खजुराहो का मंदिर (कामुक कलाकृति) kamuk klakirti khujraho Naeem Ahmad, February 11, 2017February 9, 2023 अनेक भसाव-भंगिमाओं का चित्रण करने वाली मूर्तियों से सम्पन्न खजुराहो के जड़ पाषाणों पर चेतनता भी वारी जा सकती है। पाषाण-निर्मित निर्जीव और स्थिर प्रतिमाएँ जिव्हाहीन होकर भी जैसे मन का भाव स्पष्ट कर देती है। ये कठोर पाषाण की मूर्तियाँ इतने कोमल भाव व्यक्त करती है कि मन आश्चर्यं चकित हो जाता है। विविध उपास्य देवी-देवताओं को सुंदरतम एवं भव्य मूर्तियों के साथ ही खजुराहो में अनेक काम-क्रिड़ा और रति-केलि’ का चित्रण करने वाली मूर्तियाँ भी है, जो प्रणयी जीवन की प्रणय-गाथाओं को निः:शव्द मूक स्वर में मुखरित करती है। पाषाणों के माध्यम से कलाकारों ने जैसे समस्त नायिकाभेद का रहस्योद्घाटन कर इन मूर्तियों में मुग्धा, गुप्ता, प्रोषित पतिका, रूपगर्विता, परकीया इत्यादि नायिकाओं का चित्रण किया है। खजुराहो के मंदिरों की मदमाती एवं काम क्रिड़ाओं की अनेक परिभाषाओं को विशद करने वाली मूर्तियों में उद्वेगी एवं कलुषित मन भले ही अश्लीलता देखे किंतु जिन कलाकारों ने इनका निर्माण किया था उनकी भावना निश्चित ही ऐसी नहीं थी, क्योंकि ऐसी मूर्तियाँ उपास्य नहीं उपासक है। उपास्य तो हे देवी-देवता, जो आलों में प्रतिष्ठित हैं। जीवन के परम सौंदर्यतत्व काम एवं संभोग-तत्व के अनेक व्यापारों का विशद वर्णन वास्तव में उस दार्शनिक पृष्ठभूमि को स्पष्ट करता है, जो ‘सत्यम शिवम सुन्दरम” की परिभाषा देता हुआ सौंदर्य में और सत्य में शिवम की प्रतिष्ठा करता है। खजुराहो में अंकित मूर्तियों में ऐसी ही सौंदर्य-भावना को प्राधान्य दिया गया है जो मंगल एवं कल्याण के साथ समन्वित हैं। इन मंदिरों और मूर्तिकला के निर्माण में जिस दार्शनिक प्रेरणा से कार्य किया है, वही विकसित होकर शैव प्रत्यभिज्ञ में परिवर्तित हुआ, और कालान्तर में वही साहित्य शास्त्र में रसवाद की भूमिका बना।खजुराहो के मंदिरों में कन्दरिया विश्वनाथ, दूलह देव, लालगुवां महादेव, मातंगेश्वर, अवारी, लक्ष्मणेश्वर आदि प्रमुख मंदिर है। आदिनाथ, पार्श्वनाथ आदि जैन मंदिर हैं। इन मंदिरों में नृत्य-गीत, दर्पण में मुख देखती हुई अप्सरा, वंशीवादन का त्रिभंगी रूप, कामक्रीड़ा इत्यादि का चित्रण करने वाली अनेक प्रतिमाए है जिनका एकमात्र उद्देश्य जीवन को आनन्द तक पहुँचाने एवं उसके सौंदर्य-तत्व में शिवत्व का प्रतिस्थापन करने का है।खजुराहों छतरपुर से 27 मील पूर्व तथा पन्ना से 25 मील उत्तर कोने पर बमीठा- राजनगर सड़क पर स्थित है। बमीठा-राजनगर सड़क सतना-तौगांव की शाखा है। खजुराहो के मंदिर और प्राचीन अवशेष 8 वर्गमील के घेरे में है। ये मंदिर पूर्व-मध्य-कालीन भारतीय कला के उत्कृष्ट नमूने है। अनुमान है कि ये मंदिर खजुराहो के प्राचीन शक्तिपीठ के महान विचारकों की प्रेरणा एवं चन्देल राजाओं के प्रोत्साहन से 8 वीं से 15 वीं शताब्दी के समय में बने हैं। इन मंदिरों का स्थापत्य आर्यशैली का है। खजुराहो के दर्शनीय स्थल भारत के मध्यप्रदेश के झांसी से 175 किलोमीटर दूर छतरपुर जिले में स्थित शहर खजुराहो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है । इस प्रमुख शहर को प्राचीन काल में खजूरपुरा ओर खजूर वाहिका के नाम से पुकारा जाता था ।यहाँ बड़ी संख्या में हिन्दू धर्म तथा जैन धर्म के मंदिर है । मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में इन एतिहासिक इमारतों की दीवारों पर तराशी गई कामुक कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है ।हिन्दू कला ओर संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था । खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है यह शहर चन्देल सम्राज्य की प्रथम राजधानी था चंदेल वंश ओर खजुराहो के संस्थापक चन्द्रबर्मन थे।देश विदेश से लाखों पर्यटक इस सौंदर्य की प्रतीक कलाकृति को देखने निरंतर आते रहते है। इन मंदिरों को तीन समूहों में बांटा गया है :- पश्चिमी समूह, पूर्वी समूह, दक्षिणी समूहपश्चिमी समूह खजुराहोब्रिटिश इंजीनियर टी एस वर्ट ने खजुराहो के मंदिरों की खोज की थी तब से मंदिरों के एक विशाल समूह को पश्चिमी समूह के नाम से जाना जाता है । यह खजुराहो के सबसे आकषर्ण स्थानों में से एक है । इस स्थान को यूनेसको ने 1986 में विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है । शिव सागर के नजदीक स्थित इस पश्चिमी समूह के मंदिरों के साथ यात्रा की शुरुआत करनी चाहिए इस समूह में कई आकषर्ण मंदिर है इन मंदिरों की बहुत ज्यादा सजावट की गई है ।लक्ष्मण मंदिरयह मंदिर पत्थरों से निर्मित एक अद्भुत संरचना है । यह मंदिर जितना प्राचीन है उतना ही सुरक्षित है । यहाँ लगभग 600 देवी देवताओं की मूर्तियाँ है । इस मंदिर में सुंदर नक्काशी की गई हैवराह मंदिरइस मंदिर में भगवान वराह का सबसे बड़ा विशालकाय चित्र स्थापित है । वराह भगवान विष्णु के अवतार है । मंदिर के चारों ओर बाहरी दीवारों पर सुंदर कलाकृति पर्यटकों को बहुत पसंद आती है।कंदारिया महादेव मंदिरयह मंदिर पश्चिमी समूह के मंदिरों में सबसे बड़ा मंदिर है । यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है ।इस मंदिर की भव्यता ओर सुंदरता काफी प्रसिद्ध है ।इस मंदिर का निर्माण राजा विध्घाधर ने महमूद गजनी से युद्ध में विजय के उपलक्ष्य में कराया था ।यह मंदिर खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों में से है ।चौसठ योगिनीयह मंदिर 64 देवियों को समर्पित है । इस मंदिर का निर्माण लगभग 9 वी शताब्दी में हुआ था यह खजुराहो के प्रसिद्ध पर्यटन आकर्षणो में से एक है ।विश्वनाथ मंदिरशिव मंदिरों में अत्यंत महत्वपूर्ण विश्वनाथ मंदिर का निर्माण सन् 1002- 10003 ई° में हुआ था । पश्चिमी समूह की जगती पर स्थित यह मंदिर अतिसुन्दर मंदिरों में से एक है । इस मंदिर का नामकरण भगवान शिव के एक ओर नाम विश्वनाथ पर किया गया है गर्भगृह में शिवलिंग के साथ साथ गर्भगृह केंद्र में नंदी पर आरोहित शिव प्रतिमा स्थापित की गयी है।नंदी मंदिरयह मंदिर विश्वनाथ मंदिर के सामने बना है इसकी सुंदरता भी देखने लायक हैदेवी जगदंबा मंदिरकंदारिया मंदिर के उत्तर में देवी जगदंबा का मंदिर है । यह मंदिर पहले भगवान विष्णु को समर्पित था । कुछ वर्षो पश्चात छतरपुर के राजा ने देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर दी थी । जिस वजह से यह देवी जगदंबा के नाम से जाना जाने लगा ।यह मंदिर शर्दुलो के काल्पनिक चित्रण के लिए प्रसिद्ध है।सूर्य (चित्रगुप्त मंदिर)इस मंदिर में भगवान सूर्य की 7 फीट ऊची प्रतिमा है जो कि कवच धारण किये हुए है । इसमें भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार है तथा दक्षिण की ओर 11 सिर वाली भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है । इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है।पूर्वी समूह खजुराहोपूर्वी समूह के मंदिरों को दो सम विषम समूहों में बांटा गया है । जिनकी उपस्थिति आज के गांधी चौक से शुरू हो जाती है । इस श्रेणी के चार मंदिरों का समूह प्राचीन खजुराहो गाँव के नजदीक है तथा दूसरे समूह में जैन मंदिर है जो गाँव के स्कूल के पिछे स्थित हैजावरी मंदिरइस मंदिर का निर्माण 1075से 1100 ई में कराया गया था । इस मंदिर के तीन ओर पत्थर की सुंदर कारीगरी की गई है जोकि अत्यंत सुंदर दिखाई पडती हैवामन मंदिर खजुराहोखजुराहो के पूर्वी समूह में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु के बौने अवतार के सम्मान में बनाया गया था । इस मंदिर की सजावट के लिए शिकारा ओर महामंडप भी है । इस मंदिर की दीवारों में अद्भुत नक्काशी की गई है।आदिनाथ जैन मंदिर खजुराहोआदिनाथ मंदिर में संवत के समय उनके आदर्श ओर अभिलेख स्थापित है ।शांतिनाथ मंदिरशांतिनाथ मंदिर आधुनिक समय की संरचना है जोकि बहुत से मंदिर ओर तीर्थ स्थानों में से एक है इस मंदिर में जैन धर्म के मुख्य आदर्श भगवान शांतिनाथ जी की 15 फीट ऊची प्रतिमा है।दक्षिणी समूह खजुराहोइस भाग में दो मंदिर है । एक भगवान शिव को समर्पित है ओर दुसरा भगवान विष्णु को समर्पित है ।चतुर्भुज मंदिरयह मंदिर 1100ई° में बनाया गया था । यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है । इस मंदिर की दीवारें चतुर्भुजा पत्थरों से बनी है । इस मंदिर की दीवारों में कामसूत्र कटेगरी कारीगरी की गई है यह अद्भुत मंदिर है।दुलह देव मंदिरदुला देव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है । इस मंदिर में एक महामंडप बनाया गया है । जिसका आकार अष्टभुज जैसा है । इस अष्टभुज आकार वाले मंडप में 20 अप्सराएं दर्शाई गई है जोकि मुकुट व भारी आभुषण पहने हुए हैसोमनाथ मंदिर का इतिहासकैसे पहुँचेखजुराहो शहर का खुद का हवाई अड्डा है । यह शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर है । यहाँ से भारत के प्रमुख शहरों के लिए सुविधा उपलब्ध है । इस शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन भी है जो भारत वर्ष के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है । सडक मार्ग द्वारा झांसी से प्राईवेट तथा सरकारी बस सेवा निरंतर उपलब्ध है।आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेन्ट करके जरूर बतायेहमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=’15879′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल मध्य प्रदेश पर्यटन