झूलन गोस्वामी बायोग्राफी – झूलन गोस्वामी का जीवन परिचय Naeem Ahmad, April 7, 2020March 28, 2024 झूलन गोस्वामी सितंबर 2007 में उस समय अचानक सुर्खियों में आई, जब उन्हें विश्व की सबसे तेज गेंदबाज होने के नाते आईसीसी रैंकिंग में महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया। दक्षिण अफ्रीका के जॉहन्सबर्ग में हुए आईसीसी पुरस्कारों में जब झूलन गोस्वामी का नाम पुकारा गया तो आश्चर्यचकित रह गए। इस पुरस्कार के साथ वे उस स्थान को प्राप्त कर पायीं जहां अब तक कोई भारतीय पुरूष क्रिकेटर नहीं पहुंच सका। 2007 में किसी पुरूष भारतीय क्रिकेटर को आईसीसी का व्यक्तिगत अवार्ड नहीं मिला। पश्चिम बंगाल के नदियां जिले के ग्रामीण अंचल चकदा में झूलन गोस्वामी का जन्म 25 नवंबर 1983 को हुआ था। 5 फुट 11 इंच लम्बी झूलन को 24 साल की आयु में आईसीसी का महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया। झूलन गोस्वामी के माता पिता का नाम निशित गोस्वामी तथा माता झरना गोस्वामी है। उनके.पिता इंडियन एयरलाइंस में कार्यरत है। झूलन को बाबुल नाम से भी पुकारा जाता है।झूलन गोस्वामी जीवनी इन हिन्दीझूलन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। वे पड़ोस के लड़को के साथ क्रिकेट खेला करती थी। जब वह उनके साथ खेलती थी तो वे उन्हें गेंदबाजी नहीं करने देते थे, क्योंकि वे बहुत धीमी गति से गेंद फेंका करती थी। और बच्चे उनकी गेंद पर चौके छक्के लगाया करते थे। लड़के झूलन की गेंदबाजी का मजाक बनाया करते थे। इससे उन्हें गंदा फील न होता था, बल्कि उन्होंने इसे एख चैलेंज के रूप में लिया और अपनी गेंदबाजी पर अधिक ध्यान देना शुरु कर दिया। और अपनी गेंदबाजी प्रदर्शन में सुधार के कड़ी मेहनत शुरु कर दी। इसके बाद एम.आर.एफ एकेडमी से ट्रेनिंग लेकर झूलन ने कुछ टिप्स प्रसिद्ध खिलाड़ी डेनिस लीली से भी ली। इसके बाद उनकी मेहनत रंग लाई और वे 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करने लगी, जितनी गति पुरूषों की टीम में होती है। आज उनकी गेंदबाजी पूर्णतः सटीक रहती है। उनके रन अप में गजब की लयबद्धता है। झूलन अपने कोच की प्रशंसा करना नहीं भूलती। महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने जाने पर झूलन गोस्वामी का अपने कोच स्वपन साधु के बारे में कहना था कि मेरे माता पिता मेरे बारें में चिंता करते थे। लेकिन मेरे कोच स्वपन साधु ने उन्हें समझाया कि अब महिलाएं भी क्रिकेट खेलती है और पास में ही कोलकाता में महिला क्रिकेट खेली जाती है। मै तब 13 वर्ष की थी तब मेरे माता पिता ने कोलकाता जाकर क्रिकेट खेलने की अनुमति दे दी। आज मैं जहां भी हूँ अपने कोच के कारण है।मदनमोहन मालवीय का जीवन परिचय हिन्दी मेंझूलन अपने क्रिकेट खेल के कारण चार बार बारहवीं की परीक्षा नहीं दे सकी। वे चाहती है कि वह अगले साल इस परीक्षा को अवश्य पास करें। एक बार 14 साल की उम्र में झूलन दिसंबर के सर्दी भरे दिनों में न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के बीच ईडन गार्डन कोलकाता में होने वाले वर्ल्डकप फाइनल को देख रही थी। वे उस खेल को देखकर इतनी रोमांचित हो उठी कि उन्होंने निश्चय किया कि वे एक दिन भारतीय टीम में अवश्य खेलेंगी। जब सितंबर 2007 में उन्हें विश्व की सबसे तेज महिला गेंदबाज होने के नाते महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर का पुरस्कार भारतीय क्रिकेट (पुरूष) कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के हाथों मिला तो उन्हें लगा कि उनका स्वपन पूरा हो गया है और वह भी एक बार नहीं दो बार।लाला लाजपत राय का जीवन परिचय हिन्दी मेंयहां तक पहुंचने के लिए झूलन ने कड़ी मेहनत की है। वह सुबह 4:30 बजे उठकर नादिया से दक्षिण कोलकाता के विवेकानंद पार्क तक लोकल ट्रेन से जाया करती थी, यहां उनके कोच स्वप्न साधु उन्हें क्रिकेट की ट्रेनिंग दिया करते थे। एक दिन क्रिकेट खेलकर रात को देर से घर पहुंचने पर उनकी मां ने उन्हें कई घंटे घर के बाहर खडे रखा था। झूलन के पिता भी उन्हें क्रिकेटर बनाने के पक्ष में नहीं थे। आज झूलन गोस्वामी को नादिया एक्सप्रेस नाम से भी जाना जाता है। क्रिकेट आस्कर जीतने वाली झूलन ने भारत को जीत दिलाने में कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह अवार्ड फेवरिट मानी जा रही आस्ट्रेलिया की बल्लेबाज लिजा स्थालेकर और इंग्लैंड की क्लेयर टेलर को पीछे छोड़कर जीता।सैयद हसन इमाम का जीवन परिचय हिन्दी मेंझूलन ने अपना पहला टेस्ट मैच लखनऊ में इंग्लैंड की टीम के विरुद्ध 14-17 जनवरी 2002 को खेला था। तब वह केवल 18 साल की थी। उन्होंने 2007 तक 8 टेस्ट मैच खेले जिनमें 33 विकेट हासिल किए। उन्होंने 79 एकदिवसीय मैचों में 96 विकेट हासिल किए। झूलन के लिए वह यादगार खेल रहा जब 2006 में उनके ही बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर भारत को इंग्लैंड से विजय मिली। लीसेस्टर में हुई इस सीरीज में एक मैच टांटन में झूलन ने 78 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। (33 रन पर 5 विकेट तथा 45रन पर 5 विकेट)। इंग्लैंड की महिला खिलाड़ियों को इसके पूर्व किसी भारतीय पेसर द्वारा इतनी तेज गेंदबाजी का सामना नहीं करना पड़ा था। अतः ब्रिटिश मीडिया द्वारा झूलन की आलोचना भी की गई। तब भारत ने न केवल सीरीज जीती, बल्कि झूलन को प्लेयर ऑफ द सीरीज अवार्ड भी दिया गया।झूलन गोस्वामीझूलन के अनुसार — ज्यादा लोग नहीं जानते की महिलाएं भी क्रिकेट खेलती है। लेकिन अब मीडिया कवरेज के बाद भारत में महिला क्रिकेट को भी जाना जाने लगा है। यद्यपि 2005 में आस्ट्रेलियाई से विश्व कप हारना भारत की कमजोरी रही, लेकिन झूलन ने अपना खेल प्रदर्शन बेहतर करते हुए उपकप्तानी हासिल कर ली। एक दिवसीय मैचों में झूलन गोस्वामी ने भारतीय महिला क्रिकेट में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उनसे अधिक विकेट लेने वाली नीतू डेविड रही जिन्होंने 130 विकेट लिए और अब वे खेल से रिटायर हो चुकी है। झूलन ने जून 2007 में भारत में हुए एफ्रो एशिया टूर्नामेंट में एशियाई टीम की ओर से भी क्रिकेट खेला था।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं खेल जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियां• झूलन गोस्वामी 2007 में आईसीसी अवार्ड में व्यक्तिगत अवार्ड पाने वाली एकमात्र भारतीय क्रिकेटर है।• झूलन की गेंदबाजी की गति 120 किमी प्रति घंटा है जो विश्व महिला क्रिकेट में सर्वाधिक है। अतः उन्हें आईसीसी द्वारा विश्व की सबसे तेज महिला गेंदबाज आंका गया है।• झूलन को सितंबर 2007 में महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया। यह उपलब्धि क्रिकेट का ऑस्कर पाने के समान है।• झूलन ने 8 टेस्ट मैचों में 33 विकेट लिए है तथा 540 रन बनाएं है।• झूलन ने 79 एकदिवसीय मैचों में 96 विकेट लेकर भारत की दूसरी सर्वाधिक विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर बनने का गौरव पाया है।• झूलन ने 79 एकदिवसीय मैचों में 1994 रन बनाए है।• झूलन को मुम्बई के कैस्ट्रोल अवार्ड मे 2006 स्पेशल अवार्ड दिया गया।• झूलन गोस्वामी को 2010 में अर्जुन अवार्ड तथा 2012 में पदमश्री से सम्मानित किया गया। हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:—[post_grid id=’21134′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit 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