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सवाई रामसिंह द्वितीय

सवाई रामसिंह द्वितीय का इतिहास और परिचय

सवाई जयसिंह जी तृतीय के बाद उनके पुत्र सवाई रामसिंह जीजयपुर की गद्दी पर बिराजे। इस समय सवाई रामसिंह जी की आयु बहुत ही कम थी अतएव वे पोलिटिकल एजेंट की निगरानी में रख दिये गये। शासन-सूत्र को संचालित करने के लिये पाँच बड़े बड़े सरदारों की एक रिजेन्सी कौन्सिल नियुक्त की गई। फौज कम कर दी गई और राज्य के प्रत्येक विभाग में सुधार किये गये। सती, गुलामगिरी और बाल हत्याओं की प्रथाएँ रोक दी गई। राज्य की ओर से दी जाने वाली खिराज उसकी आमदनी के प्रमाण से अधिक मालूम होती थी अतएव वह घटाकर सिर्फ चार लाख रुपये प्रति साल की कर दी गई। इसके अतिरिक्त 46 लाख रुपये एक मुश्त वापस कर दिये गये।

सवाई रामसिंह जी को इतिहास और जीवन परिचय

सन्‌ 1857 में महाराज सवाई रामसिंह जी ने सर्वगुण-सम्पन्न होकर सम्पूर्ण राज्य-शासन का भार गवर्नमेन्ट से अपने हाथ में ले लिया। फिर भी अपवयस्क होने के कारण राज्य-शासन के अनेक विषयों में आप पोलिटिकल एजेन्ट की सम्मति लेते थे। इसी साल सुप्रसिद्ध सिपाही विद्रोह हुआ। इस नाजुक अवसर पर आपने ब्रिटिश सरकार की अच्छी सहायता की। इससे खुश होकर सरकार ने आपको कोट-कासिम का परगना दे डाला। सन्‌ 1864 में आपको दत्तक लेने की सनद भी प्राप्त हो गई। महाराज राम सिंह जी बड़े दूर दर्शी एवं बुद्धिमान नरेश थे।

सवाई रामसिंह द्वितीय
सवाई रामसिंह द्वितीय

अपनी प्रिय प्रजा की मंगल-कामना के हेतु आपने बहुत से अच्छे अच्छे कार्य किये। आपने नये रास्ते बनवाये, रेलवे का राज्य में प्रवेश किया एवं विद्या की अभिवृद्धि की। सन्‌ 1868 में जब जयपुर-राज्य में दुष्काल पड़ा तब आपके रियासत में आने वाले अनाज पर का महसूल साफ कर दिया। आप दो बार वायसराय की लेजिस्लेटिव कौन्सिल के सदस्य रह चुके थे। आपके अच्छे चाल चलन से खुश होकर ब्रिटिश गवर्नमेन्ट ने आपको जी. सी. एस, आई. का महत्व पूर्ण खिताब दिया था।

सन्‌ 1877 में होने वाले दिल्ली के दरबार में आप सम्मिलित हुए थे। इस अवसर पर आपकी सलामी में चार तोपों की वृद्धि कर दी गई अर्थात अब आपकी सलामी 21 तोपों से ली जाने लगी। हिन्दुस्तान के लिये जो नई इम्पीरियल कौन्सिल नियुक्त हुईं थी उसके सभासदों में से महाराज रामसिंह जी भी एक थे। महाराज रामसिंह जी बड़े बुद्धिमान, प्रजा-प्रिय ओर शिक्षित नरेश थे। आपने राज्य में बड़े बड़े प्रजा-कल्याणकारी सुधार किये। अपनी प्रजा को उन्नति की, घुड़दौड़ में आगे बढ़ाने के लिये प्रशंसनीय प्रयत्न किये। यद्यपि जयपुर जैसे भव्य और सुन्दर नगर को बसाने का श्रेय सवाई जयसिंह जी को है पर उसे सुसज्जित करने वाले आप ही थे।

सवाई रामसिंह जी ने अंग्रेजी ओर संस्कृत कालेज खोले जिनकी ख्याति सारे भारत में है। गर्ल्स स्कूल कला भवन और मेयो हॉस्पिटल जैसी उपयोगी संस्थाओं के निर्माण करवाने का श्रेय आप ही को है। जगत प्रसिद्ध रामनिवास बाग आप ही के कला- प्रेम का आदर्श नमूना है। आपने प्रजा के लिये जल का जैसा आराम किया, उसे जयपुर की प्रजा कभी नहीं भूल सकती। आप एक आदर्श नृपति थे। सन्‌ 1881 में इन लोकप्रिय महाराज ने अपनी इहलोक-यात्रा समाप्त की। वेद और धर्मशास्त्र की आज्ञानुसार आपका अग्नि-संस्कार किया गया।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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