अपोलो की मूर्ति का रहस्य क्या आप जानते हैं? वे आश्चर्य Naeem Ahmad, May 22, 2022March 28, 2024 पिछले लेख में हमने ग्रीक देश की कला मर्मज्ञता का उल्लेख किया है। जियस की विश्वप्रसिद्ध मूर्ति इसी देश के महान कलाकार की अलौकिक कृति थी। अब हम इसी देश की एक दूसरी आश्चर्य जनक वस्तु का उल्लेख कर रहे हैं। भूमध्य सागर में एक टापू है जिसका नाम “रोड्स द्वीप! है। इस द्वीप के इतिहास से पता चलता है कि सर्वप्रथम यूनान के लोग ही यहां पर पहुँचे थे और अपने निवास के लिए मकान आदि बनवाये थे। वे वीर और साहसी थे और युद्ध विद्या में पूर्ण निपुण थे। उन्होने अपनी शक्ति से रोड्स द्वीप के आस-पास के अनेक स्थानों पर अधिकार कर लिया था। अत्यन्त प्राचीनकाल में रोड्स द्वीप के रहने वाले लोग भी सभ्य और सुसंस्कृत थे। रोडस द्वीप की भूमि बडी उपजाऊ है और वहां खाने की प्राय सभी वस्तुएं पैदा होती हैं। फल-फूल के लिये तो पृथ्वी का यह हिस्सा बहुत ही प्रसिद्ध है। कहते हैं कि जब यूनानी (ग्रीक) लोगो ने इस द्वीप मे प्रवेश किया तो उन्होने एक ऊंचे पर्वत पर अपनी राजधानी बनाई।राजधानी को खूब सजाया गया। बडे-बडे सुन्दर-सुन्दर महल और देवी देवताओं के मन्दिर बनवाये गये। धीरे-धीरे रोड्स द्वीप के निवासियों की अपनी एक अलग जाति बन गई समयान्तर मे इस द्वीप को भी कितने ही आक्रमणों का सामना करना पडा। सिकन्दर महान ने अपनी सेना लेकर इस पर आक्रमण किया और इसे अपने राज्य की सीमा मे सम्मिलित कर लिया। पर यहां के निवासी स्वतंत्रता प्रिय थे। जैसे ही सिकन्दर की मृत्यु का समाचार मिला, द्वीप के निवासियों ने सिकन्दर की सेना को वहां से मार भगाया और अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी सिकन्दर की सेना को मार भगाने के पश्चात ही रोडस द्वीप के निवासियों ने मिश्र के तत्कालीन सम्राट टेलिभीर के साथ मित्रता कर ली। यूनान के सम्लाट एण्टिगोनस को रोड्स और मित्र की यह मित्रता पसन्द नहीं आई। उसने मिश्र और रोडस की मित्रता में बाधा डालना शुरू कर दिया। जब इसमे उसे सफलता नहीं मिली तो उसने एक बहुत बडी सेना लेकर रोड्स द्वीप को चारो तरफ से घेर लिया। पर द्वीप के सैनिकों ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए एण्टीगोनस की सेना को पराजित कर दिया। अन्त में एण्टिगोनस को संधि करनी पडी और उसके उपलक्ष्य में द्वीप के निवासियों को बहुत सी वस्तुएं एवं धन देना पड़ा। उन वस्तुओ को द्वीप वालों ने बेचा जिससे उन्हें अपार धन प्राप्त हुआ। कहते हैं उसी धन से रोडस द्वीप के निवासियों ने संसार के महान आश्चर्य अपोलो की मूर्ति का निर्माण करवाया।अपोलो की पितल की मूर्ति का रहस्यअपोलो ग्रीक निवासियों के बड़े प्रिय देवता है। रोड्स वाले अपोलो देवता की पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ किया करते थे। आज भी वहाँ अपोलो की पूजा लोग बड़ी भक्ति और श्रद्धा के साथ किया करते हैं। कहते है कि अपोलो का जन्म मिश्र के देवराज जुपीटर और लाटोना से हुआ था। लोगों की धारणा है कि जुपीटर की आज्ञा से डिल्स नामक स्थान समुद्र के गर्भ से निकला था और उसी पर अपोलो और उनकी बहन डायना देवी पैदा हुए थे। उन दोनों के जन्म के समय अनेक देवी-देवता उन्हें देखने के लिए आए थे।ग्रीक निवासियों में यह विश्वास है कि अपोेलो शिल्प, सजीत, काव्य और औषध के देवता हैं। उन्होंने ही समस्त विद्याओं की रचना की है। इस देश के पौराणिक ग्रंथों में अपोलो देवता के अनेक चित्रों का उल्लेख पाया जाता है। अपोलो के शरीर और सौन्दर्य का वर्णन भी बड़े रोचक ढंग मे लिखा गया है। यह भी लिखा गया है कि वे सदा युवा रहते है। उनके चेहरे की बनावट बड़ी सुंदर है और उनके सिर पर लम्बे-लम्बे केश गुच्छ शोभायमान है। आज भी रोम के निवासियों में अपोलो फैशन, का प्रचलन अत्यधिक है। अर्थात अपोलो की तरह सुन्दर और सजावट मे रहना रोम के निवासी पसन्द करते हैं।भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवायाहम जिस मूर्ति का उल्लेख कर रहे हैं वह इसी अपोलो देवता की मूर्ति थी। यह मूर्ति पीतल की बनी हुई थी। इसके निर्माण की कथा भी बडी रोचक है। कहते है कि इस मूर्ति के बनाने में रोडस द्वीप के निवासियों ने लगभग वह सारा ही घन खर्च कर दिया था जो उन्हें एण्टिगोनस से संधि के बाद मिला था उन दिनो लोगो मे मूर्तियों के प्रति बड़ा ही आकर्षण था और लोग बड़ी श्रद्धा से उन्हें देखते थे तथा उनकी पूजा किया करते थे।कहते हैं कि रोडस द्वीप की राजधानी मे दो बन्दरगाह थे। इन्ही बन्दरगाहों से द्वीप के निवासी बाहरी देशों के व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किये हुए थे उनमें एक बंदरगाह के मुहाने की चौड़ाई बीस फीट थी और दूसरे की चौड़ाई पचास फीट की थी। अपोलो की वह भव्य विशाल मूर्ति दोनों बंदरगाहो के बीच में एक मुहाने पर प्रतिष्ठित की गई थी। बंदरगाह में जो भी जहाज आते-जाते उन्हें मूर्ति के अन्दर होकर जाना पड़ता था। पर इस बात का सही-सही निर्णय नही हो पाया है कि वह मूर्ति दोनों बंदरगाहो के किस मुहाने पर स्थापित की गई थी। कुछ विद्वानों का कहना है कि जिस मुहाने की चौड़ाई पचास फीट थी उसी पर अपोलो की मूर्ति रखी गर्ई थी और कुछ उसे बीस फीट चौडे़ मुहाने पर स्थापित होना बतलाते हैं। चाहे जो भी हो निर्विवाद रूप से वह मूर्ति विशाल थी और विश्व में अपना एक अनोखा स्थान रखती थी।अपोलो देव (ग्रीक) की प्रतिकात्मक मूर्तिसर्वप्रथम अन्वेषकों ने जब इस मूर्ति को देखा था, तो उन्हें बडा आश्चर्य हुआ था। इतनी विशाल मूर्ति का निर्माण समुद्र के मुहाने पर करना कोई मामूली बात नही थी। उस मूर्ति का एक पैर मुहाने की एक दीवार पर था और दूसरा पैर दूसरी दीवार पर। इस प्रकार वह मूर्ति पूरे मुहाने की चौडाई पर छाई हुई अपनी वाशालता प्रकट करती हुई खडी थी। मूर्ति की लम्बाई और चौड़ाई का विचार करते हुये हम उसकी एक कल्पना मात्र कर सकते है। कहते है कि उस मूर्ति की उंगलियां इतनी मोटी थीं कि कोई मनुष्य उसकी कोई उंगली पकड़ना चाहता तो अपने दोनो हाथों को फैलाकर भी नहीं पकड़ सकता था। मूर्ति की लम्बाई का पता चलते ही एक बात का निर्णय हम कर पाते है कि वह वास्तव मे पचास फीट चौडाई वाले मुहाने पर ही स्थापित थी। उसकी लम्बाई 125 फीट अर्थात लगभग 83 हाथ की बताई जाती है। इतनी विशाल मूर्ति का पचास फीट (लगभग 35 हाथ) के चौड़े मुहाने पर आर-पार की दो पर्वतीय दीवारों पर अवस्थित करना कितना कठिन काम रहा होगा, इस बात की कल्पना हम सहज ही कर सकले है। उस पीतल की विशाल मूर्ति के सम्बन्ध मे लोगों का कहना है कि भीतर से वह मूर्ति खाली थी और उस पर चढने के लिये भीतर ही भीतर सीढियां बनी हुई थीं। मूर्ति के सिर में एक काफी बड़ा छिद्र था। मूर्ति के भीतर ही भीतर सीढ़ियों से चढ़कर लोग ऊपर मूर्ति के सिर तक चले जाते थे और फिर छेद से सिर बाहर निकाल कर मिश्र देश को आने जाने वाले जहाजों को देखा करते थे।रूस में अर्जुन का बनाया शिव मंदिर हो सकता है? आखिर क्या है मंदिर का रहस्यइतिहास के प्रसिद्ध विद्वानों का कथन है कि ईसा के जन्म से तीन सौ वर्ष पहले वह मूर्ति द्वीप के मुहाने पर खड़ी की गई थी। हजारों साधारण कलाकार एवं दक्ष कलाकारों ने मिलकर उस मूर्ति को तैयार किया था। उसे तैयार करने में पूरे बारह साल लगे थे। पर दुर्भाग्य से वह मूर्ति केवल सत्तर वर्षो तक ही वहां खडी रह सकी। कहते हैं कि एक बार बहुत जोरों का भूकम्प आया। रोड्स द्वीप डगमगा उठा। उसी समय पृथ्वी के हिलने से वर्षों के श्रम का अद्भुत परिणाम पीतल की वह मूर्ति अपने स्थान से गिरकर नीचे आ पड़ी। रोड्स द्वीप के उस नगर के परकोटे भी धराशायी हो गये थे जहां वह मूर्ति स्थित थी। बाद में रोड्स द्वीप के निवासियों ने उस मूर्ति को पुन प्रतिस्थापित करने के अनेक प्रयत्न किये, पर उन्हे सफलता नही मिली। बहुत परिश्रम करके लोगों ने परकोटे (दीवार) की तो मरम्मत कर ली पर वह मूर्ति जहां पर वह गिरी थी वहीं पडी रही। उस काल से लेकर लगभग 865 वर्षों तक वह मूर्ति उसी अवस्था में जमीन पर पड़ी रही। रोड्स द्वीप वालो ने उसे पुन. खडा करने के लिये हजारों बार प्रयत्न किया, पर अन्त तक सफलता उन्हें नहीं मिली।अपोलो की अद्भुत मूर्तिसमयांतर में रोड्स द्वीप पर से ग्रीक जाति वालो का आधिपत्य मिटता गया और सरासिन जाति के लोगों ने उस द्वीप पर अधिकार कर लिया। जब रोड्स पर सरासिन जाति के लोगों का अधिकार हुआ तब भी अपोलो देव की वह विशाल मूर्ति वैसे ही जमीन पर पड़ी हुई थी। इसी जाति के लोगों ने संसार प्रसिद्ध उस मूर्ति को एक यहूदी व्यापारी के हाथों बेच दिया। उसके बेचने से द्वीप वालो को बहुत सी सम्पदा मिली। कहते हैं कि वह यहूदी व्यापारी उस मूर्ति के पीतल को 900 (नौ सौ) ऊटों पर लाद कर ले गया था। इसी से हम अनुमान लगा सकते हैं कि वह मूर्ति कितनी विशाल थी। साधारण तौर से भी एक ऊंट पर कम से कम दश बारह मन तो बोझ अवश्य ही लादा जा सकता है। यदि प्रत्येक ऊंट पर दस मन पीतल भी लादा गया होगा तब भी उस मूर्ति का पूरा वजन 9000 (नौ हजार) मन होता है।नो हजार मन पीतल की उस विशाल मूर्ति का निर्माण कैसे हुआ था, इस बात को बडे-बड़े वैज्ञानिक भी आसानी से नहीं समझ पाते। फिर मूर्ति तैयार हो जाने पर उसे मुहाने के परकोटों पर चढ़ाने का काम इस बात को जानते हुए कि की तरह उस जमाने में बोझ उठाने की किसी मशीन या क्रेन का संभवत आविष्कार नहीं हुआ था, तो एक दम ही आश्चर्यजनक मालूम पड़ता है। विद्वानों का कहना है कि कथित अपोलो की मूर्ति के अतिरिक्त उस द्वीप में लगभग तीन हजार और भी पीतल की बडी-बड़ी मूर्तियां बनी हुई थीं। उनमें से एक सौ मूर्तियाँ तो ऐसी थीं कि यदि उनमें से एक भी मूर्ति किसी दूसरी जगह होती तो उसी एक मूर्ति के कारण उसका नाम संसार मे अमर हो जाता। उस जमाने में रोड्स द्वीप में देवताओं के बडे सुन्दर अनेक मंदिर भी थे। द्वीप के निवासी धार्मिक विचार के और कला प्रेमी थे। लोगो ने अपने आवास के लिये भी एक से एक सुन्दर आलीशान महल बनवाये थे। जो मूर्तियां वहां बनी थी, उनकी लोग बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा करते थे।चीन की दीवार कितनी चौड़ी है, चीन की दीवार का रहस्यबाद की खोजो में उस द्वीप में कई ऐसी चीजें मिली हैं, जिनसे वहां के प्राचीन निवासियों, उनके आचार विचार और रहन-सहन आदि का पता चलता है। यहां के प्राचीन इतिहास में यहां की राजधानी के नगर का वर्णन बडा ही रोचक है। नगर की सड़के साफ सुथरी थीं और सड़कों के दोनों तरफ सुन्दर वृक्ष लगाये गये थे जिसकी वजह से सड़कों की शोभा बहुत ही बढ जाती थी। उस काल में चलने वाले सिक्के भी मिले है, जिन पर सूर्य भगवान की मूर्ति खुदी हुई है और एक तरफ एक फूल बना हुआ है। इससे प्रमाणित होता है कि पुराने काल में इस देश के निवासी सूर्य की पूजा किया करते थे। गुलाब का फूल सिक्के की दूसरी तरफ बनाया जाता था। वह सभवतः उस देश के सुख-शांति का प्रतीक था। ग्रीक भाषा में रोड्स गुलाब के फूल को कहते हैं। सभावत- इसीलिये उस द्वीप का नाम भी रोड्स द्वीप (अर्थात गुलाबों का टापू) पडा ।धीरे-धीरे इस द्वीप के आदि निवासियों का पतन होता गया। ग्रीक निवासियों से सरासिन जाति के लोगों ने इस द्वीप को ले लिया। आठवीं शताब्दी मे फिर ग्रीक जाति वालो का उस पर अधिकार हुआ, पर कई वर्षा बाद टर्की ने इस पर आक्रमण करके इस द्वीप पर अपना आधिपत्य जमाया और आज तो उस द्वीप से प्राचीन समस्त स्मृतियों लुप्त हो गई है। उस काल का कोई भी अवशेष अब वहां देखने को नहीं मिलता है। जिस अपोलो देवता की मूर्ति का हाल हमने ऊपर लिखा है, उनकी पूजा ग्रीक में सर्वत्र हुआ करती थी। अनेक नगरों में अपोलो के तरह तरह के सुन्दर मन्दिर बने हुए थे और लोग इन्हीं की पूजा किया करते थे। कुछ लोग सूर्य और अपोलों को एक ही देवता मानते है। पर वास्तव मे उस जमाने में भी ग्रीक निवासी सूर्य और अपोलों की अलग-अलग पूजा किया करते थे।ग्रीक के विश्व विख्यात आदि कवि होमर ने अपोलो देवता की प्रशसा में बहुत से गीतों की रचना की है। उन कविताओं को पढ़ने से हमे पता चलता है कि उन दिनों ग्रीकों मे अपोलों देवता की बडी महिमा समझी जाती थी। होमर के गीतो से पता चलता है कि लोग अपने भविष्य की जानकारी प्राप्त करने के लिये अपोलो के मन्दिर मे जाया करते थे। इस कार्य के लिये त्रटिप द्वारा बनाया गया डेलिर का मन्दिर बहुत अधिक प्रसिद्ध था। वहां पर पीथिया नाम की एक लडकी रहती थी वही भविष्य जानने की उत्कंठा रखने वालों का अपोलो की तरफ से उत्तर देती थी। मन्दिर के मध्य भाग में एक गुफा थी। उस गुफा में से बराबर एक प्रकार की गंधक मिश्रित भाप निकला करती थी उसी गुफा के द्वार पर पीथिया एक आसन पर बैठी रहती थी। वह बड़े आचार-विचार और नियम-संयम से रहा करती थी। वह कुमारी थी। वर्ष मे एक बार ही बसंत ऋतु के आगमन पर प्रश्न पूछने वालों को पीथिया उत्तर दिया करती थी। जो लोग अपने लिये कुछ पूछने के लिये जाते थे, उन्हे पूजा के रूप में बहुत सी चीजें भेंट चढाने के लिये ले जाना पडता था। परिणामस्वरूप अपोलों का वह मन्दिर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता था।ईस्टर द्वीप की दैत्याकार मूर्तियों का रहस्य – ईस्टर द्वीप का इतिहासइतिहासकार बतलाते है कि उन दिनो ग्रीक निवासियों में बलि चढाने की प्रथा भी थी। ग्रीस और रोम देश के निवासियों में बलिदान की प्रथा थी। पर सभी में बलि के प्रति एक सा विश्वास नही था। कुछ ऐसे भी लोग थे जो बलिदान की प्रथा के विरोधी थे। पर अपोलो देवता सब लोगों के सामान्य रूप से आर्य देव थे। उनकी भविष्यवाणी के प्रति किसी में अविश्वास प्रकट करने की हिम्मत नहीं होती थी। कहते हैं कि जिस समय पीथिया लोगों के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देती थी उस समय अपोलो देवता उसके ऊपर आ बैठते थे। यह बात नहीं थी कि केवल साधारण जनता को ही अपोलो मे अपने मनोवांछित प्रश्नों का उत्तर जानने के लिये जाया करते थे। कहते कि सिकन्दर महान ने फारस देश पर आक्रमण करने के लिये युद्ध यात्रा करने से पूर्व अपोलो देवता की वाणी को जानना चाहा था।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं रोड्स द्वीप के भिन्न भिन्न नगरों से प्राप्त पौराणिक कला की अनेक स्मृतियां आज ब्रिटिश म्यूजियम की शोभा बढ़ा रही है, पर जिस महान मूर्ति किसी मशीन या क्रेन का संभवत आविष्कार नहीं हुआ था, तो एक दम ही आश्चर्यजनक मालूम पड़ता है। विद्वानों का कहना है कि कथित अपोलो की मूर्ति के अतिरिक्त उस द्वीप मे लगभग तीन हजार और भी पीतल की बडी-बड़ी मूर्तियों बनी हुई थी। उनमे से एक सौ मूर्तियों तो ऐसी थीं कि यदि उनमें से एक भी मूर्ति किसी दूसरी जगह होती तो उसी एक मूर्ति के कारण उसका नाम संसार मे अमर हो जाता। उस जमाने में रोड्स द्वीप में देवताओं के बड़े सुन्दर अनेक मन्दिर भी थे। द्वीप के निवासी धार्मिक विचार के और कला प्रेमी थे। लोगो ने अपने आवास के लिये भी एक से एक सुन्दर आलीशान महल बनवाये थे। जो मूर्तियां वहां बनी थी, उनकी लोग बडी श्रद्धा के साथ पूजा करते थे।Nazca Lines information in Hindi – नाजका लाइन्स कहा है और उनका रहस्यबाद की खोजों में उस द्वीप मे कई ऐसी चीजें मिली हैं, जिनसे वहां के प्राचीन निवासियों, उनके आचार विचार और रहन-सहन आदि का पता चलता है। यहां के प्राचीन इतिहास में यहां की राजधानी के नगर का वर्णन बडा ही रोचक है। नगर की सड़कें साफ सुथरी थीं और सडकों के दोनों तरफ सुन्दर वृक्ष लगाये गये थे जिसकी वजह से सडकों की शोभा बहुत ही बढ जाती थी। उस काल में चलने वाले सिक्के भी मिले है, जिन पर सूर्य भगवान की मूर्ति खुदी हुई है और एक तरफ एक फूल बना हुआ है। इससे प्रमाणित होता है कि पुराने काल में इस देश के निवासी सूर्य की पूजा किया करते थे। जुलाब का फूल सिक्के की दूसरी तरफ बनाया जाता था। वह संभवतः उस देश के सुख-शांति का प्रतीक था। ग्रीक भाषा में रोडस जुलाब के फूल को कहते हैं। संभावत इसीलिए उस द्वीप का नाम भी रोड्स द्वीप (अर्थात गुलाबों का टापू) पडा।धीरे-धीरे इस द्वीप के आदि निवासियों का पतन होता गया। ग्रीक निवासियों से सरासिन जाति के लोगो ने इस द्वीप को ले लिया। आठवीं शताब्दी मे फिर ग्रीक जाति वालों का उस पर अधिकार हुआ। पर कई वर्षो वाद टर्की ने इस पर आक्रमण करके इस द्वीप पर अपना आधिपत्य जमाया और आज तो उस द्वीप से प्राचीन समस्त स्मृतियों लुप्त हो गई है। उस काल का कोई भी अवशेष अब वहां देखने को नहीं मिलता है। जिस अपोलो देवता की मूर्ति का हाल हमने ऊपर लिखा है, उनकी पूजा ग्रीक में सर्वत्र हुआ करती थी, अनेक नगरो में अपोलो के तरह-तरह के सुन्दर मन्दिर बने हुए थे और लोग इन्हीं की पूजा किया करते थे।अटलांटिस द्वीप का रहस्य – अटलांटिक महासागर का रहस्यजिस अपोलो की मूर्ति की चर्चा हमने की है उसका कोई भी अवशेष अब नहीं रहा है। पौराणिक काल में जिन महान अन्वेषकों ने उन्हें देखा था, केवल उनके लेख ही हमे पढ़ने को मिलते है। पर उन्ही से हम रोड्स की तत्कालीन विकसित कला की कल्पना कर सकते है और हमे आश्चर्य में रह जाना पड़ता है। कहते हैं कि ममेनोनियम नामक नगर मे एक किले के खण्डहर के नीचे एक विशाल मूर्ति मिली थी। मूर्ति महल के गिरने से बीचो-बीच टूट गई थी और कमर से उसके दो भाग हो गये थे। उस मूर्ति के सम्बन्ध में कहते हैं कि वह चौड़ाई में चालीस हाथ के लगभग थी। अभी भी ब्रिटिश म्यूजियम में उस मूर्ति का आगे वाला भाग सुरक्षित रखा हुआ है। यहां कान्सटेन्टिनोपल नगर के उस पत्थर के स्तम्भ का उल्लेख भी कर देना उचित होगा। क्योकि उससे अपोलो की उस मूर्ति की विशालता की एक झलक मिलती है यह स्तम्भ पत्थर का बना हुआ है। इसकी बनावट इजिप्ट देश के पिरामिड की तरह है। उस पर ताम्बें का एक पत्र जडा हुआ है जिस पर लिखा हुआ है- “यह चौकोर अत्यन्त ऊंचा स्तम्भ अनेकों समय पर अनेक बार टूट चुका है, पर अब इसे रोमेन्स के पुत्र कैन्सटासियस ने पुनः मरम्मत करवा कर पहले जितना ऊंचा और मजबूत करवा दिया है। रोडस द्वीप की अपोलो की पीतल की मूर्ति सचमुच बडी अद्भुत है। परन्तु यह स्तम्भ इस स्थान की अदभुत वस्तु है।स्तम्भ पर लिखे इस लेख से भी हमें अपोलो की विशाल मूर्ति का पता चलता है। पर अब उस विशालता की केवल यादगार शेष रह गई है। अब न वह द्वीप है, न वे जातियां जिन्होंने उस मूर्ति को बनवाया था। और ने वह यहूदी सौदागर जो उस मूर्ति को अपने नौ सौ ऊँटों पर लाद कर अपने देश को ले गया था। सब कुछ मिट गया है पर इतिहास के पन्ने उसकी अमरता की गाथा आज भी गा रहे हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-[post_grid id=”9142″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... दुनिया के प्रसिद्ध आश्चर्य विश्व प्रसिद्ध अजुबे