इटली का एकीकरण कब हुआ था – इटली की क्रांति कारण और परिणाम Naeem Ahmad, May 13, 2022March 24, 2024 इतालवी क्रांति या इटली की क्रांति को दुनिया इटली के एकीकरण आंदोलन के नाम से जानती है। यह एक तरह से त्रिकोणीय संघर्ष था। एक ओर आस्ट्रियाई और फ्रांसीसी फौजों की ताकत थी, दूसरी ओर राजा इमानुएल और प्रधानमंत्री काउण्ट कैवर की शकुनि नूमा चाले थी और तीसरी ओर गैरीवाल्डी और मेजिनी जैसे समर्पित क्रांतिकारी थे। इटली की किसान जनता ने गैरीबाल्डी को अपना भरपूर प्यार दिया। जहां जहां उनके लाल कुर्ती के सवार गये, उनका खुले दिल से स्वागत हुआ। गैरीबाल्डी की तलवार, मेजिनी के विचारो ओर जनता के समर्थन ने आखिरकार फ्रांसीसी और आस्ट्रियाई शिकंजे से इतालवी द्वीपसमूह मुक्त कराकर एक एकीकृत एवं स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में सफलता प्राप्त कर ही ली। इस विद्रोह को इतिहास में इटली की क्रांति के नाम से जाना जाता है। अपने इस लेख में हम इसी इटली का एकीकरण का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:— इटली की क्रांति कब हुई थी? इटली के एकीकरण से आप क्या समझते हैं? कावूर कौन था इटली के एकीकरण में उसका क्या योगदान था? इटली के एकीकरण में कैबूर का योगदान क्या था? इटली की क्रांति के क्या कारण थे? इटली की क्रांति के परिणाम क्या थे? इटली की क्रांति के नेता कौन थे? इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान क्या था? इटली का एकीकरण कब हुआ था? इटली का एकीकरण किसने किया था? इतालवी भाषा में इटली के एकीकरण को क्या कहते हैं? जोसेफ मेजिनी ने इटली की प्रजा को कौनसा सूत्र दिया? इटली का एकीकरण कब से कब तक चला? इटली का एकीकरण कितने चरणों में संपन्न हुआ? पेपल राज्य इटली में कब सम्मिलित हुआ था? इटली की क्रांति के कारण – इटली का एकीकरणसन् 1815 में वियना की कांग्रेस में आस्ट्रिया ने इटली के छोटे राज्यों पर अपन प्रभुत्व का अधिकार हासिल कर लिया। इन राज्यों पर छोटे-छोटे राजवंशों का शासन था। स्वतंत्रता भाईचारे और समानता जैसे शब्दों का इन राजाओं के लिए कोई अर्थ नही था। हर तरह के क्रांतिकारी विचारों का क्रूरता पूर्वक दमन कर देना उनके खून में था। इसी दौरान इटली के विभिन्न दीपों को एक करके एकीकृत देश बनाने का सपना देखने वाले क्रांतिकारी इतालवियों का एक सगठन यंग इटली सक्रिय हथा। इस संगठन के नेता थे- ग्रिसेपी मजिनी (Giuseppe Mazzini) और इस संगठन में पहली बार ग्रिसेपी गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi) ने भी आजाद और एकताबद्ध इटली के लक्ष्य के लिए खुद को समर्पित किया।काली हवेली कालपी – क्रांतिकारी मीर कादिर की हवेलीयंग इटली की क्रांति करने की महत्वाकांक्षी योजना बुरी तरह असफल हो गयी। यहा तक कि मेजिनी ओर गैरीबाल्डी को भागना पडा। पीडमांट (Piedmont) में गैरीबाल्डी को उनकी गैर हाजिरी में मौत की सजा दी गई। गैरीबाल्डी ने अगले कई साल दक्षिण अमेरीका की क्रांतिकारी परिस्थितियों में अपने साथियों के साथ ब्राजील और उरूगुए की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए गुजारे। इसी बीच में इटली में पूरी तेजी के साथ क्रांतिकारी परिस्थितियां तैयार होती रही।इटली का एकीकरणसन् 1840 आते आते सभी महत्वपूर्ण इतालवियों को यकीन हो चला था कि पीडमांट और उसके युवक राजा विकटर इमानएल द्वितीय के तहत इटली का एकीकरण किया जा सकता है। इस राजा के पास एक बढ़िया फौज ब्रिटेन की हमदर्दी और काउंट संमिला कवर (Cavour) के रूप में एक चतुर राजनयिक विद्यमान था। सन् 1852 में राजा ने काउण्ट को प्रधानमंत्री बनाया। काउण्ट यह तो चाहता था कि इटली एक हो पर वह इसका श्रेय मेजिनी और गैरीबाल्डी जैसी रेडीकल क्रांतिकारियों को नही लेने देना चाहता था। काउण्ट ने घरल मार्च पर उदार नीतियां अपनायी और विदेश में राजा और पीडमांट को ज्यादा से ज्यादा महत्व दिलाने की जी तोड कोशिश की। क्रीमिया के युद्ध में हुई पेरिस कांग्रेस में आस्ट्रिया की आपत्ति के बावजूद काडण्ट ने अपनी कुशलता से पीडमांट की भागीदारी सुनिश्चित कर दिखाई थी। फ्रांस के सम्राट नपोलियन तृतीय की कोशिशों और इच्छा के बावजूद भी इस कांग्रेस में इटली के सवाल पर गौर नही किया गया। पर काउण्ट को इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट तैयार करके प्रतिनिधियों में बाटने का मौका मिल गया।इटली का एकीकरणसन् 1858 में काउण्ट ने नपोलियन के साथ एक संधि कर ली। इस संधि में इन मुद्दों पर सहमति प्रकट की गयी थी। आस्ट्रिया द्वारा हमला होने की स्थिति में फ्रांस और पीडमांट मिलकर लड़ेंगे। जीत की हालत में पीडमांट के राजा को लाम्बार्डी (Lombardy) और वनेटिया (Venetia) का इलाका मिलेगा। इससे पीडमांट की हकुमत का विस्तार ऐल्प्स (Alps) से एडियाटिक (Adriatic) तक फैल जायेगा। सवॉय (Savoy) और नीस (Nice) फ्रांस के अधिकार में होंगे। इटली के शेष बचे इलाकों में मध्य इटली की रियासत बना दी जायेगी। रोम और नेपल्स के साथ मिलकर ये सारा इलाके महासंघ बना लेंगे।मकर संक्रांति का महत्व – मकर संक्रांति क्यों मनाते हैंसन् 1859 की शुरुआत होते ही आस्ट्रिया के साथ युद्ध शुरू हो गया। फ्रांसीसी सेना की मदद से पीडमांट ने मिलान तक का रास्ता साफ कर लिया। नेपोलियन ने पाया कि मध्य इटली के कई राज्य पीडमांट में विलय हो जाने के इच्छुक हैं। इस तरह इटली में स्वत स्फूर्त ढंग से एकीकरण का आंदोलन शुरू हो गया।लखनऊ के क्रांतिकारी और 1857 की क्रांति में अवधउधर गैरीबाल्डी की छवि एक अत्यंत लोकप्रिय गुरिल्ला सेनापति के रूप में स्थापित होती जा रही थी। वे सन् 1848 में दक्षिण अमेरीका से काफी ख्याति अर्जित करके लौटे थे। आस्ट्रियाई फौजों के खिलाफ मुठ्ठी भर सैनिकों के दम पर गैरीबाल्डी ने महान सफलताएं प्राप्त की थी। इटली की जनता की निगाह में वे मुक्तिदाता और नायक थे। इसके विपरीत गैरीबाल्डी की प्रतिष्ठा और लोकप्रियता से घबराकर रोम में उन्हें केवल 500 सैनिकों की कमान सौंपी गयी थी। गैरीबाल्डी ने किसी तरह कोशिश करके अपने सैनिकों की संख्या एक हजार की और उन्हे छापामार-युद्ध का प्रशिक्षण देना शरू किया। इसी प्रशिक्षित सेना के बलबुते पर गैरीबाल्डी ने रोम की हिफाजत में दो बार अपने से दस दस गुनी बडी सेनाओं को पीठ दिखाकर भागने के लिए विवश कर दिया।लखनऊ में 1857 की क्रांति का इतिहासइटली के एकीकरण की मांग से चौककर नपोलियन ने आस्ट्रिया के साथ संधि कर ली। इससे इटली के राष्ट्रवादियों को गहरा धक्का लगा। प्रधानमंत्री काउण्ट कैबर ने तो विरोध में अपना इस्तीफा तक दे दिया। काउण्ट ने खुफिया तौर पर गैरीबाल्डी को बुलाया और उन्हें अपने साथ मिल जाने की दावत दी। गैरीबाल्डी को लगने लगा कि इटली के एकीकरण का वक्त आ गया है। उन्होंने एक बार फिर अपने मशहूर लाल कुर्ती के सवारों को भर्ती करना शुरू किया। गैरीबाल्डी की राजा विक्टर इमानुएल से भी भेंट हुई। फ्रांस और आस्ट्रिया की संधि से इमानुएल भी कतई खुश नही थे।1947 की क्रांति इन हिन्दी – 1947 भारत की आजादी के नेताअसलियत यह थी कि काउण्ट और राजा दोनों गैरीबाल्डी को जनता का समर्थन हासिल करने के लिए एक मोहरे की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे। वे नही चाहते थे कि किसी भी जीत का श्रेय इतालवी किसानो के इस बहादुर मसीहा को मिले। दूरदर्शी गैरीबाल्डी ने इसे तुरंत भाप लिया और इतनी तेजी से फौजी कारवाई शुरू की के काउण्ट की सारी योजना धरी की धरी रह गयी। मई 1860 में गैरीबाल्डी के लाल कुर्ती के हजार सवारों ने सिसली (Sicily) पर हमला किया औरर स्थानीय विद्रोहियों की मदद से फतह हासिल कर ली। गैरीबाल्डी ने आस्ट्रियाई फौजों को एक के बाद एक जोरदार सिक्शत देना जारी रखा। जहा-जहा से उनके फौजी निकलते, जनता उनका खुले दिल से स्वागत करती। गैरीबाल्डी का संदेश होता, “आओ दोस्तों मैं तुम्हें तकलीफ़ कठिनार्ई और थकान दूंगा, हम जीतेंगे या मर जायेंगे।” गैरीबाल्डी से डरकर आस्ट्रियाई सैनिक अपनी चौकियां छोडकर भाग जाते। इस अदभुत क्रांतिकारी पराक्रम के लिए गैरीबाल्डी को राजा ने स्वर्ण-पदक प्रदान किया।वियतनाम की क्रांति कब हुई थी – वियतनाम क्रांति के कारण और परिणामसिसली पर कब्जा करने के बाद गैरीबाल्डी की फौज ने नेपल्स की ओर रुख किया। नेपोलियन ने ब्रिटेन से आग्रह किया कि वह गैरीबाल्डी को रोकने के लिए फ्रांसीसी सेना की मदद करे पर ब्रिटेन ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। गैरीबाल्डी ने सितंबर में नेपल्स का दरवाजा भी पार कर लिया। उनका अगला निशाना रोम था गैरीबाल्डी का ख्याल था कि रोम को फतह कर लेने के बाद इटली के एकीकरण का महान लक्ष्य पूरा हो जायेगा, पर राजा इमानुएल और काउण्ट में गैरीबाल्डी को ऐसा करने से रोका। गैरीबाल्डी ने देशभक्ति के महान लक्ष्यों से प्रेरित होकर राजनीति छोड दी और खेती करने चले गये। इसके बाद राजा ने उन्हें काफी प्रलोभन दिये पर उन्होंने अपना निर्णय नही बदला।क्यूबा की क्रांति कब हुई थी – क्यूबा की क्रांति के नेता कौन थेगैरीबाल्डी की शानदार जीतों में रोम और वेनिस को छोडकर बाकी सभी राज्य पीडमांट में विलीन हो गये थे। इटली के एकीकरण में भी थोड़ी ही कमी बाकी थी। फरवरी 1861 में टयुरिन में पहली राष्ट्रीय संसद बैठी। 14 मार्च को इस संसद ने रोम को इटली की राजधानी घोषित किया। चूंकि रोम वास्तविकता में नई सरकार के पास नहीं था, इसलिए प्रतिकात्मक रूप में रोम की दिशा में फलोरस को राजधानी बना लिया गया। अब इटली के एकीकरण में मात्र रोम ही बाधक था इसलिए सारी दुनिया के कैथोलिकों की इस मसले में दिलचस्पी हो गयी। सन् 1862 में गैरीबाल्डी ने रोम पर हमला करके उसे जीतना चाहा पर इस बार उन्हें हार का मुख देखना पडा।चीन की क्रांति किस वर्ष हुई थी – चीन की क्रांति के कारण और परिणामसन् 1866 तक आते आते इटली ने प्रशा से संधि कर ली। प्रशा ने आस्ट्रिया को युद्ध में हराकर इटली को मजबूत किया। नवबंर 1867 मे गैरीबाल्डी ने एक बार फिर रोम पर हमला बोला। पर इस बार उन्हें ब्रीच-लॉडिंग चेसपाट (Breech Loading Chesspot) राइफलों से नये फ्रांसीसी सैनिकों का सामना करना पडा। गैरीबाल्डी के फौजी एक बार फिर अपने चेहरों पर हार लिख लौट आये। इस पराजय के बावजूद इटली के एकीकरण को ज्यादा समय तक रोक पाना मुश्किल था। दरअसल उस समय अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां बड़ी तेजी से बदल रही थी। फ्रांस और जर्मनी के यद्ध में फ्रांस का पलडा हलका पड रहा था। इसलिए फ्रांस को रोम से अपनी वह गैरीसन बुलानी पडी जिस ने गैरीबाल्डी को आगे नही बढ़ने दिया था। नवंबर 1867 में इस गैरीसन की अनुपस्थिति में इतालवी सैनिकों ने रोम में कदम रखे, और इटली के एकीकरण का महान लक्ष्य पूरा हो गया। इटली की क्रांति ने दुनिया को दो नायाब हीरे दिये -मजिनी और गैरीबाल्डी। मजिनी जिस ने इटली का एकीकरण और आजादी का स्वप्न देखा और गैरीबाल्डी जिसने किसान जनता की मदद और हमदर्दी से इस सपने को धरती पर उतारा।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—–[post_grid 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