अहोई आठे व्रत कथा – अहोई अष्टमी का व्रत कैसे करते है Naeem Ahmad, September 21, 2021March 10, 2023 कार्तिक कृष्णा-अष्टमी या अहोई अष्टमी को जिन स्त्रियों के पुत्र होता है वह अहोई आठे व्रत करती है। सारे दिन का व्रत रखकर सब प्रकार की कच्ची रसोई विधि-पूर्वक बनाई जाती है। सन्ध्या को दीवार में आठ कोष्टक की एक पुतली लिखी जाती है। उसी के समीप सेई (साही) के बच्चो की ओर सेई की आकृति बनाई जाती है। जमीन में चौक पूरकर कलश की स्थापना की जाती है। रसोई का थाल लगाकर भोग के लिये तैयार रखा जाता है। विधिवत् कल्श-पूजन के बाद अष्टमी (दीवार में लिखी हुई चित्रकारी) का पूजन होता है। तब दूध-भात का भोग लगाया जाता है और नीचे लिखी अहोई आठे की कथा कही जाती है :– अहोई आठे की कथा – अहोई आठे की कहानी किसी स्त्री के सात लड़के थे। कार्तिक के दिनों में दीवाली के पूर्व सभी स्त्रियाँ अपने मकानो की लिपाई-पुताई करके उसे स्वच्छ कर लेती हैं। गाँव की स्त्रियाँ खुद बाहर से छापने और पोतने की मिट्टी लाती हैं। अत: वह स्त्री भी मिट्टी लाने के लिये बाहर गई थी। वह जहाँ मिट्टी खोद रही थी, उसी के नीचे सेई की माँद थी। देवयोग से उस स्त्री की कुदाली सेई के बच्चे को लग गई, जिससे वह तुरन्त ही मर गया। यह देखकर स्त्री को बड़ा दुख हुआ, परंतु वह तो मर ही चुका था, अब क्या हो सकता था। इस कारण वह मिट्टी लेकर घर चली आई। अहोई आठे कुछ दिनों के बाद उसका बड़ा लड़का मरर गया। उसके बाद दूसरा लड़का भी मरा। यों ही साल भर के भीतर उसके सातो लड़के मर गये। इस दुख से वह अत्यन्त दुखी हो रही थी। एक दिन उसने वयोवृद्ध स्त्रियों में विलाप करते हुए ,कहा–“मैंने जानकर तो,कोई पाप कभी नहीं किया। एक बार मिट्टी खोदने में धोखे से एक सेई के बच्चे को कुदाली लग गई थी। उसी दिन से अभी साल भर भी नही पूरा हुआ, मेरे सातों लड़के मर गये। तब वे स्त्रियाँ बोली— आधा पाप तो तुम्हारा अभी कम हो गया, जो तुमने चार के कान मे बात डालकर पश्चात्ताप किया। अब जो रहा, उसका प्रायश्वित यही है कि तुम उसी अष्टमी के दिन अष्टमी भगवती के समीप सेई और सेई के बच्चे के चित्र लिखकर उनकी पूजा किया करो। ईश्वर चाहेगा तो तुम्हारा हिंसा-पाप दूर होकर तुम्हे पुनः पूर्ववत सन्तान की प्राप्ति होगी। उस स्त्री ने आगामी कार्तिक कृष्णा यानि अहोई अष्टमी को अहोई आठे व्रत किया। फिर वह बराबर उसी तरह व्रत और पूजन करती रही। ईश्वर की कृपा से पुनः उसके सात लड़के हुए। तभी से इस अहोई आठे व्रत और पूजन की परिपाटी चली है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:——– [post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार हमारे प्रमुख व्रतहिन्दू धर्म के प्रमुख व्रत