सोहनाग परशुराम धाम मंदिर और सोहनाग का मेला Naeem Ahmad, August 2, 2022February 27, 2024 देवरिया महावीर स्वामी और गौतमबुद्ध की जन्म अथवा कर्मभूमि है। यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी है, अत कला और संस्कृति का यह जनपद केन्द्र रहा है। यहां कई मेलों का आयोजन समय समय पर होता रहता है। उसी में एक प्रसिद्ध मेला है सोहनाग का मेला। यह मेला देवरिया जनपद मे सलेमपुर थानान्तर्गत सोहनाग नामक स्थान पर लगता है। यहां भगवान परशुराम धाम है, जहां भगवान परशुराम का पौराणिक प्राचीन मंदिर है। देवरिया से सोहनाग की दूरी लगभग 33 किलोमीटर है, बलिया से 75 किलोमीटर, में से 67 किलोमीटर और बिहार राज्य के सिवान से सोहनाग की दूरी लगभग 56 किलोमीटर है। सोहनाग सलेमपुर से 3 किलोमीटर दूर है, जहा सडक मार्ग से बस, जीप, कार आदि से जाया जा सकता है।सोहनाग परशुराम धाम का महत्वसोहनाग के भगवान परशुराम मंदिर का पौराणिक महत्व का है। कहते है कि परशुराम जी ने यही आकर तपस्या की थी और तपस्या भंग करने वाले दुष्टजनों का संहार करने का व्रत भी यही लिया था। उनके नाम पर उस स्थान पर एक मंदिर बना हुआ है, जिसमे उनकी मूर्ति स्थापित है।भदेश्वर नाथ मंदिर का महत्व और भदेश्वर नाथ का मेलाप्रचलित कथा के अनुसार के अनुसार भगवान परशुराम ने सीता के स्वयंवर में भाग लेने के लिए जनकपुर गये थे। स्वयंवर में श्रीराम के धनुष तोड़कर सीता से विवाह कर लेने के पश्चात धनुष यज्ञ की समाप्ति कर लौटते समय भगवान परशुराम सोहनाग के घने जंगलों से गुजर रहे थे। यहां पहुंचते पहुंचते उन्हें रात्रि हो गई। भगवान परशुराम ने वही रात्रि विश्राम करने का निश्चय किया। प्रातः काल उठकर वहीं स्थित पोखरा (सरोवर) में स्नान किया। सोहनाग का प्राकृतिक सौंदर्य और वातावरण देखकर भगवान परशुराम मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने वहां से प्रस्थान करने का विचार त्याग दिया और सोहनाग में ही कुछ समय व्यतीत कर तप करने का निश्चय किया। भगवान परशुराम के तप करने से सोहनाग की यह भूमि पवित्र हो गई।सोहनाग परशुराम धामसोहनाग का पवित्र सरोवरसोहनाग में भगवान परशुराम मंदिर के पास स्थित लगभग 10 एकड़ में फैला वह पवित्र तालाब जिसमें भगवान परशुराम जी ने स्नान किया था, उनके शरीर के स्पर्श से उसका जल पवित्र और रोग मुक्त हो गया। मान्यता है कि इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग, व कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है। सोहनाग के पवित्र सरोवर के संबंध में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है कि की शताब्दियों पूर्व नेपाल के राजा सोहन कुष्ठ रोग से ग्रस्त थे, धर्मगुरूओं के रोग मुक्ति के उपाय रूपी आदेशानुसार तीर्थ यात्रा के लिए निकले। काफी लंबे सफर और रात्रि समय होने के कारण उन्होंने इस पवित्र सरोवर के किनारे विश्राम करने का निश्चय किया। जब उन्होंने सोहनाग के इस पवित्र सरोवर के जल का स्पर्श किया तो उनका कुष्ठ रोग ठीक होता गया। इससे प्रभावित होकर राजा सोहन ने इस पोखरा (सरोवर) की खुदाई करवाई तो उसमें से भगवान परशुराम जी, उनकी माता रेणुका , पिता महर्षि जमदग्नि, और भगवान विष्णु की पत्थर की बहुमूल्य मूर्ति निकली। इससे और अधिक प्रभावित होकर राजा सोहन ने यहां मंदिर की स्थापना करवाई और इन मूर्तियों को मंदिर प्रतिष्ठित किया। बाद राजा सोहन के नाम पर ही इस स्थान का नाम सोहनाग पड़ गया।केरल के त्योहार – केरल के फेस्टिवल त्यौहार उत्सव और मेलेंसोहनाग का मेलापहले समय में इस स्थान पर अक्षय तृतीया के दिन से सवा महीने तक चलने वाले भव्य मेले का आयोजन होता था। पूर्वांचल के इस महत्वपूर्ण मेले में दूर दूर से लोग शिरकत करने आते हैं। समय के साथ अब मेले की अवधि घटकर महज एक सप्ताह भर रह गयी है। लेकिन सप्ताह भर तक चलने वाले इस मेले की भव्यता अद्भुत होती है। दूर दूर से भक्तगण और चर्म रोगी यहां आते है। भगवान को प्रसाद चढ़ा कर मनौतियां मांगते हैं। और पवित्र सरोवर में स्नान करके रोग मुक्ति की कामना करते हैं। सोहनाग का मेला खरीदारी के विभिन्न दुकानों से भरा होता है। इस मेले में नवरात्र अथवा दशहरा के अवसर पर 25 से 35 हजार तक भीड एकत्र हो जाती है। इस मेल मे स्थानीय मिठाइया, शिल्प उद्योग की वस्तुएं, टेराकोटा खिलौने तथा दैनिक उपयोग की वस्तुएं बिकने के लिए आती हैं। मंदिर में धर्मशालाएं और सलेमपुर मे आवासीय सुविधाए उपलब्ध है। प्रशासन की और से मेडिकल कैंप, पानी और सुरक्षा की सम्पूर्ण व्यवस्था होती है।दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेशहमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—[post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के मेलेमेले