जेम्स क्लर्क मैक्सवेल बायोग्राफी – मैक्सवेल के आविष्कार? Naeem Ahmad, June 7, 2022March 19, 2024 दो पिन लीजिए और उन्हें एक कागज़ पर दो इंच की दूरी पर गाड़ दीजिए। अब एक धागा लेकर दोनों पिनों के गिर्द एक घेरा-सा डाल दीजिए, यह घेरा ढीला हो। इस घेरे में किसी बिन्दु पर एक पेंसिल की नोक टिकाकर धागे को कस लीजिए और धागे को तानते हुए कागज़ पर चारों ओर एक रेखा खींच दीजिए। अभी वह 14 बरस का ही था जब जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने इस चतुरता का परिचय दिया था और एक पूर्ण ‘इलिप्स’ या दीर्घवृत्त की रचना कर दिखाई थी। एडिनबरा की रॉयल सोसाइटी के एक अधिवेशन में उसका पिता भी उसके साथ गया था जहां विश्व विद्यालय के एक प्रोफेसर को गणित के इस नूतन आविष्कार पर एक निबन्ध पढ़ना था। ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैकिन्तु इतिहास में यदि हम जेम्स क्लर्क मैक्सवेल का स्मरण करते हैं तो फकत इलिप्स बनने की उसकी इस सुन्दर विधि के कारण नहीं अपितु विज्ञान एवं गणित में कुछ नियम, कुछ सूत्र, प्रस्तुत कर सकने के कारण। 1868 में उसकी पुस्तक- ए डाइनेमिक थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फील्ड’ का प्रकाशन हुआ था। यही ग्रन्थ वह कुंजी हैं जिसने अन्ततः रेडियो, टेलीविजन, रेडार तथा विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के उत्पादन एवं नियंत्रण पर निर्भर करने वाले अन्यान्य अद्भुत उपकरणों को सम्भव कर दिखाया। मैक्सवेल की प्रतिष्ठा, न्यूटन तथा आइन्सटाइन के साथ एक गणितज्ञ एवं भौतिको विशारद के रूप में स्थायी हो चुकी है। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल का जीवन परिचय विज्ञान की इस विभूति जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जन्म 13 नवम्बर, 1831 को, स्कॉटलैंड के एडिनबरा शहर में हुआ था। परिवार समृद्ध और प्रतिष्ठित था, जिसके कितने ही सदस्य अपनी प्रतिभा एवं सफलता द्वारा ही नहीं, कुछ व्यक्तित्व की विलक्षणताओं द्वारा भी ख्याति प्राप्त कर चुके थे। स्वयं जेम्स के पिता ने कानून पढ़ा किन्तु वकालत कभी नहीं की, उसकी निजी अभिरुचि अपनी छोटी-सी जायदाद को संभालने में और अपने बेटे को पढाने लिखाने मे ज्यादा थी। खुद उसने भी मैक्सवेल की यन्त्र-निर्माण आदि की प्रवृत्ति की कम प्रोत्साहित नही किया। जेम्स की कौतूहलता को तृप्त करना मुश्किल था , क्योंकि ये भौतिक यन्त्र, और किस प्रकार, इसी तरह कार्य करते है। लडके जैसे आज भी छोटे-छोटे मॉडल बनाया करते हैं, जेम्स को भी शुरू से यह शौक था। लेकिन उन दिनो कोई हॉबी-शॉप नही हुआ करती थी कि इन चीजों के हिस्से खरीदे जा सके हर हिस्सा, हर पुर्जा जेम्स को खुद बनाना पडता। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल मां बालक को नौ बरस का अनाथ छोडकर चल दी। इस क्षति को पूरा करने के लिए पिता उसके और निकट खिच आया और उसने बालक की एक अविवाहित बुआ को साथ बुला लिया। 10 वर्ष की आयु से जेम्स को एडिनबरा एकेडमी में दाखिल कर दिया गया । उसकी सारी पोशाक यहा तक कि चौडे पजे वाले उसके जूते भी खुद बाप के अपने हाथ के बनाए हुए थे। हम अन्दाजा लगा सकते है कि इससे मेक्सवेल को स्कूल मे कितनी मुश्किल पडती होगी। साथियों की हमेशा निगाह रहती कि जेम्स को छेडें, किन्तु उसकी अद्भुत बुद्धि, प्रत्युत्यन्तमति उसे कभी मात न होने देती। लड़को ने उसका नाम रख दिया था–“डेफ्टी” घुन्ना। बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआ16 वर्ष की आयु मे जेम्स क्लर्क मैक्सवेल एडिनबरा विश्वविद्यालय में दाखिल हुआ। गणित में उसकी प्रतिभा को हर कोई जान चुका था। अब उसने विज्ञान में हर किस्म के परीक्षण भी करने शुरू कर दिए। कविता करने का शौक भी उसे था। कोई पाए की शायरी नहीं– किन्तु यह शौक जिन्दगी-भर उसे कभी छूटा नही। 1850 में मैक्सवेल स्काटलैंड छोड कैम्बिज मे पढ़ने आ गया। उन दिनों गणित के श्रेष्ठ विद्यार्थियो में एक तरह का मुकाबला हर साल हुआ करता था, मैक्सवेल को उस परीक्षा के लिए विलियम हॉपकिन्स ने खास तैयारी कराई। मैक्सवेल के बारे में हॉपकिन्स के प्रसिद्ध शब्द हैं “भौतिकी-सम्बन्धी प्रश्नों में उसके लिए गलत चिन्तन कर सकना ही असम्भव प्रतीत होता है। किन्तु परीक्षा मे मेक्सवेल दूसरे नम्बर पर था, पहले पर नही। एकदम एपॉसल्ज ने मैक्सवेल को अपने कैम्ब्रिज के श्रेष्ठ गणितज्ञों में चुन लिया। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की खोजखैर, छात्रावास में अपने साथियों के लिए मेक्सवेल एक मुसीबत ही अधिक रहता होगा क्योकि नींद के बारे मे उसके अपने ही ख्याल थे, दिन के चौबीस घंटों को दो हिस्सो में बाट दिया, एक सोने का और दूसरा जागने का हिस्सा और उसमे भी दो से अढाई तक होस्टल के बरामदे मे दौड़ लगाना कि जिस्म में कुछ फुर्ती आ जाए। 1854 में स्नातक हो चुकने पर भी मैक्सवेल ने निश्चय किया कि अभी पढाई चलनी चाहिए। ट्रिनिटी कॉलिज मे आगे पढाई करते हुए उसने एक रंगीन लटटू ईजाद किया जिसका मकसद यह साबित करना था कि तीन मूल वर्णो के मेल से किसी भी किस्म का रंग॒ तैयार किया जा सकता है। ये तीन मूल वर्ण थे–लाल, हरा ओर नीला। इस आविष्कार को प्रस्तुत करते हुए जो वैज्ञानिक निबन्ध मैक्सवेल ने तब पढ़ा था वही टैलीविजन में ‘रंग’ ला सका है. टेलीविजन का हर रंग लाल, हरे ओर नीले के मेल द्वारा ही मुमकिन हो सका है। इन अध्ययनों की बदौलत उसे रॉयल सोसाइटी का रूमफोर्ड मेडल भी मिला था।रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ उधर उसका पिता बीमार रहते लगा, सो सेवा-शुश्रूषा के लिए जेम्स की इच्छा हुई एकदम घर पहुंच जाए। किन्तु एबरडीन मे मेरीशल कालिज मे प्रोफेसरी अभी मिली थी कि उधर पिता का देहान्त हो गया। अभी पुत्र ने यह नया पद संभाला भी नही था।सामान्य विद्यार्थी को मैक्सवेल के व्याख्यानों से कुछ बहुत लाभ नही होता था। उसे समझने के लिए भी कुछ प्रतिभा अपेक्षित होती थी। किन्तु, हां मैक्सवेल को इससे अवश्य कुछ लाभ हुआ। मेरीशल कालिज में पढ़ाते हुए ही कालिज के प्रिसिपल की पुत्री का उसकी भावी पत्नी के रूप में उससे मेल हुआ। मैक्सवेल ने बुआ को लिखा, “गणित में उसकी रुचि नही है किन्तु गणित के अतिरिक्त भी तो कितनी ही चीज़े और होती हैं, यह निश्चित है कि मेरी गणित में वह दखल नहीं दिया करेगी।” महान प्रतिभा में परिहास-बुद्धि भी, और स्वाभाविक मानव-प्रेम भी कुछ कम नही हुआ करते। शनिग्रह के वलयो के सम्बन्ध मे, तथा गैसो की गति के विषय मे, मैक्सवेल ने कुछ मौलिक एवं महत्त्वपूर्ण कार्य किया था। दोनो प्रश्नों का गणित के अनुसार सूक्ष्म विश्लेषण भी, और गैसों के भौतिक कणों की गति एवं परस्पर संघर्षमयता को चित्रित कर दिखाने वाला उसका मॉडल आधुनिक विज्ञान की चमत्कारी प्रगति के बावजूद विज्ञान को आज भी मान्य है। किन्तु विद्युत तथा चुम्बक के क्षेत्र मे मैक्सवेल के अनुसंधानों की छाया में उसका शेष सब कार्य फीका पड जाता है।थर्मामीटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ माइकल फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय अभ्युत्पादन की स्थापना ने मैक्सवेल को चकित कर दिया। चुम्बक द्वारा विद्युत की उत्पत्ति परिस्थिति का वर्णन करते हुए फैराडे का कहना था कि चुंबक के गिर्द शक्ति रेखाओ अथवा ‘शक्ति-धाराओ’ द्वारा परिसीमित एक क्षेत्र-सा कुछ बन जाता है। मैक्सवेल ने इस स्थापना को अपने मन में चित्रित करना शुरू किया छोटे-छोटे गोलों द्वारा पृथक अवस्थापित से कुछ अक्षों पर चक्कर काटते सिलिंडर से कि एक सिलिंडर चक्कर काटना शुरू करे नही कि गोलों द्वारा वही गति दूसरे तीसरे चौथे सिलिंडर मे सक्रान्त होकर सारे क्षेत्र को ही गतिमय कर दे। इन ‘आदर्श’ कल्पनाओं के आधार पर वह इन चार मौलिक नियमो पर पहुचा, जो आज कितने सरल प्रतीत होते हैं– चुम्बकीय शक्ति की रेखा सदा एक बन्द सी रेखा हुआ करती है। एक खुले चक्कर से में। विद्युत की शक्ति-रेखा भी एक बन्द रेखा ही हुआ करती है, किन्तु घूम-फिरकर अपने में ही परिसमाप्त एक वलय-सी। एक परिवर्तनमान चुम्बक-क्षेत्र, स्वत एक विद्युत-क्षेत्र का जनक बन जाता है। एक परिवर्तमान विद्युत-क्षेत्र भी उसी प्रकार एक चुम्बक-क्षेत्र का जनक बन जाता है।फैराडे की स्थापना थी कि एक निरन्तर परिवर्तित हो रहा चुम्बकीय क्षेत्र किसी कंडक्टर मे बिजली पैदा कर देगा, जब कि मैक्सवेल का निष्कर्ष यह था कि चुम्बकीय क्षेत्र मे यह परिवर्तन एक विद्युत-क्षेत्र मे और उसी प्रकार किसी विद्युत-क्षेत्र मे जरा सा भी परिवर्तन परिणामत एक चुम्बक-क्षेत्र मे परिवर्तन ले आएगा। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल इसके भी एक कदम आगे गया और उसने सिद्ध कर दिखाया कि चुम्बक तथा विद्युत के इन प्रभावों के लिए एक स्थान से चलकर दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए कुछ समय अपेक्षित होता है। मैक्सवेल की गणनाओं का निष्कर्ष था कि इन दोनों की गति भी साथ ही, और प्रकाश की गति के समान होती है। इत्र का आविष्कार किसने किया और कब हुआजेम्स क्लर्क मैक्सवेल की मृत्यु के 70 साल बाद हाइनरिख हेत्श ने विश्व में प्रथम रेडियो ट्रान्समिटर तथा रिसीवर आविष्कृत करके मैक्सवेल की विद्युत-चुम्बकीय स्थापना को मृत प्रमाणित कर दिया। मैक्सवेल की मृत्यु के 78 वर्ष पश्चात आज भी इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर तथा परीक्षणकर्ता मैक्सवेल के सूत्रो का ही अध्ययन करते है कि रेडार और माइक्रोवेव्ज की प्रकृति कुछ समझ में आ सके। आज हमें पता है कि मैक्सवेल की स्थापना का अर्थ क्या था–ताप अथवा प्रकाश की तरंगें हों या रेडियो, एक्स-रे, गामा-रे की तरंगें हों–हर विद्युत-चुम्बकीय तरंग के मूल-नियम एक ही होते हैं। कांच का आविष्कार किसने किया और कब हुआकुछ वक्त के लिए मैक्सवेल ने विद्युत चुम्बक सम्बन्धी अपनी स्थापना को पूर्ण करने के लिए नौकरी छोड़ दी और वह ग्लिनेयर में अपनी जमीनों पर आकर रहने लगा। ताप और गणित के विषय पर भौतिकी पर तथा वर्ण-विश्रम पर उसने प्रामाणिक निबन्धों की रचना की। पड़ोसियों से भी मिल-जुल चुका था, उनके बच्चों के साथ मिलने का उसे शौक था, बीच-बीच में एक परीक्षक के तौर पर कैम्ब्रिज जाना भी होता, और कभी-कभी कुछ कविता रचना भी। 1871 में जनता की पुकार थी कि कैम्ब्रिज के अधिकारियों को चाहिए वे युग को नई दिशाओं–ताप, विद्युत तथा चुम्बक का समावेश विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में समुचित रूप से प्रचलित करने के लिए परीक्षणात्मक विज्ञान की एक चेयर स्थापित करें। विश्वविद्यालय के चांसलर, तथा हेनरी हेनरी कैवेंडिश के एक वंशज, डेवनशायर के ड्यूक ने कैवेण्डिश प्रयोगशाला की स्थापना तथा सज्जा के लिए पैसा जुटाया, और मैक्सवेल से अनुरोध किया गया कि वह इस नये विभाग का अध्यक्ष पद आकर संभाले। प्रयोगशाला का निर्माण, तथा उसमें परीक्षणादि के साधन-उपकरण की व्यवस्था का भार भी, अध्यक्ष के जिम्मे ही था। स्टेथोस्कोप का आविष्कार किसने किया और कब हुआजेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने प्रत्यक्ष कर दिखाया कि किस प्रकार विद्युत चुम्बक शक्ति को जन्म दे सकती है। छल्ले में विद्यमान धारा पतरी के गिर्द एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर देती है। अब भी मैक्सवेल तरह-तरह के विषयों पर लेख लिखता रहता। हेनेरी कैवेण्डिश के निबन्धों का सम्पादन भी जिससे कि विद्युत के सम्बन्ध में जो महत्त्वपूर्ण कार्य वह कर गया था उसका कुछ श्रेय तो, मृत्यु के बाद ही सही उसे मिल सके। जीवन के अन्तिम दो वर्ष मैक्सवेल के उसकी पत्नी की परिचर्या में गुज़रे हालांकि उसकी अपनी सेहत भी उन दिनों लगातार गिर ही रही थी। उसे मालूम था कि एक नामुराद बीमारी (कैंसर) उसे लग चुकी है, न डाक्टरों का कुछ मशवरा ही लिया, न अपने साथी दोस्तों को ही बड़ा अरसा अपनी हालत की कुछ खबर दी। एक धैर्यशाली उदार एवं निःस्वार्थ वैज्ञानिक मैक्सवेल की प्रकृति वह विनोदश्रियता भी इस तकलीफ में जल्द ही उसे छोड़ गई। 5 नवम्बर 1879 को जेम्स क्लर्क मैक्सवेल का देहान्त हुआ, अभी वह 48 वर्ष भी पूरे नहीं कर पाया था।घड़ी का आविष्कार किसने किया और कब हुआआज तक भी हम पूर्ण रूप में मैक्सवेल की कल्पना तथा गणित बुद्धि द्वारा आविष्कृत निधि का प्रयोग शायद नहीं कर पाए।कितने ही आविष्कार अभी भविष्य के गर्भ में हैं जिनकी उत्थापना जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की प्रतिभा से ही संभव होगी। रेडियो स्पेक्ट्रम की, एक्स-रे तथा गामा-रे की संभावना उसके लघु-सूत्रों में कितनी पहले ही निबद्ध हो चुकी थी और उनके द्वारा अणु के अन्तःकरण से भी मानव बुद्धि को परिचित करा गई। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक जीवनी