श्री बटाऊ लाल मंदिर कालपी नगर के मुहल्ला अदल सरायजालौन उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर महाबली हनुमान जी को समर्पित है। हनुमान जी के एक अन्य नाम बटाऊ लाल से ख्याति प्राप्त यह अत्यन्त सिद्ध स्थान है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां मनोकामनाएं पूर्ति हेतु आते हैं।
श्री बटाऊ लाल मंदिर का इतिहास
श्री बटाऊ लाल मंदिर का निर्माण लगभग 400 वर्ष पूर्व हुआ था। जिसे श्री बटाऊ लाल खत्री ने कराया था। इसलिए उनके नाम से इस मंदिर का नाम पड़ा। मंदिर के मध्य में शिवालय है। जिसमें शंकर जी पिंडी घरूआ सहित स्थापित है। यह गर्भगृह मुख्य धरातल से लगभग 5 फुट ऊँचा है। इस मंदिर में हनुमान जी की एक विशिष्ट मूर्ति भी स्थापित है। इस मंदिर की मान्यता सिद्ध स्थान के रूप में है। खत्री जाति के लोगों की यह मान्यता है, कि देवी को प्रसन्न करने के लिए माँ काली के समक्ष पशु बलि दी जाये। इससे इस मंदिर पशु बलि भी दी जाती थी। महाराज विठल देव स्वामी ने इस मंदिर में वर्षों तक अपनी आध्यात्मिक साधना की थी। जिसके कारण यह मंदिर विशेष रूप से जाग्रत हुआ। इस मंदिर पर भाद्र माह के अन्तिम मंगलवार को विशाल मेला लगता है।
श्री बटाऊ लाल मंदिर का स्थापत्य
श्री बटाऊ लाल मंदिर चौकौर बना हुआ है। इसके मध्य में गर्भगृह बना है। गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा का खुला हुआ क्षेत्र है। इस खुले हुए क्षेत्र के बाद चारों ओर बरान्डा बना है। जिसके उत्तर पश्चिम-दक्षिण कोने में गणेश जी की मूर्ति तथा दक्षिण-पूर्व के कोने में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। यह पूरा मंदिर पूर्वा भिमुख है। गर्भगृह की विमान रूपी सुराही लगभग 200 फुट ऊँची है। मंदिर के सामने कुंआ है तथा पीछे अखाड़ा है। मंदिर के चारों कोनों में ऊपर की ओर विमान के रूप में चार मठ बने हुए हैं। मठ के ऊपर कमल दल अंकित है। एवं ऊपर शिखर बना है। मंदिर के गर्भगृह में शंकर जी का शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं।
श्री बटाऊ लाल मंदिर कालपी
गर्भगृह 10 फीट के वर्गाकार क्षेत्र मे बना है। गर्भगृह की चारो दीवारों पर एक महराबदार दरवाजा है। चकौर दीवार के ऊपर अष्टभुजी अंकन है। इस अष्टभुजी की प्रत्येक भुजा में एक-एक मेहराबदार अंकन है जिसमें प्रतिमाऐं बनी है इन प्रतिमाओं में रावण की प्रतिमा विशेष रूप से दृष्टव्य है। उत्तर दिशा में अंकित रावण 16 भुजी है एवं सुन्दर पुष्प मुकुट धारण किये हुए हैं। उसके सामने दक्षिण दिशा में 16 भुजी रावण आसनारूढ़ है। पश्चिम दिशा में भगवान लक्ष्मीनारायण जी का अंकन है एवं पूर्व दिशा में किए हुए है और गरूण जी स्थानक मुद्रा में है। इस अष्ट भुजी पर गोल गुम्बदकार छत और छत के ऊपर विशिष्ट सुराही दार विमान अंकित है। गर्भगृह लगभग 20 फुट ऊँचा है। मंदिर की दीवार 2 फुट मोटी है।
श्री बटाऊ लाल मंदिर का विमान विशेष रूप से दर्शनीय है। इस विमान के पूर्व में गणेशजी पश्चिम भुजा में भैरव उत्तर में मां सिंहवाहिनी तथा दक्षिण में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। यहां पर हनुमान जी की मूर्ति एक विशेष प्रकार की मुद्रा में है। जो लगभग आठ फुट ऊँची है। मूर्ति के दाहिने हाथ में गदा एवं बाये हाथ में धनुष है। इस तरह की यह एक अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है और पैरों के नीचे राक्षस गणों का भी अंकन है। जो कि त्राहिमाम् बोल रहे हैं।
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