गोल्डन गेट ब्रिज – सेंफ्रांससिसकों का झूलता पुल Naeem Ahmad, May 25, 2022March 27, 2024 गोल्डन गेट ब्रिज— सभ्यता के आदिकाल से ही आदमी ने अपने आराम के लिये तरह-तरह के सुन्दर-पदार्थों का अन्वेषण किया है। अपने लिये बडे-बडे आलीशान महल बनवाये हैं। सुन्दर से सुन्दर भव्य मन्दिर बनवाये हैं, देवी-देवताओं की तरह-तरह की मूर्तियां आदि का निर्माण करवाया है। इसी भांति ज्यों-ज्यों आदमी का विकास होता गया वह अधिक से अधिक आराम के साधनों को ढूंढने लगा। प्रारम्भ में बडी-बडी नदियों, झीलों आदि को पार करना उसके सामने एक विकट समस्या थी। आदमी को कहीं जाना पड॒ता, उसके मार्ग में कहीं कोई बडी-छोटी नदी पड़ती तो, या तो जाने वाले को उसे तैर कर पार करना पडता, अथवा यदि किश्तियां उपलब्ध होती तो, उसका सहारा लेना पड़ता। इस कठिनाई के कारण नदियों को पार करने का आसान तरीका आदमी ने ढूंढ निकाला इस प्रकार पुलों का निर्माण होना शुरू हुआ। बहुत प्राचीन काल में तो लोग नदी के तट पर खडे बड़े-बडे वृक्षों को काट देते थे। वृक्ष नदी पर आर-पार पड जाते और आसानी से लोग इस पार से उस पार आ जा सकते थे। परन्तु वृक्षों के ऐसे पुल टिकाऊ नहीं होते थे। अक्सर नदी में जब कभी बाढ आती थी तो उसकी तीव्र धारा उन लकडियों को बहाकर दूर ले जाती थी।भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवायापर मानव हृदय पराजित होने वाला नहीं है। उसने देखा कि अब पेड़ों को काट कर गिरा देने से ही उसका काम नहीं चलने का। तब उसने नदी के दोनो तले पर पत्थर के स्तम्भ बनाये और उस पर मजबूत लकड़ी के तख्ते बिछा दिये इस प्रकार एक स्थायी पुल का निर्माण हुआ धीरे धीरे पुलो के निर्माण में आदमी प्रगति करता गया। एक से एक सुन्दर एक से एक मजबूत पुल बनने लगे, प्रकृति द्वारा प्रस्तुत बाधाविघ्नों पर आदमी की जीत होने लगी।इतिहास बतलाता है कि पुलो के निर्माण कौशल में सर्वप्रथम देश के निवासियों ने संसार के दूसरे देशों का नेतृत्व किया। चीन के लोग रस्सियों के सहारे अपने देश की नदियों पर झूलता हुआ पुल बनाते थे। परन्तु इस प्रकार के पुलों द्वारा केवल मनुष्यो का आना जाना ही संभव होता था। एक तो ऐसे पुल दोनों किनारों पर से ढलुआ होते थे, दूसरे रस्सी मे शक्ति ही कितनी होती थी। इसलिए इन पुल में से अधिक सवारियों का आना जाना संभव नहीं था। परन्तु धीरे-धीरे चीन वालों ने प्रगति की और पत्थरों से मजबूत शक्तिशाली पुलों का निर्माण करना शुरू किया। चीन में पेचिंग नगर के पास ‘मार्कोपोलो-पुल’ जो कई शताब्दियों पूर्व बना था आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। इस पुल में कुल ग्यारह मेहराब हैं और पुल के किनारे किनारे मुंडेरों पर सैकड़ो सिंह की मूर्तियों बनी हुई है।रूस में अर्जुन का बनाया शिव मंदिर हो सकता है? आखिर क्या है मंदिर का रहस्यजो भी हो, आधुनिक युग को झूलते हुए पुलों की शैली चीन की ही देन है। पुलों के निर्माण में बहुत प्राचीन काल में फारस में भी काफी तरक्की हुई थी। फारस ने आधुनिक युग को पुलो की एक दूसरी ही शैली प्रदान की। कहते हैं कि ईसा के जन्म से 480 वर्ष पूर्व फारस का बादशाह जेराक्सीज यूनान पर आक्रमण करने के लिये अपनी विशाल सेना लेकर चला, रास्ते में उसे सारी सेना के साथ डार्डेनल्ज का जल डमरूमध्य पार करना था। उसे समय नदी में प्रवाह बड़ा तेज था। जेराक्सीज के पास पचास हजार सेना थी। उसने सोचा कि इतने सिपाही तो नाव से कई दिनों में भी पार नहीं उतर पायेंगे। दूसरे धारा तेज होने के कारण नावों के खतरे में पड़ जाने का भी डर था। वह विचार करने लगा। थोडी देर बाद उसने आदेश दिया कि इस जल डमरूमध्य के एक तट से दूसरे तट तक नावों का बेडा-खडा कर दिया जाये। ऐसा ही हुआ और आसानी से उसके पचास हजार सैनिक उस पार उतर गये। आजकल के ‘पान्दून’ या ‘पीपेवाले’ पुल की कल्पना जेराक्सीज द्वारा नावों द्वारा निर्मित पुल से ही ली गई है।अपोलो की मूर्ति का रहस्य क्या आप जानते हैं? वे आश्चर्यइसी प्रकार प्राचीन काल में पुलों के निर्माण के और भी कई रोचक दृष्ठान्त हमे पढ़ने को मिलते हैं। प्राचीन काल में रोम में पुल निर्माण कला की ओर लोगों की रूचि थी और रोम वालों ने काफी मजबूत और अच्छे पुल बनाये। रोम में टाइबर नदी पर आज से दो हजार वर्ष पहले का बना हुआ मेहराबों का पुल आज भी ज्यो का त्यों खडा हुआ है। परन्तु धीरे-धीरे युग परिवर्तन के साथ ही पुल निर्माण की कला में भिन्न-भिन्न तरह का विकास होने लगा। आदमी का प्रवेश लोहे के युग में हुआ और लोहे से उसने प्रकृति पर विजय प्राप्त करना शुरू किया। अब प्रकृति मानव के सिद्धि पथ का बाधक नहीं बन सकती थी।गोल्डन गेट ब्रिज का इतिहासआधुनिक युग मे इस दिशा में सब से अधिक प्रगति अमेरिका ने की है। सर्वप्रथम 1927 ई में अमेरिका मे एक विशाल झूलते हुए पुल का निर्माण शुरू हुआ। नदी पर मेहराबों के सहारे बनने वाले पुलों में तो अन्य कई देशों मे भी बडे-बडे पुल बने है परन्तु लटकते हुए पुलो के निर्माण मे अमेरिका ने सबसे बाजी मार ली। वहां एक से एक विशाल पुल बनने लगे। सर्वप्रथम अमेव्रिका का झूलता हुआ पुल हडसन नदी पर उत्तरी न्यू जर्सी स्थित ली के किले और मैनहाटन के बीच बना। सन् 1927 ई में इस पुल का बनना शुरू हुआ और 1931 ई में पूर्ण रूप से यह पुल बनकर तैयार हुआ। इस पुल को ‘जार्ज वांशिगटन पुल कहते है। कहते हैं कि इस पुल के निर्माण में 24 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च हुये थे। यह पुल चार-तार के मोटे रस्सों पर झूल रहा है। इनमें से हर तार की मोटाई एक गज की है। ये चारों तार नदी पर बने स्तम्भों के ऊपर से होकर जाते हैं और इनका लगाव दोनों सिरों पर बने पक्के-कुन्दों पर है। इन तारों को घटाने बढाने का काम लोडे के मोटे-मोटे बेलनो के द्वारा किया जाता है। नदी के जल सतह से पुल की ऊंचाई 253 फुट है। इस पुल की लम्बाई 3500 फीट है और मार्ग पथ 420 फीट चौडा है। मार्ग आठ हिस्सों में विभाजित है।गोल्डन गेट ब्रिजजार्ज वाशिंगटन पुल के निर्माण होने से पहले हडसन नदी को पार करके न्यूयार्क में काम करने के लिये आने वालों को बड़ी-बडी कठिनाईयां उठानी पड़ती थीं। न्यूजर्सी के रहने वाले जो न्यूयार्क नगर में काम करते थे, काम करने के बाद वापस अपने घरों को नही जा सकते थे। परन्तु इसके बन जाने के बाद न्यूजर्सी के निवासी काम करने के लिये आते है और आसानी से काम करने के बाद अपने-अपने घरों को वापस लौट जाते हैं। छुटटी अथवा सप्ताह के अंतिम दिनों पर इस पुल पर से हजारों लोगों और सवारी गाडियों का ताता देखते ही बनता है।गोल्डन गेट ब्रिज का निर्माण कब हुआजब यह पुल बनकर तैयार हो गया तो सचमुच ही संसार के लिये यह एक अद्भुत चीज थी। उस समय यह संसार का सबसे बड़ा झूलने वाला पुल था लोगों को विश्वास या कि अब इस युग के इससे बडे किसी पुल का निर्माण नहीं कर सकते। परन्तु विज्ञान की प्रगति को कौन जानता है। स्वयं अमेरिका वालो को ही जार्ज वाशिंगटन का पुल बना लेने के बाद संतोष नही हुआ था। लोग उससे बड़े झूलते हुए पुल के निर्माण की कल्पना करने लगे। अमेरिका के इसी असन्तोष के परिणामस्वरूप संसार के सब से बड़े विशाल झूलते हुए पुल ‘गोल्डन गेट ब्रिज” का निर्माण हुआ।अपोलो की मूर्ति का रहस्य क्या आप जानते हैं? वे आश्चर्यगोल्डन गेट ब्रिज जो आधुनिक संसार के आश्चर्यजनक मानव रचना कौशल का प्रतीक है, सेनफ्रान्सिस्कों नगर में स्थित है। यह संसार का सबसे बडा शक्तिशाली झूलता हुआ पुल है ‘ हडसन नदी पर जार्ज वाशिंगटन का जो पुल है उसकी लंबाई 3500 फीट है, परन्तु गोल्डन गेट ब्रिज की लम्बाई 4200 फीट है, इस पुल के निर्माण में कुल 12 करोड 25 लाख रुपये खर्च हुए हैं। जार्ज वाशिंगटन पुल मे 21 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च हुये थे। इसका कारण था कि उस घुल के निर्माण में इस दिशा में अमेरिका ने प्रयोजात्मक कदम उठाया था, इसलिए धन का अधिक व्यय हुआ था। परन्तु जब सेनफ्रान्सिस्कों का गोल्डन गेट ब्रिज बनने लगा तो उस समय तक इंजीनियरों को पूरा अनुभव हो गया था। यही कारण था कि जार्ज वाशिंगटन से काफी बडा, शक्तिशाली और लम्बा होते हुए भी इस पुल के निर्माण में अधिक रुपये खर्च नही हुये।सन् 1933 ई में ‘गोल्डन गेट ब्रिज’ का बनना शुरू हुआ था और इसके पूरा होने में पूरे सात वर्ष का समय लग गया था। इजिनियरों का अनुमान है कि इस पुल के बुर्जो को बनाने में जितना फौलाद व लोहा खर्च हुआ है, वह 90 रेल गाडियों में भरा जा सकता है। जिन मोटे तारों पर यह पुल झूलता हुआ बना हुआ है उन मोटे तारों में से प्रत्येक तार 29572 पतले तारों की बनावट से तैयार हुआ है। इस पुल में जो बुर्ज हैं उनमें से प्रत्येक बुज की ऊंचाई 746 फीट ह। कहते हैं जिन मोटे बनाये गये तारों पर यह विशाल पुल झल रहा है वे इतने मजबूत है कि इस काल के तीन बड़े जहाजों, क्वीन मेरी, नारमंडी और रैक्स का भार एक ही साथ संभाल सकते हैं। आर-पार के बुर्जो की लम्बाई इतनी है कि इन तीनो जहाजों को यदि पुल के नीचे एक कतार में खडा कर दिया जावे तो भी चौथाई मील की दूरी शेष रह जायेगी।जब पूर्ण रूप से यह पुल तैयार भी नहीं हो पाया था कि इस पर एक दुर्घटना का साया पड़ा। 17 फरवरी, 1937 ई को कोई कंटीली वस्तु पुल पर गिर पड़ी और नीचे के रक्षा जाल को फाड़ती हुईं पुल के नीचे पहुंच गई, जिसके परिणामस्वरूप 10 आदमी घटनास्थल पर ही मारे गये। नीचे का रक्षा जाल इसीलिए बना था कि कोई आदमी गिरने पर उसी में फंस जाये। पुल के बनकर तैयार होते-होते भी एक आदमी की मृत्यु हो गई थी। गोल्डन गेट ब्रिज की विशेषताएं‘गोल्डन गेट-ब्रिज’ के नीचे से होकर पैसेफिक महासागर का पानी ऑकलैण्ड की खाडी में गिरता है। इस घुल की विचित्रता एवं महानता इन बात में नहीं कि इसकी लम्बाई 4200 फीट है, बल्कि इसलिए है कि यह पुल मोटे-मोटे केबिलों (तार के रस्सों) पर झूल रहा है। इस पुल की मेहराब जितनी लम्बी है, संसार में और किसी पुल की मेहराब इतनी लंबी नहीं है। पहले ही बताया जा चुका है कि दोनो तरफ स्थापित दो स्तम्भ इसके केबिलों को संभाले हुए है। तार के वे रस्से जिनके सहारे इसकी गच लटकती है, वे 80 हजार मील लम्बे तारो से बने हुए हैं। स्पष्ट है कि विषुवत रेखा पर ये तार पृथ्वी के चारो ओर चार-पांच बार लपेटे जा सकते हैं। कहते है कि 61 साधारण लोहे के रस्सों को बंट कर केबल का एक रस्सा तैयार किया गया हैं और उस साधारण रस्से में 27572 बारीक तार बंटकर लगाये गये हैं।इस प्रकार के झूलने वाले पुलो पर आधी-तूफान का गहरा असर पडने का खतरा रहता है। इसमे सब से बड़ा खतरा इसलिये होता है कि तेज आधी के कारण नीचे से पुल की सारी गचे ही कहीं निकल न जाये और पुल ध्वस्त न हो जाए। बहुत पहले एक बार इसी ढंग की एक घटना हो गई थी। ओहियों मे एक हजार फीट लम्बी मेहराब का एक झूलने वाला पुल आंधी के प्रहार को न सह सकने के कारण उखड़ कर नष्ठ हो गया था। परन्तु ‘गोल्डन गेट-ब्रिज’ को इन संभावित खतरों से बचाने एवं रक्षा का इजीनियरों ने पूरा-पूरा ध्यान रखा है। यही कारण है कि यहां जोरो की आंधी उठने पर भी पुल के नष्ठ होने का कोई भय नहीं है। अमेरिका मे इस प्रकार के झूलने वाले पुलों की संख्या बहुत है, पर ‘गोल्डन गेट ब्रिज’ (स्वर्ण द्वार) अपनी रचना-कौशल और अद्भुत मजबूती के लिये संसार मे अत्यधिक प्रसिद्ध है। उसके बाद भी अमेरिका में तथा अन्य देशों में इस प्रकार के पुलों का निर्माण हुआ है, परन्तु इसकी बराबरी में अब तक कोई दूसरा पुल नही बन सका है।अमेरिका के इस नगर में जहां पर ‘गोल्डन गेट ब्रिज नाम का विश्व-प्रसिद्ध झूलता हुआ पुल है, वहीं संसार का सबसे लम्बा पुल सेनफ्रासिस्को ऑकलैण्ड पुल भी है। यह पुल ऑकलैण्ड की खाड़ी पर बना हुआ है और सेनफांसिसकों तथा ऑकलैण्ड नगरो को मिलाता है। यह पुल संसार का सबसे बडा पुल है। इसकी लम्बाई सवा आठ मील की है। ऑकलैण्ड की खाड़ी में जहां यह पुल बना हुआ है, गहरे पानी का ऊपरी भाग साढे चार मील लम्बा है। इस पुल के मुख्य मेहराबों की लम्बाई 2310 फीट ही है। यह पुल वास्तव में दो पुलों के मेल से बना है। ऑकलैण्ड की खाड़ी में एक छोटा सा ‘थरवा ब्यूना’ नाम का एक द्वीप है। सेनफ्रांसिस्कों नगर से थरवा तक तथा थरवा से ऑकलैण्ड तक इस पुल का तांता बिछा हुआ है, सेन्फ्रासिस्को को थरवा से मिलाने वाला पुल झूलने वाले केबल से बना हुआ है। सेनफ्रांसिस्को और थरवा-ब्यूना के मध्य पानी में एक बहुत ही शक्तिशाली स्तम्भ गड़ा हुआ है। यह स्तंभ कंकरीट और सीमेंट का बना हुआ है। ज्वार के समय पानी की सतह से बचाने के लिए इस स्तंभ की ऊंचाई व इस स्तंभ की नींव पानी के भीतर 218 फीट नीचे सशक्त कड़ी चट्टान पर डाली गई है पुल की दोनों झूलने वाली मेहराबों के रस्से इसी स्तंभ के सहारे टिके हुए हैं। संसार का एक अन्य विशाल लम्बा पुल इंग्लैंड का फोर्थ ब्रिज है। इस पुल की गणना भी संसार के विशालतम पुलो में की जाती है। इस पुल के निर्माण में इंजीनियरों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। यह पुल ब्रिटेन की ‘फोर्थ’ नामक नदी पर बना हुआ है। फोर्थ नदी में बीचों बीच एक चट्टान है। दोनों तटों से इस चट्टान की दूरी एक तिहाई मील पड़ती है इंजीनियरों का विचार था कि जल प्रवाह में स्तंभ खड़ा किये बिना ही किनारे से मध्य में स्थित चट्टान तक और उस चटटान से दूसरे तट तक पुल खड़ा किया जाये। इस कठिनाई को दूर करने के लिये इस्पात के तीन मजबूत ऊँचे-ऊंचे पाए खड़े किये गये-दो स्तंभ दोनों किनारों पर और एक मध्य में चट्टान पर, इनमे प्रत्येक स्तंभ की ऊंचाई चार सौ फीट है। हर स्तंभ पर दोनो तरफ को निकलते हुए त्रिभुज के आकार के गार्डर साथ ही साथ लगाये गये। जिससे स्तंभ का सन्तुलन न बिगड़ न पाये। ‘फोर्थ बिज’ की पूरी लम्बाई ढाई मील है। नदी के ऊपर जो दो मेहराब है, उनमें से प्रत्येक की ऊंचाई 1710 फीट है।Nazca Lines information in Hindi – नाजका लाइन्स कहा है और उनका रहस्यअपने देश भारत में भी विशाल-विशाल पुलों का निर्माण हो चुका है। सन् 1921 में इस्ट कोष्ट रेलवे कम्पनी ने गोदावरी नदी पर एक विशाल पुल बनवाया था। इस पुल की पूरी लम्बाई पोने दो मील है और इसमें 51 स्तम्भ है। बाढ़ के समय 15 लाख घन फीट पानी प्रति सैकंड इस पुल के नीचे से गुजरता रहता है। परन्तु दूसरी ऋतुओं में पुल के केवल छ स्तम्भ ही पानी में रहते हैं और शेष सूखे में रहते हैं।हुगली नदी पर कलकत्ते में बना हुआ हावडा पुल भी काफी विशाल पुल है। इस पुल के मेहराबों की चौडाई 1500 फीट है। भारत में इसके अतिरिक्त और भी कई महत्त्वपूर्ण पुल है, परंतु आश्चर्यजनक मानव निर्माणो’ में उन्हे सम्मिलित नहीं किया जा सकता। हमने विश्व प्रसिद्ध ‘गोल्डन गेट ब्रिज’ का इस लेख में उल्लेख किया है, उस पर रेलगाड़ियों की लाइन नहीं बिछाई जा सकती। क्योकि केबलों पर होने के कारण इस पुल से रेलगाड़ियों का आना जाना संभव नहीं है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—[post_grid id=”9142″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... दुनिया के प्रसिद्ध आश्चर्य विश्व प्रसिद्ध अजुबे