सवाई जगत सिंह का इतिहास और परिचय

महाराजा सवाई जगत सिंह जी

सवाई प्रताप सिंह जी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जगत सिंह जीजयपुर राज्य की गद्दी पर गद्दी नशीन हुए। आपने 16 वर्ष राज्य किया। आपका चरित्र बड़ा निर्बल था, आपका सारा जीवन दुर्गुणों से भरा हुआ था। विषय-वासना के फेर में पड़कर आपने कई कुकृत्य किये। मेवाड़ के राणा भीम सिंह जी के कृष्णा कुमारी नामक एक अत्यन्त सुन्दर कन्या थी। इस कन्या का पाणिग्रहण संस्कार मारवाड नरेश भीमसिंह जी के साथ होना निश्चित हो चुका था पर बीच ही में उनका स्वर्गवास हो गया।

सवाई जगत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

अतएव महाराज जगतसिंह जी ने उसके साथ विवाह करने की इच्छा प्रदर्शित की। इधर भीमसिंह जी के बाद मारवाड़ की गद्दी पर मान सिंह जी बिराजे और उन्होंने कृष्णाकुमारी पर अपना हक बतलाया। वे कहने लगे कि कृष्णा कुमारी की माँग मारवाड़ गद्दी की ओर से हो चुकी है अतएव मारवाड़ नरेश ही के साथ उसका पाणिग्रहण होना चाहिये। बात यहाँ तक बढ़ गई कि जगतसिंह जी और मानसिंह जी दोनों ही युद्ध करने पर उतारू हो गये। जगत सिंह जी ने अमीर खाँ पिंडारी को अपनी सहायता के लिये बुला लिया।

महाराजा सवाई जगत सिंह जी
महाराजा सवाई जगत सिंह जी

गींगोली नामक स्थान पर युद्ध शुरू हो गया। जब यह बात कृष्णा कुमारी तक पहुँची तो उसने इस युद्ध का अन्त करने के लिये जहर खाकर अपने प्राण विसर्जन कर दिये। इतना हो जाने पर भी उक्त लड़ाई बन्द नहीं हुई। अन्त में जोधपुर नरेश मानसिंह जी हार गये। पिंडारी तथा मराठी सेना ने उनका मुल्क लूटना शुरू किया। अमीर खाँ बड़ा चालाक था। पीछे जाकर उसने मानसिंह जी से मिलकर जयपुर को भी लूट लिया। इस प्रकार इस आपसी फूट से तीनों राज्यों का नुक्सान हुआ।

सन्‌ 1803 में अंग्रेज सरकार और महाराज जगतसिंह जी के बीच एक तहनामा हुआ। इस तहनामे के अनुसार जयपुर-राज्य अंग्रेज सरकार के संरक्षण में आ गया। परन्तु महाराजा साहब इस तहनामे की शर्तों का पालन न कर सके अतएव लार्ड कार्नवालिस ने इस सम्बन्ध को तोड़ दिया। यह सम्बन्ध तोड़ने के मामले में होम गवर्मेन्ट को कुछ शक हुआ। अतएव उसने सन्‌ 1813 में जयपुर राज्य को पुनः अपने संरक्षण में ले लेने के लिये गवर्नर जनरल को लिखा। पर इस समय नेपाल युद्ध छिड़ा हुआ होने के कारण यह कार्य नहीं हो सका।

अन्त में सन्‌ 1817 में गवर्नर जनरल ने इस बारे में जयपुर सरकार को लिखा। कुछ आनाकानी के बाद उन्होंने भी यह बात स्वीकार कर ली। सन्‌ 1818 के अप्रैल मास की दूसरी तारीख के दिन फिर नवीन तहनामा हुआ। जयपुर-राज्य अंग्रेज सरकार के संरक्षण में आ गया। उक्त सन्धि के अनुसार महाराज जगतसिंह जी ने अंग्रेज सरकार को प्रतिवर्ष 8 लाख रुपया देना स्वीकार किया। यह भी तय हुआ कि जयपुर-राज्य आवश्यकता पढ़ने पर ब्रिटिश सरकार को सैनिक सहायता दिया करेगा। इस संधि के कुछ ही मास बाद अर्थात्‌ सन् 1818 की 21 वीं दिसम्बर को महाराज सवाई जगत सिंह जी इस संसार से चल बसे।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—

महाराजा गंगा सिंह
महाराजा डूंगर सिंह की मृत्यु के बाद महाराजा गंगा सिंह जीबीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजे। महाराजा गंगा सिंह का Read more
महाराजा डूंगर सिंह बीकानेर राज्य
महाराजा सरदार सिंह जी की पुत्रहीन अवस्था में मृत्यु होने से बीकानेर का राज्य-सिंहासन सूना हो गया। इसी कारण से Read more
महाराजा सरदार सिंह बीकानेर
महाराजा रत्नसिंह जी के स्वर्गवासी हो जाने पर सन् 1852 में उनके पुत्र महाराजा सरदार सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन Read more
महाराजा रत्नसिंह बीकानेर
महाराजा सूरत सिंह जी के परलोकवासी होने पर उनके पुत्र महाराजा रत्नसिंह जी बीकानेर राजसिंहासन पर विराजमान हुए। आपके सिंहासन पर Read more
महाराजा सूरत सिंह बीकानेर राज्य
महाराजा राजसिंह के दो पुत्र थे। महाराजा सूरत सिंह की माता की इच्छा राजसिंह के प्राण हरण कर अपने पुत्र Read more
महाराजा अनूप सिंह
महाराजा कर्ण सिंह जी के तीन पुत्रों की मृत्यु तो उपरोक्त लेख में बतलाये मुताबिक हो ही चुकी थी। केवल Read more
महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर
महाराजा रायसिंह के स्वर्गवासी हो जाने घर उनके एक मात्र पुत्र महाराजा कर्ण सिंह जी पिता के सिंहासन पर विराजमान Read more
महाराजा रायसिंह बीकानेर
स्वर्गीय कल्याणमल जी के पश्चात उनके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा रायसिंह जी बीकानेर राज्य के राज सिंहासन पर बैठे। आपके शासन-काल Read more
राव बीका जी जोधपुर राज्य के संस्थापक
बीकानेर राज्य के शासक उस पराक्रमी और सुप्रिसिद्ध राठौड़ वंश के है, जिसके शौर्य साहस और रणकौशल का वर्णन हम Read more
महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत
भरतपुर के महाराजा श्री विजेन्द्र सवाई महाराजा किशन सिंह जी बहादुर थे। आपको लेफ्टनेट कर्नल की उपाधि प्राप्त थी। आपका Read more
महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर रियासत
महाराजा बलवन्त सिंह जी के बाद उनके पुत्र महाराजा जसवंत सिंह जी भरतपुर राज्य के राज्य सिंहासन पर बिराजे। इस Read more
महाराजा रणजीत सिंह भरतपुर राज्य
महाराजा केहरी सिंह जी के बाद महाराजा रणजीत सिंह जी भरतपुर राज्य के राज्य सिंहासन पर अधिष्ठित हुए। इनके समय में Read more
महाराजा जवाहर सिंह भरतपुर राज्य
स्वर्गीय राजा सूरजमल जी के पाँच पुत्र थे, यथा:- जवाहर सिंह, ताहर सिंह, रतन सिंह, नवल सिंह, और रणजीत सिंह। Read more
राजा सूरजमल भरतपुर राज्य
राजा सूरजमल का जन्म सन् 1707 में भरतपुर में हुआ था। राजा बदन सिंह की मृत्यु के बाद राजा सूरजमल Read more
राजा बदन सिंह
ठाकुर बदन सिंह चूडामन जाट के भतीजे थे। ये आमेर जयपुर के सवाई राजा जयसिंहजी के पास बतौर ( Feudatory cheif) Read more
महाराजा उम्मेद सिंह जोधपुर
महाराजा सुमेर सिंह जी के कोई पुत्र न था अतएवं आपके भाई महाराजा उम्मेद सिंह जी जोधपुर की गद्दी पर सिंहासनारूढ़ Read more
महाराजा सुमेर सिंह जोधपुर
महाराजा सरदार सिंह जी के स्वर्गवासी होने के पश्चात्‌ महाराजा सुमेर सिंह जी जोधपुर के राज्यासन पर बिराजे। जिस समय आप Read more
महाराजा मानसिंह जोधपुर
महाराजा भीम सिंह जी के बाद सन् 1804 में महाराजा मान सिंह जी गद्दी पर बिराजे। आप महाराजा भीम सिंह Read more
महाराजा अभय सिंह जोधपुर
सन् 1724 में अभय सिंह जीजोधपुर राज्य की गद्दी पर बिराजे। गद्दी पर बैठते समय आपको बादशाह महमदशाह की ओर Read more
महाराजा अजीत सिंह राठौड़ मारवाड़
महाराजा जसवंत सिंह जी की मृत्यु के समय उनकी जादमजी ओर नारुकीजी नामक दो रानियाँ गर्भवती थीं। अतएव कुछ समय Read more
महाराजा जसवंत सिंह राठौड़ मारवाड़
सन् 1638 में महाराजा जसवंत सिंह जी मारवाड की गददी पर विराजे। आपका जन्म सन् 1626 में बुरहानपुर नामक नगर Read more
राव उदय सिंह राठौड़ मारवाड़
राव उदय सिंह राठौड मारवाड़ के राजा थे, इनका जन्म 13 जनवरी 1538 को जोधपुर में हुआ था। यह राव मालदेव Read more
राव रणमल राठौड़
राव रणमल जी, राव चूडाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। एक समय राव चूडाजी ने इनसे कह दिया था कि ‘मेरे Read more
राव जोधा जी राठौड़
राव रणमल जी के 26 पुत्र थे। इन सब में राव जोधा जी बड़े थे। राव जोधा जी बड़े वीर Read more
राव सातल देव राठौड़
राव सातल देव जी राठौड़ मारवाड़ के राजा थे। ये वीर महाराजा राव जोधा जी के पुत्र थे। इनकी माता Read more
राव सुजा जी राठौड़ का चित्र उपलब्ध नहीं
राव सातल जी के याद राव सुजा जी सन् 1491 में गद्दी पर बिराजे। सुजा जी को नाराजी नामक पुत्र Read more
राव मालदेव राठौड़
राव मालदेव राठौड़ का जन्म 5 दिसंबर सन् 1511 को जोधपुर में हुआ था। 9 भी सन् 1532 को यह जोधपुर Read more
सवाई माधोसिंह द्वितीय
सवाई माधोसिंह द्वितीय जयपुर के राजा थे। सवाई माधोसिंह द्वितीय का जन्म 29 अगस्त सन् 1861 को हुआ था। इन्होंने Read more
सवाई रामसिंह द्वितीय
सवाई जयसिंह जी तृतीय के बाद उनके पुत्र सवाई रामसिंह जी जयपुर की गद्दी पर बिराजे। इस समय सवाई रामसिंह जी Read more
महाराज सवाई प्रताप सिंह जी
सवाई प्रताप सिंह जी जयपुर राज्य के महाराजा थे। महाराजा सवाई प्रताप सिंह का जन्म 2 दिसंबर सन् 1764 ईस्वी को राजस्थान Read more
सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय
सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीयजयपुर के राजा थे, महाराजा पृथ्वी सिंह जी का जीवन काल 1762 से 1778 बहुत ही अल्प Read more
सवाई माधोसिंह प्रथम
सवाई माधोसिंह जी जयपुर के महाराज थे, इनको सवाई माधोसिंह प्रथम के नाम से जाना जाता है, क्योंकि आगे चलकर इसी Read more
महाराज सवाई जयसिंह जी
भारत में ऐसे कई परम-कीर्तिशाली नृपति हो गये है जिन्होंने मनुष्य-जाति के ज्ञान के विकास में-विविध प्रकार के विज्ञान के Read more
महाराजा जयसिंह जी
महासिंह जी के बाद महाराजा जयसिंह जी आमेर के सिंहासन पर बिराजे। इन्होंने आमेर के लुप्त गौरव को फिर प्रकाशमान Read more
राजा मानसिंह जी
राजा मानसिंहआमेर के कच्छवाहा राजपूत राजा थे। उन्हें ‘मानसिंह प्रथम’ के नाम से भी जाना जाता है। राजा भगवन्तदास इनके Read more
महाराणा फतह सिंह जी
महाराणा सज्जन सिंह जी के बाद महाराणा फतह सिंह जी सन 1885 मेंउदयपुर राज्य के राजसिहासन पर बिराजे। आपका जन्म Read more
महाराणा प्रताप सिंह
सन्‌ 1572 में महाराणा प्रताप सिंह जी मेवाड़ के महाराणा हुए। इस समय महाराणा के पास न तो पुरानी राजधानी Read more
महाराणा विक्रमादित्य
महाराणा विक्रमादित्य महाराणा सांगा के पुत्र थे, और महाराणा रतन सिंह द्वितीय के भाई थे, महाराणा रतन सिंह द्वितीय की Read more
महाराणा रतन सिंह द्वितीय
महाराणा संग्रामसिंह (सांगा) के बाद उनके पुत्र महाराणा रतन सिंह द्वितीय राज्य-सिंहासन पर बैठे। आपमें अपने पराक्रमी पिता की तरह Read more
महाराणा सांगा
महाराणा सांगा का इतिहास जानने से पहले तत्कालीन परिस्थिति जान ले जरूरी है:– अजमेर के चौहानों, कन्नौज के गहरवालों और Read more

write a comment