मैं इस व्रत को निभाने का शपथ लेता हूं। अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार मैं बीमारों की सेवा के लिए ही उपचार करूंगा, किसी को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से कदापि नहीं। मुझे कितना ही विवश क्यों न किया जाए, मैं किसी को विषैली दवा न दूंगा। मैं किसी भी घर में जाऊं, मेरा उद्देश्य बीमारों की मदद करना ही होगा। अपने पेशे के दौरान में जो कुछ भी देखू या सुनू–यदि वह प्रकट करने योग्य न हुआ तो मैं उसे कभी जाहिर न करूंगा। ये विचार उस शपथ में आज भी शामिल हैं जो डाक्टरी पास करने वाले विद्यार्थी ग्रहण करते हैं। पूरे वक्तव्य को‘हिपोक्रेटिक ओथ’ कहते हैं जो यूनान के महान चिकित्सक हिपोक्रेटिस की सीख पर आधारित है।
अनेक प्राचीनग्रीस वासियों को हम उनकी कृतियों के द्वारा ही जान पाए हैं। हिपोक्रेटीज के व्यक्तिगत जीवन के विषय में भी विशेष उल्लेख नहीं मिलता। इतना ही वृत्तान्त मिला है कि ईसा से लगभग 460 वर्ष पूर्व यूनान के कॉस द्वीप में हिपोक्रेटिस ने जन्म लिया था। एस्क्यूलेपिअस का मन्दिर इसी द्वीप पर स्थित था और सम्भवतः हिपोक्रेटिज के पिता इसी मन्दिर के पुरोहित थे।
हिपोक्रेटिस आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के जनक
कुछ ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि हिपोक्रेटिस हुआ ही नही, उसके नाम से प्रसिद्ध चिकित्सा शास्त्र-विषयक सत्तर पुस्तकें एक लेखक संघ की रचनाएं हैं। जैसा भी हो, प्रसिद्ध यूनानी इतिहासज्ञ और दार्शनिक प्लेटो ने हिपोक्रेटिस नामक व्यक्ति की चर्चा की है। प्लेटो का कहना है कि हिपोक्रेटीस ने दूर-दूर तक भ्रमण किया, जहां भी वह गया, उसने चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा दी। थेलीज नामक यूनानी गणितज्ञ ने ईसा पूर्व छठी शताब्दी में कॉस द्वीप मे जिस पाठशाला की स्थापना की थी वही सम्भवतः कालान्तर मे हिपोक्रेटीस की शाला बन गई। चिकित्सा शास्त्र के सिद्धान्तो तथा चिकित्सक और रोगी के बीच समुचित व्यक्तिगत सम्बन्धों की शिक्षा इस शाला में दी जाती थी।
हिपोक्रेटिस के अभ्युदय-काल तक रोगों का निदान और उपचार एस्क्यूलेपिअस के पुरोहितों के हाथो मे था। एस्क्युलेपिअस ग्रीक और रोमन का आरोग्य-देवता था। पुराणों के आधार पर यह माना जाता है कि एस्क्युलेपिअस सिद्धहस्त चिकित्सक था और उसमें मृतकों को जीवित कर देने की क्षमता थी।
उन दिनो बीमारी को देवताओं की अप्रसन्नता का परिणाम समझा जाता था, अत रोग से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय था देवताओं को भेंट चढ़ाना। बीमार यदि चल पाते तो एस्क्युलेपिअस के मन्दिर तक पैदल जाते थे और पुरोहितों की मदद से देवताओं के कृपा-पात्र बनते थे। बहुतेरे रोगी शरीर के नीरोग होने की स्वाभाविक क्षमता के फलस्वरूप ही चंगे होकर घर लौटते थे। कभी-कभी मन्दिर के पुरोहित मरहम या काढा दे देते थे, यद्यपि इस इलाज का उन भाग्यशालियों के अच्छे होने न होने से कोई सम्बन्ध न होता था।
हिपोक्रेटिस
यह समझ लेना कठिन नही है कि लोग हिपोक्रेटीस को सन्देह की दृष्टि से देखते होगें क्योकि उसने इस विश्वास को समाप्त कर दिया था कि देवताओ मे शरीर को नीरोग करने की शक्ति होती है। फिर भी वह इतना चतुर तो था ही कि देवताओ के प्रति लोगो की इस आस्था का पूरी तरह विरोध न करे। पहले हिपोक्रेटीज की शपथ इस तरह थी, “मैं चिकित्सक अपोलो, एस्क्युलेपिअस, आरोग्य संजीवनी तथा सभी देवी-देवताओ के नाम पर शपथ लेता हूं”’” किन्तु हिपोक्रेटिस की आस्था प्रत्यक्ष और परीक्षित तथ्यों पर ही थी। रोग और निदान के सम्बन्ध मे प्रचलित अंधविश्वास पर विजय पाने की उसने पूरी कोशिश की।
सारे सभ्य संसार ने हिपोक्रेटिस की योग्यता का झंडा फहराया। फारस के बादशाह आतजिक्र्सीज़ ने उसे अनन्त सम्पदा इसलिए देनी चाही कि वह फारस की फौजों का विनाश करने वाली महामारी को रोक दे। उस समय फारस और ग्रीस के बीच युद्ध चल रहा था, इस कारण हिपोक्रेटिज ने यह कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि देश के शत्रु की सहायता करना उसके सम्मान के अनुकूल नही है। इस घटना को प्रसिद्ध तेल चित्र मे दर्शाया गया है जो पेरिस के मेडिकल स्कूल मे लगा है।
चिकित्सा-ग्रन्थो में विस्तार से लिखित हिपोक्रेटिस के उपदेशों की खोज मध्ययुग में फिर से की गई। दुर्भाग्य से इन पुस्तको को सम्पूर्ण और अन्तिम रूप से सही मान लिया गया। चिकित्साशास्त्र के सिद्धान्त के रूप मे इनकी मान्यता सर्वोपरि है। सम्भव है
हिपोक्रेटिस के लेखों मे अब तक कमी नही आई तथापि उनके शब्दों का आंख मूंदकर अनुसरण करने का परिणाम यह हुआ कि सदियों तक चिकित्सा शास्त्र मे कोई प्रगति नही हुई। ईसा के लगभग दो सौ साल बाद कितनी ही बातो पर गैलेन का हिपोक्रेटीज से मदभेद था। फिर भी हिपोक्रेटिज के प्रति लोगो की आस्था मे तनिक भी अन्तर नहीं आया और वे यह समझते रहे कि हिपोक्रेटीस का मत अचूक है। फ्रांस के चिकित्सा-विशारद किसी भी गहन प्रश्न के परस्पर-विरोधी उभय पक्षों को प्रकट करने के लिए आज भी यह कहते हैं, “गैलेन हां कहता है पर हिपॉक्रेटीज ना कहता है।” इतिहास में अनेक उदाहरण हैं, जिनके कारण एक अच्छे सिद्धान्त की दासता ने विज्ञान की प्रगति को रोका है। विज्ञान को अतीत की पुनः परीक्षा के लिए सदेव तैयार रहना चाहिए।
हिपोक्रेटिस के विचार से चिकित्सा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग शरीर-विज्ञान (ऐनाटॉमी ) है। परन्तु आगे चलकर कुछ युगों तक शरीर तंत्र के अध्ययन की उपेक्षा होती रही और पन्द्रहवीं सदी में वेसेलियस ने ही इसका पुनरुद्धार किया। तब तक चीर-फाड़ का
काम नाइयों के हाथ में था।
इंग्लैण्ड के राजा हेनरी अष्टम (1509- 1547 ) के राजकाल में एक कानून द्वारा यह आदेश दिया गया था कि खराब खून या दांत निकाल फेंकने के अलावा नाई चीरफाड़ का कोई काम नहीं करेंगे । साथ ही यह मनाही कर दी गई थी कि शल्य शास्त्री हजामत बनाने का काम नहीं करेंगे। इंग्लैण्ड में नाइयों द्वारा प्रदर्शित स्तम्भ बाबर पोल” आज भी नाइयों द्वारा किए गए चीरफाड़ के इतिहास को व्यक्त करता है। नाइयों के इस स्तम्भ (बाबर पोल) में लगी झंडी की सफेद धारी पट्टी का प्रतीक है और लाल धारी रक्त का।
हिपोक्रेटिस की शपथ में डाक्टर और सर्जन दोनों का काम पृथक कर दिया गया है। यथा, “मैं चाकू नहीं चलाऊंगा’ “यह काम विशेषज्ञों को सौंपूगा।” हिपोक्रेटिस के मतानुसार सर्जन का पद डाक्टर के पद से ऊंचा है, जैसा कि हम आज भी मानते हैं। हिपोक्रेटीस आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का जनक है। रोगों के कारणों को आसपास ढुढ़ना ही वह श्रेयष्कर समझता था न कि देवताओं के प्रकोप में। उसकी शिक्षा यही थी कि चिकित्सक रोगी को ध्यानपूर्वक देखे, उसकी परीक्षा करे और रोग के लक्षणों को लिख डाले। इस तरह वह एक ऐसा लेखा तैयार कर सकता है, जिसके आधार पर यह निश्चित किया जा सके कि रोगी का इलाज किस ढंग से करने पर वह नीरोग हो सकेगा। रोगियों की परीक्षा के लिए उसने कुछ सामान्य नियम निश्चित किए—रोगी की आंखों की त्वचा का रंग कैसा है, शरीर का ताप कितना है, भूख लगती है या नहीं, पेशाब और पाखाना नियमित होता है या नहीं।
हिपोक्रेटिस रोगी के सम्बन्ध में दैनिक विवरण तैयार करता था और ऐसा करने के लिए ज़ोर भी देता था। वह रोगी की प्रगति से सम्बन्धित एक चार्ट भी बनाता था। उसे इस बात का ज्ञान था कि जलवायु और ऋतु-परिवर्तन का विभिन्न रोगों पर क्या असर
होता है । उदाहरणार्थ, जुकाम हमें सदियों में ही अधिक होता है। इस तथ्य की ओर ध्यान देते हुए हिपॉक्रेटीस को एक अन्य बात सूफी कि ज्योति विज्ञान तथा चिकित्सा शास्त्र में कुछ न कुछ गूढ सम्पर्क अवश्य होना चाहिए क्योकि ज्योति विज्ञान विभिन्न ऋतुओं के सम्बन्ध मे निश्चय करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस सूझ का परिणाम यह हुआ कि आयुर्वेद के विद्यार्थी बिना किसी उपयुक्त कारण के सदियों तक ज्योति विज्ञान का अध्ययन करते रहे । हिपोक्रेटीस चिकित्सक की सामाजिक मर्यादा और उसमे सामान्य जनता की आस्था पर बहुत जोर देता था। वह डॉक्टरों को प्राय यह सलाह दिया करता था कि वे रोगियों को यह बताने में कभी न हिचकिचाए कि बीमारी कब तक चलेगी क्योंकि यदि उनकी यह भविष्यवाणी सही उतरी तो लोग उन पर अधिकाधिक विश्वास करेगे और उपचार के लिए अपने-आप को निःसंकोच सोप देंगे। हिपोक्रेटिस के कुछ अनुभव आधुनिकतम प्रतीत होते हैं, जैसे, मोटे लोग आम तौर से दुबले-पतले लोगो की अपेक्षा जल्दी मर जाते है, बूढों की खुराक नौजवानो की खूराक की अपेक्षा कम हुआ करती है। सदियों में खूराक ज्यादा होती है और गर्मियों मे कम, दुबले-पतले आदमी खुराक को घटा सकते है, लेकिन उसमे चर्बी का अश कम नही होना चाहिए तथा मोटे आदमी खूराक को बढा सकते है, लेकिन उसमे चर्बी का अंश कम होना चाहिए, चिन्ता, थकावट और सर्दी के कारण होने वाली’ शारीरिक व्याधियों को पानी और शराब की बराबर मात्रा लेने से दूर किया जा सकता है।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-

एनरिको फर्मी--- इटली का समुंद्र यात्री नई दुनिया के किनारे आ लगा। और ज़मीन पर पैर रखते ही उसने देखा कि
Read more दरबारी अन्दाज़ का बूढ़ा अपनी सीट से उठा और निहायत चुस्ती और अदब के साथ सिर से हैट उतारते हुए
Read more साधारण-सी प्रतीत होने वाली घटनाओं में भी कुछ न कुछ अद्भुत तत्त्व प्रच्छन्न होता है, किन्तु उसका प्रत्यक्ष कर सकने
Read more “डिअर मिस्टर प्रेसीडेंट” पत्र का आरम्भ करते हुए विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने लिखा, ई० फेर्मि तथा एल० जीलार्ड के
Read more 15 लाख रुपया खर्च करके यदि कोई राष्ट्र एक ऐसे विद्यार्थी की शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध कर सकता है जो कल
Read more मैंने निश्चय कर लिया है कि इस घृणित दुनिया से अब विदा ले लूं। मेरे यहां से उठ जाने से
Read more दोस्तो आप ने सचमुच जादू से खुलने वाले दरवाज़े कहीं न कहीं देखे होंगे। जरा सोचिए दरवाज़े की सिल पर
Read more रेडार और सर्चलाइट लगभग एक ही ढंग से काम करते हैं। दोनों में फर्क केवल इतना ही होता है कि
Read more योग्यता की एक कसौटी नोबल प्राइज भी है।
जे जे थॉमसन को यह पुरस्कार 1906 में मिला था। किन्तु अपने-आप
Read more सन् 1869 में एक जन प्रवासी का लड़का एक लम्बी यात्रा पर अमेरीका के निवादा राज्य से निकला। यात्रा का
Read more भड़ाम! कुछ नहीं, बस कोई ट्रक था जो बैक-फायर कर रहा था। आप कूद क्यों पड़े ? यह तो आपने
Read more विज्ञान में और चिकित्साशास्त्र तथा तंत्रविज्ञान में विशेषतः एक दूरव्यापी क्रान्ति का प्रवर्तन 1895 के दिसम्बर की एक शरद शाम
Read more आपने कभी जोड़-तोड़ (जिग-सॉ) का खेल देखा है, और उसके टुकड़ों को जोड़कर कुछ सही बनाने की कोशिश की है
Read more दो पिन लीजिए और उन्हें एक कागज़ पर दो इंच की दूरी पर गाड़ दीजिए। अब एक धागा लेकर दोनों
Read more “सचाई तुम्हें बड़ी मामूली चीज़ों से ही मिल जाएगी।” सालों-साल ग्रेगर जॉन मेंडल अपनी नन्हीं-सी बगीची में बड़े ही धैर्य
Read more कुत्ता काट ले तो गांवों में लुहार ही तब डाक्टर का काम कर देता। और अगर यह कुत्ता पागल हो
Read more न्यूयार्क में राष्ट्रसंघ के भवन में एक छोटा-सा गोला, एक लम्बी लोहे की छड़ से लटकता हुआ, पेंडुलम की तरह
Read more “कुत्ते, शिकार, और चूहे पकड़ना इन तीन चीज़ों के अलावा किसी चीज़ से कोई वास्ता नहीं, बड़ा होकर अपने लिए,
Read more “यूरिया का निर्माण मैं प्रयोगशाला में ही, और बगेर किसी इन्सान व कुत्ते की मदद के, बगैर गुर्दे के, कर
Read more परीक्षण करते हुए जोसेफ हेनरी ने साथ-साथ उनके प्रकाशन की उपेक्षा कर दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्युत विज्ञान
Read more चुम्बक को विद्युत में परिणत करना है। यह संक्षिप्त सा सूत्र माइकल फैराडे ने अपनी नोटबुक में 1822 में दर्ज
Read more जॉर्ज साइमन ओम ने कोलोन के जेसुइट कालिज में गणित की प्रोफेसरी से त्यागपत्र दे दिया। यह 1827 की बात
Read more वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी समस्याओं में एक यह भी हमेशा से रही है कि उन्हें यह कैसे ज्ञात रहे कि
Read more इतिहास में कभी-कभी ऐसे वक्त आते हैं जब सहसा यह विश्वास कर सकता असंभव हो जाता है कि मनुष्य की
Read more विश्व की वैज्ञानिक विभूतियों में गिना जाने से पूर्वी, जॉन डाल्टन एक स्कूल में हेडमास्टर था। एक वैज्ञानिक के स्कूल-टीचर
Read more कुछ लोगों के दिल से शायद नहीं जबान से अक्सर यही निकलता सुना जाता है कि जिन्दगी की सबसे बड़ी
Read more छः करोड़ आदमी अर्थात लन्दन, न्यूयार्क, टोकियो, शंघाई और मास्कों की कुल आबादी का दुगुना, अनुमान किया जाता है कि
Read more आपने कभी बिजली 'चखी' है ? “अपनी ज़बान के सिरे को मेनेटिन की एक पतली-सी पतरी से ढक लिया और
Read more 1798 में फ्रांस की सरकार ने एंटोनी लॉरेंस द लेवोज़ियर (Antoine-Laurent de Lavoisier) के सम्मान में एक विशाल अन्त्येष्टि का
Read more क्या आपको याद है कि हाल ही में सोडा वाटर की बोतल आपने कब पी थी ? क्या आप जानते
Read more हेनरी कैवेंडिश अपने ज़माने में इंग्लैंड का सबसे अमीर आदमी था। मरने पर उसकी सम्पत्ति का अन्दाजा लगाया गया तो
Read more “डैब्बी", पत्नी को सम्बोधित करते हुए बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा, “कभी-कभी सोचता हूं परमात्मा ने ये दिन हमारे लिए यदि
Read more आइज़क न्यूटन का जन्म इंग्लैंड के एक छोटे से गांव में खेतों के साथ लगे एक घरौंदे में सन् 1642 में
Read more क्या आप ने वर्ण विपर्यास की पहेली कभी बूझी है ? उलटा-सीधा करके देखें तो ज़रा इन अक्षरों का कुछ
Read more सन् 1673 में लन्दन की रॉयल सोसाइटी के नाम एक खासा लम्बा और अजीब किस्म का पत्र पहुंचा जिसे पढ़कर
Read more रॉबर्ट बॉयल का जन्म 26 जनवरी 1627 के दिन आयरलैंड के मुन्स्टर शहर में हुआ था। वह कॉर्क के अति
Read more अब जरा यह परीक्षण खुद कर देखिए तो लेकिन किसी चिरमिच्ची' या हौदी पर। एक गिलास में तीन-चौथाई पानी भर
Read more “आज की सबसे बड़ी खबर चुड़ैलों के एक बड़े भारी गिरोह के बारे में है, और शक किया जा रहा
Read more “और सम्भव है यह सत्य ही स्वयं अब किसी अध्येता की प्रतीक्षा में एक पूरी सदी आकुल पड़ा रहे, वैसे
Read more “मै
गैलीलियो गैलिलाई, स्वर्गीय विसेजिओ गैलिलाई का पुत्र, फ्लॉरेन्स का निवासी, उम्र सत्तर साल, कचहरी में हाजिर होकर अपने असत्य
Read more “मैं जानता हूं कि मेरी जवानी ही, मेरी उम्र ही, मेरे रास्ते में आ खड़ी होगी और मेरी कोई सुनेगा
Read more निकोलस कोपरनिकस के अध्ययनसे पहले-- “क्यों, भेया, सूरज कुछ आगे बढ़ा ?” “सूरज निकलता किस वक्त है ?” “देखा है
Read more फ्लॉरेंस ()(इटली) में एक पहाड़ी है। एक दिन यहां सुनहरे बालों वाला एक नौजवान आया जिसके हाथ में एक पिंजरा
Read more इन स्थापनाओं में से किसी पर भी एकाएक विश्वास कर लेना मेरे लिए असंभव है जब तक कि मैं, जहां
Read more जो कुछ सामने हो रहा है उसे देखने की अक्ल हो, जो कुछ देखा उसे समझ सकने की अक्ल हो,
Read more रोजर बेकन ने एक स्थान पर कहा है, “मेरा बस चले तो मैं एरिस्टोटल की सब किताबें जलवा दू। इनसे
Read more युवावस्था में इस किताब के हाथ लगते ही यदि किसी की दुनिया एकदम बदल नहीं जाती थी तो हम यही
Read more