सीटी स्कैन का आविष्कार ब्रिटिश भौतिकशास्त्री डॉ गॉडफ्रे हान्सफील्ड और अमरीकी भौतिकविज्ञानी डॉ एलन कोमार्क ने सन 1972 मे किया। इस अदभुत आविष्कार के लिए दोनों ही वैज्ञानिकों को 1979 में आयुर्विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
सीटी स्कैन या कम्प्यूटेड टोमोग्राफी स्कैनर के विकास से पहले रोग का पता लगाने के लिए कई प्रकार से शरीर के एक्सरे कराने पड़ते थे। उदाहरण के लिए सिर के रोग में सिर का एक्स-रे करवाना पडता था। उसमें लम्बा पंक्चर कराना पडता था। मस्तिष्क की रक्त धमनियों मे विशेष कटास्ट डाई इजेक्ट करके फिर एक्सरे करवाना पडता था। इसके अलावा ओर न जाने किस-किस तरह की जांच करवानी पडती थी। ऐसे परीक्षणों में शारीरिक कष्ट के साथ-साथ खतरा भी होता था परंतु सीटी स्कैन के आविष्कार से अब केवल एक परीक्षण से ही रोग का पता लग जाता है और सफल इलाज किया जा सकता है। इसमे न शारीरिक कष्ट होता हे न खतरा।
सीटी स्कैन का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
सीटी स्कैन वास्तव मे एक्सरे उपकरण का ही एक विकसित रूप है। सामान्य तौर पर एक्सरे चित्र सेकठोर ऊतक (Tissue) जैसे हड्डियों और कोमल ऊतक जैसे मस्तिष्क आदि तो पहचान में आ जाते है पर विभिन्न कोमल ऊतकों को अलग-अलग पहचानना
बहुत मुश्किल होता है। इसका कारण यह है कि कोमल ऊतक एक्सरे किरणों को बहुत कम मात्रा मे अवशोषित कर पाते हैं।दूसरे, एक्सरे किरणों से प्राप्त चित्र केवल दो आयामी ही बनते हैं। जिसमें मोटाई या गहराई का आभास नहीं हो पाता। ऑपरेशन के लिए एक्सरे से पूरी जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती और डाक्टरों को बहुत सी बातों के लिए अटकलों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

सीटी स्कैन पद्धति में तीन विमाओं वाला चित्र प्राप्त होता है। अर्थात चित्र की गहराई उंचाई निचाई को भी दर्शाते हैं। इस उपकरण एक और एक्सरे स्तोत्र होता है। बीच में रोगी के लिए मोटर चालित स्ट्रेचर होता है। और उसके दूसरी ओर एक डिटेक्टर नामक उपकरण। डिटेक्टर एक कम्प्यूटर से संबंद्ध होता है। कम्प्यूटर एक टीवी स्क्रीन से जुड़ा होता है। कंप्यूटर के गणित सूत्र और चित्र टीवी स्क्रीन पर चित्रित होते रहते है। स्कैन हो रहे क्षेत्र से गुजर कर एक एक्सरे किरण डिटेक्टर तक पहुंचती है। डिटेक्टर इन्हें इलेक्ट्रिक सिंग्नल के रूप में कम्प्यूटर तक पहुंचाता है। कम्प्यूटर प्राप्त सिग्नलों को गणित सूत्र का प्रयोग करते हुए चित्र का रूप देकर टीवी स्क्रीन पर उभारता है। भिन्न भिन्न उत्तक अपने घनत्व लंबाई गहराई मौटाई के अनुसार स्पष्ट रूप से स्क्रीन पर दिखाई पड़ते हैं।
सीटी स्कैन दो प्रकार के होते हैं। पहला हेड सीटी स्कैन जो मस्तिष्क में ट्यूमर, सीर की चोट की वजह से रक्त स्राव या ब्रेन हेमरेज आदि में इस्तेमाल होता है। दूसरा बॉडी सीटी स्कैन होता है। जो अपेक्षाकृत कुछ बड़ा होता है। और शरीर के अन्य भागों का परिक्षण करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। सीटी स्कैन की किमत लगभग एक करोड़ रुपए होती है।
हमारे देश में यह सुविधा शुरूआत में दिल्ली मुंबई कोलकाता जैसे कुछ मुख्य बड़े शहरों में ही थी। लेकिन आज यह सुविधा अधिकतर सभी बड़े शहरों में उपलब्ध है। आधुनिक सीटी स्कैन स्कैन करते वक्त मात्र 4-5 सेकंड के समय में लगभग 184320 रीडिंग लेकर कम्प्यूटर तक पहुंचाता है। रीडिंग के आधार पर कम्प्यूटर 188 गुणा और 94 लाख जोड करके निश्चित क्षेत्र के चित्र को स्क्रीन पर प्रेषित कर गहराई से जानकारी देता है। चिकित्सक को तुरंत ज्ञान हो जाता है कि सीर या शरीर के किसी हिस्से में रक्त स्राव हो रहा है, और ऑपरेशन के लिए निश्चित जगह और गहराई तक का ठीक ठीक पता चल जाता है। इससे रोगी का तुरंत ऑपरेशन किया जा सकता है। मस्तिष्क के ट्यूमर की भी प्राथमिक अवस्था में ही जानकारी प्राप्त कर इसका उपचार सरलता से किया जा सकता है।
सीटी स्कैन से यह भी पता किया जा सकता है कि ट्यूमर के लिए उपयुक्त की जा रही औषधि उस पर असर कर रही है या नहीं। सीटी स्कैन का उपयोग केवल रोग के निदान के लिए ही नहीं बल्कि उसके सही इलाज का पता लगाने के लिए भी किया जाता है। बॉडी सीटी स्कैन शरीर के किसी भी हिस्से या पूरे शरीर को स्कैनिंग कर सकता है। शरीर के किसी भी स्थान पर छोटे से छोटे कैंसर का इससे पता लगाया जा सकता है।
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