हेलीकॉप्टर अर्थात् सीधी उडान भरने वाले वायुयानों की कल्पना सबसे पहले सन् 1500 के लगभगलियोनार्दो दा विंची ने की थी। उन्होने हेलीकॉप्टर के सरल आरेख और कुंडलाकार पेंचो पर आधारित हेलीकॉप्टर के अनेक चित्र भी बनाए थे, लेकिन उस
समय मोटरों का विकास नहीं हुआ था, जिसके बिना इनके आरेखित हेलीकॉप्टरों ने कोई प्रायोगिक रूप न लिया। सन् 1800 के लगभग सर जार्ज कैली नामक अंग्रेज ने भी हेलीकॉप्टर पर कुछ परीक्षण किए ओर उनके द्वारा बनाया गया हेलीकॉप्टर का मॉडल 90 फुट की ऊंचाई तक उड़ा। इटली के एक युवक ने भाप से चलने वाली मशीन को 40 फुट ऊपर तक उड़या।
हेलीकॉप्टर का आविष्कार किसने किया और कैसे हुआ
बीसवीं सदी के प्रारम्भ में एक बर्लिनवासी आविष्कारक हरमान गेंसविट ने एक हेलीकॉप्टर बनाया, जो साइकिल के पैडल से चलाया जाता था, परंतु यह हेलीकॉप्टर असफल रहा। 1907 में एक फ्रांसीसी आविष्कारक कोरन ने एक युवक को साथ बैठाकर एक मिनट तक अपना हेलीकॉप्टर उडाया।
इगोर सिकोर्स्की (रूसी-अमेरीकी) ने लगभग 1909 में कीव नगर में अपना पहला हेलीकॉप्टर विकसित किया। इसमेंपेट्रोल इंजन का इस्तेमाल किया गया था। इस हेलीकॉप्टर की उत्थापन शक्ति (लिफ्टिग पावर) इसके वजन से कम थी। अतः वे आरम्भ मे सफल न हो सके। तीस साल बाद जब सिकोर्स्की विमानो के एक सफल निर्माता और डिजाइनर के रूप में ख्याति पा चुके तो उन्होंने हेलीकाप्टर बनाने की ओर फिर से रुचि लेना शुरू कर दिया।
सिकोर्स्की के विचार में एक ऐसे यंत्र की कल्पना थी, जिममें एकइंजन से चलने वाले रोटर की व्यवस्था होनी थी। वह अपने यंत्र में ऐसी व्यवस्था करना चाहते थे, जो उसे ऊपर उठाने के साथ-साथ आगे भी बढ़ा सके और आवश्यकता पडने पर हवा में एक जगह काफी देर तक स्थिर भी रख सके। उन्होने अपने यान के रोटर में
तीन पत्तियों की व्यवस्था रखने का विचार किया, जो हवा को ठीक अंतराल पर काट सके ओर चालक द्वारा नियंत्रित भी की जा सके। इसके साथ ही एक सहायक रोटर की व्यवस्था कर हेलीकॉप्टर की पूछ के सिरे पर लम्बे रूप मे प्रोपेलर रखने का विचार किया, जो मुख्य रोटर से ताल-मेल रखते हुए पूरे यंत्र के घुमावों को रोककर उसे एक सीधी चाल में रखने का कार्य करे। सन् 1938 में जर्मनी की फोक विमान कम्पनी में एक जर्मन -दल ने ऐसा हेलीकॉप्टर बनाने में मे सफलता प्राप्त की, जो हवा में सीधा ऊपर उठकर उड़ सकता था। इसमे 150 हॉर्स पावर का इंजन लगाया गया था। प्रदर्शन के दौरान यह विमान लगभग 1 हजार 500 फूट की ऊंचाई तक जा पहुचा था। फोक कम्पनी का ही दूसरा हेलीकॉप्टर फोक-223 जो 1940 में बनकर तैयार हुआ, लगभग 23 हजार 400 फूट की ऊंचाई तक जा पहुंचा था। इस हेलीकॉप्टर में एक हजार हॉर्स पावर का इंजन लगाया गया था, परंतु द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण इनकी चर्चा जर्मनी के बाहर न हो सकी।

सिकोर्स्की ने अमरीकी सेना के लिए एक ऐसे ही हेलीकॉप्टर का निमार्ण किया जिसका नाम एक्स आर-4 था। 1941 में दिसम्बर के महीने में इसकी परीक्षण उडाने हुई। सैकडो सैनिक अफसरों के सामने इस हेलीकॉप्टर ने उडाने भरने के साथ-साथ कुछ
आश्चर्यजनक करतब भी दिखाए। परीक्षण पूरी तरह सफल रहा।
इस प्रकार सिकोर्स्की हेलीकॉप्टर के आविष्कारक के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसके बाद इसमें अनेक सुधार कर इसे और अधिक उपयोगी ओर विश्वसनीय बनाया गया और तब से हेलीकॉप्टर ने हर क्षेत्र मे महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
युद्ध के समय घायलों को सुरक्षित स्थानों पर पहुचाना, सैनिको को विभिन्न मोर्चों पर उतारना, बाढ़-पीडितों की सहायता करना, समुद्री दुर्घटनाओं में मदद पहुंचाना, खेतो मे कीट-नाशक औषधियां छिडकना, भू-अन्वेषण मे सहायता करना, किसी भी दुर्घटना में फंसे लोगो को बचाना आदि अनेक महत्त्वपर्ण कामों मे हेलीकॉप्टर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हेलीकॉप्टर तेज गति की सीधी उडान के लिए उपयुक्त साधन नही है। यह 50-200 मील प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से नही चल सकता। इसके अलावा इसकी सबसे बडी खामी यह है कि यह आवाज बहुत तेज करता है और यात्रा के लिए मंहगा पडता है।