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सप्तवर्षीय युद्ध

सप्तवर्षीय युद्ध सात सालों तक चलने वाला युद्ध के कारण और परिणाम

सात वर्षों तक चलने वाले इस युद्ध मे एक ओर ऑस्टिया, फ्रांस, रूस, सैक्सोनी, स्वीडन तथा स्पेन और दूसरी तरफ ब्रिटेन, तथा हेनोवर थे। इन देशो के बीच इस युद्ध के छिड़ने के मुख्य कारण थे, यूरोप में अपने को सबसे अधिक शक्तिशाली सिद्ध करना और बाहरी उपनिवेशो पर प्रभुत्व जमाना। सप्तवर्षीय युद्ध का आरम्भ अगस्त, 1756 मे प्राशिया के सम्राट महान फ्रेडरिक द्वारा सैंक्सोनी पर आक्रमण से हुआ। युद्ध की समाप्ति 1763 में हयूबटर्सबर्ग (Hubertus burg) तथा पेरिस की सन्धियों से हुई और प्रशिया एवं ब्रिटेन का प्रभुत्व स्थापित हो गया। ब्रिटेन को फ्रांस के विरुद्ध परम्परागत औपनिवेशिक प्रतिद्विंवता में कनाडा में पयूबेक तथा भारत मे प्लासी की लड़ाइयो में अभूतपूर्व सफलता मिली। अपने इस लेख में हम इसी सप्तवर्षीय युद्ध का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:—

सप्तवर्षीय युद्ध में कौन पराजित हुआ था? सप्त वर्षीय युद्ध में किसकी विजय हुई थी? 7 वर्षीय युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? 7 वर्षीय युद्ध के बाद कौन सी संधि? सप्तवर्षीय युद्ध 1756-1763 किन देशों के बीच लड़ा गया था? सप्तवर्षीय युद्ध के कारण क्या थे? सात सालों तक चलने वाला युद्ध कौनसा था?

सप्तवर्षीय युद्ध के कारण

यूरोपीय देशो के बीच लडे गये इस सप्तवर्षीय युद्ध को औपनिवेशिक होड़ का संघर्ष कहा जा सकता है। 8वीं शताब्दी में यूरोपीय देशों के बीच अधिक से अधिक उपनिवेश हासिल करने की प्रतिद्विदंता थी, जिसके परिणाम स्वरूप यह सप्तवर्षीय युद्ध हुआ। इस युद्ध में एक ओर फ्रास, ऑस्ट्रिया, रूस, सैंक्सोनी, स्वीडन तथा स्पेन थे ओर दूसरी ओर ब्रिटेन, प्रशिया तथा हेनोवर।

ऑस्ट्रिया की रानी मारिया थेरेसा (Maria Theresa 1717-1780) एक ऐसे देश की मित्रता चाहती थी जो प्रशिया का शत्रु हो, क्योकि वह सिलेशिया (Silesia) को प्रशिया से वापस लेना चाहती थी। 1740 में जब ऑस्ट्रिया में गद्दी के उत्तराधिकारी का झगडा (The war of Austrian Succession) छिड़ा था, तो प्रशिया ने ऑस्ट्रिया से सिलेशिया छीन लिया था। उधर फ्रांस अपने पड़ोसी देश प्रशिया की उन्‍नति से डरता था। उसे भी अपने समद्री व्यापार तथा उपनिवेशों के विस्तार और ब्रिटेन से औपनिवेशिक प्रतिद्वंद्विता के लिए ऐसे ही मित्र की तलाश थी। इसलिए दोनो 200 वर्ष पुरानी शत्रुता को भूलकर मित्र बन गये। इस तरह एक ओर ऑस्ट्रिया और फ्रांस मिले तथा दूसरी ओर ब्रिटेन ओर प्रशिया।

इस समय यूरोप के बाहर अमरीका और भारत दोनों ही देशों मे उपनिवेशों को लेकर फ्रांस और ब्रिटेन मे खूब शत्रुता चल रही थी। ऑस्ट्रिया के मुंह मोड़ने पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज द्वितीय (King George ll) ने प्रशिया के सम्राट महान फ्रेडरिक (Frederick the Great) से सॉन्धि कर ली, जिसके अनुसार फ्रेडरिक ने
जॉर्ज की मातृभूमि हेनोवर की रक्षा का वचन दिया। जॉर्ज को इंग्लैड से भी अधिक हेनोबर की चिता थी क्योकि वह वहां का अधिकार प्राप्त राजकुमार (Elector of Henover) था और वहीं से उसके पिता को इंग्लैड की गद्दी पर बैठने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस प्रकार ब्रिटेन और प्रशिया में मैत्री हो गयी।

सप्तवर्षीय युद्ध
सप्तवर्षीय युद्ध

सप्तवर्षीय युद्ध की शुरुआत

1756 मे ऑस्ट्रिया-फ्रांस मित्रता की बात सुन कर फ्रेडरिक फौरन सैक्सोनी (Sexsony) पहुंचा और वहा की सेना को हरा कर वहा के लोगो को अपनी सेना में भर्ती करने लगा। ऑस्ट्रियाई सेना पहले युद्ध मे बडी वीरता से लडी परन्तु हार गयी। दूसरे वर्ष फ्रेडरिक ने बोहेमिया (Bohemia) पर आक्रमण किया और वहा की राजधानी पर अधिकार करने ही वाला था कि उसकी सेना का एक हिस्सा कोलिन नामक स्थान पर हार गया और उसे सैक्सोनी लऔटना पडा। इस समय तक स्वीडन तथा रूसी सेना भी प्रशिया के विरुद्ध लड़ने के लिए पूर्वी प्रशिया तक आ चुकी थी तथा जर्मनी और फ्रांस की सम्मिलित सेना और भी पास आ पहुची थी। विपत्ति के ऐसे पलो मे बिना घबराये फ्रेडरिक ने एक पहाडी से छिपकर फ्रांसीसियों पर वार किया। फिर झट लौट कर ऑस्ट्रियाई सेना को लथन स्थान पर 1757 मेंहरा दिया। इधर, फ्रांस ने अंग्रेजों को हराकर हेनोवर ले लिया। ब्रिटेन के चतुर तथा दूरदर्शी प्रधानमंत्री विलियम पिट ने युद्ध की नाजुकता को देखते हुए अपनी सेना का एक बडा भाग समुद्री व्यापार की रक्षा के लिए फ्रांस के विरुद्ध लड़ने के लिए रहने दिया तथा प्रशिया को भरपूर आर्थिक मदद देता रहा। यही नही, उसने सेना भेजकर फ्रांस से हेनोवर भी वापस ले लिया।

दूसरे वर्ष रूसियों ने फेडरिक की सेना को बुरी तरह हरा दिया और ऑस्ट्रियाई सेना ड्रेस्डन पर अधिकार करके उसकी ओर बढने लगी। फ्रेडरिक ने कुंठा से आत्महत्या करने का भी विचार किया परन्तु इसी बीच उसे ज्ञात हुआ कि उसकी पैदल सेना ने फ्रांसीसियों की घुड़सवार सेना को तितर-बितर कर दिया है। दूसरे वर्ष उसकी सेना ने ऑस्ट्रियाई सेना को फिर दो जगह हराया परन्तु तब तक वह जन-धन से खाली हो चुका था। ब्रिटेन के जॉर्ज द्वितीय की मृत्यु तथा विलियम पिट के अलग होने से दलीलें दी जाने लगी कि ब्रिटेन प्रशिया के लिए लड़कर धन-जन का नाश कर रहा है। अतः ब्रिटेन ने फ्रांस से सन्धि की बातचीत आरम्भ कर दी। इधर, रूस की रानी एलेक्जेड़ा की मृत्यु से फ्रेडरिक के लिए रूस का भी आतंक जाता रहा क्योंकि रूस की गद्दी पर पीटर द्वितीय बैठा, जो फ्रेडरिक के गुणों तथा वीरत्व का प्रशसंक था। उसने युद्ध-क्षेत्र से अपनी सेना हटा ली। इसी बीच अमरीका तथा भारत में अंग्रेज विजयी हुए। 1758 में लुईबर्ग, 1759 में क्यूबेक और 1760 में माट्रियाल अग्रेजों ने ले लिये। अब युद्ध क्षेत्र में केवल प्रशिया और ऑस्ट्रिया रह गये। हिंसा और वैमनस्य की थकान से टूटकर अन्तत उन्होंने भी परस्पर सन्धि कर ली।

1763 मे पेरिस में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच सन्धि हुई, जिसमे अग्रेजों को मिनोकी, नोवा स्काटिया और कनाडा मिले और मद्रास भी उन्हें वापस मिला। सेंट लूसिया, पांडिचेरी और चन्द्रनगर फ्रासीसियों को वापस मिले। ऑस्ट्रिया और प्रशिया के बीच में हयूबर्ट्सबर्ग में सन्धि हुई, जिसके अनुसार सिलेशिया प्रशिया के ही अधिकार में रहा परन्तु उसने सैक्सोनी से अपनी सेनाएं हटा ली।

सप्तवर्षीय युद्ध का परिणाम

इस सप्तवर्षीय युद्ध ने एशिया, अफ्रीका और अमरीका के नये नये देशों को जीत कर उपनिवेश बनाने की भावना को सुदृढ़ किया और ब्रिटेन सर्वाधिक शक्तिशाली उपनिवेशवादी देश के रूप में उभर कर सामने आया। ब्रिटेन ने अमरीका, कनाडा तथा भारत जैसे देशो पर अपना प्रभुत्व जमाकर फ्रांस की शक्ति को क्षीण कर
था।

इस सप्तवर्षीय युद्ध से प्रशिया भी ऑस्ट्रिया के बराबर हो गया। अब जर्मनी मे समान बल के दो राज्य हो गये जो जर्मनी के नेतृत्व तथा अपनी श्रेष्ठता प्रदर्शन के लिए लड़ने लगे। फ्रांस बरवाद हो गया। उसके बहुत से स्थान छिनने के कारण यूरोप की प्रमुख शक्तियों मे उसकी गिनती भी नही रही। दूसरे, प्रशिया का भाग्य भी तेज था। यह उसका भाग्य था कि रूस की रानी एलेक्जेंड़ा की मृत्यु हो गयी। कनाडा से फ्रांस के हट जाने से अमरीका मे रहने वालो को फ्रांस का डर जाता रहा और उन्होने थोडे ही दिनो मे लड़ कर अंग्रेजो से स्वतन्त्रता प्राप्त कर ली।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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