गुरुद्वारा कंध साहिब बटाला – गुरुद्वारा कंध साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी Naeem Ahmad, June 12, 2021March 11, 2023 बटाला शहर पठानकोट रेलवे लाईन से पंजाब के सरहदी जिला गुरदासपुर की तहसील है, तथा अमृतसर से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान बहुत बड़ा दस्तकारी का केंद्र है पर इसको प्रसिद्धि गुरु नानक देव जी के कारण मिली क्योंकि इस शहर में गुरु नानक देव जी की शादी श्री मूलचंद की सुपुत्री बीबी सुलखनी जी के साथ हुई थी। यही पर प्रसिद्ध गुरुद्वारा कंध साहिब स्थित है। गुरुद्वारा कंध साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – गुरुद्वारा कंध साहिब बटाला का इतिहास सिख इतिहासकारों के मुताबिक गुरु नानक देव जी ने प्रचलित रीति रिवाजों के अनुसार शादी करने से इंकार कर दिया था। गुरु नानक देव जी ने विवाह सादे तरीके से करने की इच्छा प्रकट की। जिस पर वहां के पंडितों ने ऐतराज किया तथा बीबी सुलक्खणी जी के पिता श्री मूलचंद जी ने भु बगैर रस्मों रिवाज के विवाह करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने बारात को खाली हाथ वापस भेजने की धमकी भी दी। गुरुद्वारा कंध साहिब बटाला परंतु बटाला शहर के ही एक ऊंचे भंडारी खानदान ने कहा कि यदि श्री मूलचंद अपनी पुत्री का विवाह गुरु नानक देव जी नहीं करेगें तो वह अपनी पुत्री का विवाह गुरु नानक देव जी करने के लिए रजामंद है। इसके बाद पंडितों के साथ गुरु जी का विचार विमर्श हुआ। उन्होंने गुरु महाराज को एक मिट्टी की दीवार के बगल में बैठाया जो कमजोर थी और गिरने वाली थी। एक बुजुर्ग माता ने जो वही आसपास रहती थी उसने आकर गुरु नानक देव जी से कहा बेटा जी दीवार से पीठ लगाकर आप बैठे हो यह दीवार कमजोर है कभी भी गिर सकती है। गुरु नानक देव जी बुढ़ी माता की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा माता यह दीवार सदियों तक नहीं गिरेगी यह हमारी शादी की यादगार के रूप में सदियों तक बनी रहेगी और ऐसा ही हुआ। सदियां बीत गई है परंतु यह दीवार आज भी खड़ी है। यह शीशे के चौखट में फ्रेम करके गुरुद्वारा कंध साहिब में हिफाजत से रखी हुई है। गुरु नानक देव जी का विवाह माता सुलखणी जी के साथ हो गया। हर साल गुरु जी की शादी की याद में यहा पर समारोह होता है और बड़ा शानदार जुलूस निकाला जाता है। यह बात याद रखने वाली है कि गुरु नानक देव जी की बारात राये भोइ की तलवंडी जिसको आजकल ननकाना साहिब कहते है, जो आजकल पाकिस्तान में है से जिला कपूरथला के कस्बे सुल्तानपुर लोधी पहुंची वहां से बटाला शहर के लिए रवाना हुई थी। सुल्तानपुर से गुरु जी की बहन बेबे नानकी जी तथा बहनोई जयराम जी बारात में शामिल हुए। नवाब दौलत खान लोधी ने अपने हाथी और घोड़े बारात की शान बढाने के लिए भेजे थे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—– [post_grid id=”6818″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल ऐतिहासिक गुरुद्वारे