एनरिको फर्मी का जीवन परिचय – एनरिको फर्मी की खोज Naeem Ahmad, June 13, 2022March 24, 2024 एनरिको फर्मी— इटली का समुंद्र यात्री नई दुनिया के किनारे आ लगा। और ज़मीन पर पैर रखते ही उसने देखा कि लोग तो यहां सब दोस्त ही दोस्त हैं। और कि इधर की दुनिया उतनी पेचीदा भी नहीं है जितनी कि उसने समझ रखी थी। इस सन्देश का कोलम्बस के (1492 में ) अमरीका पहुंचने से कोई सम्बन्ध नहीं था। शिकागो विश्वविद्यालय के न्यूक्लियर फिश्शन प्रॉजेक्ट के अध्यक्ष आर्थर एच० कॉम्प्टन और नेशनल डिफेन्स रिसर्च कमीशन के डायरेक्टर जेम्स बी० कोनेंट के बीच टेलीफोन पर कुछ बातचीत चल रही थी, उसी बातचीत का एक अंश यह वाक्य था। कॉम्प्टन ने कोनेंट को एक सूचना भेजने के लिए यह अनोखा ढंग निकाला था कि विश्व में प्रथम एटामिक रिएक्शन सफल हो चुका है। यह सन्देश 1942 में प्रसारित किया गया था। छोटी-सी दुनिया का मतलब था प्रस्तुत प्रतिक्रिया में अभिवांछित यूरेनियम का परिमाण, दोस्त बाशिन्दो का अर्थ यह था कि प्रतिक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है, और इटली का समुद्र यात्री था, वैज्ञानिक एनरिको फर्मी।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैओर नई दुनिया, वह तो जैसे किसी सिद्ध पुरुष की भविष्यवाणी ही थी। शिकागो यूनिवर्सिटी के स्टेडियम के नीचे बने उस वीरान स्क्वैश कोर्ट में अणु की जो वह पहली विघटन-परम्परा चली थी, उसकी बदौलत हमारी दुनिया आज इतनी अधिक बदल चुकी है कि अब कदम वापस ही नहीं ले जाया जा सकता। वह प्रथम परीक्षणात्मक चेन-रिएक्टर ही था जो अणु बम के तथा अणु शक्ति के शान्तिमय प्रयोगों के अद्भुत रहस्यों की कुंजी हमारे हाथ में थमा गया है।एनरिको फर्मी का जीवन परिचयएनरिको फर्मी का जन्म 29 सितम्बर 1901 को रोम (इटली) में हुआ था। पिता ने कोई नियमित शिक्षा न पाई थी, किन्तु कडी मेहनत करके वह आखिर रेलरोड के एक डिवीज़शन का प्रधान बन ही गया था। मां एक प्राथमिक स्कूल में अध्यापिका थी। तीन तीन बच्चो की एक साथ परवरिश जबकि उनकी आयु में अन्तर कुल मिलाकर तीन वर्ष का ही हो किसी भी गृहिणी के स्वास्थ्य के लिए एक अच्छी-खासी समस्या बन जाएगा, इसीलिए सबसे छोटे बच्चे एनरिको फर्मी को गांव में भेज दिया गया जहा वह प्राय तीन साल अपने भाई-बहिनों से अलग ही रहा। आगे चलकर जब दोनों भाइयों मे कुछ परिचय हुआ, बडा भाई केवल एक वर्ष ही उससे बडा था, तब दोनो को एक क्षण के लिए भी अलग कर सकना मुश्किल हो गया। दिन का ज्यादा हिस्सा दोनों का बिजली की मोटरों और हवाई जहाजो के मॉडल बनाने में गुजरता। दुर्भाग्य से अभी एनरिको 14 बरस का ही हुआ था कि उसका यह भाई गुजर गया, और उसकी मां शायद इस धक्के को सारी उम्र बरदाश्त नही कर सकी। एनरिको खुद एक लचीली प्रकृति का बालक था, भाई की इस मृत्यु से जो व्यथा और तनहाई उसके जीवन में इस तरह आ गई उसकी किचिंत परिपूर्ति उसके भाई के एक सहपाठी, एनरिको पेर्सिको ने कर दी, यह भी कुछ कम सौभाग्य की बात न थी। दो-दो एनरिको और दोनो की अभिरुचियां भी प्राय एक, विज्ञान के अध्ययन को दोनो ने एक शौक बना लिया आज अपने गांव और शहर का स्थानीय चुम्बक क्षेत्र अंकित कर रहे है तो कल आप ही आप बिना किसी प्रकार की बाह्य सहायता के जाइरोस्कोप के सिद्धान्त की स्थापना मे लगे हुए हैं।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांत1918 में एनरिको पीसा के कालिज में दाखिल हो गया। वहां जाकर उसने कम्पन्न तन्तुओं (वाइब्रेटिंग स्ट्रिग्ज) पर एक निबन्ध लिखा जिसकी बदौलत उसे अपने अध्ययन को अविच्छिन्न रखे रहने के लिए एक छात्रवृत्ति मिल गई, और 1922 में एक्स-रे के साथ कुछ परीक्षणात्मक प्रयोगों के आधार पर वह भौतिकी का एक डाक्टर भी बन गया। इसके बाद फर्मी की अध्ययन-पपासा जर्मनी के गोर्तिजेन विश्वविद्यालय मे लोकविश्वुत वैज्ञानिक मैक्स बार की छत्रछाया में कुछ शान्त हुईं। इतालवी सरकार के शिक्षा मंत्रालय के एक अनुदान द्वारा एनरिको की उच्च अध्ययन की यह श्रृंखला चल सकी थी। और 1926 का साल अभी शुरू भी नही हुआ था कि 25 साल का एनरिको फर्मी रोम विश्वविद्यालय मे सचमुच पूरे रोबदाब के साथ प्रोफेसर नियुक्त हो चुका था।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआविद्युत से आविष्ट एक कण जब हवा मे से गुजरता है तो उसमे से चिंगारियां सी उठती हैं, और इन चिनगारियों को फोटोग्राफ द्वारा अंकित किया जा सकता है। किन्तु उसी हवा में से जब कोई न्यूट्रॉन गुजरता है, तब उसके इस यात्रा पक्ष का कुछ भी चिह्न फोटो-फिल्म पर अंकित नही होता। वैज्ञानिक जानते हैं कि एक न्यूट्रॉन इस प्रकार स्वतन्त्रता पूर्वक तभी कुछ हवा खा सकता है जबकि वह किसी अणु के न्यूक्लियस का छेदन-भेदन कर रहा हो, व्यभिचरण कर रहा हो। दोनो की इस टक्कर व कशमकश से न्यूट्रॉन की राह बदल जाती है। मान लीजिए, दो गेदें हवा में कही ऊपर ही टकरा जाए दोनो में एक (न्यूट्रॉन) अदृश्य हो और दूसरी (न्यूक्लियस) कुछ दिख सकती हो। जो गेंद हमे साफ-साफ दिख रही है, उसकी राह बदल जाने से हम कुछ अन्दाजा लगा सकते हैं कि आसपास ही एक और गेंद भी है जो दिख नही रही।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआइस युक्ति-श्रृंखला से एनरिको फर्मी इस परिणाम पर पहुचा कि ये न्यूट्रॉन ही अणु के हृदय का भेदन कर सकते है। इलेक्ट्रॉन यह काम नही कर सकता क्योंकि वह एक तो इतना हलका होता है और दूसरे उसमे गति भी कोई इतनी अधिक नहीं होती कि वह उसके भार की उस कमी को किसी प्रकार कुछ पूरा कर सके। प्रोटॉन में भार अवश्य होता है, किन्तु न्यूक्लियस उसे परे धकेल देगा क्योकि दोनो के चार्ज धन ही होते है। पाज़िटिव ही होते है। इसके विपरीत, न्यूट्रॉन-परिमाण में भी उतना ही होता है जितना कि प्रोटॉन और क्योंकि इसमे कोई चार्ज (ऋण अथवा धन) होता ही नहीं। इसमे किसी प्रकार के आकर्षण-विकर्षण का कोई प्रश्न उठता ही नही। यह थी फेर्मी की विश्लेषण-प्रक्रिया जिसे 1934 में उसमे एक क्रियात्मक रूप देकर दिखा दिया। उसने यूरेनियम के अणु पर इन न्यूट्रॉनों की बमबारी करके देखा यूरेनियम के न्यूक्लियस ने सचमुच न्यूट्रॉन को जैसे अपनी लपेट मे ले लिया है। अर्थात, अणु का अन्तरंग बदल चुका था। अब यूरेनियम, यूरेनियम नही, कुछ और तत्त्व बन चुका था- नेप्चूनियम। यूरेनियम के न्यूक्लियस मे 92 प्रोटॉन थे और नेप्चुनियम में 93 होते हैं। यह अतिरिक्त प्रोटॉन तभी उत्पन्न हुआ था जबकि न्यूक्लियस ने न्यूटॉन को अपना अन्तरंग करते ही एक इलेक्ट्रॉन को बाहर की ओर उगला।एनरिको फर्मीदुनिया-भर के अणु-वैज्ञानिक इसके अतिरिक्त और भी बातें (अणु के विषय मे ) जानने मे दिन-रात लगे हुए थे कि अणुओ की बमबारी से क्या-क्या और परिवर्तन प्रत्यक्ष हो आते है। 1939 में वह युग परिवर्तन आखिर आ ही गया। फर्मी की दिशा मे चलते हुए अन्य वैज्ञानिकों ने यूरेनियम की न्यूट्रॉनो द्वारा बमबारी जारी रखी और अन्तत वे न्यूक्लियस के विखंडन मे सफल भी हो गए। ज्यो ही अणु छूटा उसका कुछ अंश अदृश्य हो गया। किन्तु अपनी जगह वह लुप्त द्रव्य शक्ति का एक अपरिमेय परिमाण छोड़ता गया। अर्थात ‘स्थूल द्रव्य’ सुक्ष्म शक्ति मे और अक्षरश अल्बर्ट आइंस्टीन की गणनाओं के अनुसार परिणत हो चुका था। डेनमार्क मे नील्स बोर के साथ अनुसंधान करते हुए लिज्रे माइतनर तथा ऑतफ्रीश ने अनुभव किया कि अणु का यह विघटन युद्ध-विजय की दृष्टि से कितना महत्त्वपूर्ण हो सकता है। उसी क्षण नील्स बोर, आइंस्टीन से मिलने के लिए अमेरीका रवाना हो गया और, इस प्रकार धीरे धीरे अमेरीका के वैज्ञानिको को तथा अमेरीका में काम कर रहे अन्य विदेशी वैज्ञानिकों को समस्या की युद्धोपयोगी महत्ता समझ में आने लगी। उधर, वैज्ञानिकों की इस आकुलता को आइंस्टीन ने एक पत्र द्वारा अमेरीका सरकार तक पहुंचा दिया। कोलम्बिया में एनरिको फर्मी ने इधर अणु के क्रियात्मक विघटन को परीक्षण द्वारा समर्थित कर दिखाया और उधर मॉनहाटन प्रोजेक्ट (युद्ध विभाग द्वारा अणु बम प्रायोजना को दिया गया नाम ) कार्यान्वित हो रहा था।रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआमॉनहाटन प्रोजेक्ट मे एनरिको फर्मी के जिम्मे यह पता लगाने का काम था कि क्या विस्फोट की एक अनवरत श्रृंखला सम्भव हो सकती है और अगर हो सकती है तो कैसे। श्रृंखला में अविच्छेद का एक नमूना हम रोज देखते है, जब भी कोई कागज़ जलता है एक सिरे पर तीली लगाओ और आग क्षण मे इस सिरे से बढती बढती कागज के दूसरे सिरे तक पहुच जाती है ओर सारा का सारा कागज़ भभक उठता है। विश्वविद्यालय में विज्ञान के विद्यार्थी रूप मे ही फर्मी का मेल, संयोग से अपनी भावी पत्नी से हुआ था। दोनो को निकट लाने वाला एक सामान्य मित्र था, जो दोनो का ही पूर्व-परिचित था। बडी शीघ्रता के साथ यह प्रेम पनपा और 1928 मे लौरा केंपन और एनरिको फर्मी की शादी हो गई।प्रेशर कुकर का आविष्कार किसने किया और कब हुआइस समय तक एनरिको फर्मी के कोई 30 निबन्ध द्रव्यकण, इलेक्ट्रॉन, रेडियेशन, गैसों की प्रकृति आदि विभिन्न विषयो पर प्रकाशित हो चुके थे जिनके आधार पर उसे इटली की रॉयल एकेडमी का सदस्य चुन लिया गया। इस समादर का मूर्त रूप था, एक चमकीली धारियों वाली पतलून, एक कसीदा किया जेकैट और चोगा, एक परी वाली टोपी और एक तलवार और ‘हिज्र एक्सलेन्सी’ का खिताब, और इन सबके अतिरिक्त एक अच्छी खासी सालाना आय। फर्मी-दम्पती ने इसके बाद नई दुनिया की कुछ यात्रा की, 1930 में मिशिगन विश्वविद्यालय में और 1934 मे ब्राजील तथा अर्जेण्टीना में फर्मी ने कुछ व्याख्यान मालाएं दी। 1938 में हिटलर और मुसोलिनी ने भूरी-शर्ट पहने नात्सियो और काली-शर्ट पहने फासिस्टो ने रोम की गलियो मे बाहो में बाहे डाले मार्च किया। इसी एक घटना से इटली के फासिज्म मे अभिशाप की कालिमा रातो-रात इस कदर बढ गई कि रोम मे पोस्टर टंग गए। यहुदियो का रोमनो से कुछ सम्बन्ध नही, यहूदियों को खत्म कर दोआदि-आदि। अब तक एनरिको फर्मी का विरोध फांसिस्टो के प्रति कुछ प्रकट व उग्र रूप धारण न कर पाया था, किन्तु अब एक विभीषिका स्पष्ट सम्मुख थी, लौरा केंपन यहुदी जो थी।इत्र का आविष्कार किसने किया और कब हुआ1938 के दिसम्बर मे एनरिको फर्मी, फर्मी की पत्नी तथा उनके दो पुत्रों और पुत्रों की नर्स ने स्वीडन जाने के लिए सरकारी अनुमति प्राप्त कर ली ताकि एनरिको फर्मी भौतिकी में वहा स्वय उपस्थित होकर नोबल पुरस्कार ले सके। किन्तु फर्मी परिवार फिर लौटकर इटली आया ही नही, न्यूयार्क जा निकला जहां कोलम्बिया विश्वविद्यालय में फर्मी ने एक नियुक्ति का कुछ प्रबन्ध पहले से कर लिया था। खुद नोबल पुरस्कार के स्वत: लाभ भी कुछ कम न थे। इस वक्त तो वह उसके लिए जैसे स्वतन्त्रता का एक परवाना ही था। एनरिको फर्मी को यह पुरस्कार नये रेडियो सक्रिय तत्त्वों को पहचानने के लिए तथा मन्द गति न्यूट्रॉनों द्वारा न्यूक्लियस की आन्तर प्रतिक्रियाओ में अनुसन्धान के लिए दिया गया था।नील्स बोर के मॉडल मे अणु के दो भाग होते है–एक, अन्तरंग अथवा न्यूक्लियस जिसमे प्रोटॉन होते हैं तथा दूसरा बहिरंग जिसमें इलेक्ट्रॉन होते हैं जेम्स शैडविक ने कुछ परीक्षण किए और 1932 मे उन परीक्षणो के आधार पर यह सिद्ध कर दिखाया कि एक तीसरा कण और भी होता है– न्यूट्रॉन जो अणु के इस केन्द्रक में आबद्ध होता है। इस नये कण का भार प्राय प्रोटॉन के बराबर तथा इलेक्ट्रॉन से 2,000 गुना अधिक होता है। किन्तु जहा प्रोटॉन मे प्रकृत्या धनावेश होता है तथा इलेक्ट्रॉन में ऋणावेश- वहा न्यूट्रॉन में विद्युतावेश अथवा चार्ज बिलकुल नहीं होता– न ऋण, न धन। अब आविष्ट ऋणों को तो चुम्बक द्वारा अथवा वैद्युत क्षेत्रो द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है किन्तु न्यूट्रॉन की स्थिति को नियमित कर सकना तो दूर इसका प्रकार जान सकना भी असम्भव है। अणु के विस्फोटन की अविच्छिन्न श्रृंखला प्राय इस प्रकार सिद्ध हुआ करती है। पहले तो न्यूट्रॉनों का एक स्रोत-सा एक यूरेनियम अणु का छेदन करता है, इससे शक्ति का विसर्जन होता है, किन्तु अणु की प्रस्तुत प्रतिक्रिया मे यह छेंदन-क्रिया नही होती जो उसमे यह निरन्तरितता सिद्ध कर सकती हो। यूरेनियम के इस विस्फोटन मे मुख्य घटना कुछ और ही होती है, और वह यह कि यह फूट रहा अणु स्वयं और न्यूट्रानों को बाहर फेकता है। ये नये न्यूट्रान और अधिक अणुओं को फाड़ते है, और यही कुछ आगे चलता ही चलता है जब तक कि सारा यूरेनियम तहस-नहस नही हो जाता। ये यूरेनियम-अणु फटते है और अनन्त शक्ति को उगलते हैं और इस शक्ति विसर्जन से इस प्रकार एक भीषण स्फोट प्रत्यक्ष ही आता है।थर्मामीटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआमूल समस्या यह थी कि क्या विस्फोट की एक अविच्छिन्न श्रृंखला उत्पन्न कर सकना सभव है? यदि वह संभव है तो उसे क्रियात्मक रूप में किस प्रकार सिद्ध किया जाए। फर्मी ने सुझाया कि यदि यूरेनियम को ग्रेफाइट (पेंसिल के सिक्के) के साथ मिला दिया जाए तो प्रेफाइट की पट्टी न्यूट्रानों की गति मे कुछ रुकावट ला देगी, और अब होगा यह कि ये न्यूट्रान यूरेनियम के अणुओं के पास से तेजी से गुजरने की बजाय उनसे टकराने लगेंगे। और यह बात वैज्ञानिको को पहले ही पता थी कि यह टक्कर ले सकना एक मन्द गति न्यूट्रान के लिए अधिक संभव है क्योकि ज्यो-ज्यो वह न्यूक्लियस के निकट पहुंचता जाएगा वह आपने आप एक प्रकार के गुरुत्वाकर्षण-क्षेत्र से आकृष्ट होता जाएगा। एक तेज गति के साथ भागता हुआ न्यूट्रान प्राय न्यूक्लियस के साथ संघर्ष में नही आता। वह तेज़ी के साथ परे निकल जाता है, ठीक वैसे ही जैसे गोल्फ की गेद तेजी में अगर उसके रास्ते मे पडे रोल्ज़ बहुत सख्त हो तो कप के ऊपर से उड़ती निकल जाएगी, टकराकर उसे उलट नही देगी।इत्र का आविष्कार किसने किया और कब हुआकुछ अन्य वैज्ञानिकों की सहायता से एनरिको फर्मी, अन्तत एक एटामिक पाइल खडी कर सकते में सफल हो गया। प्रेफाइट की एक पाइल और यूरेनियम तथा यूरेनियम ऑक्साइड की कुछ ढेरिया। इस तरह की एक पाइल में प्राय छ टन धातु काम में आती है। एक और धातु केडमियम की छोटी-छोटी पट्टियां भी बीच में पडती है। क्योकि कैडमियम का काम होता है कि वह न्यूट्रानो को अपने में जज्ब करता चले ताकि अणु के विच्छेदन मे गति हद से न बढ जाए। विस्फोट को नियत्रित कर सकने की यह प्रथम परम्परा2 दिसम्बर 1942 को सभव हुई थी, और यही वह अवसर था जब काम्पटन में जेम्स कोनेंट को खबर दी थी कि इटली का समुंद्र यात्री नई दुनया के किनारे आ लगा है। अर्थात् अणु-युग का सचमुच श्रीगणेश हो चुका है।मिसाइल का आविष्कार किसने किया और कैसे हुआ1954 में अमेरीका के परमाणु शक्ति आयोग ने एनरिको फर्मी को एटम बस को विकसित करने में उसका जो योगदान रहा था उसके पुरस्कार स्वरूप सवा लाख रुपयें का एक पारितोषिक दिया। बारह दिन बाद एनरिको फर्मी की मुत्यु हो गई। कैंसर से एक नामुराद बीमारी जिस पर एक दिन वैज्ञानिक स्वयं फर्मी द्वारा प्रवर्तित अणु के विस्फोट से उत्पन्न नूतन उपकरणों के प्रयोग से ही विजय पा लेंगे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—–[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक जीवनी