एक्सरे की खोज किसने की थी, एक्सरे किरणें कैसे काम करती है Naeem Ahmad, March 7, 2022March 12, 2022 सन् 1895 के एक सर्द दिन जर्मनी के वैज्ञानिक राण्ट्जन (Roentgen) फैथोड किरण विसर्जन नलिका (Cathode ray discharge tube) के साथ कुछ प्रयोग कर रहे थे। यह कैथोड किरण विसर्जन नलिका पूरी तरह एक गत्ते से इस प्रकार ढकी थी कि उससे प्रकाश बाहर न जा सके। उन्होंने यह अनुभव किया कि विसर्जन नलिका से कुछ फिट की दूरी पर रखा एक कागज, जिस पर बेरियम ब्लेटिनो सायनाइड का लेप चढ़ा था, अंधेरे में चमक रहा है। वास्तव में इस प्रतिदीष्ति (Fluorescence) की घटना को जे.जे. थाम्सन एवं अन्य कई योग्य भौतिकविदों ने देखा तो था, परंतु इसे महत्वहीन जानकर अधिक गौर नहीं किया था। उन्हें इन विकिरणों की प्रकृति के बारे में पता नहीं था, इसी कारण उन्होंने इन विकिरणों को एक्सरे किरणों का नाम दे दिया। लेकिन राण्ट्जन ने इस अकस्मातु खोज के महत्व को यथार्थ मे लिया और अपने अगले छ. सप्ताह उन्होंने इन एक्सरे किरणों के सभी गुणों को पता लगाने में व्यतीत किए। उनकी इस दिशा में रुचि का अन्दाजा तो इस बात से लगाया जा सकता है कि वे अपनी प्रयोगशाला मे ही खाना खाते एवं सोते थे। एक्सरे की खोज किसने की थी ये नयी किरणें विसर्जन नलिका के ऐनोड से उत्सर्जित (Emitted) जान पड़ती थीं, और कैथोड किरणों से इस बात में भिन्न थीं कि ये किरणें विसर्जन नलिका से बाहर वायु में लगभग 2 मीटर तक भेदन कर सकती हैं। जबकि कैथोड किरणें विसर्जित नलिका के अंदर ही रहती हैं। जब राण्ट्जन ने विभिन्न पदार्थों की एक्सरे किरणों के प्रति पारदर्शिता (opaque) की खोज की तो उन्होंने पाया कि ये किरणें केवल 1 मिमी. मोटे शीशे (lead) का भेदन (penetrate) कर सकती हैं। जब वह सीसे की एक छोटी -सी डिस्क को एक्सरे किरणों के मार्ग में रख रहे थे, तब उन्होंने एक और बात की तरफ ध्यान दिया। उन्होंने देखा कि एक्सरे किरणें सीसे की डिस्क की छाया बनाने के अतिरिक्त, उनके अंगूठे की बाह्य रेखा भी दिखा रही थी। मांस एवं हड्डी की पारदर्शिता भिन्न-भिन्न होने के कारण ही उन्हें अंगूलियों की हड्डियों की छाया अपेक्षाकृत अधिक काली दिखाई दी। उन्होंने यह अनुमान लगाया कि एक्सरे किरणें उन पदार्थों का भी भेदन करने की क्षमता रखती हैं, जिनमें से प्रकाश नही गुजर पाता। एक्सरे राण्टूजन ने इन किरणों के बार मे कई सही अनुमान लगाए। उदाहरण स्वरूप, उनके अनुसार इन किरणों की तरंगदैधर्य (wave length) विद्युत चुम्बकीय विकिरणों (radiation) जैसी प्रकाश तरंगों से कम होनी चाहिए क्योकि ये किरणें चुम्बकीय क्षेत्र से अप्रभावित रहती हैं। उनके छः सप्ताह के एकाग्रतापूर्वक किए गए अध्ययनों को कई उच्च कोटि के पेपरों में प्रकाशित किया गया। राण्ट्जन ने स्वय ही इस नईं घटना को एक्सरे किरणों का नाम दिया था। उन्हें कदापि पसंद नहीं था कि कोई इन किरणों को राण्ट्जन किरणों के नाम से पुकारे। उन्होंने अपनी इस खोज पर एक ही बार आम भाषण दिया। उन्होने कई सम्मानों को लेने से मना कर दिया। कई वैज्ञानिक खोजें ऐसी होती हैं, जिनका लाभ प्राप्त करने के लिए कई साल शोध कार्य करना पड़ता है, इसके विपरीत एक्सरे किरणों का लाभ उनको लगभग दो महीनों बाद ही मिल गया। जब उनका न्यूहैम्पशायर हास्पिटल में एक अस्थिभंज (fracture) के निदान एवं चिकित्सा में उपयोग किया गया। इसी कारण सन् 1901 में उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में प्रथम नोबेल पुरस्कार मिला। चिकित्सा के क्षेत्र में इन किरणों की उपयोगिता संसार भर में माननीय है। एक्सरे किरणों की खोज के अलावा राण्ट्जन ने द्विध॒वों के घृर्णन (rotating dielectrics) के चुम्बकीय प्रभावों और क़रिस्टलों में वैद्युत घटना पर प्रयोग किए। शताब्दी की समाप्ति पर वे भौतिकी में पद ग्रहण करने हेतु व॒जबर्ग से म्यूनिख चले गए और म्यूनिख में ही अपनी जिन्दगी के तीन वर्ष एकान्त में बिताने के बाद 77 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े [post_grid id=’8586′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व की महत्वपूर्ण खोजें प्रमुख खोजें