उतराखंड राज्य में स्थित हरिद्धार जिला भारत की एक पवित्र तथा धार्मिक नगरी के रूप में दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हरिद्धार हिन्दू धर्म के सात पवित्र स्थलों में से एक है । हरिद्वार का अर्थ है कि हरि ( ईश्वर) द्वार यानि ईश्वर तक पहुँचने का द्वार। यही वह स्थान है जहाँ पर्वतों से उतरकर पवित्र पावन गंगा मैय्या मैदानी धरती पर प्रथम आगमन होता है । हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार यही वह स्थल है जहाँ अमृत की कुछ बूंदें भूल से घड़े से गिर गई थी । जब खगोलीय पक्षी गरूड़ उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे । यह अमृत बूंदें चार स्थानों पर गिरी थी – उज्जैन, हरिद्वार, नासिक ओर प्रयाग आज यही वह स्थान है जहाँ कुंभ मैला लगता है । जिस स्थान पर वह बूंद गिरी थी उसे हर की पौड़ी पर ब्रहम्कुंड माना जाता है इस ब्रहम्कुंड में स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है । हरिद्वार को चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी माना जाता है । चारधाम यात्रा का सुभारंभ यही से होता है । इस धार्मिक नगरी में अनेकों धार्मिक स्थल है।
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हर की पौड़ी
ब्रहम्कुंड को ही हर की पौड़ी कहते है । इस घाट के ब्रहम्कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । घाट के दोनों ओर पैडियाँ बनी है इन पर श्रृद्धालु श्रृद्धा पूर्वक स्नान के साथ साथ पवित्र गंगा जल में अठखेलियाँ भी करते है । पौड़ी के निचले भाग में गंगा जी का प्राचीन मंदिर है ।यहाँ सुबह व शाम में गंगा जी की आरती होती है । आरती के दीयों की रोशनी में ब्रहम्कुंड का दृश्य अत्यंत सुंदर दिखाई देता है शंख ,घंटी की ध्वनि तथा आरती के पावन सुरों से यहाँ का वातावरण धार्मिक भक्ति में लीन हो जाता है। श्रृद्धालु यहाँ अस्थियाँ विसर्जित तथा मुंडन भी कराते है।
मनसा देवी मंदिर
चण्डी देवी मंदिर हरिद्धार
यह प्रसिद्ध मंदिर गंगा नदी के दूसरे तट पर स्थित पहाड़ी की चोटी पर है । मनसा देवी पहाड़ी ओर चण्डी देवी पहाड़ी के मध्य गंगा जी बहती है। काली देवी के समान चण्डी देवी को माना जाता है ये कभी कभी दयालु रूप और प्रायः उग्र रूप में पूजी जाती है । मंदिर तक पहुँचने के लिए गंगा जी पर बने पुल को पार करके जाना पड़ता है । इसी से पुल का नाम चण्डी पुल कहलाता है । यह पुल उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीबाबाद नगर को जोडता है । इस मार्ग पर लगभग एक किलोमीटर आगे चलने पर यहाँ से उडन खटोला (केबल ट्राली) चण्डी देवी मंदिर तक जाती है । चण्डी पुल से दाई ओर गयी सड़क चीला रिज़र्व पार्क को जाती है इस मार्ग पर लगभग आधा किमी चलने पर गौशाला के समीप से चण्डी देवी मंदिर के लिए पैदल पहाड़ी मार्ग जाता है । चण्डी देवी मंदिर से मनसा देवी मंदिर तथा पवित्र गंगा नदी के जल का तेज प्रवाह दृश्य दिखाई देता है । नील पर्वत की चोटी पर स्थित यह मंदिर रात्रि के समय जब विधुत प्रकाश से जगमगाता है तो ऐसा प्रतित होता है जैसे नील पर्वत ने सोने का मुकुट ग्रहण कर लिया है।
मंदिर समूह
हरिद्धार में और आसपास कई ओर धार्मिक स्थल तथा धर्म गुरूओं के आश्रम व पवित्र दरबार भी लगते है प्रसिद्ध गायत्री तीर्थ शांतिकुंज तथा अलवर वाले बाबा का दरबार भी यही है हरिद्वार से लगभग 25किमी की दूरी पर ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला तथा लगभग 35 किमी की दूरी पर पहाड़ों में स्थित नीलकंठ महादेव का प्रसिद्ध मंदिर के भी दर्शन किये जा सकते है