घुश्मेश्वर नाथ धाम – घुश्मेश्वर नाथ मंदिर – घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग Naeem Ahmad, December 28, 2017February 26, 2023 शिवपुराण में वर्णित है कि भूतभावन भगवान शंकर प्राणियो के कल्याण के लिए तीर्थ स्थानो में लिंग रूप में वास करते है। जिस जिस पुण्य स्थान पर उनके सच्चे परम भक्तो ने उनकी पूजा – अर्चना अपने सच्चे मन से कि उसी उसी स्थान में भगवान शंकर आविर्भूत हुए और साथ ही वे ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए वहा अवस्थित हो गए। यूं तो भारत में शिवलिंग असंख्य है, फिरभी इनमें द्वादश ज्योर्तिंलिग सर्वप्रधान है। इन द्वादश ज्योतिर्लिंगो का वर्णन शिवपुराण में ही नही मिलता है बल्कि रामायण, महाभारत, के साथ साथ अन्य अनेक प्राचीन धर्म ग्रंथों में भी द्वादश ज्योतिर्लिंगो से सम्बंधित वर्णन भरा पडा है। अपनी इस पोस्ट में हम जिस घुश्मेश्वर नाथ धाम या घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में जानेगें यह घुश्मेश्वर नाथ मंदिर महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में वेरूल नामक गांव के पास शिवालय नामक स्थान पर स्थित है।घुश्मेश्वर नाथ धाम के सुंदर दृश्यघुश्मेश्वर नाथ धाम – घुश्मेश्वर नाथ मंदिर – घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंगघुश्मेश्वर को दो अलग नामो “घुसृणेश्वर” और “घृष्णेश्वर” के नाम से भी जाना जाता है। भारत की विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाओ का नाम तो आपने सुना ही होगा। सुना ही नही आपमे से बहुत से लोग महाराष्ट्र के इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर गए भी होगें। एलोरा की इन्ही प्रसिद्ध गुफाओ के समीप ही घुश्मेश्वर नाथ धाम का भव्य और कलात्मक मंदिर स्थित है।इस भव्य मंदिर के गर्भगृह में द्वादश ज्योतिर्लिंगोंं में से एक घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शंकर विराजमान है। घुश्मेश्वर नाथ धाम का यह मंदिर एक घेरे के भीतर है। तथा पास ही में एक सरोवर है।घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का माहात्म्यघुश्मेश्वर ज्योतिर्लिगं के दर्शन का महात्मय धर्म की मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथो और शिव महापुराण के अनुसार बहुत बडा और फलदायी माना गया है। शिवपुराण के अनुसार – घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप दूर हो जाते है। साथ ही सुख की वृद्धि उसी प्रकार होती है, जिस प्रकार शुक्लपक्ष में चंद्रमा की वृद्धि होती है। इस फल और मान्यता के चलते देश के कोने कोने से भगवान शिव के भक्त वर्ष भर यहा दर्शन करने आते रहते है। शिवरात्रि के अवसरो तथा अन्य शिव अवसरो पर यहा भक्तो की संख्या बहुत अधिक बढ जाती है।घुश्मेश्वर नाथ धाम की धार्मिक पृष्टभूमि – घुश्मेश्वर नाथ मंदिर की कहानी – घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथाघुश्मेश्वर महादेव से संबंधित प्रचलित कथा के अनुसार – दक्षिण देश में देवगिरी पर्वत के निकट सुधर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुदेहा था। दोनो पति – पत्नी यूं तो बहुत सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। परंतु उनके कोई संतान नही थी। जिसके कारण उसकी पत्नी के मन में दुख का भाव उत्पन्न होता रहता था। एक दिन सुदेहा ने अपने पति सुधर्मा से जिद की कि वह उसकी छोटी बहन घुश्मा से विवाह कर ले ताकि संतान की प्राप्ति हो सके। सुधर्मा ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया परंतु पत्नी की जिद के आगे सुर्धमा इस के लिए बडी मुश्किल से तैयार हुआ।घुश्मा विवाह के बाद अपने पति की खूब सेवा करती थी तथा बडी बहन को माता के समान समझती थी। दोनो बहने एक ही घर में बडे प्रेम से रहती थी। घुश्मा भगवान शिवजी जी अनन्य भक्त थी। वह प्रतिदिन नियम पूर्व 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनका विधिवत पूजन करती तथा उन्हें एक सरोवर में छोड देती।कुछ ही समय बाद घुश्मा ने एक पुत्र को जन्म दिया। इससे सभी बहुत प्रसन्न हुए। समय ऐसे ही बितता चला गया परंतु कुछ समय बाद सुदेह के मन में घुश्मा और उसके पुत्र के प्रति ईर्ष्या हो गई। ईर्ष्या इतनी बढ गई की उसने चुपचाप घुश्मा के पुत्र की हत्या कर दी और उसका शव उसी सरोवर में फेंक आयी जिसमें घुश्मा शिवलिंग विसर्जित करती थी।घुश्मा पुत्र के वियोग को सहन न कर सकी तथा प्राय: बिमार रहने लगी। बिमारी की अवस्था में भी घुश्मा ने प्रतिदिन शिवलिंग बनाकर विसर्जित करना न भूली।एक दिन जब वह पार्थिव शिवलिंग सरोवर में विसर्जित करके लौट रही थी तो भगवान शिव उसके सामने प्रकट हो गए तथा साथ में उसका पुत्र भी था। भगवान शिव ने उसके पुत्र की मृत्यु की सारी कहानी उसको बताई तथा सुदेहा को दंडित करने को कहा। इस पर घुश्मा ने अपनी बहन को क्षमा करने की याचना की। घुश्मा की दया और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उससे वर मांगने के लिए कहा। तब घुश्मा ने उनसे प्राथना की कि वे वही नित्य निवास करें ताकि संसार का कल्याण हो सके।तभी से भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में वहा वास करने लगे और घुश्मा के नाम के कारण वह घुश्मेश्वर के नाम से प्रसिद हुए। और उस सरोवर का नाम शिवालय हो गया।घुश्मेश्वर नाथ धाम के सुंदर दृश्यघुश्मेश्वरके अन्य दर्शनीय स्थलजब आप किसी स्थल की यात्रा करने या किसी तीर्थ धाम की यात्रा पर जाते है। तो हम वहा के आस पास के अन्य स्थलो पर जाना नही भूलते। और मेरे ख्याल से जाना भी चाहिए क्योकि एक ही यात्रा में कई स्थल देखने अवसर हमे नही छोडाना चाहिए और इसी का जीता जागता सबूत हमे यहा देखने को मिलता है। घुश्मेश्वर नाथ धाम की यात्रा पर आने वाले श्रृद्धालु यहा करीब में ही स्थित अजंता एलोरा की गुफाएं, दौलताबाद का किला, कैलाश गुफा यहा मौजूद और भी कई प्राचीन मंदिरो पर जाना नही भूलते। ठीस उसी तरह अजंता एलोरा की गुफाओ पर आने वाले हजारो पर्यटक घुश्मेश्वर नाथ धाम और अन्य प्राचीन मंदिरो पर भी जाते हैअजंता – एलोरा की गुफाएंघुश्मेश्वर नाथ धाम से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर एलोरा गुफाएं है। एलोरा की 34 गुफाओ में जाने का मार्ग आसान व सुविधाजनक है। यह गुफाएं अलग अलग संप्रदाय के लिए बंटी हुई है। एकक से 13 नंबर तक की गुफाएं बौद्धो की है। 14 से 29 नंबर तक की गुफाएं हिन्दुओ की है तथा 30 से 34 नंबर तक की गुफाएं जैन मूर्तियो के लिए है। यहा कैलाश मंदिर में प्राचीन इंजीनियरो ने एक पतली धारा को ऐसे घुमाया है कि उसका जल बूंद बूंद करके शिवलिंग पर निरंतर टपकता रहता है। पिछली बारह सदियो से यह जल इसी प्रकार टपक रहा है। जोकि दर्शनीय है।दौलताबाद का किलादौलताबाद से घुश्मेश्वर नाथ धाम जाते समय मार्ग में यह किला पडता है। यह घुश्मेश्वर नाथ मंदिर से दक्षिण में पांच मील की दूरी पर एक पहाड की चोटी पर स्थित है। यहा धारेश्वर शिवलिंग और श्री एकनाथजी के गुरू श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।कैलाश गुफाएलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं दर्शनीय है। इन्ही गुफाओ में ही कैलाश गुफा है। यात्री इसे देखकर ही मंत्रमुग्ध हो जाते है। कुछ लोग एलोरा के कैलाश गुफा मंदिर को ही घुश्मेश्वर का असली स्थान मानते है।अन्य ज्योतिर्लिंग जिनका वर्णन भी आप देख सकते है :–सोमनाथ मंदिर का इतिहासमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगनागेश्वर ज्योतिर्लिंगओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंगमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंगभीमशंकर ज्योतिर्लिंगकेदारनाथ धाम का इतिहासत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहासकाशी विश्वनाथ धामइसके आलावा यहा के आस पास के स्थलो में कुछ प्राचीन मंदिर भी है। विश्वकर्मा व बौद्ध मंदिर 1500 वर्ष पुराने है और प्रसिद्ध कैलाश मंदिर लगभग 1200 वर्ष पूर्व का है। अजंता की गुफाएं 29 है यहा जैन बौद्ध और हिन्दू धर्म के अवशेष देखे जा सकते है। एलोरा की गुफाए जिस प्रकार अपनी मूर्तियो के लिए जानी जाती है उसी प्रकार अजंता की गुफार अपने चित्रो के लिए जानी जाती है।कहा ठहरेऔरंगाबाद से घुश्मेश्वर नाथ धाम 25 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। इसलिए अधिकतर श्रृद्धालु औरंगाबाद में ही आकर रूकते है। इसके अलावा मंदिर के घेरे में भी यात्रियो के ठहरने की व्यव्स्था है।घुश्मेश्वर मंदिर कैसे जाएंमध्य रेलवे की काचीगुडा ( हैदराबाद ) मनमाड लाइन पर मनमाड से लगभग 135 किलोमीटर दूर औरंगाबाद स्टेशन है। औरंगाबाद से घुश्मेश्वर लगभग 25 किलोमीटर है। स्टेशन के पास ही घुश्मेश्वर जाने के लिए बसे मिलती है। एलोरा गुफाए घुश्मेश्वर के पास है परंतु अजंता गुफाओ के लिए जाने के लिए औरंगाबाद से जाया जाता है।Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to 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