम्पीयर मात्रा इस प्रकार बढ़ती-घटती है कि वाट संख्या में कमी-बढ़ती नहीं होती।यह ध्यान रखने की बात है कि ट्रांसफार्मरों का उपयोग केवल ए० सी० बिजली के लिए हो सकता है न कि डी० सी० के लिए। बात यह है कि जैसा हम ए० सी० बिजली बनाते समय कह आये हैं कि बिजली चुम्बक के धुमाने या बाहर खींचने पर ही पैदा होती थी, उसी प्रकार यहाँ भी द्वैतीयिक कुंडली में आवेश बिजली केवल उसी क्षण उत्पन्न होती हैं जिस क्षण प्राथमिक कुंडली में बिजली घुसती है, अथवा जिस क्षण इसका प्रवाह रोका जाता है। घुसने के समय उत्पन्न बिजली की दिशा और होती है ओर बंद हीने के क्षण पर ओर। आवेश से बिजली बराबर पैदा होती रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि प्राथमिक कुंडली में लगातार धारा घुस और बन्द हो। ऐसा करने के लिए यंत्र में जोड़-तोड़’ ( मेक ओर ब्रेक ) का प्रबन्ध किया जाता है जैसा कि बिजली की घंटी में होता है।बड़ी समाई वाले ट्रांसफार्मर काम करते-करते गरम हो उठते हैं। अत: इनकी कुंडलियों को तेल में डुबा कर ठंढा रखना पड़ता है। आजकल इतने भीमकाय ट्रांसफार्मर बन गए हैं कि यदि कहीं फेरेडे जन्म लेकर आ जाय तो उसे स्वयं आश्चर्य होगा कि उसका नन्हा सा ट्रांसफार्मर आज वाट का कितना बड़ा वृक्ष बन चुका है।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांतलंदन के बार्किंग पॉवर स्टेशन में 3 ट्रांसफार्मर हैं जिनमें 12500 से लेकर 33000 वोल्ट धारा का प्रयोग होता है। इनकी सामर्थ्य 10 करोड़ वोल्ट-एम्पीयर ( 12500 अश्वबल है )। प्रत्येक ट्रांसफार्मर में 43 मील लंबें ताँबें के तार हैं। कुंडली का भार 120 टन है, आर इसे ठंडा रखने के लिए 6000 गेलन तेल चक्कर लगाता रहता है। तेल को पानी के प्रवाह में ठंडा रखते हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”8586″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व के प्रमुख आविष्कार प्रमुख खोजें