चारबाग रेलवे स्टेशन का इतिहास – मुस्कुराइए आप लखनऊ में है Naeem Ahmad, July 3, 2022March 3, 2024 चारबाग स्टेशन की इमारत मुस्कुराती हुई लखनऊ तशरीफ लाने वालों का स्वागत करती है। स्टेशन पर कदम रखते ही कहीं न कहीं लिखा अवश्य देखा जा सकता है– मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं। कोई मुस्कुराइए या न मुस्कुराइए लेकिन चारबाग स्टेशन की इस भव्य और खूबसूरत इमारत को देखकर उँगली जरूर उनके दांतों तले दबकर रह जाती है।लखनऊ के क्रांतिकारी और 1857 की क्रांति में अवधलखनऊ जिसे बागो का शहर भी कहा जाता है, शहर के कई इलाके ऐसे थे जहां बाग हुआ करते थे। हालाँकि उनमें से बहुत से बाग नहीं बचे हैं, फिर भी शहर उन जगहों को उन बागों के नाम से याद करता है जो पहले थे। और आज उनके स्थान पर बस्ती बस गई है या इमारतें बना दी गई है।लखनऊ में 1857 की क्रांति का इतिहासचारबाग क्षेत्र लखनऊ के दक्षिण की ओर एक इलाका था। जो वहां स्थित चार उद्यानों के लिए जाना जाता था। इन चारबाग बगीचों की अत्यधिक सुसज्जित ढंग की संरचना, जहा पेड़ पौधों को मध्य पथ होते थे, जिसे चारबाग शैली कहा जाता है। कहा जाता है कि यह उद्यान पद्धति मुगलों द्वारा भारत में लायी गयी थी। इस पद्धति की संरचना का डिजाइन भव्यता को दर्शाता है। लोकप्रिय नाम ‘चारबाग’ उस जगह को जोड़ने वाले चार उद्यानों के कारण प्रचलित है। आज उस स्थान पर चारबाग रेलवे स्टेशन है। इसी इस रेलवे स्टेशन का नाम भी चारबाग पड़ा। अवधी, राजपूत और ब्रिटिश वास्तुकला के सुंदर समामेलन के साथ निर्मित चारबाग रेलवे स्टेशन शहर में अपना पहला कदम रखने वाले पर्यटकों का मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में है के स्लोगन के साथ स्वागत करता है।चारबाग रेलवे स्टेशन का इतिहासअंग्रेज सरकार के अफसरों के दिमाग में बड़ी लाइन के एक स्टेशन के निर्माण का विचार कौंधा। इस स्टेशन के बनने से पूर्व ऐशबाग स्टेशन ही सर्वेसर्वा था। जेकब महोदय ने चारबाग स्टेशन का नक्शा तैयार किया। 21 मार्च सन् 1914 को वह दिन भी आ गया जब बिशप जॉर्ज हर्बर्ट महोदय ने एक ईंट रखकर इसके निर्माण की शुरूआत का मार्ग प्रशस्त कर दिया। लखनऊ का खूबसूरत चारबाग उजाड़ कर रेल लाइनों का जाल बिछा दिया गया। प्रसिद्ध वास्तुकार श्री जे.एच हॉर्निमन ने रेलवे स्टेशन का नक्शा तैयार किया था।चारबाग रेलवे स्टेशनइसके निर्माण में तकरीबन 65 से 70 लाख रुपयों की लागत आयी। इसी चारबाग स्टेशन पर ‘साइमन कमीशन’ के विरोध में लाखों लोगों पर पुलिस ने बरबरता पूर्ण लाठी चार्ज किया था। 30 नवम्बर, 1928 को 8 बजे साइमन कमीशन लखनऊ पहुँचने वाला था। पं० जवाहर लाल नेहरू और गोविन्द बल्लभ पन्त के नेतृत्व में एक विराट जुलूस साइमन गो बैक का नारा लगाता हुआ आगे बढ़ रहा था। जुलूस अमीनाबाद, लाटूश रोड होते हुए प्रात: 7 बजे के करीब ही चारबाग स्टेशन पहुँच गया। पुलिस ने आगे बढ़ने से रोका, जब चेतावनी का कोई असर न हुआ तो लाठियों व हंटरों को बरसात होने लगी। जवाहर लाल नेहरू, गोविन्द बल्लभ पन्त बुरी तरह घायल हुए। हकीम अब्दुल व उमानारायन बाजपेयी का सिर फट गया। चारबाग के आस-पास की जमीन पर खून की छींटों ने अपनी कहानी लिख दी थी।शम्सुन्निसा बेगम लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला की बेगमपूरी संरचना एक उत्कृष्ट राजपूत महल जैसा दिखती है। यदि आप संरचना का एक हवाई दृश्य लेते हैं, तो यह एक शतरंज बोर्ड जैसा दिखता है। रेलवे स्टेशन की एक अनूठी विशेषता यह है कि पोर्टिको पर खड़े होकर आप आने वाली और बाहर जाने वाली ट्रेनों से आने वाली आवाज नहीं सुन सकते। इसके अलावा, रेलवे स्टेशन के नीचे स्थित विशेष भूमिगत सुरंगें हैं। फिलहाल इन सुरंगों का इस्तेमाल सामान और पार्सल लाने-ले जाने के लिए किया जाता है। लेकिन, यात्री इन सुरंगों का उपयोग भीड़ के घंटों के दौरान अप्रतिबंधित आवाजाही के लिए भी करते हैं।गोमती नदी का उद्गम स्थल और गोमती नदी लखनऊ के बारे मेंशानदार सफेद और लाल सीमेंट में चित्रित, संरचना महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच पहली व्यक्तिगत मुलाकात का स्थल थी। इस विशेष बैठक को चिह्नित करते हुए रेलवे स्टेशन के बाहर एक उत्कीर्ण पत्थर रखा गया है।खम्मन पीर दरगाह- एक दुर्लभ दृश्यचारबाग रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर स्थित एक अद्भुत प्राचीन दरगाह है। यह दरगाह मुस्लिम और हिंदू दोनों भक्तों की गहन आस्था और उत्साह का प्रतिनिधित्व करता है। यह दरगाह 900 साल पुरानी मानी जाती है। लोग आमतौर पर खम्मन पीर बाबा को ‘लाइन बाबा’ कहते हैं। हर गुरुवार को, हजारों लोग खम्मन पीर दरगाह पर अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। संत खम्मन पीर बाबा के जीवन की स्मृति में हर साल 4 दिवसीय पवित्र उर्स आयोजित किया जाता है। रेलवे लाइनों के बीच एक दरगाह एक बहुत ही दुर्लभ दृश्य है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।चारबाग रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाएंचारबाग रेलवे स्टेशन को दो भवनों में विभाजित किया गया है: उत्तर रेलवे (NR) भवन और उत्तर पूर्वी रेलवे (NER) भवन। अधिकांश ट्रेनें उत्तर रेलवे (NR) बिल्डिंग से गुजरती हैं या निकलती हैं। लोग अक्सर उत्तर रेलवे भवन को ‘बड़ी लाइन’ (ब्रॉड गेज) और उत्तर पूर्वी रेलवे भवन को ‘छोटी लाइन’ (नैरो गेज) के रूप में संदर्भित करते हैं, हालांकि नैरो गेज अब मौजूद नहीं है। उत्तर पूर्व रेलवे (NER) भवन को आधिकारिक तौर पर लखनऊ जंक्शन (स्टेशन कोड एलजेएन) कहा जाता है। वर्तमान में, यह मुंबई सीएसटी और चेन्नई सेंट्रल जैसी कई ब्रॉड गेज ट्रेनों के लिए एक टर्मिनल स्टेशन है।लखनऊ की चाट कचौरी ऐसा स्वाद रहें हमेशा यादविशाल चारबाग रेलवे स्टेशन में सुविधाजनक प्रतीक्षालय, बैगेज रूम, एटीएम, पूछताछ काउंटर, टेलीफोन बूथ, वरिष्ठ नागरिकों और रक्षा कर्मियों के लिए विशेष काउंटर, प्रीपेड टैक्सी बूथ, विकलांगों के लिए व्हीलचेयर और कई जलपान आउटलेट हैं। लखनऊ से आने और जाने वाली सभी ट्रेनों की अप-टू-डेट जानकारी देने के लिए बड़े एलसीडी मॉनिटर भी लगाए गए हैं।क्राइस्ट चर्च लखनऊ का इतिहास हिन्दी मेंचारबाग रेलवे स्टेशन को एक विरासत स्थल माना जाता है। यह भारत के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में से एक है। इसके अलावा, रेलवे स्टेशन की समग्र वास्तुकला और परिसर को संबंधित अधिकारियों द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित किया गया है। कई सरकारी और गैर सरकारी संगठनों ने इस अद्भुत विरासत स्थल की सुंदरता और वास्तुकला के संरक्षण के लिए बहुत कुछ किया है। अच्छी तरह से बनाए रखा महलनुमा भवन आपको नवाबी शहर के साथ रेलवे स्टेशन की पहली नज़र में एक त्वरित संपर्क स्थापित करने में मदद करता है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—-[post_grid id=’9530′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनलखनऊ पर्यटन