You are currently viewing सतखंडा पैलेस लखनऊ के नवाब की अधूरी ख्वाहिश
सतखंडा पैलेस

सतखंडा पैलेस लखनऊ के नवाब की अधूरी ख्वाहिश

सतखंडा पैलेस हुसैनाबाद घंटाघरलखनऊ के दाहिने तरफ बनी इस बद किस्मत इमारत का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1842 में करवाया था। इमारत की विशेषता यह है कि हर मंजिल अपने से नीचे वाली मंजिल से छोटी होती गई है और साथ ही साथ बनावट में भी बदलाव आता गया है।

लखोड़ी ईंटों से बनी यह लखनऊ की एक बेमिसाल और खबसूरत इमारत होती यदि पूरी बन गई होती। दुर्भाग्य रहा अभी इसकी चार मंजिलें ही बनी थीं कि 16 मई, 1842 को नवाब का देहावसान हो गया । उनकी साँसों की लड़ी का टूटना था कि इमारत का निर्माण भी रुक गया। सन्‌ 1841 में रूस से आए ‘ऐलेक्सास-सोलंटीकाफ ने हुसेनाबाद को “क्रेमलिन की संज्ञा प्रदान की है।

सतखंडा पैलेस का इतिहास

सतखंड” शब्द का शाब्दिक अर्थ सात मंजिला है। टावर का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1842 में किया था। मूल रूप से, योजना 30 मीटर ऊंची, सात मंजिला टावर बनाने की थी लेकिन नवाब मोहम्मद अली शाह की असामयिक मृत्यु के बाद निर्माण कार्य बीच में छोड़ दिया गया था। उस समय तक केवल चार मंजिलें ही बनकर तैयार हो सकी थीं। सतखंडा हालांकि अधूरा है, मुगल, ग्रीक और फ्रांसीसी वास्तुकला की समृद्ध विशेषताओं को एक में एकीकृत करके बनाया गया था। टॉवर का वास्तुशिल्प डिजाइन कुछ हद तकपीसा की झुकी मीनार और दिल्ली मेंकुतुबमीनार से प्रभावित है। टॉवर लगभग 21 मीटर ऊंचा है और उलेमा (मौलवियों) द्वारा चंद्रमा को देखने के लिए बनाया गया था क्योंकि मुसलमान ईद, बकरीद और अन्य इस्लामी त्योहारों को चांद के दर्शन के अनुसार मनाते हैं। इसके अलावा, नवाब मोहम्मद अली शाह सतखंडा से राजसी स्मारकों और इमारतों के साथ-साथ अद्भुत शहर लखनऊ का एक व्यापक विहंगम दृश्य देखना चाहते थे।

कुछ स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, नवाब अपनी बेटी से बेहद प्यार करता था और उसके लिए स्मारक बनाना चाहता था। दुर्भाग्य से कहा जाता है कि नवाब की बेटी की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी। अपनी बेटी की असामयिक मृत्यु के तुरंत बाद,नवाब मुहम्मद अली शाह की भी मृत्यु हो गई क्योंकि वह अपनी बेटी की जुदाई को सहन करने में असमर्थ थे। नवाब मोहम्मद अली शाह की मृत्यु के बाद सतखंडा टॉवर का निर्माण अचानक रोक दिया गया था और नवाब साहब के वंशजों ने भी निर्माण पूरा नहीं किया क्योंकि उन्हें लगा कि यह एक अपशकुन इमारत है। कुछ स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि टावर की सीढ़ियां चढ़ते समय नवाब मोहम्मद अली शाह के टखने में बुरी तरह चोट लग गई और इस घटना के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई। शायद यही कारण था कि नवाब के वंशजों ने इसे अपशगुन मानकर सतखंडा का निर्माण फिर से शुरू करने से परहेज किया।

सतखंडा की वास्तुकला

टावर लाल लखोडी ईंटों से बनाया गया है जिसमें मुगल,ग्रीक और फ्रेंच वास्तुकला की बारीक सूक्ष्मताएं शामिल हैं। ऐसा लगता है कि सतखंडा की स्थापत्य शैली और ढांचा नाजुक ग्रीक संरचनात्मक डिजाइन से प्रभावित है, जबकि खिड़कियों और द्वारों के मेहराब मुगल और फ्रांसीसी डिजाइनों को दर्शाते हैं। टावर का अष्टकोणीय आकार का भूतल 20 फीट ऊंचा है, जिससे यह टावर की सबसे ऊंची मंजिल बन जाती है। सतखंडा की अनूठी स्थापत्य विशेषता यह है कि टावर में प्रत्येक मंजिल को आधार (भूमि) तल की तुलना में चौड़ाई और ऊंचाई के घटते क्रम में बनाया गया है। सतखंडा लगभग 68 फीट लंबा है और इसमें कई सुंदर तिहरे धनुषाकार विभाजन और खिड़कियां हैं। सर्पिल आकार की एक सुंदर सीढ़ियां वास्तव में टावर के सभी विभिन्न मंजिलों की ओर ले जाती है। शीर्ष मंजिल से आगंतुक लखनऊ और आस-पास के क्षेत्र की सुंदरता को देख सकते हैं, सतखंडा पैलेस की उंचाई से बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, घंटा घर, रूमी दरवाजा और हुसैनाबाद पिक्चर गैलरी आदि के मनोरम दृश्य दिखाई पड़ते है।

सतखंडा पैलेस
सतखंडा पैलेस

सतखंड़ा की वर्तमान स्थिति

संबंधित अधिकारियों की उदासीनता के कारण विरासत स्मारक तेजी से बिगड़ रहा था, एक समय इस ऐतिहासिक इमारत की दशा इतनी बिगड़ चुकी थी कि इसकी दिवारो पर खास उग आई थी इसके अंदर स्थानीय लोग भूसा भर लेते थे तथा कुछ बेघर लोगों का आसरा बन चुकी थी। लेकिन कुछ स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और मीडिया के हस्तक्षेप ने हुसैनाबाद ट्रस्ट और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को टावर पर नवीनीकरण कार्य करने के लिए प्रेरित किया। अब, जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद, विरासत स्मारक अपने समृद्ध अतीत का प्रतीक है और इसकी पुनःप्राप्त महिमा में शान से खड़ी है। और पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं।

सतखंड़ा के दर्शन

सतखंड़ा की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय शाम का है और यह सूर्य के ढलने के कुछ समय बाद ही अद्भुत लगता है जब रोशनी चालू होती है। अच्छी तरह से पुनर्निर्मित और शाम को रोशनी-व्यवस्था के साथ सुंदर, साथ ही एक हरे और विशाल पार्क से घिरा हुआ है। इसे वॉच टावर के नाम से भी जाना जाता है। शाम के समय अक्सर यहां लोकल आगंतुकों की भीड़ बहुत होती है। नवाबों के शहर लखनऊ में सुहानी शाम बिताने का यह एक अच्छा विकल्प है। लेकिन यदि आप सतखंड़ा की वास्तुकला, शिल्पकला को बारिकी से समझना चाहते हैं या देखना चाहते हैं, तो आपको दिन के समय यहां की यात्रा करनी चाहिए। क्योंकि शाम के समय कृत्रिम रंग बिरंगी रौशनी में शिल्पकला की बारिकियां दब सी जाती है।

लखनऊ के नवाबों की वंशावली:—

मलिका किश्वर
मलिका किश्वर साहिबा अवध के चौथे बादशाह सुरैयाजाहु नवाब अमजद अली शाह की खास महल नवाब ताजआरा बेगम कालपी के नवाब Read more
लखनऊ के इलाक़ाए छतर मंजिल में रहने वाली बेगमों में कुदसिया महल जेसी गरीब परवर और दिलदार बेगम दूसरी नहीं हुई। Read more
बेगम शम्सुन्निसा
बेगम शम्सुन्निसा लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला की बेगम थी। सास की नवाबी में मिल्कियत और मालिकाने की खशबू थी तो बहू Read more
बहू बेगम
नवाब बेगम की बहू अर्थात नवाब शुजाउद्दौला की पटरानी का नाम उमत-उल-जहरा था। दिल्‍ली के वज़ीर खानदान की यह लड़की सन्‌ 1745 Read more
नवाब बेगम
अवध के दर्जन भर नवाबों में से दूसरे नवाब अबुल मंसूर खाँ उर्फ़ नवाब सफदरजंग ही ऐसे थे जिन्होंने सिर्फ़ एक Read more
सआदत खां बुर्हानुलमुल्क
सैय्यद मुहम्मद अमी उर्फ सआदत खां बुर्हानुलमुल्क अवध के प्रथम नवाब थे। सन्‌ 1720 ई० में दिल्ली के मुगल बादशाह मुहम्मद Read more
नवाब सफदरजंग अवध के द्वितीय नवाब थे। लखनऊ के नवाब के रूप में उन्होंने सन् 1739 से सन् 1756 तक शासन Read more
नवाब शुजाउद्दौला
नवाब शुजाउद्दौला लखनऊ के तृतीय नवाब थे। उन्होंने सन् 1756 से सन् 1776 तक अवध पर नवाब के रूप में शासन Read more
नवाब आसफुद्दौला
नवाब आसफुद्दौला-- यह जानना दिलचस्प है कि अवध (वर्तमान लखनऊ) के नवाब इस तरह से बेजोड़ थे कि इन नवाबों Read more
नवाब वजीर अली खां
नवाब वजीर अली खां अवध के 5वें नवाब थे। उन्होंने सन् 1797 से सन् 1798 तक लखनऊ के नवाब के रूप Read more
नवाब सआदत अली खां
नवाब सआदत अली खां अवध 6वें नवाब थे। नवाब सआदत अली खां द्वितीय का जन्म सन् 1752 में हुआ था। Read more
नवाब गाजीउद्दीन हैदर
नवाब गाजीउद्दीन हैदर अवध के 7वें नवाब थे, इन्होंने लखनऊ के नवाब की गद्दी पर 1814 से 1827 तक शासन किया Read more
नवाब नसीरुद्दीन हैदर
नवाब नसीरुद्दीन हैदर अवध के 8वें नवाब थे, इन्होंने सन् 1827 से 1837 तक लखनऊ के नवाब के रूप में शासन Read more
नवाब मुहम्मद अली शाह
मुन्नाजान या नवाब मुहम्मद अली शाह अवध के 9वें नवाब थे। इन्होंने 1837 से 1842 तक लखनऊ के नवाब के Read more
नवाब अमजद अली शाह
अवध की नवाब वंशावली में कुल 11 नवाब हुए। नवाब अमजद अली शाह लखनऊ के 10वें नवाब थे, नवाब मुहम्मद अली Read more
नवाब वाजिद अली शाह
नवाब वाजिद अली शाह लखनऊ के आखिरी नवाब थे। और नवाब अमजद अली शाह के उत्तराधिकारी थे। नवाब अमजद अली शाह Read more

लखनऊ में घूमने लायक जगह:—

लखनऊ के क्रांतिकारी
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में लखनऊ के क्रांतिकारी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। इन लखनऊ के क्रांतिकारी पर क्या-क्या न ढाये Read more
लखनऊ में 1857 की क्रांति
लखनऊ में 1857 की क्रांति में जो आग भड़की उसकी पृष्ठभूमि अंग्रेजों ने स्वयं ही तैयार की थी। मेजर बर्ड Read more
बेगम शम्सुन्निसा
बेगम शम्सुन्निसा लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला की बेगम थी। सास की नवाबी में मिल्कियत और मालिकाने की खशबू थी तो बहू Read more
बहू बेगम
नवाब बेगम की बहू अर्थात नवाब शुजाउद्दौला की पटरानी का नाम उमत-उल-जहरा था। दिल्‍ली के वज़ीर खानदान की यह लड़की सन्‌ 1745 Read more
नवाब बेगम
अवध के दर्जन भर नवाबों में से दूसरे नवाब अबुल मंसूर खाँ उर्फ़ नवाब सफदरजंग ही ऐसे थे जिन्होंने सिर्फ़ एक Read more
भातखंडे संगीत विद्यालय
भारतीय संगीत हमारे देश की आध्यात्मिक विचारधारा की कलात्मक साधना का नाम है, जो परमान्द तथा मोक्ष की प्राप्ति के Read more
बेगम अख्तर
बेगम अख्तर याद आती हैं तो याद आता है एक जमाना। ये नवम्बर, सन्‌ 1974 की बात है जब भारतीय Read more
लखनऊ की बोली
उमराव जान को किसी कस्बे में एक औरत मिलती है जिसकी दो बातें सुनकर ही उमराव कह देती है, “आप Read more
गोमती नदी लखनऊ
गोमती लखनऊ नगर के बीच से गुजरने वाली नदी ही नहीं लखनवी तहजीब की एक सांस्कृतिक धारा भी है। इस Read more
लखनऊ अपने आतिथ्य, समृद्ध संस्कृति और प्रसिद्ध मुगलई भोजन के लिए जाना जाता है। कम ही लोग जानते हैं कि Read more
क्राइस्ट चर्च लखनऊ
नवाबों के शहर लखनऊ को उत्तर प्रदेश में सबसे धर्मनिरपेक्ष भावनाओं, संस्कृति और विरासत वाला शहर कहा जा सकता है। धर्मनिरपेक्ष Read more
लखनऊ के प्रसिद्ध मंदिर
एक लखनऊ वासी के शब्दों में लखनऊ शहर आश्चर्यजनक रूप से वर्षों से यहां बिताए जाने के बावजूद विस्मित करता रहता Read more
मूसा बाग लखनऊ
लखनऊ एक शानदार ऐतिहासिक शहर है जो अद्भुत स्मारकों, उद्यानों और पार्कों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐतिहासिक स्मारक ज्यादातर अवध Read more
लखनऊ यूनिवर्सिटी
बड़ा लम्बा सफर तय किया है कैनिंग कालेज ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के रूप में तब्दील होने तक। हाथ में एक Read more
राज्य संग्रहालय लखनऊ
लखनऊ के राज्य संग्रहालय का इतिहास लगभग सवा सौ साल पुराना है। कर्नल एबट जो कि सन्‌ 1862 में लखनऊ के Read more
चारबाग रेलवे स्टेशन
चारबाग स्टेशन की इमारत मुस्कुराती हुई लखनऊ तशरीफ लाने वालों का स्वागत करती है। स्टेशन पर कदम रखते ही कहीं न Read more
लखनऊ की मस्जिदें
लखनऊ उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है, और भारत का एक ऐतिहासिक महानगर है। लखनऊ को नवाबों का शहर कहा Read more
पतंगबाजी
पतंगबाजी या कनकौवे बाजी, पतंग उर्फ 'कनकइया' बड़ी पतंग उर्फ 'कमकउवा, बड़े ही अजीबो-गरीब नाम हैं यह भी। वैसे तो Read more
लखनऊ की तवायफें
नवाबी वक्‍त में लखनऊ ने नृत्य और संगीत में काफी उन्नति की। नृत्य और संगीत की बात हो और तवायफ का Read more
कबूतर बाजी
लखनऊ की नजाकत-नफासत ने अगर संसार में शोहरत पायी है तो यहाँ के लोगों के शौक भी कम मशहूर नहीं Read more
मुर्गा की लड़ाई
कभी लखनऊ की मुर्गा की लड़ाई दूर-दूर तक मशहूर थी। लखनऊ के किसी भी भाग में जब मुर्गा लड़ाई होने वाली Read more
अदब और तहजीब
लखनऊ सारे संसार के सामने अदब और तहजीब तथा आपसी भाई-चारे की एक मिसाल पेश की है। लखनऊ में बीतचीत Read more
लखनवी चिकन कुर्ता
लखनऊ का चिकन उद्योग बड़ा मशहूर रहा है। लखनवी कुर्तीयों पर चिकन का काम नवाबीन वक्‍त में खूब फला-फूला। नवाब आसफुद्दौला Read more
लखनऊ का पहनावा
लखनऊ नवाबों, रईसों तथा शौकीनों का शहर रहा है, सो पहनावे के मामले में आखिर क्‍यों पीछे रहता। पुराने समय Read more
लखनवी पान
लखनवी पान:-- पान हमारे मुल्क का पुराना शौक रहा है। जब यहाँ हिन्दू राजाओं का शासन था तब भी इसका बड़ा Read more
दिलकुशा कोठी
दिलकुशा कोठी, जिसे "इंग्लिश हाउस" या "विलायती कोठी" के नाम से भी जाना जाता है, लखनऊ में गोमती नदी के तट Read more
लखनऊ की बिरयानी
लखनऊ का व्यंजन अपने अनोखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर अपने कोरमा, बिरयानी, नहरी-कुलचा, जर्दा, शीरमल, और वारकी Read more
रहीम के नहारी कुलचे
रहीम के नहारी कुलचे:--- लखनऊ शहर का एक समृद्ध इतिहास है, यहां तक ​​​​कि जब भोजन की बात आती है, तो लखनऊ Read more
टुंडे कबाब
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले दो चीजों की तरफ ध्यान जाता है। लखनऊ की बोलचाल Read more
गोमती रिवर फ्रंट
लखनऊ शहर कभी गोमती नदी के तट पर बसा हुआ था। लेकिन आज यह गोमती नदी लखनऊ शहर के बढ़ते विस्तार Read more
अंबेडकर पार्क लखनऊ
नवाबों का शहर लखनऊ समृद्ध ऐतिहासिक अतीत और शानदार स्मारकों का पर्याय है, उन कई पार्कों और उद्यानों को नहीं भूलना Read more
वाटर पार्क इन लखनऊ
लखनऊ शहर जिसे "बागों और नवाबों का शहर" (बगीचों और नवाबों का शहर) के रूप में जाना जाता है, देश Read more
काकोरी शहीद स्मारक
उत्तर प्रदेश राज्य में लखनऊ से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा नगर काकोरी अपने दशहरी आम, जरदोजी Read more
नैमिषारण्य तीर्थ
लखनऊ शहर में मुगल और नवाबी प्रभुत्व का इतिहास रहा है जो मुख्यतः मुस्लिम था। यह ध्यान रखना दिलचस्प है Read more
कतर्नियाघाट सेंचुरी
प्रकृति के रहस्यों ने हमेशा मानव जाति को चकित किया है जो लगातार दुनिया के छिपे रहस्यों को उजागर करने Read more
नवाबगंज पक्षी विहार
लखनऊ में सर्दियों की शुरुआत के साथ, शहर से बाहर जाने और मौसमी बदलाव का जश्न मनाने की आवश्यकता महसूस होने Read more
बिठूर दर्शनीय स्थल
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर बिठूर की यात्रा के बिना आपकी लखनऊ की यात्रा पूरी नहीं होगी। बिठूर एक सुरम्य Read more
लखनऊ चिड़ियाघर
एक भ्रमण सांसारिक जीवन और भाग दौड़ वाली जिंदगी से कुछ समय के लिए आवश्यक विश्राम के रूप में कार्य Read more
जनेश्वर मिश्र पार्क
लखनऊ में हमेशा कुछ खूबसूरत सार्वजनिक पार्क रहे हैं। जिन्होंने नागरिकों को उनके बचपन और कॉलेज के दिनों से लेकर उस Read more
लाल बारादरी
इस निहायत खूबसूरत लाल बारादरी का निर्माण सआदत अली खांने करवाया था। इसका असली नाम करत्न-उल सुल्तान अर्थात- नवाबों का Read more

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply