चेदि कहां है – चेदि राज्य का इतिहास Naeem Ahmad, March 9, 2023March 24, 2024 चेदि राज्य खजुराहो के दक्षिण में हुआ करता था। इसका प्राचीन नाम डाहलमंडल है। इसे त्रिपुरी (जो जबलपुर मध्य प्रदेश के पश्चिम में दस किमी दूर है) भी कहा जाता है। अमोघवर्ष के संजन ताम्रलेख से यह ज्ञात होता है कि राष्ट्रकूट राजा गोविंद तृतीय ने इसे जीतकर लक्ष्मणराज को यहां का राज्यपाल बनाया था। लगभग 845 ई० में कोकल्ल प्रथम ने यहां कलचूरी वंश के राज्य की स्थापना की। उसने प्रतिहार राजाभोज प्रथम, सरयू पार (गोरखपुर) के कलचूरी राजा शंकरगण, मेवाड़ के गुहिल राजा हर्षराज, शाकंभरी के चौहान राजा गूवक द्वितीय तथा पूर्वी बंगाल के राजा को हराकर उनसे धन प्राप्त किया। उसने संधि की अरबी सेना तथा राष्ट्रकूट राजा कृष्ण द्वितीय को पराजित किया और कोंकण के राजा से अपनी अधीनता स्वीकार कराई। चेदि राज्य का इतिहासउसका पुत्र शंकरगण नौवीं शताब्दी के नवें दशक में शासक बना। उसने कौशल के सोमवंशी राजा से पाली छीन लिया था। परंतु उसे चालुक्यों से हारना पड़ा। उसके बाद उसके दो पुत्रों बालहर्ष और युवराज प्रथम ने शासन संभाला। युवराज प्रथम ने गौंड तथा कलिंग के राजाओं को हराया। उसने चंदेल राजा यशोवर्मन से भी युद्ध किया, परंतु उसके एक धेवते कृष्ण तृतीय (राष्ट्रकूट) ने उसे पराजित कर दिया। कुछ समय बाद उसने राष्ट्रकूटों से चेदि को मुक्त करा लिया और उनके अधीनस्थ लाट पर विजय की। चेदि राज्य का इतिहासउसके पुत्र तथा उत्तराधिकारी ने पूर्वी बंगाल पर आक्रमण किया तथा उड़ीसा के राजा से सोने तथा मणियों से मढ़ा हुआ कालिया नाग छीन लिया। उसने कौशल के राजा महाभाऊ गुप्त, गुजरात के चालुक्य राजा मूलराज प्रथम और जूनागढ़ के आभीर राजा ग्राहरियू को हराया। उसका छोटा भाई युवराज द्वितीय दसवीं शताब्दी के अंत में राजा बना। उसने त्रिपुरी शहर का पुनर्निर्माण कराया। उसके समय में चालुक्य नरेश तैलप द्वितीय तथा मालवा के परमार राजा मुंज ने चेदि पर आक्रमण किया। इसके बाद उसके मंत्रियों ने उसको हटाकर उसके पुत्र कोकल्ल द्वितीय को राजा बना दिया। कोकल्ल द्वितीय ने गुजरात के चालुक्य राजा मूलराज तथा दक्षिण के चालुक्य राजा तैलप द्वितीय, कुंतल के राजा और गौंड के राजा को हराया। उसके बाद उसके पुत्र गांगेय देव (1119-40) ने उत्कल, बनारस तथा भागलपुर के क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की, परंतु वह चालुक्य राजा जयसिंह, परमार राजा भोज तथा बुंदेलखंड के चंदेल राजा विजयपाल से हार गया। उसके पुत्र और उत्तराधिकारी लक्ष्मीकर्ण (1042-72) ने इलाहाबाद तथा पश्चिमी बंगाल के कुछ भाग पर अधिकार कर लिया। उसने गुजरात के चालुक्य राजा भीम प्रथम की सहायता से परमार राजा भोज प्रथम के विरुद्ध आक्रमण किया। युद्ध के दिनों में भोज की मृत्यु हो जाने के कारण उन्हें सफलता तो मिल गई, लेकिन युद्ध से प्राप्त धन के बंटवारे को लेकर संघर्ष हो गया, जिसमें लक्ष्मीकर्ण की हार हुई। चालुक्य राजा सोमेश्वर ने भी उसे हराया। उसके काल में कलचूरी वंश का हरास होना आरंभ हो गया। उसके बाद यशोकर्ण, गयकर्ण, नरसिंह, जयसिंह, विजयसिंह आदि ने शासन किया। 1211 ई० में चंदेल शासक त्रैलोक्य वर्मा ने चेदि पर अधिकार कर लिया। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=’15879′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... Uncategorized मध्य प्रदेश पर्यटनहिस्ट्री