चिदंबरम मंदिर दर्शन – चिदंबरम टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी Naeem Ahmad, December 4, 2018 कर्नाटक राज्य के चिदंबरम मे स्थित चिदंबरम मंदिर एख प्रमुख तीर्थ स्थल है। तीर्थ स्थलों में चिदंबरम का स्थान अति महत्वपूर्ण है। यब मंदिर सब मंदिरों का मंदिर समझा जाता है। प्रसिद्ध नटराज शिवमूर्ति यही स्थापित है। भगवान शिव के पंचतत्व लिंगों में से आकाशतत्व लिंग चिदंबरम में ही माना जाता है। तो अपने इस लेख में हम चिदंबरम की यात्रा करेंगे, और चिदंबरम दर्शन, चिदंबरम टेम्पल हिस्ट्री और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को हिन्दी में जानेंगे। चिदंबरम मंदिर मे नटराज शिव के दर्शन यहां नटराज शिव का मंदिर ही प्रधान मंदिर है। इस मंदिर का घेरा लगभग 100 बीघे का है। इस घेरे के भीतर ही सब दर्शनीय मंदिर है। पहले घेरे के पश्चात ऊंचे गोपुर घेरे में मिलते है। पहले घेरे में छोटे गोपुर है। दूसरे घेरे में गोपुर 9 मंजिल के है। तीसरे घेरे में द्वार के पास गणेश जी का मंदिर है। मुख्य मंदिर का घेरा मुख्य मंदिर दो घेरों के भीतर है। नटराज का मुख्य मंदिर चौथे घेरे को पार करके पांचवें घेरे मे है। सामने नटराज का सभामंडप है। आगे एक स्वर्ण मंडित स्तंभ है। नटराज सभा के स्तंभों में सुंदर मूर्तियां बनी है। आगे एक आंगन के मध्य मे कसौटी के काले पत्थर का श्री नटराज का मुख्य मंदिर है। मुख्य चिदंबरम मंदिर श्री नटराज के मुख्य मंदिर के शिखर पर स्वर्णछत्र चढ़ा है। मंदिर का द्वार दक्षिण दिशा में है। मंदिर में नृत्य करते हुए भगवान शिव की बड़ी सुंदर मूर्ति है। यह मूर्ति स्वर्ण की है। नटराज की मूर्ति सुंदरता बहुत भव्य है। पास ही पार्वती, तुंबरू, नारदजी आदि की कई छोटी छोटी स्वर्ण मूर्तियां है। आकाशतत्व लिंग श्री नटराज के दाहिनी ओर काली भित्ति में एक यंत्र खुदा है। वहां सोने की मालाएं लटकती रहती है। यह नीला शून्यकार ही आकाशतत्व लिंग माना जाता है। इस स्थान पर प्रायः पर्दा पड़ा रहता है। लगभग 11 बजे दिन को अभिषेक के समय तथा रात्रि में अभिषेक के समय इसके दर्शन होते है। यहां समुद्र में रखे दो शिवलिंग है। एक स्फटिक का और दूसरा नीलमणि का। इनके अतिरिक्त एक बडा सा दक्षिणावर्त शंख है। इनके दर्शन अभिषेक पूजन के समय दिन में लगभग 11 बजे होते है। गोबिंदराज का मंदिर श्री चिदंबरम मंदिर यानि मुख्य मंदिर के सामने मंडप में जहां नीचे खड़े होकर नटराज के दर्शन करते है। वहां बाई ओर श्री गोबिंदराज का मंदिर है। मंदिर में भगवान नारायण की सुंदर शेषशायी मूर्ति है। वहां लक्ष्मी जी का तथा अन्य कई दूसरे छोटे उत्सव विग्रह भी है। लिंगमय विग्रह नटराज मंदिर के चौथे घेरे में उत्तर की ओर एख मंदिर है। इस मंदिर के सामने सभा मंडप है। कई डयोढ़ी भीतर भगवान शिव का लिंगमय विग्रह है। यही चिदंबरम का मूल विग्रह है। महर्षि व्याघ्रपाद तथा पतंजलि ने इसी मूर्ति की अर्चना की थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए थे। उन्होंने तांडव नृत्य किया था। उस नृत्य के स्मारक रूप में नटराज की मूर्ति की स्थापना हुई। शिवगंगा सरोवर नटराज मंदिर के पूर्वद्वार से निकले, तो उत्तर की ओर एक बहुत बड़ा शिवगंगा सरोवर है। इसे हेमपुष्करिणी भी कहते है। शिवगंगा सरोवर के पश्चिम में पार्वती मंदिर है। पार्वती को यहां शिव काम सुंदरी कहते है।शिवगंगा सरोवर के पूर्व में एक मंदिर ओर है। इस मंदिर के घेरे में एक ओर एक धोबी, एक चंडाल तथा दो शूद्रों की मूर्तियां है। ये शिव भक्त हो गए थे, जिन्हें भगवान शिव ने दर्शन दिए थे। चिदंबरम तीर्थ के आसपास के दर्शनीय स्थल तेरूवेठकलम चिदंबरम रेलवे स्टेशन के पूर्व विश्वविद्यालय के पास यह स्थान है। यहां भगवान शिव का मंदिर है। इसमें अलग पार्वती मंदिर है। कहा जाता है कि अर्जुन ने यहां भगवान शिव से पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। वरेमादेवी चिदंबरम मंदिर से 16 किमी पश्चिम मे यह स्थान है। यहां वेदनारायण का मंदिर है। वेदनारायण के रूप में भगवान नारायण ही है। इस मंदिर में जो अलग लक्ष्मी मंदिर है, उसकी लक्ष्मी जी को वरेमादेवी कहते है। वृद्धाचलम वरेमादेवी के स्थान से 13 मील पश्चिम में वृद्धाचलम है। स्टेशन से थोडी दूरी पर शिव मंदिर है। कहा जाता है कि यहा विभीषित नाम के ऋषि ने भगवान शिव की आराधना की थी। श्री मुष्णम यह स्थान चिदंबरम से 26 किमी दूर है। यहां तक बसे जाती है। कहा जाता है कि वाराह भगवान का अवतार यही हुआ था। यहां मंदिर में यज्ञ वाराह की सुंदर मूर्ति है। पास में श्रीदेवी और भूदेवी है। इस मंदिर के अतिरिक्त यहां एक बालकृष्ण भगवान का मंदिर भी है। यहां सप्त कन्याओं के तथा अम्बुजवल्ली व कात्यायनपुत्री के भी मंदिर है। काट्टमनारगुडी चिदंबरम मंदिर से 16 मील दक्षिण में यह स्थान है। यहां भगवान श्री वीरनारायण का मंदिर है। कहा जाता है कि यहां मतंग ऋषि ने तपस्या की थी। शियाली चिदंबरम मंदिर से 12 किमी दूर शियाली स्टेशन है। स्टेशन से थोडी दूरी पर ताड़ारम नामक भगवान विष्णु का सुंदर मंदिर है। इस मंदिर के सामने हनुमानजी का मंदिर है। यह शैवाचार्य की जन्म भूमि है। जो कार्तिकेय के अवतार माने जाते है। कहते है कि साक्षात माता पार्वती ने उनको स्तनपान कराया और भगवान शिव ने प्रत्यक्ष दर्शन देकर उन्हें ज्ञानोपदेश दिया था। जिस घर में उनका जन्म हुआ, वह अभी भी सुरक्षित है। वह मंदिर के बाहर शहर में है। भारत के प्रमुख तीर्थों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:::— [post_grid id=”6235″] Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like 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