अजमेर शरीफ दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ajmer dargaah history in hindi Naeem Ahmad, March 14, 2017February 17, 2023 भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध शहर अजमेर को कौन नहीं जानता । यह प्रसिद्ध शहर अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है । यह शहर हिन्दू मुस्लिम सिख आदि सभी धर्मों जातियों की एकता के प्रतिक सूफ़ी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह के लिए जाना जाता है । अजमेर शरीफ दरगाह में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का मकबरा है । जो ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाने जाते है । अजमेर शरीफ दरगाह का भारत में बड़ा महत्व है । इस दरगाह के बारे में मान्यता है की यहाँ जो भी मन्नतें मांगी जाती है वो पूरी हो जाती है । यहाँ की खास बात यह है कि ख्वाजा गरीब नवाज़ पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है । यहाँ आने वाले श्रद्धालु चाहे वो किसी भी धर्म से क्यों न हो । ख्वाजा के दर की जियारत कर रूहानी सकून प्राप्त करते है। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के जायरीनों में मुग़लकाल से ही बडे ओहदेदार शासक बादशाह रहे है ।आज भी यहाँ राजनेता अभिनेता आदि प्रसिद्ध हस्तियां जियारत के लिए निरंतर आती रहती है ।पीरान कलियर शरीफख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्तीख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का जन्म ईरान के सिस्तान कसबे के संजर गाँव में माना जाता है । बाद में इनके वालिदैन(माता-पिता) इसहाक शामी हेशत के पास चिश्त नामक स्थान पर बस गये । अजमेर में ख्वाजा का आगमन 1195ई° बाद माना जाता है । ख्वाजा गरीब नवाज का दुनिया से रूखसती का दिन 11मार्च 1233 ई° माना जाता है कहते है कि रोज की तरह एक रात ख्वाजा गरीब नवाज़ अल्लाह की इबादत को अपने कमरे में गये और जब वह पांच दिन तक बाहर नहीं निकले तब उनके अनुयायियों ने अगले दिन कमरा खोला तो देखा तो ख्वाजा यह दुनिया छोड़ चुके है। उन्हें उसी कमरे में सुपुर्दे खाक कर दिया गयाअजमेर शरीफ दरगाह (अजमेर शरीफ दरगाह) का निर्माण और वास्तुकला अद्भुत है। इस दरगाह का निर्माण कई चरणों तथा कई शासकों द्वारा कराया गया था। दरगाह शरीफ में दाखिल होने के चारों तरफ दरवाजे है जिसमें सबसे आलिशान दरवाजा दरगाह बाज़ार की तरफ़ से है जिसकों निजाम गेट कहते है । यह दरवाजा 1912ई° में जनाब मीर उस्मान अली खाँ साबिक़ नवाज़ हैदराबाद का बनवाया हुआ है ।इसलिए इसको उस्मानी दरवाजा भी कहते है । निजाम गेट से दरगाह शरीफ में दाखिल होते ही कुछ ही दूरी पर पुरानी किस्म का दरवाजा है ।इसके ऊपर शाही जमाने का नक्कारखाना है ।इस दरवाजे को शाहजहाँ ने बनवाया था इसी वजह से यह दरवाजा नक्कारखाना शाहजहानी के नाम से मशहूर है। दरगाह का एक दरवाजा बुलंद दरवाजे के नाम से जाना जाता है । यह दरवाजा सुल्तान महमूद खिलजी ने बनवाया था इसकी ऊचाई 85 फुट है तथा यह दरगाह शरीफ की कुल इमारतों में सबसे ऊचा है इसलिए इसे बुलंद दरवाजा कहते है । बुलंद दरवाजे के दायीं तरफ बड़ी देग है जिसे बादशाह अकबर ने चित्तौडगढ़ की फतह के बाद अजमेर शरीफ दरगाह में बनवायी थी । यह देग इतनी बड़ी है की सवा सौ मन चावल एक बार में पकायें जा सकते है। बुलंद दरवाजे के बायीं तरफ छोटी देग है जिसको सुल्तान जहांगीर ने भेंट किया था । इसमें 80 मन चावल एक साथ पकाया जा सकता है। अजमेर शरीफ दरगाह में बादशाह अकबर के द्वारा बनायी गई अकबरी मस्जिद भी है जिसको बादशाह अकबर ने शहजादे सलीम जहांगीर कि पैदाइश की खुशी में बनवाया था । इसके अलावा भी और भी कई निर्माण शासकों द्वारा कराये गये है महफिल खाना जिसको नवाब बशीरूद्दौला ने अपने पुत्र प्राप्ति की खुशी में बनवाया था।यहाँ ख्वाजा की शान में कव्वाली की महफ़िल सजती है। दरगाह को पक्का कराने का काम माण्डू के सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने करवाया था ।दरगाह के अदंर बेहतरीन नक्काशी किया हुआ एक चांदी का कटघरा है ।कटघरे के अदंर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का मजार है । यह कटघरा जयपुर के महाराजा जयसिंह ने बनवाया था ।अगर आपको हमारी यह पोस्ट अजमेर शरीफ दरगाह पसंद आयी तो शेयर करना ना भूलें।Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल तीर्थ स्थलभारत की प्रमुख दरगाहराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन