अरब इजरायल युद्ध कब हुआ था – अरब इजरायल संघर्ष के कारण Naeem Ahmad, April 19, 2022February 17, 2023 द्वितीय विश्य युद्ध की समाप्ति के बाद 14 मई, 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने ब्रिटिश आधिपत्य के फिलिस्तीनी भू-क्षेत्र को दो हिस्सों में विभक्त करके यहूदियों तथा फिलिस्तीनियों के लिए अलग अलग स्वदेशों के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया किन्तु अरबों को यह बात रास नहीं आयी और उन्होने नवोदित यहूदी राष्ट्र इसरायल को समाप्त करने के लिए युद्ध छेड़ दिया। यह बात अलग है कि अमरीका द्वारा प्रदत्त आर्थिक तथा सामरिक सहायता से इसरायल ने न केवल फिलिस्तीनियों के प्रस्तावित स्वदेश निर्माण वाले भू-क्षेत्र पर कब्जा कर लिया बल्कि उन्हे शरणार्थियों की तरह भटकने को विवश कर दिया अपने इस लेख में हम इसी अरब इजरायल युद्ध का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:—- अरब इजरायल युद्ध कब हुआ था? अरब इजरायल युद्ध के कारण? अरब इजरायल संघर्ष के क्या कारण थे? तृतीय अरब इजरायल युद्ध कब हुआ? प्रथम अरब इजरायल युद्ध कब हुआ? अरब इजरायल के मध्य युद्ध कितने चरणों में लड़ाई गया था? अरब इजरायल संघर्ष को हल करने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर प्रकाश? अरब इजरायल विवाद पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर प्रकाश? द्वितीय अरब इजरायल संघर्ष कब हुआ? चौथा अरब इजरायल संघर्ष कब हुआ? इजरायल फिलस्तीन का संघर्ष की शुरुआत कहां से हुई? इजरायल फिलस्तीन संघर्ष के कारण क्या है? अरब इजरायल युद्ध के कारण विश्व के तीन प्रमुख धर्मो-ईसाई धर्म, इस्लाम धर्म तथा यहूदी धर्म का जन्मस्थल पश्चिमी एशिया आज भी युद्ध के आंतक और तनाव से घिरा भू-क्षेत्र है। दरअसल अरबी (फिलिस्तीनी) तथा यहूदियों (इसरायली) के बीच इस सामरिक तनाव की गाथा लगभग 2,000 वर्ष पुरानी है, जब यहूदियों को उनकी मातृभूमि (जहा आज सीरिया, लेबनान, जोर्डन है) से भगा दिया गया था। जहां आज इसरायल है, पहले वह भू-क्षेत्र भी फिलिस्तीन कहलाता था। यहीं से पलायन करने के बाद निर्वासन की यत्रणा झेलते यहूदी वर्षों तक दुनिया कोने-कोने मे भटकते रहे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद इस गाथा ने तब मोड लिया, जब 1922 में ‘राष्ट् संघ’ (League of Nation) ने 2 नवम्बर, 1917 की बालफर योजना के अनुसार ब्रिटिश आधिपत्य के फिलिस्तीन और जोर्डन के क्षेत्रो में ही यहूदी राज्य की स्थापना पर अपनी सहमति व्यक्त की किन्तु कुछ अडचनों के कारण प्रस्ताव कार्यान्वित न हो सका। द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होते-होते यह प्रश्न फिर उठा विवादास्पद पेलेस्टाइन में यहूदी आव्रजन (Immigration) बढ़ता गया क्योंकि जर्मनी से भी हिटलर की तानाशाही के सताये यहूदी आ रहे थे। अतः यहूदियों के लिए अलग स्वदेश-निर्माण की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी। फलतः 4 मई, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने फिलिस्तीनी भू-क्षेत्र को दो हिस्सों में विभक्त कर दिया। इस तरह हुआ नये राष्ट्र ‘इसरायल’ का जन्म। अरब इजरायल युद्ध की शुरुआत इसरायल के जन्म के साथ ही फिलिस्तीनियों को पड़ोसी देशो जोर्डन, , लेबनान और सीरिया के रेगिस्तानी इलाको में तम्बुओ में शरणार्थियों की तरह रहना पडा। उधर, विश्व के कई देशों से भाग कर जो यहूदी नवजात राष्ट्र इसरायल पहुंच रहे थे, उनका हार्दिक स्वागत किया गया और उन्हे पूरा संरक्षण मिला। फिलिस्तीनियों के पलायन के साथ-साथ इसरायल ने अपने क्षेत्र का विस्तार भी जारी रखा। यही नहीं बल्कि अपनी स्थापना के साथ-साथ इसरायल ने अपने हिस्से से 40 प्रतिशत अधिक भाग पर कब्जा कर लिया था। फलत फिलिस्तीनियों और इसरायलियो के बीच युद्धों की अन्तहीन श्रृंखला शुरू हो गयी। 1948 से लेकर 1973 के दौरान चार बडे युद्ध लडे गये। अरब इजरायल प्रथम युद्ध (1948)14 मई, 1948 को इसरायल की स्थापना के तुरन्त बाद ही अमरीका ने उसे समर्थन दे दिया। 15 मई, 1948 को मिस्र, इराक, जोर्डन, सीरिया व लेबनान की संयुक्त अरब सेना ने इसरायल पर धावा बोल दिया। ये सभी देश इसरायल के पास ही स्थित है। 7 जनवरी, 1949 को युद्ध विराम लागू हो गया परन्तु तब तक इसरायल ने अपने क्षेत्र मे 50 प्रतिशत की वृद्धि कर ली थी। अरब इजरायल द्वितीय युद्ध (1956)1956 में एक बार फिर अरबों और यहूदियो के बीच युद्ध की लपटें जली। 1956 मे मिस्र ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण करके इसरायल के जहाजों पर पाबंदी लगा दी। इस राष्ट्रीयकरण का प्रभाव इग्लैंड और फ्रांस पर भी पडा। इसरायल ने इन दोनो देशो के सहयोग से अरबो के एक बडे क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। बाद मे अमरीका तथा संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के हस्तक्षेप से इसरायल ने तमाम विजित क्षेत्रों को लौटा दिया। अरब इजरायल तृतीय युद्ध (1967)सीरिया की सीमा से इसरायल पर कुछ हमले हो रहे थे। इसरायल ने 1967 में जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। सीरिया ने मिस्र से सहायता मांगी, अतः मिस्र ने भी अपनी सेना की लामबंदी कर दी। इसरायल ने अपने ऊपर हमले की आंशका से 5 जून, 1967 को सीरिया, जोर्डन व मिस्र के सैनिक अड्डों पर अचानक हमला कर दिया। इस अचानक हमले से इन तीनो देशो की सुरक्षा व्यवस्था चरमरा कर रह गयी तथा इसरायल ने मिस्र के तेल उत्पादक क्षेत्र सीनाई (Sinai), सीरिया की गोलान हाइट्स व जोर्डन के पश्चिमी तट पर अधिकार कर लिया। स्वेज नहर का पूर्वी तट भी उसके अधिकार मे आ गया। अरबों की करारी हार हुई। अरब इजरायल चतुर्थ युद्ध (1973)इसरायल ने अपने आधिपत्य के अरब प्रदेशों की वापस करने मे आनाकानी की। इससे क्षुब्ध होकर अरब देशों मिस्र व सीरिया ने 6 अक्तूबर, 1973 को यहूदी त्योहार ‘योम किपर’ (Yom Kippur) के दिन इसरायल पर आक्रमण कर दिया। इसलिए इसे ‘योम किपर युद्ध’ भी कहते है। मिस्र व सीरिया को प्रारम्भिक सफलता अवश्य मिली परन्तु वे 1967 में इसरायल द्वारा विजित प्रदेशों को वापस लेने में असफल रहे। अन्ततः 1974 में अमरीका के तत्कालीन विदेश मंत्री डॉ. हेनरी किसिंजर ने मिस्र, सीरिया, लेबनान, आदि अरब देशों का दौरा किया और अरब-यहूदियों में सन्धि-स्थापना के प्रयास किये। इन प्रयासों के फलस्वरूप ही युद्धो की यह श्रृंखला समाप्त हुई। फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (Palestine Liberation Organization) इस युद्ध मे फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन का जिक्र अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। 1964 में संगठित इस मोर्चे का विशेष उद्देश्य फिलिस्तीनियो को उनका स्वदेश वापस दिलाना था। संगठन के अध्यक्ष यासर अराफात के नेतृत्व में फिलिस्तीन ने अपने स्वतन्त्रता आंदोलन को शुरू किया। हालांकि इसरायल के पास अमेरिकी आर्थिक और सामरिक समर्थन था किन्तु अराफात के नेतृत्व में अरबों ने विशाल विश्व जनमत खडा कर लिया। तभी से यह प्रयास विश्वव्यापी बना कि फिलिस्तीनियों के लिए भी स्वदेश निर्माण पर सक्रिय रूप से गौर किया जाये। वर्तमान स्थितिवैमनस्य और आपसी तनाव की लड़ाई अब भी जारी है, जो कभी भी युद्ध में परिणत हो सकती है। इसरायल के प्रश्न को लेकर अब अरब-देश विभाजित हो गये है। यद्यपि सभी चाहते है कि फिलिस्तीनियों को रहने के लिए उनका अपना भू-क्षेत्र होना चाहिए। इसरायल के प्रति कैम्प डेविड समझौते (1979) के दौरान मिस्र का मैत्रीपूर्ण रवैया देखकर सीरिया, यमन व अल्जीरिया, आदि अरब-देश नाराज है। सबसे चिन्ताजनक बात यह है कि इराक, सऊदी अरब व लीबिया परमाणु बम बनाने का प्रयास कर रहे हैं। याद कोई देश परमाणु बम बनाने में सफल हो जाता है तो पश्चिमी एशिया में स्थिति और भी विस्फोटक हो जायेगी। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”8837″][post_grid id=”7736″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध युद्ध वर्ड फेमस वार