इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि (Evangelista Torricelli) बैरोमीटर के खोजकर्ता Naeem Ahmad, May 27, 2022March 1, 2023 अब जरा यह परीक्षण खुद कर देखिए तो लेकिन किसी चिरमिच्ची’ या हौदी पर। एक गिलास में तीन-चौथाई पानी भर लीजिए। गिलास के मुंह पर एक रूमाल, ढीला-ढाला लपेट लीजिए। एक धागे से रूमाल को चारों तरफ से बांध दीजिए किन्तु रूमाल पानी को छूता रहे। और अब गिलास को एकदम से उलटा कर दीजिए। एरिस्टोटल ने कभी कहा था, “शून्य अथवा रिक्त स्थान से प्रकृति को सम्भवतः नफरत है। और आज कितने ही अदभुत आविष्कार हम कर चके हैं, और हर क्षेत्र में मशीनरी हमारी कितनी ही विकसित हो चुकी है, किन्तु एरिस्टोटल की उक्ति में कुछ सच्चाई अवश्य थी। सर्वथा शून्य नाम की वस्तु शायद कहीं है, नहीं। किसी भी स्थान को गैस वगैरह से कितना ही खाली करने की कोशिश क्यों न करें, कुछ न कुछ द्रव्य कण उस रिक्त-स्थान में रह ही जाएंगे। किन्तु ये बचे-खुचे कण नहीं थे जो गैलीलियो का सिरदर्द बने हुए थे, जबकि उसने अपने एक शिष्य इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि (Evangelista Torricelli) के सम्मुख पंपों के सम्बन्ध में एक समस्या उठाई थी। बिलकुल शून्य न सही, लगभग खाली ही सही, रिक्तता की समस्या का समाधान तब तक हो नहीं पाया था। इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि का जीवन परिचय इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि भौतिक तथा गणित के विशेषज्ञ थे। तथा बैरोमीटर के खोजकर्ता थे। मौसम की जानकारी देने विले बैरोमीटर की खोज इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि ने ही की थी। इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि का जन्म 15 अक्तूबर 1608 के दिन उत्तरी इटली के फैेंजा शहर में हुआ था। फैंजा के जैसुइट कालेज में वह इतना सफल रहा कि उसके पादरी चाचा ने उसे बेनेडेट्टि कैस्टेलि की छत्रछाया में विज्ञान की विविध शाखाओं में दक्षता प्राप्त करने के लिए रोम भेज दिया। कैस्टेलि स्वयं गैलीलियो का एक शिष्य था और सेपिएंजा के कालिज में गणित का प्राध्यापक था। कैस्टेलि ने इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि का प्रथम निबन्ध प्रौजेक्टाइल्ज के सम्बन्ध में गैलीलियो के पास भेजा। गैलीलियो युवक की गणित विषयक प्रतिभा से तथा विवेचना बुद्धि से बहुत प्रभावित हुआ, किन्तु टॉरिसेलि, गैलीलियो के व्यक्तिगत सम्पर्क में बहुत देर बाद ही आ सका। सन् 1641 में गैलीलियो की मृत्यु से तीन महीने पहले जब कि विज्ञान का वह महान आचार्य अन्धा हो चुका था। इन तीन महीनों में वह आचार्य का सहायक भी रहा औरअन्धे की लाठी भी। गैलीलियो ने ही पहले-पहल इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि को प्रेरणा दी थी कि शुन्य की समस्या का कुछ समाधान निकलना चाहिए। टस्कनी के ग्राण्ड ड्यूक के यहां पम्प बनाने वाले कोशिश करके हार गए किन्तु पानी को वे 40 फुट ऊपर नहीं चढ़ा सके। सेक्शन पम्प के द्वारा जल 32 फुट से ज्यादा ऊंचाई तक पहुंचाया नहीं जा सकता था। गैलीलियो ने टॉरिसेलि के सम्मुख प्रश्न रखा कि वह इसका कुछ कारण तथा समाधान निकाले। दो साल बाद टॉरिसेलि ने जो अब फ्लौरेण्टाइन एकेडमी में गणित का प्राध्यापक तथा ग्राण्ड ड्यूक के यहां निजी गणितज्ञ था, यह परीक्षण कर दिखाया जो अब लोक-विश्वत है। इस परीक्षण से भी अधिक महत्त्व की बात यह थी कि ऐसा क्यों होता है। इसका कारण भी उसने स्पष्ट कर दिखाया। इवेंजलिस्टा टॉरिसेलि सौभाग्य से शीशे की वस्तुएं बनाने की कला एवं शिल्प रोम में उन दिनों बहुत उन्नति पर था। टॉरिसेलि को चार-चार फुट लम्बी ट्यूबें बनवाने में कुछ मुश्किल पेश नहीं आई। इन ट्यूबों का एक सिरा बन्द था। टॉरिसेलि ने ट्यूब को पूरा लबालब पारे से भर लिया, मुंह को उंगली से बन्द कर दिया और ट्यूब को एक प्यालेमें उलटा दिया। प्याले में भी काफी पारा भरा हुआ था। अब उसने उंगली हटा ली, और लो पारा निकलकर प्याले में आ गया, सारा नहीं कुछ। ट्यूब के ऊपर के सिरे में पारा प्याले की तह से कोई 30 इंच ऊपर तक ही रह गया। उसके ऊपर जो स्थान था वह खाली था। टॉरिसेलि ने ट्यूब को तिरछा किया। पारा ट्यूब में और भर गया, किन्तु उसकी ऊंचाई अब भी 30 इंच ही थी। ट्यूब को और ज्याद तिरछा किया गया। और अब भी पारे की ऊंचाई प्याले में पड़े पारे से 30 इंच से भी कम रह गई और टयूब में सारी की सारी भर गईं। टयूब को जरा सीधा करें तो वही ‘शून्य’ फिर से वापस आ जाए। इस रिक्त-स्थान में हम जानते हैं पारे के ही कुछ वाष्प रह गए थे किन्तु वस्तुतः अब यह ‘शून्य’ ही था। किन्तु एक प्रश्न अब भी रह गया था जिसका समाधान अभी तक नहीं हुआ था। पारा इतनी ऊंचाई तक खुद कैसे खड़ा रहा ? वह बहकर सारा का सारा प्याले में क्यों नहीं आ गया। टॉरिसेलि के पास इसका जवाब भी था। जिस वातावरण में हम रहते हैं, टॉरिसेलि के शब्द हैं, “वह एक समुद्र की निचली तह है, हवा का एक अनन्त समुद्र। और हवा में भी भार होता है, परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है। प्याले में पड़े द्रव के ऊपर 50 मील ऊंचा हवा का एक भारी अम्बार है जिसका दबाव हम पर हमेशा पड़ रहा होता है। सो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि यह द्रव ट्यूब में ऊपर की ओर चढ़ना शुरू कर देता है, क्योंकि इसकी प्रगति में बाधा कोई होती नहीं, और चढ़ता ही जाता है जब तक कि यह बाहर की हवा के दबाव के मुकाबले में नहीं आ जाता। यह बाहर की हवा ही है जो इसे इस ऊंचाई तक इस तरह संभाले है कि इसे गिरने नहीं देती, परीक्षण का निष्कर्ष अथवा तात्पर्य यह था। अब इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि के लिए इसकी व्याख्या कर सकना मुश्किल नहीं था कि सेक्शन पम्प के द्वारा पानी को 32 फुट से ऊपर क्यों नहीं ले जाया जा सकता। पानी का इससे अधिक भार, हमारा यह वातावरण बरदाश्त नहीं कर सकता। पारा कुल 30 इंच ऊपर उठ सकता है और पानी 32 फुट। पारे की आपेक्षिक घनता 13.6 है। टॉरिसेलि ने यह भी अनुभव किया कि अब हवा की घनता को मापने के लिए भी हमारे हाथ में एक उपकरण आ गया है। किन्तु इस उपकरण का नामम— भार-मापक या बैरोमीटर ब्लेज़ पास्कल ने दिया था, टॉरिसेलि ने नहीं। और बात यह भी है कि यदि वायुमण्डल की घनता कुछ कम हो जैसे कि पहाड़ की चोटी पर हुआ करता है ऐसी जगह पर पारे की ऊंचाई स्वभावतः कुछ कम होगी। एवरेस्ट की चोटी पर हवा का भार, भार-मापक में सिर्फ 11 इंच पारे को ही संभाल सकता है। बैरोमीटर का एक प्रयोग मौसम के आसार बताने मे होता है। पाठक को यह जानकर आश्चर्य होगा शायद कि नम हवा का भार खुश्क हवा से कम होता है। कहने का मतलब यह कि बैरोमीटर में पारा नीचे आ गिरेगा जब हवा में कुछ नमी होगी, और हवा में नमी का मतलब होता है कि आसार बारिश के है। यही पारा फिर से ऊपर चला जाएगा जब हवा फिर खुश्क हो जाएगी। मौसम की खबर जानने के लिए मात्र बैरोमीटर को पढ लेना ही पर्याप्त नही होता किंतु हां, हवा के दबाव में कमी का अर्थ होता है कि कल मौसम खराब रहेगा और पारा चढने लगे तो समझ लो कि कल आसमान साफ रहेगा। इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि ने शून्य सम्बन्धी अपनी इस नयी खोज के आधार पर कुछ परीक्षण और भी किए। उससे प्रत्यक्ष किया कि प्रकाश शून्याकाश मे से भी उसी सुगमता के साथ गति करता है जैसे हवा मे से। और यही सूत्र था जिसने ह्यूजेन्स को एक नयी कल्पना दी कि “प्रकाश एक तंरग समुच्चय के अतिरिक्त कुछ नही है। टॉरिसेलि ने ध्वनि तथा चुम्बक की शक्ति के सम्बन्ध में भी परीक्षण किए। गणित मे तथा जल शक्ति के क्षेत्र मे भी उसके अनुसन्धान कुछ कम महत्त्वपूर्ण नही हैं। सन् 1647 में 39 साल की आयु में इवेंजेलिस्टा टॉरिसेलि की मृत्यु हुई थी। किन्तु इस छोटी सी उम्र मे भी वह बहुत कुछ कर गया। जब कभी हम बैरोमीटर पढ रहे होते हैं या मौसम के बारे में खबरें सुन रहे होते हैं, हम एक तरह से टॉरिसेलि के ऋण को ही स्वीकार कर रहे होते हैं। और हवा का यह अनन्त समुद्र, वायु मण्डल ही है जो पानी को गिलास से बाहर नही गिरने देता, उलटे रूमाल को भी धकेल देता है कि उसे संभाले रखे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—- [post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक जीवनी