सिकंदरपुर का मेला – कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर Naeem Ahmad, August 7, 2022February 24, 2024 सिकंदरपुर उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले में एक नगर पंचायत व तहसील है। इस नगर को सिकंदर लोदी ने बसाया था जिसके नाम पर इसका नाम सिकंदरपुर पडा है। बलिया से सिकंदरपुर की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। यह नगर यहां स्थित प्रसिद्ध कल्पा जल्पा देवी मंदिर के लिए भी जाना जाता है। सिकंदरपुर में स्थित कल्पा जल्पा देवी मंदिर पर सिकंदरपुर का मेला लगता है। जो आसपास के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। सिकंदरपुर मेले का महत्व और कल्पा जल्पा की कहानीसिकन्दपुर का मेला जिसे कल्पा-जल्पा का मेला भी कहा जाता है। कल्पा-जल्पा दो कन्याएं थी जिनकी बलि सिकन्दर लोदी द्वारा चढ़ायी गयी थी। इसके सन्दर्भ में यह बताया जाता है कि सिकन्दर लोदी जब किले का निर्माण करा रहा था तो जितनी दीवार बनती, रात में वह दीवार गिर जाती थी। जिससे सिकंदर लोदी बहुत क्रोधित हुआ उसने वहां सैनिक लगाकर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए। लेकिन सैनिकों की सुरक्षा के बावजूद भी जो दीवार दिन में बनाईं गई रात को वह फिर गिर गई। बादशाह ने सैनिकों को बुलाकर उसका कारण पूछा, सैनिक उसका कुछ संतुष्ट जवाब नहीं दे पाए। सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई लेकिन फिर भी दीवार का गिरना बंद नहीं हुआ। कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर इस पर सिकंदर लोदी को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने राज्य के नजूमी और ज्योतिषों को बुलाया और उपाय पूछा। ज्योतिषों ने सिकंदर लोदी को दो कुंवारी कन्याओं की बलि चढ़ाने का उपाय सुझाया। जिसमें एक कन्या शुद्र जाति की और एक कन्या ब्राह्मण जाति की होनी चाहिए। सिकंदर लोदी ने कल्पा शुद्र जाति की और एल्फा ब्राह्मण जाति की इन दो कन्याओं की बलि चढ़ाई। बलि बैठा दिये जाने पर किला निर्मित हुआ, जिसके भग्नावशेष आज भी विद्यमान है। यही बैशाख पूर्णिया को सिकंदरपुर में बडा मेला लगता है। उन कन्याओं की पूजा की जाती है।सिकंदरपुर का मेलापांच दिन के इस मेले मे ददरी के मेले की ही तरह पशु-पक्षी बिकने के लिए आते है। हाथी तक का सौदा होता था। इसके अलावा सिकंदरपुर के मेले सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। मेले मे बिकने वाली सभी वस्तुएं यहां मिल जाती है। बच्चों के खेल खिलौने की अनेक दुकानें लगती है। तांबा, चीनी व काठ के बर्तनों और अन्य सजावटी वस्तुएं भी खूब बिकती है। सिकंदरपुर के मेले में मनोरंजन के भी बहुत साधन होते हैं जिनमें गगन चुंबी झुले, बच्चों के झुले, सर्कस, भूत बंगला, हंसी के फुहारे, मौत का कुआं आदि प्रमुख होते हैं। सिकंदरपुर के मेले में चाट कचौरी स्नैक्स आदि के शौकीन लोगों के लिए भी बहुत सी दुकानें लगी होती है। सिकंदरपुर के इस मेले में प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था, यातायात, सन्देश वाहन, चिकित्सा व आवासीय सुविधाएं उपलब्ध रहती है। मेले से आय भी होती है जिसे सार्वजनिक हित मे खर्च किया जाता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के मेलेमेले