हर्षनाथ मंदिर सीकर राजस्थान – जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान Naeem Ahmad, October 23, 2019February 17, 2023 भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक छोटा सा गांव बसा हुआ हैं। इसके पास ही हर्ष नामक एक पर्वत है। यहां भगवान शिव को समर्पित हर्षनाथ मंदिर है। जो एक ऐतिहासिक स्थल है तथा भक्तों में काफी प्रसिद्ध है। इसी हर्षनाथ मंदिर के कारण ही इस गांव का नाम हर्षनाथ पड़ा तथा जिस पहाडी की तलहटी मे यह मंदिर स्थित हैं इस पहाड़ी का नाम भी हर्षनाथ पर्वत इसी मंदिर के कारण कहा जाता है। हर्षनाथ मंदिर की कथा, और इस स्थान के महत्व, दर्शन आदि के बारें मे हम नीचे विस्तार से जानेंगे। कहा जाता हैं कि किसी समय हर्षनाथ गांव अत्यंत विस्तृत एवं वैभव सम्पन्न नगर था। जिसके बारें में जनसाधारण में अनेक किवदंतियां प्रचलित हैं। इसे आजकल हर्ष के भैरूजी के रूप में भी विशेष लोक मान्यता प्राप्त है। परंतु मूल रूप में यह हर्षदेव अर्थात भगवान शिव का पुण्य स्थल है। इसके अलावा यह देवस्थान भक्तों के साथ साथ ऐतिहासिक शोधकर्ताओं तथा कला समीक्षकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है। समय समय पर सर्जेंट ई डीन, प्रोफेसर कीलहार्व, सर कर्निघम, कारलाइन, डा. भण्डाकर, स्वर्गीय ओझाजी आदि प्रसिद्ध विद्वानों ने इस स्थान की यात्रा करके अपने श्रम को सफल एवं उपयोगी बनाया है। इसी प्रकार अनेक कला समीक्षकों ने भी हर्षगीरि की प्रस्तर प्रतिमाओं का गंभीरता पूर्वक अध्धयन करके उनका महत्व उदघाटित किया है। इस विषय मे राजस्थान के पुरातत्व संग्रहालय विभाग के विद्वान निदेशक श्री रत्नचंद्र अग्रवाल द्वारा लिखे हुए अनेक महत्वपूर्ण लेख संग्रहित है। और जो विविध शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए है। हर्षनाथ की कलाकृतियों की सुरक्षा एवं अध्ययन हेतू सीकर में एक संग्रहालय भी बना हुआ है। जिसमें यहां से प्राप्त अनेक प्रतिमाएं संग्रहित है। यहां की अनेक मूर्तियां विदेशों के संग्रहालयों की भी शोभा बढ़ा रही है। हर्षनाथ मंदिर के सुंदर दृश्य Contents1 हर्षनाथ मंदिर सीकर का इतिहास1.1 जीणमाता मंदिर का इतिहास1.1.1 राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—- हर्षनाथ मंदिर सीकर का इतिहास सन् 1834 ईसवीं में सर्जेंट ई डीन.ने हर्षनाथ के महत्वपूर्ण शिलालेखों का पता लगाया था। यह प्रसिद्ध शिलालेख इस समय सीकर के संग्रहालय में सुरक्षित है। इस शिलालेख के शुरुआत में हर्ष नाम से शिवजी की हर्ष पर्वत की एवं पूजा निमित्त निर्मित देवालय की प्रसंशा है। इसके बाद यहां के नामकरण पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार हर्षनाथ का नाम पड़ा। जिसके अनुसार भगवान शंकर त्रिपुर नामक एक राक्षस का संहार करने पर हर्ष उत्पन्न होने के कारण इंद्र आदि देवताओं के द्वारा हर्ष रूप भगवान शंकर की इस पर्वत पर पूजा की गई। जिससे भगवान शिव का एक नाम हर्षदेव पड़ा। तथा इस पर्वत का नाम हर्षगीरि तथा समीपस्थ नगरी का नाम हर्ष नगरी प्रसिद्ध हुआ।जो आगे चलकर हर्षनाथ पर्वत तथा हर्षनाथ नगरी के रूप में जाना जाने लगा। इस शिलालेख में आगे प्रतापी एवं यशस्वी चौहान राजाओं की वंशावली दी गई है। तथा उनके शौर्य एवं दान का वर्णन किया गया है। साभंर के चौहान राजाओं ने इस देवालय को प्रचुर सम्पत्ति भेंट की थी। हर्षनाथ उनके लिए उसी प्रकार आराध्य थे जिस प्रकार मेवाड़ के गुहिलों के लिए एकलिंगजी सदा से रहे है। शिलालेख में हर्षगीरि के तपस्वी साधकों का भी वर्णन हैं। जिनकी चेष्टा से इस हर्षनाथ मंदिर का निर्माण हुआ। साथ ही इस देवस्थान को भेंट में मिले हुए गांवों तथा खेतों की भी सूची दी गई है। यह महत्वपूर्ण लेख संस्कृत श्लोकों में है। और इसकी भित्ति आषाढ़ शुक्ला 15 संवत् 1030 है। हर्षनाथ मंदिर के सुंदर दृश्य काफी लम्बे समय तक हर्षनाथ मंदिर का यह कलापूर्ण देवस्थान सुरक्षित रह कर अपने भक्तों के लिए पूजा का विशेष केन्द्र बना रहा। परंतु मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन काल में उसके सेनापति खान जहान बहादुर ने अपने स्वामी की प्रसन्नता के लिए इसमें बारूद भर कर इसका विनाश कर दिया था। फिर भी भक्तों के ह्रदय में इस पुण्य स्थल के प्रति श्रृद्धा भावना बनी रही जो किसी रूप में आजतक बनी हुई है। हर्षनाथ गांव से हर्षनाथ पर्वत पर जाने के लिए पक्का मार्ग बना हुआ है। लगभग साढ़े चार किलोमीटर की चढ़ाई है। पहले चोर चक्की नामक विश्राम स्थल आता है। जिसके बारे में किवदंती है कि पुराने जमाने में हर्षनगरी में कोई चोर आ घुसता था, तो यहां पर रखी हुई एक चक्की अपने आप चलने लग जाती थी। और उससे नागरिक सचेत हो जाते थे। अगला विश्राम स्थल गौमंती के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस स्थान पर पहिले गाये रहती थी। चढाई समाप्त होने पर पर्वत पर लगभग एक मील तक समतल सी भूमि आती है। अंत में प्राचीन हर्षनाथ मंदिर के दर्शन दृष्टिगोचर होते है। जो अब खंडहर स्वरूप से दिखाई पड़ते है। इस विध्वंस देवालय के सामने खड़ा होते ही यात्री कल्पना के द्वारा मानों प्राचीन काल में पहुंच जाता है। अपने पूरे वैभव में यह पुण्य स्थल कितना भव्य रहा होगा, हर्षनाथ मंदिर दिव्य भवन को गिराते समय आक्रमणकारियों के कठोर ह्रदय में मानवीय भावनाएं सर्वथा लुप्त हो गई होगी, मनुष्य के पागलपन की यह नृशंस लीला दर्शक के चित्त को आलोकित कर डालती है। हर्षनाथ मंदिर के निर्माण के लिए इस स्थान का चुनाव करने में बड़ी समझदारी प्रकट हुई है। हर्षनाथ मंदिर की नींव रखने के लिए पर्वत के अंतिम भाग को चुना गया है। यह स्थान समुद्रतल से करीब 3000 फीट की ऊचाई पर स्थित है। यहां से दूर दूर के नगर तथा गांव चारों ओर दिखाई देते है। एक ओर कुछ दूरी पर खारे पानी का एक विस्तृत ताल फैला हुआ है। जीणमाता मंदिर का इतिहास हर्षनाथ मंदिर से लगभग साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी पर जीणमाता दृष्टिगोचर होती है। हर्षनाथ के साथ जीणमाता का नाम स्वभाविक रूप से जुडा हुआ है। इस विषय में कई रोचक कहानियां लोक प्रचलित है। जीणमाता पुराण वर्णित जयंती देवी है। इस का एक नाम भ्रामरी देवी भी है। लोक गीतों में इसे भूरा की रानी कहा जाता है। जीणमाता के मंदिर में भी कई शिलालेख है। जो इस शक्तिपीठ की ऐतिहासिक जानकारी देते है। इसी प्रसंग में हर्ष और जीण के लोक गीतों पर भी कुछ प्रकाश डालना उचित होगा। गीत का सार इस प्रकार है। धाधू में हर्ष और जीण दो भाई बहन थे। उनमें हर्ष बड़ा था और जीण छोटी थी। उनके माता पिता मर चुके थे। इसलिए जीण का भार उसके भाई हर्ष पर ही था। एक दिन जीण और उसकी भावज अर्थात हर्ष की पत्नी पानी लाने के लिए तालाब पर गई। वहां भावज ने अपनी नडंद जीण को कुछ कटु वचन कह दिए। जिनसे रूष्ट होकर वह तप करने घर से निकल गई। जब भाई हर्ष को बहन के घर छोडऩे का समाचार मिला तो वह उसे प्रसन्न करके वापिस लाने के लिए उसके पीछे गया। परंतु जीण ने किसी भी हालत हालत में वापिस घर लौटना स्वीकार नहीं किया। ऐसी स्थिति मे भाई हर्ष भी अपनी बहन के साथ ही तप करने के लिए चल पड़ा। आगे जाकर दोनों अलग अलग पर्वतों पर तप करने लगे और आगे चलकर देव और देवी के रूप में लोक पूजित हुए। एक बार बादशाह की सेना जीणमाता का मंदिर तोडने के लिए आई परंतु वहां एक साथ ही अनगिनत भौंरों का दल प्रकट हुआ और बादशाह की फौज के सिपाहियों को काटने लगा। इस प्रकार शाही सेना की बड़ी दुर्गति हुई तो बादशाह ने देवी को भेंट चढ़ा कर अपना पिंड छुडाया। इसके बाद जीणमाता की मानयता और भी अधिक बढ़ गई। यही कारण है कि लोक गीतों मे भी भाई और बहन (हर्ष और जीण) दोनों के नामों को एक साथ ही मिलाकर गाया जाता है। जीणमाता सीकर राजस्थान यह संतोष का विषय है कि हर्षनाथ के विध्वंसत किए जाने के बाद भी इस स्थान के महात्मय को बनाएं रखने की चेष्टा जरूर की जाती रही है। हर्षनाथ के मंदिर की नींव पर बिखरी हुई शिलाएँ एवं पत्थर रख कर प्राचीन स्मृति के कारण उसे एक मंदिर का रूप दिया गया है। मंदिर के आगेवाला भाग में भी प्राचीन खम्भों को खड़ा करके उन पर शिलाओं से छत पाट दी गई है। इसी प्रकार प्राचीन कलापूर्ण प्रतिमाओं को भी दीवारों के भाग में बाहर या भीतर दिखाई देते हुए लगाने की चेष्टा की गई है। प्रधान मंदिर के सामने आंगन में सफेद चिकने पत्थर की विशाल नंदीश्वर प्रतिमा स्थापित है। मूर्ति खुले आकाश में रखी हुई है। और मानो निनिर्मेष नयनों से खंडित हर्षनाथ की काले पत्थर की पिंडी की ओर देख रही है। अश्विन और चैत्र मास में दुर्गापूजा के अवसर पर जीणमाता के स्थान पर भव्य मेला लगता है। और दूर दूर से भक्त जनता यहां देवी दर्शन के लिए तथा जात- जूडलो के लिए एकत्र होती है। इसके बाद चतुर्दशी को हर्षनाथ मंदिर पर भैरूजी का बडा विशाल मेला लगता है। और वहां भी भक्त लोग उमड़ पडते है। मेलो के समय इन स्थानों की महिमा देखते ही बनती है। प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताए। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।प्रिय पाठकों यदि आपके आसपास कोई ऐसा धार्मिक, ऐतिहासिक या पर्यटन महत्व का स्थल है, जिसके बारें में आप पर्यटकों को बताना चाहते हैं। या फिर आप अपनी किसी यात्रा, भ्रमण, टूर आदि के अपने अनुभव हमारे पाठकों के साथ शेयर करना चाहते है, तो आप अपना लेख कम से कम 300 शब्दो मे हमारे submit a post संस्करण में जाकर लिख सकते है। हम आपके द्वारा लिखे गए लेख को भी पकी पहचान के साथ अपने इस प्लेटफॉर्म पर जरूर शामिल करेगें। राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—- मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष 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जानते है। कि हम भारत के राज्य राजस्थान कीं सैंर पर है । और Amer fort jaipur आमेर का किला जयपुर का इतिहास हिन्दी में पिछली पोस्टो मे हमने अपने जयपुर टूर के अंतर्गत जल महल की सैर की थी। और उसके बारे में विस्तार चित्तौडगढ का किला – चित्तौडगढ दुर्ग भारत का सबसे बडा किला इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व जैसलमेर के दर्शनीय स्थल – जैसलमेर के टॉप 10 टूरिस्ट पैलेस जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध अजमेर का इतिहास – अजमेर हिस्ट्री इन हिन्दी अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस अलवर के पर्यटन स्थल – अलवर में घूमने लायक टॉप 5 स्थान अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल उदयपुर दर्शनीय स्थल – उदयपुर के टॉप 15 पर्यटन स्थल उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी नाथद्वारा दर्शन – नाथद्वारा का इतिहास – नाथद्वारा टेम्पल हिसट्री इन हिन्दी वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन कोटा दर्शनीय स्थल – टॉप 10 कोटा टूरिस्ट प्लेस चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के कुम्भलगढ़ का इतिहास – कुम्भलगढ़ का किला राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में झुंझुनूं के पर्यटन स्थल – झुंझुनूं के टॉप 5 दर्शनीय स्थल झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता पुष्कर सरोवर तीर्थ यात्रा – पुष्कर झील का धार्मिक महत्व भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर करणी माता मंदिर – चूहों वाला मंदिर के अद्भुत रहस्य बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर बीकानेर पर्यटन स्थल – बीकानेर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435 जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षण भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता सीकर पर्यटन स्थल – सीकर का इतिहास व टॉप 6 दर्शनीय स्थल सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे। भरतपुर पर्यटन स्थल -भरतपुर के टॉप 8 टूरिस्ट प्लेस भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का बाड़मेर पर्यटन स्थल – बाड़मेर के टॉप 8 दर्शनीय स्थल 28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, धौलपुर पर्यटन स्थल – धौलपुर राजस्थान के टॉप10 आकर्षण धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए भीलवाड़ा पर्यटन स्थल – भीलवाड़ा राजस्थान के टॉप20 दर्शनीय स्थल भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से पाली पर्यटन स्थल – पाली राजस्थान के टॉप टूरिस्ट प्लेस पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी जालोर का इतिहास – जालोर के टॉप पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक टोंक पर्यटन स्थल – टोंक जिले के टॉप 9 दर्शनीय स्थल टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का राजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17 सिरोही का इतिहास – सिरोही पर्यटन स्थल – सिरोही के दर्शनीय स्थल सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में करौली आकर्षक स्थल – करौली राजस्थान के टॉप दर्शनीय स्थल करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगह सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना नागौर के ऐतिहासिक स्थल – नागौर का मौसम, तापमान राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने बूंदी इंडिया दर्शनीय स्थल – बूंदी राजस्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। बारां जिला आकर्षक स्थल – बारां के टॉप पर्यटन, ऐतिहासिक, टूरिस्ट प्लेस कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और झालावाड़ के ऐतिहासिक स्थल – झालावाड़ के टॉप 12 दर्शनीय स्थल झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों हनुमानगढ़ का किला – हनुमानगढ़ ऐतिहासिक स्थल – हनुमानगढ़ पर्यटन स्थल हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व चूरू का इतिहास, किला, पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द गोगामेड़ी का इतिहास, गोगामेड़ी मेला, गोगामेड़ी जाहर पीर बाबा गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों तेजाजी की कथा – प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने शील की डूंगरी चाकसू राजस्थान – शीतला माता की कथा शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों सीताबाड़ी का इतिहास – सीताबाड़ी का मंदिर राजस्थान सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक गलियाकोट दरगाह राजस्थान – गलियाकोट दरगाह का इतिहास गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे श्री महावीरजी टेम्पल राजस्थान – महावीरजी का इतिहास यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल मुकाम मंदिर राजस्थान – मुक्ति धाम मुकाम का इतिहास मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहास माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की ऋषभदेव मंदिर उदयपुर – केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर राजस्थान राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर – एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर रामदेवरा का इतिहास – रामदेवरा समाधि मंदिर दर्शन, व मेला राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह नाकोड़ा जी का इतिहास – नाकोड़ा जी भैरव चालीसा नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग केशवरायपाटन का मंदिर – केशवरायपाटन मंदिर का इतिहास केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र गौतमेश्वर महादेव मंदिर अरनोद राजस्थान – गौतमेश्वर मंदिर का इतिहास राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी रानी सती मंदिर झुंझुनूं राजस्थान – रानी सती दादी मंदिर हिस्ट्री इन हिन्दी सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। डिग्गी कल्याण जी की कथा – डिग्गी धाम कल्याण जी टेम्पल डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब रणकपुर जैन मंदिर समूह – रणकपुर जैन तीर्थ का इतिहास सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है। लोद्रवा जैन मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ लोद्रवा जैन टेंपल भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर गलताजी मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ गलताजी धाम जयपुर नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के सकराय माता मंदिर या शाकंभरी माता मंदिर सीकर राजस्थान हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बूंदी राजपूताना की वीर गाथा – बूंदी राजस्थान राजपूताना केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है। जय निवास उद्यान जयपुर – जय निवास गार्डन राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा सरोवर राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद और जय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण बादल महल कहां स्थित है – बादल महल जयपुर जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज 1 2 Next » भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल राजस्थान ऐतिहासिक इमारतेंराजस्थान के प्रसिद्ध मेलेंराजस्थान के लोक तीर्थराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन