सआदत खां बुर्हानुलमुल्क उर्फ मीर मुहम्मद अमीन लखनऊ के प्रथम नवाब Naeem Ahmad, June 17, 2022March 2, 2023 सैय्यद मुहम्मद अमी उर्फ सआदत खां बुर्हानुलमुल्क अवध के प्रथम नवाब थे। सन् 1720 ई० में दिल्ली के मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने सैय्यद मुहम्मद अमी उर्फ नवाब सआदत खां प्रथम को आगरा का सूबेदार बना कर भेजा। इस प्रकार मुहम्मद अमी अवध के पहले नवाब हुए। मुहम्मद अमी निशापुर के ईरानी सौदागर थे। बादशाह मुहम्मद शाह से अच्छी दोस्ती होने के कारण दिल्ली दरबार में उनका काफी प्रभाव था। जिससे उन्हें आगरा की सूबेदारी का सौभाग्य मिला और फिर अवध की सूबेदारी। उन्हें नवाब वजीर का पद 1732 में हासिल हुआ। मुहम्मद अमी को बुर्हानुलमुल्क का खिताब बादशाह ही ने दिया था। मुहम्मद अमी ने सन् 1739 में आत्महत्या कर ली और इस दुनियां से रूखसत हो गए। Contents1 नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क कौन थे1.1 नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क का जन्म1.2 किशोर अवस्था और शिक्षा1.3 भारत की ओर प्रस्थान1.4 सआदत खां का बेरोजगारी से नवाबी तक का सफर1.5 परिवार2 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—- नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क कौन थे चार सौ वर्ष से अधिक हुये कि इराक देश के पवित्र नगर नजफ़ में एक मीर शमसुद्दीन नामक एक सदाचारी वृद्ध सैय्यद रहता था जो अपनी विद्वत्ता और भक्तिमयता के लिये समान रूप से प्रसिद्ध और अपने नगरवासियों के अपवाद रहित सम्मान और सत्कार का पात्र था। ईरान की गद्दी पर उसके समकालीन राजपुरुष शाह इस्माईल रुफ़वी ने ( 1499-1523 ई), जो अपनी वीरता और दयालुता के लिये विख्यात था, सैय्यद को नजफ़ ने आमन्त्रित किया और उसको खुरासान के प्रान्त में निशापुर का काजी नियुक्त किया। काजी स्थायी रूप से निशापुर में बस गया जहां पर उसके राजकीय आश्रयदाता ने उसे एक विस्तृत जागीर भेंट की। मीर शमसुद्दीन कुलीन प्रतिभावान सैय्यद परिवार का वंशज था। कहा जाता है कि मूसा काज़िम की वंश परम्परा में वह 21वां था जोअली के वंश का 7वाँ इमाम था। मीर के कई पुत्रों में ज्येष्ठ सैयद मुहम्मद जाफर था। उसके दो पुत्र हुए– मीर मुहम्मद अमीन और सैय्यद मुहम्मद जिनके शाह अब्बास द्वितीय (1641-1666 ई• ) के शासन काल मे क्रमशः मीर मुहम्मद नसीर और मीर मुहम्मद यूसुफ उत्पन्न हुएं। कहा जाता है कि एक दिन जब शाह शिकार पर था एक शेर के अचानक हमला होने से राजकीय परिचरों में कुछ कौलाहल पैदा हो गया और राजा स्वयं घोड़े से गिर गया। ठीक उसी समय मीर मुहम्मद यूसुफ जो समीप ही खड़ा हुआ था, साहस पूर्वक आगे बढ़ा और उस शेर का अपनी तलवार के एक ही वार से अन्त कर दिया। नवयुवक के कृत्य पर प्रसन्न होकर शाह ने सैयद परिवार को सम्मानित करने का निश्चय किया और अपनी कन्या का मीर मुहम्मद नसीर से विवाह कर दिया। इस वैवाहिक सम्बन्ध से दो पुत्रियां और दो पुत्र हुये– मीर मुहम्मद बाकर और मीर मुहम्मद अमीन। यही दूसरा व्यक्ति अवध के राजवंश का संस्थापक भावी नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क था। नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क का जन्म किसी इतिहासकार, समकालीन या अपरकालीन ने मीर मुहम्मद अमीन उर्फ़ सआदत खां की निश्चित जन्म-तिथि या उसके प्रारम्भिक जीवन की किसी घटना को दिनकिंगत लेखबद करने की चिंता न की, परन्तु हम जानते हैं कि अपनी मृत्यु के समय, जो 9 जिलहिज्जा 1151 हिजरी तदनुसार 19 मार्च 1739 ईस्वी को हुई। वह लगभग 60 वर्ष की आयु का था। जिसके अनुसार अवध के प्रथम नवाब का जन्म 1679 के आसपास का माना जाता है। कहा जाता है कि मीर मुहम्मद नसीर और मीर मुहम्मद यूसुफ की मां एक थी परंतु पिता अलग अलग थे, अर्थात मीर मुहम्मद अमीन और सैय्यद मुहम्मद। किशोर अवस्था और शिक्षा अपने जीवन के प्रारम्भिक वर्ष उसने साहित्य के अध्ययन में लाभ पूर्वक व्यतीत किये। सामन्त होने के कुछ वर्ष पूर्व ही मीर मुहम्मद अमीन उर्फ़ सआदत खां ने सैनिक गुण सम्पन्न सुशिक्षित और सुशील सज्जन की ख्याति उपलब्ध कर ली थी। पुष्ठ शरीर, विशाल शारीरिक बल और निशंक वीरता प्रकृति ने उसको उपहार में दिये थे। भारत में और उसकी अपनी जन्म भूमि में दीर्घकाल तक भोगित विपत्तियों ने उसमें साहस आत्म-विश्वास और धैर्य के गुर्णो को जाग्रत ओर विकसित कर दिया था। इन प्राकृतिक उपहारों ने किसी न किसी प्रकार के सैनिक शिक्षण के साथ साथ उसको उत्तम योद्धा बना दिया था। भारत की ओर प्रस्थान 17वीं शताब्दी के अंत के समीप ईरान का सफवी राजवंश लगभग डेढ़ सदी के गौरवशाली राज्य काल के पश्चात, अंतिम शाहों के चरित्र में कमशः ह्रास के परिणाम स्वरूप अवनत होने लगा था और उस समय अपने विलय के समीप पहुंच गया था। इस वंश के अन्तिम राजा शाह हुसैन (1694-1722 ई) के निर्जीव शासन काल में, जिसने प्राचीन सामन्त वर्ग को पूर्णतया विरुद्ध और अपमानित कर दिया था, सैय्यद शमसुद्दीन के वंशज, जो राजकीय छत्रछाया में साननन्द जीवन व्यतीत कर रहे थे, साघनहीनता और दरिद्रता की दशा को प्राप्त हो गये। अतः मीर मुहम्मद अमीन के पिता मीर मुहम्मद नसीर ने हिन्दुस्तान में भाग्य परीक्षा का निश्चय किया। उसके इस उद्योग के लिये समय बहुत अनुकूल प्रतीत होता या। वर्योवृद शाहशाह औरंगजेब जिसका जीवन शिया मत के भिन्न विश्वास को और हिन्दू मूर्ति पूजा को समान रूप से नष्ट करने का सतत् प्रयत्न था, अपनी प्रजा के बहुत बड़े भाग के सौमाग्य से अपनी समाधि में विश्राम के लिये प्रवेश कर चुका था। उसका पुत्र और उत्तराधिकारी बहादुर शाह नम्र और अवगुण की सीमा तक दयालु था और शिया मत की ओर अधिक झुकाव रखने के लिये विदित था। वह रसूल का वंशज होने का भी दावा करता था और अपनी अन्य उपाधियों के साथ “सैय्यद” शब्द को जनसमक्ष धारण करता था। इन तथ्यों का ज्ञान ईरान से शिया पुरूषार्थियों को धारा प्रवाह इस देश की ओर आकर्षित करने के लिये पर्याप्त था। सआदत खां बुर्हानुलमुल्क अपने बड़े पुत्र मीर मुहम्मद बाकर को साथ लेकर मीर मुहम्मद नसीर ने, जो उस समय अपने जीवन की सायं बेला में था, अपने पैतृक निवास स्थान को 1707 ई० के अन्त के आस पास छोड़ दिया और आजीविका की खोज में भारत के लिये प्रस्थान किया।एक लम्बी और कष्ट साध्य भूमि यात्रा ने उनको अपने देश की दक्षिणी सीमा पर पहुंचा दिया। यहा किसी एक बन्दरगाह से पिता और पुत्र एक पोत में जो भारत आ रहा था, चल पड़े और बंगाल पहुंचे। बंगाल से वे बिहार गये और अन्त में पटना नगर में बस गये। यहां पर आदरणीय सैय्यद को बंगाल और बिहार के योग्य दीवान मुर्शिद कुली खाँ ने अपने जामाता शुजा खाँ के अनुरोध पर निर्वाह योग्य जीविका प्रदान की। शुजा खाँ के पूर्वज स्वयं ईरान से आये थे और वह असहाय विदेशियों विशेष कर ईरान से आने वालों के मित्र रूप में सर्व विदित था। मीर मुहम्मद अमीन उर्फ़ सआदत खां, मीर मुहम्मद नसीर का दूसरा, परन्तु अधिक होनहार पुत्र अपने जन्म स्थान निशापुर ही में रह गया था। वह अपने चाचा भर श्वसुर मीर मुहम्मद यूसुफ के साथ रहता था। शायद यही कारण था कि वह अपने पिता और बड़े भाई के साथ भारत नहीं आया था। कहते हैं कि मीर मुहम्मद अमीन की पत्नी ने एक दिन उसे ताना दिया की वह घरजमाई बनकर उसके पिता का खाता है। मीर मुहम्मद अमीन में आत्मसम्मान था, उसको यह बात बहुत बुरी लगी। और वह क्रोध में अपनी पत्नी के घर को छोड़कर भारत के लिए चल दिया। मीर मुहम्मद अमीन अपने भाई और पिता के पास 1708-9 पटना आया। लेकिन उसके आने से कुछ महिने पहले ही उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। सो दोनों भाई मीर मुहम्मद बाकर और मीर मुहम्मद अमीन उर्फ़ सआदत खां पटना में कुछ दिन ठहर कर नौकरी की खोज में दिल्ली की ओर चल पड़ें। सआदत खां का बेरोजगारी से नवाबी तक का सफर प्रारंभ एक वर्ष तक मीर मुहम्मद अमीन उर्फ़ सआदत खां ने एक अज्ञात आमिल की सेवा स्वीकार कर ली और अपना समय दुख और द्ररिद्रता से व्यतीत किया। कुछ दिनों पश्चात वह और उसका भाई सर बुलंद खां की सेवा में आ गए। जो इलाहाबाद के सूबे में मानिकपुर का फौजदार था। और उन्हीं की तरह ईरानी और सैय्यद भी था। उसने मीर मुहम्मद अमीन को अपना शिविराध्यक्ष नियुक्त किया। सर बुलंद खां के पास उसने दो साल तक नौकरी की उसके बाद वह फर्रुखसियार की सेवा में चला गया। वहां उसे मुहम्मद ज़फ़र की सहायता से दिल्ली के दरबार में हजारी का पद प्राप्त करने में सफलता मिल गई। इसी बीच शक्तिशाली सैय्यदो और कायर बादशाह का झगड़ अपनी चरम सिमा पर पहुंच गया। फर्रूखसियर गद्दी से उतार दिया गया। और उसे दंड देकर मार दिया गया। इसके बाद सैय्यदो ने राज गद्दी शहजादा रोशन अख्तर को दी जो जहांदार का पुत्र और बहादुर शाह प्रथम का पौत्र था। अब सैय्यद अपनी शक्ति की पराकाष्ठा को पहुंच गये थे। मीर मुहम्मद अमीन इस समय अकर्मण्य नहीं था। फर्रूखसियर की मृत्यु के पश्चात वह अपने संरक्षक के विरोधियों से जा मिला। सैय्यद और उनकी तरह शिक्षा होने के कारण उनकी आत्मीय मंडली में प्रवेश करने में उसे कोई कष्ट नहीं हुआ। उसके सुसंस्कृत स्वभाव, सुंदर चाल ढाल और जन्मजात सैनिक गुणों ने शीघ्र ही उसके लिए सैय्यद हुसैन अली खां संरक्षता प्राप्त कर ली। शाही बख्शी ने जो स्वामी भक्त और वीर योद्धाओं का मित्र था, मीर मुहम्मद अमीन के लिए हिंडवाना और बयाना के फौजदार की जगह प्राप्त कर ली। जो उस समय आगरा प्रांत का जिला था। 6 अक्टूबर 1719 को बादशाह मुहम्मद शाह के राज्यरोहण के कुछ समय बाद ही उसकी विधि पूर्वक नियुक्ति भी हो गई। शाही शिविर से जो उस समय आगरा के पास था। मीर मुहम्मद अमीन अपने नए कार्यभार पर गया। हिंडवाना और बयाना जो राजस्थान के भरतपुर और जयपुर में आगरा से 50-60 मील दक्षिण पश्चिम में स्थित है। उस समय आगरा के सूबे के अत्यन्त महत्वाकांक्षी जिले थे। वहां उपद्रवियों ने बहुत आतंक मचा रखा था। जिसका मीर मुहम्मद अमीन ने सफलतापूर्वक दमन किया। जिससे खुश होकर बादशाह ने सआदत खां को 1720 में आगरा का राज्यपाल नियुक्त किया। इसके बाद वह 9 सितंबर 1722 को अवध का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। और वहां की जागीर सौंप दी गई। जहां नवाब सआदत खां अपने अंतिम समय तक शासन किया। परिवार भारत में नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क ने तीन विवाह किये, जिनमें पहली पत्नी का विवाह के बाद जल्दी देहांत हो गया। वह दिल्ली के एक राजकीय पदाधिकारी की पुत्री थी। बाकी दो में से एक सैय्यद तालिब मुहम्मद खां की पुत्री थी और दूसरी नवाब मुहम्मद तकी खां की पुत्री थी। जो एक समय आगरा का राज्यपाल था। उसके केवल एक पुत्र था जिसका देहांत किशोर अवस्था में चेचक से हो गया था। नवाब सआदत खां बुर्हानुलमुल्क के पांच पुत्रियां थीं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें—- राधा कुंड यहाँ मिलती है संतान सुख प्राप्ति – radha kund mthura राधा कुंड :- उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर को कौन नहीं जानता में समझता हुं की इसका परिचय कराने की शाकुम्भरी देवी सहारनपुर – शाकुम्भरी देवी का इतिहास – शाकुम्भरी माता मंदिर प्रिय पाठको पिछली पोस्टो मे हमने भारत के अनेक धार्मिक स्थलो मंदिरो के बारे में विस्तार से जाना और उनकी लखनऊ के दर्शनीय स्थल – लखनऊ पर्यटन स्थल – लखनऊ टूरिस्ट प्लेस इन हिन्दी गोमती नदी के किनारे बसा तथा भारत के सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ दुनिया भर में अपनी इलाहाबाद का इतिहास – गंगा यमुना सरस्वती संगम – इलाहाबाद का महा कुम्भ मेला इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का प्राचीन शहर है। यह प्राचीन शहर गंगा यमुना सरस्वती नदियो के संगम के लिए जाना जाता है। वाराणसी (काशी विश्वनाथ) की यात्रा – काशी का धार्मिक महत्व प्रिय पाठको अपनी उत्तर प्रदेश यात्रा के दौरान हमने अपनी पिछली पोस्ट में उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख व धार्मिक ताजमहल का इतिहास – आगरा का इतिहास – ताजमहल के 10 रहस्य प्रिय पाठको अपनी इस पोस्ट में हम भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के एक ऐसे शहर की यात्रा करेगें जिसको मेरठ के दर्शनीय स्थल – मेरठ में घुमने लायक जगह मेरठ उत्तर प्रदेश एक प्रमुख महानगर है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोरखपुर पर्यटन स्थल – गोरखपुर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल उत्तर प्रदेश न केवल सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है बल्कि देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य भी है। भारत बरेली के दर्शनीय स्थल – बरेली के टॉप 5 पर्यटन स्थल बरेली उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला और शहर है। रूहेलखंड क्षेत्र में स्थित यह शहर उत्तर कानपुर के दर्शनीय स्थल – कानपुर के टॉप 10 पर्यटन स्थल कानपुर उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और यह भारत के सबसे बड़े औद्योगिक शहरों में से झांसी टूरिस्ट प्लेस – टॉप 5 टूरिस्ट प्लेस इन झाँसी भारत का एक ऐतिहासिक शहर, झांसी भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र के महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना जाता है। यह अयोध्या का इतिहास – अयोध्या के दर्शनीय स्थल और महत्व अयोध्या भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। कुछ सालो से यह शहर भारत के सबसे चर्चित मथुरा दर्शनीय स्थल – मथुरा दर्शन की रोचक जानकारी मथुरा को मंदिरो की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक चित्रकूट धाम की महिमा मंदिर दर्शन और चित्रकूट दर्शनीय स्थल चित्रकूट धाम वह स्थान है। जहां वनवास के समय श्रीराजी ने निवास किया था। इसलिए चित्रकूट महिमा अपरंपार है। यह प्रेम वंडरलैंड एंड वाटर किंगडम मुरादाबाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद महानगर जिसे पीतलनगरी के नाम से भी जाना जाता है। अपने प्रेम वंडरलैंड एंड वाटर कुशीनगर के दर्शनीय स्थल – कुशीनगर के टॉप 7 पर्यटन स्थल कुशीनगर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्राचीन शहर है। कुशीनगर को पौराणिक भगवान राजा राम के पुत्र कुशा ने बसाया पीलीभीत के दर्शनीय स्थल – पीलीभीत के टॉप 6 पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों में से एक पीलीभीत है। नेपाल की सीमाओं पर स्थित है। यह सीतापुर के दर्शनीय स्थल – सीतापुर के टॉप 5 पर्यटन स्थल व तीर्थ स्थल सीतापुर - सीता की भूमि और रहस्य, इतिहास, संस्कृति, धर्म, पौराणिक कथाओं,और सूफियों से पूर्ण, एक शहर है। हालांकि वास्तव अलीगढ़ के दर्शनीय स्थल – अलीगढ़ के टॉप 6 पर्यटन स्थल,ऐतिहासिक इमारतें अलीगढ़ शहर उत्तर प्रदेश में एक ऐतिहासिक शहर है। जो अपने प्रसिद्ध ताले उद्योग के लिए जाना जाता है। यह उन्नाव के दर्शनीय स्थल – उन्नाव के टॉप 5 पर्यटन स्थल उन्नाव मूल रूप से एक समय व्यापक वन क्षेत्र का एक हिस्सा था। अब लगभग दो लाख आबादी वाला एक बिजनौर पर्यटन स्थल – बिजनौर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल बिजनौर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। यह खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर गंगा नदी मुजफ्फरनगर पर्यटन स्थल – मुजफ्फरनगर के टॉप 6 दर्शनीय स्थल उत्तर प्रदेश भारत में बडी आबादी वाला और तीसरा सबसे बड़ा आकारवार राज्य है। सभी प्रकार के पर्यटक स्थलों, चाहे अमरोहा का इतिहास – अमरोहा पर्यटन स्थल, ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल अमरोहा जिला (जिसे ज्योतिबा फुले नगर कहा जाता है) राज्य सरकार द्वारा 15 अप्रैल 1997 को अमरोहा में अपने मुख्यालय इटावा का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ इटावा जिला आकर्षक स्थल प्रकृति के भरपूर धन के बीच वनस्पतियों और जीवों के दिलचस्प अस्तित्व की खोज का एक शानदार विकल्प इटावा शहर एटा का इतिहास – एटा उत्तर प्रदेश के पर्यटन, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थल एटा उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, एटा में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें मंदिर और फतेहपुर सीकरी का इतिहास, दरगाह, किला, बुलंद दरवाजा, पर्यटन स्थल विश्व धरोहर स्थलों में से एक, फतेहपुर सीकरी भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। बुलंदशहर का इतिहास – बुलंदशहर के पर्यटन, ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नोएडा से 65 किमी की दूरी पर, दिल्ली से 85 किमी, गुरूग्राम से 110 किमी, मेरठ से 68 किमी और नोएडा का इतिहास – नोएडा मे घूमने लायक जगह, पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश का शैक्षिक और सॉफ्टवेयर हब, नोएडा अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह राष्ट्रीय गाजियाबाद का इतिहास – गाजियाबाद में घूमने लायक पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित, गाजियाबाद एक औद्योगिक शहर है जो सड़कों और रेलवे द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा बागपत का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ बागपत पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल बागपत, एनसीआर क्षेत्र का एक शहर है और भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत जिले में एक नगरपालिका बोर्ड शामली का इतिहास – शामली हिस्ट्री इन हिन्दी – शामली दर्शनीय स्थल शामली एक शहर है, और भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में जिला नव निर्मित जिला मुख्यालय है। सितंबर 2011 में शामली सहारनपुर का इतिहास – सहारनपुर घूमने की जगह, पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक सहारनपुर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, जो वर्तमान में अपनी लकडी पर शानदार नक्काशी की रामपुर का इतिहास – नवाबों का शहर रामपुर के आकर्षक स्थल ऐतिहासिक और शैक्षिक मूल्य से समृद्ध शहर रामपुर, दुनिया भर के आगंतुकों के लिए एक आशाजनक गंतव्य साबित होता है। मुरादाबाद का इतिहास – मुरादाबाद के दर्शनीय व आकर्षक स्थल मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के पश्चिमी भाग की ओर स्थित एक शहर है। पीतल के बर्तनों के उद्योग संभल का इतिहास – सम्भल के पर्यटन, आकर्षक, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थल संभल जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। यह 28 सितंबर 2011 को राज्य के तीन नए बदायूं का इतिहास – बदायूंं आकर्षक, ऐतिहासिक, पर्यटन व धार्मिक स्थल बदायूंं भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर और जिला है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के केंद्र में लखीमपुर खीरी का इतिहास – लखीमपुर खीरी जिला आकर्षक स्थल लखीमपुर खीरी, लखनऊ मंडल में उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह भारत में नेपाल के साथ सीमा पर स्थित शाहजहांपुर का इतिहास – शाहजहांपुर दर्शनीय, ऐतिहासिक, पर्यटन व धार्मिक स्थल भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित, शाहजहांंपुर राम प्रसाद बिस्मिल, शहीद अशफाकउल्ला खान जैसे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मस्थली रायबरेली का इतिहास – रायबरेली पर्यटन, आकर्षक, दर्शनीय व धार्मिक स्थल रायबरेली जिला उत्तर प्रदेश प्रांत के लखनऊ मंडल में स्थित है। यह उत्तरी अक्षांश में 25 ° 49 'से 26 वृन्दावन धाम – वृन्दावन के दर्शनीय स्थल, मंदिर व रहस्य दिल्ली से दक्षिण की ओर मथुरा रोड पर 134 किमी पर छटीकरा नाम का गांव है। छटीकरा मोड़ से बाई नंदगाँव मथुरा – नंदगांव की लट्ठमार होली व दर्शनीय स्थल नंदगाँव बरसाना के उत्तर में लगभग 8.5 किमी पर स्थित है। नंदगाँव मथुरा के उत्तर पश्चिम में लगभग 50 किलोमीटर बरसाना मथुरा – हिस्ट्री ऑफ बरसाना – बरसाना के दर्शनीय स्थल मथुरा से लगभग 50 किमी की दूरी पर, वृन्दावन से लगभग 43 किमी की दूरी पर, नंदगाँव से लगभग 9 सोनभद्र आकर्षक स्थल – हिस्ट्री ऑफ सोनभद्र – सोनभद्र ऐतिहासिक स्थल सोनभद्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। सोंनभद्र भारत का एकमात्र ऐसा जिला है, जो मिर्जापुर जिले का इतिहास – मिर्जापुर के टॉप 8 पर्यटन, ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल मिर्जापुर जिला उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है। यह जिला उत्तर में संत आजमगढ़ हिस्ट्री इन हिन्दी – आजमगढ़ के टॉप दर्शनीय स्थल आजमगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक शहर है। यह आज़मगढ़ मंडल का मुख्यालय है, जिसमें बलिया, मऊ और आज़मगढ़ बलरामपुर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ बलरामपुर – बलरामपुर पर्यटन स्थल बलरामपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बलरामपुर जिले में एक शहर और एक नगरपालिका बोर्ड है। यह राप्ती नदी ललितपुर का इतिहास – ललितपुर के टॉप 5 पर्यटन स्थल ललितपुर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में एक जिला मुख्यालय है। और यह उत्तर प्रदेश की झांसी डिवीजन के अंतर्गत बलिया का इतिहास – बलिया के टॉप 10 दर्शनीय स्थल बलिया शहर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक खूबसूरत शहर और जिला है। और यह बलिया जिले का सारनाथ का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ सारनाथ इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) से उत्तर की ओर सारनाथ का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है। काशी से सारनाथ की दूरी श्रावस्ती का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ श्रावस्ती – श्रावस्ती दर्शनीय स्थल बौद्ध धर्म के आठ महातीर्थो में श्रावस्ती भी एक प्रसिद्ध तीर्थ है। जो बौद्ध साहित्य में सावत्थी के नाम से कौशांबी का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ कौशांबी बौद्ध तीर्थ स्थल कौशांबी की गणना प्राचीन भारत के वैभवशाली नगरों मे की जाती थी। महात्मा बुद्ध जी के समय वत्सराज उदयन की संकिसा का प्राचीन इतिहास – संकिसा बौद्ध तीर्थ स्थल बौद्ध अष्ट महास्थानों में संकिसा महायान शाखा के बौद्धों का प्रधान तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि इसी स्थल त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव – बड़ा गांव जैन मंदिर खेडका का इतिहास त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव या बड़ा गांव जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान दिल्ली सहारनपुर सड़क शौरीपुर बटेश्वर श्री दिगंबर जैन मंदिर – शौरीपुर का इतिहास शौरीपुर नेमिनाथ जैन मंदिर जैन धर्म का एक पवित्र सिद्ध पीठ तीर्थ है। और जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान आगरा जैन मंदिर – आगरा के टॉप 3 जैन मंदिर की जानकारी इन हिन्दी आगरा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। मुख्य रूप से यह दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा धर्म कम्पिल का इतिहास – कंपिल का मंदिर – कम्पिल फेयर इन उत्तर प्रदेश कम्पिला या कम्पिल उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले की कायमगंज तहसील में एक छोटा सा गांव है। यह उत्तर रेलवे की अहिच्छत्र जैन मंदिर – जैन तीर्थ अहिच्छत्र का इतिहास अहिच्छत्र उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की आंवला तहसील में स्थित है। आंवला स्टेशन से अहिच्छत्र क्षेत्र सडक मार्ग द्वारा 18 देवगढ़ का इतिहास – दशावतार मंदिर, जैन मंदिर, किला कि जानकारी हिन्दी में देवगढ़ उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यह ललितपुर से दक्षिण पश्चिम में 31 किलोमीटर लखनऊ गुरुद्वारा गुरु तेगबहादुर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – लखनऊ का गुरुद्वारा इतिहास उत्तर प्रदेश की की राजधानी लखनऊ के जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर यहियागंज के बाजार में स्थापित लखनऊ नाका गुरुद्वारा – गुरुद्वारा सिंह सभा नाका हिण्डोला लखनऊ हिस्ट्री इन हिन्दी नाका गुरुद्वारा, यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ में स्थित है। नाका गुरुद्वारा साहिब के बारे में कहा जाता है गुरु का ताल आगरा -आगरा गुरुद्वारा गुरु का ताल हिस्ट्री इन हिन्दी आगरा भारत के शेरशाह सूरी मार्ग पर उत्तर दक्षिण की तरफ यमुना किनारे वृज भूमि में बसा हुआ एक पुरातन गुरुद्वारा बड़ी संगत नीचीबाग बनारस का इतिहास – वाराणसी गुरुद्वारा हिस्ट्री इन हिन्दी गुरुद्वारा बड़ी संगत गुरु तेगबहादुर जी को समर्पित है। जो बनारस रेलवे स्टेशन से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीचीबाग में रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल महोबा का किला महोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी सिरसागढ़ का किला – बहादुर मलखान सिंह का किला व इतिहास हिन्दी में सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में जैतपुर का किला या बेलाताल का किला या बेलासागर झील हिस्ट्री इन हिन्दी, जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुर झांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील टीले वाली मस्जिद यह है लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिद लक्ष्मण टीले वाली मस्जिद लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। बड़े इमामबाड़े के सामने मौजूद ऊंचा टीला लक्ष्मण परीखाना लखनऊ के रंगीन मिजाज नवाब की ऐशगाह लखनऊ का कैसरबाग अपनी तमाम खूबियों और बेमिसाल खूबसूरती के लिए बड़ा मशहूर रहा है। अब न तो वह खूबियां रहीं मच्छी भवन लखनऊ का अभेद्य किला और 1857 गदर का गवाह लक्ष्मण टीले के करीब ही एक ऊँचे टीले पर शेख अब्दुर्रहीम ने एक किला बनवाया। शेखों का यह किला आस-पास फिरंगी महल लखनऊ – फिरंगी महल क्या है? गोल दरवाजे और अकबरी दरवाजे के लगभग मध्य में फिरंगी महल की मशहूर इमारतें थीं। इनका इतिहास तकरीबन चार सौ सतखंडा पैलेस लखनऊ के नवाब की अधूरी ख्वाहिश सतखंडा पैलेस हुसैनाबाद घंटाघर लखनऊ के दाहिने तरफ बनी इस बद किस्मत इमारत का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1842 पिक्चर गैलरी लखनऊ का निर्माण किसने करवाया था? सतखंडा पैलेस और हुसैनाबाद घंटाघर के बीच एक बारादरी मौजूद है। जब नवाब मुहम्मद अली शाह का इंतकाल हुआ तब इसका छतर मंजिल क्या है – छतर मंजिल को किसने बनवाया? अवध के नवाबों द्वारा निर्मित सभी भव्य स्मारकों में, लखनऊ में छतर मंजिल सुंदर नवाबी-युग की वास्तुकला का एक प्रमुख मोती महल लखनऊ – नवाबों के शहर का एम्फीथिएटर मुबारिक मंजिल और शाह मंजिल के नाम से मशहूर इमारतों के बीच 'मोती महल' का निर्माण नवाब सआदत अली खां ने खुर्शीद मंजिल लखनऊ का इतिहास या ला मार्टीनियर कालेज खुर्शीद मंजिल:- किसी शहर के ऐतिहासिक स्मारक उसके पिछले शासकों और उनके पसंदीदा स्थापत्य पैटर्न के बारे में बहुत कुछ बीबीयापुर कोठी कहा है, बीबीयापुर कोठी का निर्माण किसने करवाया बीबीयापुर कोठी ऐतिहासिक लखनऊ की कोठियां में प्रसिद्ध स्थान रखती है। नवाब आसफुद्दौला जब फैजाबाद छोड़कर लखनऊ तशरीफ लाये तो इस रेजीडेंसी इन लखनऊ रेजीडेंसी हिस्ट्री इन हिन्दी नवाबों के शहर के मध्य में ख़ामोशी से खडी ब्रिटिश रेजीडेंसी लखनऊ में एक लोकप्रिय ऐतिहासिक स्थल है। यहां शांत बड़ा इमामबाड़ा कहां स्थित है – बड़ा इमामबाड़ा किसने बनवाया था? ऐतिहासिक इमारतें और स्मारक किसी शहर के समृद्ध अतीत की कल्पना विकसित करते हैं। लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा उन शानदार स्मारकों शाह नज़फ इमामबाड़ा लखनऊ हिस्ट्री इन हिन्दी शाही नवाबों की भूमि लखनऊ अपने मनोरम अवधी व्यंजनों, तहज़ीब (परिष्कृत संस्कृति), जरदोज़ी (कढ़ाई), तारीख (प्राचीन प्राचीन अतीत), और चेहल-पहल छोटा इमामबाड़ा कहां है – छोटा इमामबाड़ा किसने बनवाया था? लखनऊ पिछले वर्षों में मान्यता से परे बदल गया है लेकिन जो नहीं बदला है वह शहर की समृद्ध स्थापत्य रामकृष्ण मठ लखनऊ – रामकृष्ण मठ की स्थापना कब हुई लखनऊ शहर के निरालानगर में राम कृष्ण मठ, श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। लखनऊ में चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ – चंद्रिका देवी मंदिर का इतिहास चंद्रिका देवी मंदिर-- लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है और यह शहर अपनी धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के रूमी दरवाजा का इतिहास – रूमी दरवाजा किसने बनवाया था? 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध के बाद लखनऊ का दौरा करने वाले द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक रिपोर्टर श्री भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवाया इस बात की प्रबल संभावना है कि जिसने एक बार भी लखनऊ की यात्रा नहीं की है, उसने शहर के मकबरा सआदत अली खां लखनऊ – नवाब सआदत अली खां की कब्र उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ बहुत ही मनोरम और प्रदेश में दूसरा सबसे अधिक मांग वाला पर्यटन स्थल, गोमती नदी सफेद बारादरी लखनऊ शोक से खुशियों तक का सफर लखनऊ वासियों के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है यदि वे कहते हैं कि कैसरबाग में किसी स्थान पर लाल बारादरी लखनऊ – लाल बारादरी का इतिहास इस निहायत खूबसूरत लाल बारादरी का निर्माण सआदत अली खांने करवाया था। इसका असली नाम करत्न-उल सुल्तान अर्थात- नवाबों का जनेश्वर मिश्र पार्क लखनऊ – कुछ पल शुद्ध वातावरण में लखनऊ में हमेशा कुछ खूबसूरत सार्वजनिक पार्क रहे हैं। जिन्होंने नागरिकों को उनके बचपन और कॉलेज के दिनों से लेकर उस लखनऊ चिड़ियाघर शहर के बीच प्राणी उद्यान एक भ्रमण सांसारिक जीवन और भाग दौड़ वाली जिंदगी से कुछ समय के लिए आवश्यक विश्राम के रूप में कार्य 1 2 Next » Uncategorized अवध के नवाबजीवनीलखनऊ के नवाब