जोसेफ हेनरी का जीवन परिचय और जोसेफ हेनरी की खोज Naeem Ahmad, June 4, 2022March 25, 2024 परीक्षण करते हुए जोसेफ हेनरी ने साथ-साथ उनके प्रकाशन की उपेक्षा कर दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्युत विज्ञान के इतिहास में उचित सम्मान न हेनरी को ही मिल सका और न अमरीका को ही । न्यूयार्क स्टेट की ऐल्बनी एकेडमी का यह प्रोफेसर चुम्बक-विद्युत के क्षेत्र में ‘इण्डक्शन’ के सम्बन्ध में माइकल फैराडे से वर्षों पूर्व अनुसंधान कर चुका था। किन्तु कुछ स्वाभाविक लज्जा के कारण और कुछ उपेक्षा वृत्ति के कारण, अपनी उन खोजों को समय पर प्रकाशित न कर सका। उन दिनों कुछ ऐसे अतिवादी देशभक्त भी थे जिन्होंने हेनरी को इसलिए देशद्रोही करार दिया कि उसने अपनी वैज्ञानिक गवेषणाओं को कुछ लिखित रूप नहीं दिया।जोसेफ हेनरी का जीवन परिचयजोसेफ हेनरी का जन्म न्यूयार्क में ऐल्बनी के निकट एक छोटे-से फार्म पर 17 दिसम्बर 1797 को हुआ था। परिवार बहुत ही गरीबी से गुज़र रहा था, जिसका परिणाम यह हुआ कि बालक की शिक्षा उपेक्षित हो गई। लगभग सारा दिन ही वह खेतों पर ही अपने बड़ों की मदद में लगा रहता। लेकिन खुद ही अभ्यास करते-करते वह जो भी पुस्तक हाथ में लगती, प्रायः रोमांचकारी उपन्यास, उसे पढ़ गया। 14 साल की उम्र में उसे एल्बनी भेज दिया गया ताकि एक स्टोर में क्लर्की करके अपनी रोटी आप कमाए। किन्तु यहीं उसके सम्मुख रंगमंच का कल्पना-लोक भी प्रसंग से खुद खुल आया। दो साल समय-समय पर अभिनय भी करते हुए, इस क्षेत्र में अब उसका कुछ भविष्य भी बनने को था, वह अब एक और ही, किन्तु यथार्थ के लोक की, विज्ञान की दुनिया की खोज कर गया।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैजोसेफ हेनरी ने एल्बनी एकेडमी में दाखिले के लिए दरख्वास्त दे दी क्योंकि सौभाग्य से यहां पढाई के लिए सन्ध्या कालीन सत्र की व्यवस्था थी। और सात महीनो मे ही जसमें हैडमास्टर की सहानुभूति और प्राइवेट ट्यूशन का भी योग कुछ कम नही था, वह गांव के स्कूल मे टीचरी करने लायक हो गया। रोटी और गुजारे के लिए स्कूल में अध्यापक, ओर शाम के वक्त एकेडमी में अपनी पढाई भी जारी रही। बाकी और कुछ करने के लिए अब वक्त बहुत बचता ही न था, सारा दिन पढ़ाने के लिए और पढ़ने के लिए स्कूल और एकेडमी के बीच चलते-फिरते गुजर जाता। एक और खुशकिस्मती कि एकेडमी के रसायन विभाग में एक प्रयोगशाला सहायक की नई जगह निकली। हेनरी ने मिलजुलकर यह नौकरी हासिल कर ली। यहां अब हेनरी के पास मौका ही मौका था। खुद परीक्षण करते रहने का और विद्याथियों को लेक्चर देने के लिए भी प्रदर्शन जुटाते रहने का। उधर स्वाध्याय मे भी अवरोध नही आने पाया। गणित और विज्ञान जोसेफ हेनरी के प्रिय विषय थे।प्रेशर कुकर का आविष्कार किसने किया और कब हुआएल्बनी एकेडमी मे हेनरी ने सम्पूर्ण पाठयक्रम को समाप्त कर लिया। अब ईरी नहर पर एक नौकरी मिलने पर उसे सचमुच बडा दुख हुआ कि उसे प्रयोगशालाओं से विदा होना पड रहा है। उसकी नई नियुक्ति एक सर्वेइंग इंजीनियर की थी। नहर की सफलता को कुछ भी समय प्रतीक्षा नही करनी पडी। न्यूयार्क सिटी और न्यूयार्क राज्य को इससे बडा ही आर्थिक लाभ हुआ। कितने ही और राज्यों मे पब्लिक वर्क्स में जैसे एक युगान्तर-सा ही इससे आ गया कि हर कही न्यूयार्क की प्रतिस्पर्धा होने लगी। हेनरी की प्रतिभा और योग्यता से सम्पन्न नवयुवकों के लिए इजीनियरिंग की कितनी ही बडी-बडी नौकरियां अब खुली थी। किन्तु हेनरी ने 1826 में अभी वह 29 बरस का नौजवान ही था, इन नई नौकरियों से कुछ भी फायदा न उठाते हुए, एल्बनी एकेडमी में विज्ञान और गणित के प्रोफेसर-पद को ही स्वीकार किया।जोसेफ हेनरीअध्यापन-कार्य उसका सारा दिन ही ले जाता, और उसमे उसे मेहनत भी कुछ कम नही करनी पडती। एक लोकप्रिय अध्यापक को यह सज़ा तो भुगतनी ही पडती है। और उसका व्यक्तित्व भी अंग-अंग मे अनुपात, शुभ्र चिबुक, नीली आखें, प्रकृति के खुले वातावरण में गुज़ारे दिनो की बदोलत चमडी में भी कुछ-कुछ पीतल का-सा रंग कुछ कम आकर्षक नही। प्रयोगशालाओं मे कभी वह एक सहायक भी तो रहा था, इसलिए परीक्षा-प्रदर्शन मे वह सिद्धहस्त था ही, और छोटी-उम्र मे कुछ अभिनय भी कर चुका था। वही कला अब क्लास रूम्स मे भी कुछ न कुछ नाटकीयता सी ले आती। सर्दियों में तो स्कूल का काम ही दम न लेने देता किन्तु जब गर्मियों के लिए विद्यार्थी छुट्टी पर जाना शुरू कर देते, हेनरी को अपने अनुसन्धान गवेषणाओं के लिए अवसर मिल जाता।जोसेफ हेनरी का आविष्कारइंग्लैंड में विलियम स्टर्जन ने इलेक्ट्रो-मेग्नेट का आविष्कार कर लिया था। एक कोमल लोह-छड को लेकर उसने घोडे की नाल की शक्ल में मोड़ दिया। छड को पालिश करके चमका दिया गया और उस पर तांबे का नंगा तार, एक ही परत में लपेट दिया गया। इस तार में से जब बिजली गुजारी गई तो छड़ में चुम्बक के गुण प्रत्यक्ष होने लगे। कहते हैं स्टर्जन की विद्युत-चुम्बकित छड़ में 5 सेर लोहे को आकर्षण द्वारा थामे रखने की ताकत थी। जोसेफ हेनरी ने भी यही परीक्षण अपने यहां कर देखा और उसमे कुछ बेहतरी भी वह ले आया। तार को रेशम में लपेटकर अब वह उसके कितने ही चक्कर छड़ के गिर्द दे सकता था ताकि तार की इन परतों मे शार्ट-सर्किट का अंदेशा भी न रहने पाए। हेनरी के चुम्बक में 1200 सेर भार उठाने का सामर्थ्य था।जेम्स क्लर्क मैक्सवेल बायोग्राफी – मैक्सवेल के आविष्कार?विद्युत-चुम्बक के निर्माण से अब हेनरी को प्रेरणा मिली कि चुम्बक की शक्ति को किसी तरह विद्युत मे परिवर्तित किया जाए। रेशम मे लिपटे तार को कोमल लोहे के गिर्दे लपेटकर उसके सिरों को उसने गेल्वेनो मीटर से जोड दिया। लोहे की छड़ को इलेक्ट्रो मेग्नेट के ध्रुवो पर लम्बा लिटा दिया गया। इधर इशारा हुआ और उधर एक सहायक ने इलेक्ट्रो-मेग्नेट का सम्बन्ध एक बेट्री के साथ कर दिया। हेनरी की आंख गैल्वेनो मीटर पर थी उसमें एक क्षण के लिए वोल्टेज का कुछ संकेत हुआ और इस बार सहायक ने कॉयल और गेल्वेनो मीटर को डिस्कनेक्ट कर दिया। इस बार भी दूसरे कॉयल में वोल्टेज पैदा हुई, लेकिन उलटी दिशा में। विद्युत चुम्बकीय अभिप्रेरणा का सिद्धान्त जोसेफ हेनरी ने खोज निकाला था किन्तु प्रकाश में न लाने के कारण उसका श्रेय माइकल फैराडे को मिल गया, और ऐसा उचित भी था।विलियम वेडरबर्न का जीवन परिचय हिन्दी मेंकिन्तु इस प्रश्न का एक पहलू फैराडे को सूझा ही नही। यह पहलू था–स्वात्म-अभिप्रेरण (सेल्फ-इण्डक्शन) की संभावना का। इसी के (1829 में) आविष्कार का श्रेय अब भी सौभाग्य से जोसेफ हेनरी को ही दिया जाता है। तार के एक चक्कर में से यदि बिजली गुजर रही है तो इसके गिर्द भी एक तरह का चुम्बकीय क्षेत्र-सा बन आएगा। किन्तु सर्किट कटा नही कि यह क्षेत्र अदृश्य हुआ नही। जब तक बिजली उसमें रहेगी, उसमें कुछ न कुछ वोल्टेज भी बदस्तूर रहेगी। होता यह है कि चुम्बकीय क्षेत्र में उसकी अपनी ही धारा में, उत्थान-पतन के साथ जो परिवर्तन आता है वही यह वोल्टेज पैदा कर जाता है। और क्योकि यह वोल्टेज कॉयल की, और खुद कॉयल में ही पैदा की हुई होती है। इस स्थिति का यथार्थ नाम ‘स्वात्म-अभिप्रेरण’ है।पानी के जहाज का आविष्कार कब हुआ तथा किसने कियाइधर एल्बनी मे हेनरी के परीक्षण चल रहे थे और उसका विचार था कि विज्ञान की दुनिया अभी उसकी बराबरी नहीं कर सकती, उधर लन्दन मे फैराडे भी अपनी प्रयोगशाला में व्यस्त था। फैराडे ने अपने निष्कर्षों को 1832 मे प्रकाशित कर दिया और बाज़ी ले गया। जोसेफ हेनरी की तो धारणा थी कि इस दौड़ मे मीलों कोई भी वैज्ञानिक उसके निकट नही है। खैर, अब कुछ वैज्ञानिक मित्रों ने ही जब प्रेरणा दी, तब कही, हेनरी ने अमेरिकन जर्नल आफ साइन्स’ में प्रकाशतार्थ एक लेख-माला तैयार की। इन लेखों की बदौलत, ओर लेखों के आधारभूत अनुसन्धानो की बदौलत भी कुछ कम नही, हेनरी को प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की फैकल्टी मे एक नियुक्ति मिल गई। यहां 1832 से 1846 तक चौदह साल लगातार प्रोफेसर हेनरी ने अध्यापन तथा अनुसन्धान में व्यतीत किए।डॉक्टर हरगोविंद खुराना की जीवनी – डॉक्टर हरगोविंद खुराना जीवन परिचयकही भी पूछ बैठिए कि टेलिग्राफ का आविष्कार किसने किया था तो अधिकतर एक ही जवाब मिलेगा, सेमुएल एफ० बी० मोर्स ने। लेकिन सच कुछ और है। मोर्स से बरसों पहले हेनरी के यहां टेलिग्राफ सिस्टम का एक मील तक चालू एक मॉडल तैयार हो चुका था। यही नहीं, उसने एक बिजली का रिले-सिस्टम भी ईजाद कर लिया था कि सिग्नल को जब तक चाहें, लगातार दोहराया जा सके। आज भी हम रिले के द्वारा ही हर कहीं सन्देश पहुंचाते हैं और यद्यपि अरबों रिले आज ईजाद हो चुके हैं, हेनरी के तरीके को अभी तक मात नहीं किया जा सका। तब भी यही तरीका था, और आज भी वही तरीका। छोटे-मोटे कुछ परिवर्तनों के साथ इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रो मैग्नेट का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि वह एक चुम्बकित द्रव्य (आर्मेचर ) को अपनी ओर खींचे। यह आर्मेचर आजकल इस तरह रखा जाता है कि उससे बिजली का सर्किट बन्द हो जाए। हेनरी ने अपने टेलिग्राफ सिस्टम का प्रदर्शन मोर्स तथा ब्रिटिश टेलिग्राफ सिस्टम के जनक चार्ल्स व्हीटस्टोन के सम्मुख किया भी था।निकोलस कोपरनिकस बायोग्राफी इन हिन्दी – निकोलस कोपरनिकस के सिद्धांत व खोजऔर इसमें कुछ भी झूठ नहीं है कि अमेरिका की सारी टेलिग्राफ व्यवस्था मोर्स के ही अथक परिश्रम तथा उद्योग का फल है। हेनरी के विधान में एक घंटी होती है और एक स्विच होता है। जबकि मोर्स की मूल स्थापना ही यह थी कि सन्देश के संचरण में विशुद्धतार्थ किसी प्रकार के आत्म-चालन की व्यवस्था भी होनी चाहिए और, साथ ही, उन सन्देशों को स्थायी तौर पर ग्रहण कर सकने के लिए भी कुछ होना चाहिए। इस सबके लिए मोर्स ने कुछ व्यवस्था सफल भी कर ली जिससे कि कागज के एक टेप पर बिन्दुओं और रेखाओं को अंकित किया जा सके। और इस टेप का ही बाद में अनुवाद करके तार अपने ठिकाने पहुंचा दिया जाए। लेकिन कुछ ही वक्त बाद ऑपरेटरों को इतना अभ्यास हो गया कि वे सीधे ही इन चिह्नों को शब्दवत पढ़ने लग गए। नतीजा यह हुआ कि मोर्स की पेचीदा मशीनरी व्यर्थ हो गई और टेलिग्राफ व्यवस्था मुलत: वही हेनरी वाला स्विच और घंटी की आवाज़ ही रह गई।अमर्त्य सेन की बायोग्राफी – अमर्त्य सेन की जीवनी,नोबेल पुरस्कार, सिद्धांत1842 में हाइनरिख हेत्श के परीक्षणों से 50 साल पहले प्रोफेसर जोसेफ हेनरी ने रेडियो की तरंगों का आदान-प्रदान प्रत्यक्ष कर दिखाया था। परीक्षणशाला में एक ‘स्पाक गप’ का इन्तज़ाम करके उसने देखा कि 30 फुट परे पड़ा एक और कॉयल एक सुई को चुम्बकित करके एक रिसीवर ही बन चुका है, हालांकि उसका सम्बन्ध किसी विद्युत-स्रोत से नही था। कुछ वक्त बाद हेनरी ने अपने इस परीक्षण को प्रकाशित भी किया, किंतु वक्त से वह इतना आगे था कि कोई वैज्ञानिक उसके लिखे को पढ़कर कुछ समझ ही नही पाया।एक ब्रिटिश रसायनशास्त्री एव खनिज-विशेषज्ञ जेम्स स्मिथसन जो जीवन में कभी भी अमेरीका नही आया था, अमेरीकी सरकार के नाम 25 लाख रुपया छोडकर मर गया कि इस रकम से एक वैज्ञानिक संस्था स्थापित की जा सके। 1846 में इस धन को कांग्रेस के एक एक्ट द्वारा स्वीकार करते हुए स्मिथसोनियन इन्स्टीट्यूशन की विधिवत स्थापना कर दी गई। वाशिंगटन डी० सी० में अवस्थित यह संस्था एक संग्रहालय भी है और एक अनुसन्धान शाला भी। जोसेफ हेनरी ने इसके अध्यक्ष-पद को स्वीकार किया और 1878 मे अपनी मृत्यु तक इसके भार को खूब निभाया। इसका भवन 1852 में हेनरी के निरीक्षण में ही बना और आज तक वाशिंगटन में आने वाले यात्रियों के लिए यह आकर्षण का एक केन्द्र है। हेनरी ने इसमें एक मौसम विभाग की स्थापना भी की जिसका काम था ऋतु-सम्बन्धी समाचारों को देश-भर में फैले 500 अन्वीक्षकों की सहायता से तार द्वारा संकलित करे। यहां से ऋतु-चक्र-सम्बन्धी नक्शे भी प्रकाशित होते और मौसम की भविष्यवाणियां भी की जाती। एक ग्रह-भौतिक वेधशाला भी यहां थी ताकि सूर्य का अध्ययन हो सके। सूर्य के काले धब्बों का तापमान ज्ञात करने का यह श्रेय भी हेनरी को दिया जाता है कि सूर्य के परिधि-स्थित क्षेत्रों से ये अपेक्षया कुछ कम गरम होते हैं।संत दादू दयाल की जीवनी और परिचयजोसेफ हेनरी की स्मृति अमर ही रहेगी क्योकि कितने ही वैज्ञानिकों ने उसके विचार लिए और नाम वही छोड दिया। विद्युत में एक महत्त्वपूर्ण गणना है जिसका प्रयोग चुम्बकीय क्षेत्र के परिमाण-ज्ञान में तथा इस क्षेत्र को उत्पन्न करने के लिए आवश्यक विद्युत को जानने में होता है। गणना का नाम है इंडक्टेंस (अभ्युत्पत्ति) और उसकी इकाई है–हेनरी।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक जीवनी